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भ्रष्टाचार एक प्रकार की आपराधिक गतिविधि या बेईमानी है जिसे कोई व्यक्ति या समूह अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए करता है। यह अधिनियम दूसरों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से समझौता करता है। मुख्य रूप से इसमें रिश्वतखोरी या गबन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। निश्चित रूप से यह लालची और स्वार्थी व्यवहार को दर्शाता है। आईये इस ब्लॉग में हम विस्तार से Bhrashtachar के बारे में जानते हैं। Bhrashtachar par Nibandh के माध्यम से आप इस विषय को सम्पूर्ण तरीके से समझ पाएंगे।
Corruption in hindi : भ्रष्टाचार के तरीके, देश का लचीला कानून, व्यक्ति का लोभी स्वभाव, भ्रष्टाचार के परिणाम, ये हैं भारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटाले, भ्रष्टाचार के उपाय पर निबंध, bhrashtachar par nibandh: भ्रष्टाचार रोकने के तरीके पर निबंध.
सबसे पहले, रिश्वत भ्रष्टाचार का सबसे आम तरीका है। रिश्वत में व्यक्तिगत लाभ के बदले एहसान और उपहारों का अनुचित उपयोग शामिल है। इसके अलावा, एहसान के प्रकार विविध हैं। इन सबसे ऊपर, एहसानों में पैसा, उपहार, कंपनी के शेयर, यौन एहसान, रोजगार, मनोरंजन और राजनीतिक लाभ शामिल हैं। इसके अलावा, व्यक्तिगत लाभ हो सकता है – अधिमान्य उपचार और अपराध को नजरअंदाज करना।
गबन चोरी के उद्देश्य के लिए संपत्ति को वापस लेने के अधिनियम को संदर्भित करता है। इसके अलावा, यह एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा होता है जिन्हें इन परिसंपत्तियों को सौंपा गया था। इन सबसे ऊपर, गबन वित्तीय धोखाधड़ी का एक प्रकार है। भ्रष्टाचार का एक वैश्विक रूप है। सबसे उल्लेखनीय, यह व्यक्तिगत लाभ के लिए एक राजनेता के अधिकार के अवैध उपयोग को संदर्भित करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार का एक लोकप्रिय तरीका राजनेताओं के लाभ के लिए सार्वजनिक धन को गलत तरीके से सीमित करना है।
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जबरन वसूली भ्रष्टाचार का एक और प्रमुख तरीका है। इसका मतलब अवैध रूप से संपत्ति, धन या सेवाएं प्राप्त करना है। इन सबसे ऊपर, यह उपलब्धि व्यक्तियों या संगठनों के साथ मिलकर होती है। इसलिए, एक्सटॉर्शन ब्लैकमेल के समान है। अनुकूलता और भाई-भतीजावाद भ्रष्टाचार का एक पुराना रूप है जो अभी भी उपयोग में है। यह एक व्यक्ति के अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को नौकरियों के पक्ष में बताता है। यह निश्चित रूप से एक बहुत ही अनुचित प्रथा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई योग्य उम्मीदवार नौकरी पाने में असफल होते हैं। विवेक का दुरुपयोग भ्रष्टाचार का एक और तरीका है। यहाँ, एक व्यक्ति एक शक्ति और अधिकार का दुरुपयोग करता है। एक उदाहरण किसी न्यायाधीश द्वारा किसी आपराधिक मामले को अनजाने में खारिज करने का हो सकता है। अंत में, पेडलिंग को प्रभावित करना यहां अंतिम विधि है। यह अवैध रूप से सरकार या अन्य अधिकृत व्यक्तियों के साथ एक के प्रभाव का उपयोग करने के लिए संदर्भित करता है। इसके अलावा, यह अधिमान्य उपचार या पक्ष प्राप्त करने के लिए जगह लेता है।
भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।
समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।
हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।
भ्रष्टाचार रोकने का एक महत्वपूर्ण तरीका सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन देना है। कई सरकारी कर्मचारियों को बहुत कम वेतन मिलता है। इसलिए, वे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेते हैं। तो, सरकारी कर्मचारियों को उच्च वेतन मिलना चाहिए। नतीजतन, उच्च वेतन उनकी प्रेरणा को कम कर देगा और रिश्वतखोरी में संलग्न होने का संकल्प करेगा।
श्रमिकों की संख्या में वृद्धि भ्रष्टाचार को रोकने का एक और उपयुक्त तरीका हो सकता है। कई सरकारी कार्यालयों में, कार्यभार बहुत अधिक है। यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम को धीमा करने का अवसर प्रदान करता है। नतीजतन, ये कर्मचारी काम के तेजी से वितरण के बदले में रिश्वत लेते हैं। इसलिए, सरकारी कार्यालयों में अधिक कर्मचारियों को लाकर रिश्वत देने के इस अवसर को हटाया जा सकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठिन कानून बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन सबसे ऊपर, दोषी व्यक्तियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सख्त कानूनों का एक कुशल और त्वरित कार्यान्वयन होना चाहिए।
कार्यस्थलों में कैमरे लगाना भ्रष्टाचार को रोकने का एक शानदार तरीका है। इन सबसे ऊपर, कई व्यक्ति पकड़े जाने के डर से भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचेंगे। इसके अलावा, ये व्यक्ति अन्यथा भ्रष्टाचार में लिप्त रहे होंगे। सरकार को मुद्रास्फीति को कम रखना सुनिश्चित करना चाहिए। कीमतों में वृद्धि के कारण, कई लोगों को लगता है कि उनकी आय बहुत कम है। नतीजतन, यह जनता के बीच भ्रष्टाचार को बढ़ाता है।
व्यवसायी अपने माल के स्टॉक को उच्च कीमतों पर बेचने के लिए कीमतें बढ़ाते हैं। इसके अलावा, राजनेता उन्हें मिलने वाले लाभों के कारण उनका समर्थन करते हैं। इसे योग करने के लिए, भ्रष्टाचार समाज की एक बड़ी बुराई है। इस बुराई को समाज से जल्दी खत्म किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार वह जहर है जिसने इन दिनों कई व्यक्तियों के दिमाग में प्रवेश कर लिया है। उम्मीद है कि लगातार राजनीतिक और सामाजिक प्रयासों से हम भ्रष्टाचार से छुटकारा पा सकते हैं।
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by Editor November 29, 2018, 2:42 PM 1 Comment
भ्रष्टाचार पर निबंध | Bhrashtachar Essay in Hindi
भ्रष्टाचार आज देश के सामने खड़ी सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए हमें शिक्षित होने की जरूरत है। यहाँ हम कक्षा 1 से लेकर 12 तक के छात्रों के लिए निबंध लेकर आए हैं। 150 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों तक के निबंध की तैयारी आप कर सकते हैं।
जब हमारा अपने कार्य के प्रति आचरण भ्रष्ट हो जाता है तभी हमारे अंदर भ्रष्टाचार का जन्म होता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह फैला है जो धीरे-धीरे इस देश की अर्थ व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को खोखला करता जा रहा है। आज सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने अगर कोई है तो वो है भ्रष्टाचार।
किसी भी देश के लिए आगे बढ्ने में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा रोड़ा है, वो देश कभी भी प्रगति नहीं कर सकता जहां चारो तरफ भ्रष्टाचार फैला हो। अगर हमें भी अपने देश को प्रगतिशील बनाना है तो सबसे पहले भ्रष्टाचार के जहर को फैलने से रोकना होगा।
व्यक्ति जब अपने कार्य के प्रति वफादार नहीं होता है और उस कार्य में अनैतिक कामों को करता है तब जन्म होता है भ्रष्टाचार का। भ्रष्टाचार कहीं भी जन्म ले सकता है चाहे वो सरकारी ऑफिस हो या कोई राजनेता या कोई बड़ा महकमा।
अगर इस हमें रोकना है तो सबसे पहले हर काम में पारदर्शिता लानी होगी। आइये हम सभी यह प्रण करें की ना भ्रष्टाचार करेंगे और ना किसी को करने देंगे।
किसी भी देश की प्रगति में सबसे बड़ा हाथ वहाँ की सिस्टम में होता है, अगर उस देश के शीर्ष पर बैठे लोग ईमानदार होंगे तभी वह देश आगे बढ़ सकता हैं। वो देश कभी विकास नहीं कर सकता जहां भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ों को मजबूत कर लिया हो। आज हमारे देश में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है, सिर्फ हमारा देश ही नहीं दुनिया मे ऐसे कई देश हैं जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और खा रहा है देश की अर्थ व्यवस्था को।
अपने कार्य के प्रति ईमानदार ना होना और उसमें अपने गलत आचरण को शामिल करना ही भ्रष्टाचार को जन्म देता है। भ्रष्टाचार किसी भी जगह जन्म ले सकता है। आज हम देखते हैं की कोई भी सरकारी काम बिना रिश्वत दिये पूरा नहीं होता। पुलिस को पैसे देकर लोग बच जाते हैं, राजनीति मे शामिल लोग करोड़ो रुपयों का भ्रष्टाचार करते हैं। इसी तरह जब देश मे अरबों रुपया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है तब देश बर्बादी की तरफ बढ़ता है।
भ्रष्टाचार फैलाने में सिर्फ वो लोग दोषी नहीं जो अपने काम में ईमानदारी नहीं दिखाते अपितु वो लोग भी उतने ही दोषी हैं जो ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना काम गलत तरीके से करवाते हैं। रिश्वत लेनेवाला और देने वाला दोनों ही समान दोषित होते हैं।
भ्रष्टाचार को मिटाना इतना आसान नहीं क्यूंकी यह एक जहर की तरह हर जगह फैला है और हमारे बीच ही रहता है। अगर इसे हमें खतम करना है तो सबको एक कसम खानी होगी की कभी भी पैसे देकर अपना काम नहीं करवाएँगे, एक ईमानदार सरकार चुनेंगे, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। सरकार को भी चाहिए की अपने सभी दफ़तरों के कामों में पारदर्शिता लाये और ऐसे गठन की रचना करे जो भ्रष्टाचार के मामलों का निबटारा कर सके।
आइये हम सब एक होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जंग की शुरुआत करते हैं और हमें तब तक नहीं रुकना है जब तक इसे हम जड़ से नहीं उखाड़ फेंकते।
किसी भी देश की तरक्की तभी हो सकती है जब उस देश की सरकार उस देश के लोग ईमानदारी से अपना काम करें। लेकिन जब हम अपनी ईमानदारी को भूलकर अपने काम में बेईमानी को जगह देते हैं तब पैदा होता है भ्रष्टाचार।
भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह काम करता है और देश, समाज को खोखला बना देता है। हमारे देश में आज बिना पैसों की लेन-देन के कोई काम नहीं होता। पहले पैसा दो और फिर अपना काम करवाओ। सिर्फ यही नहीं कुछ लोग अपने काम करवाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और काम करने वाले को रिश्वत देते हैं। यही सब ही तो है भ्रष्टाचार।
भ्रष्टाचार को आप हर जगह देख सकते हैं, चाहे वो कोई सरकारी ऑफिस हो या कोई राजनीतिक पार्टी या फिर कोई जवाबदार पद पर बैठा व्यक्ति हर कोई इसमें लिप्त है। भ्रष्टाचार की वजह से सबसे बड़ा नुकसान आम आदमी को होता है, जो पैसा या सुविधाएं सरकार उसके लिए देती है वो बिचौलिये हड़प जाते हैं और जिनका अधिकार है वो उससे वंचित ही रहते हैं।
आज आपको रैशन कार्ड बनवाना हो या ड्राइविंग लायसंस वहाँ भी आप रिश्वत देंगे तो आपका काम पहले किया जाएगा। राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो सबसे ज्यादा और सबसे बड़ा भ्रष्टाचार अगर कोई करता है तो वो हैं देश की सत्ताधारी राजनैतिक पार्टियां। करोड़ो, अरबों रुपयों का भ्रष्टाचार देश के सामने आना अब आम बात हो गयी है। यही राजनीतिक लोग चुनाव के समय भी पैसों या वस्तु की लालच देकर लोगों के वोट हासिल कर लेते हैं इसे भी हम भ्रष्टाचार की कहेंगे।
इसी प्रकार हर महकमे में भ्रष्टाचार की बीमारी फैली हुई है, लेकिन इस फैला कोन रहा है, क्या ये हमने कभी सोचा है?
भ्रष्टाचार को फैलाने में सिर्फ वो दोषी नहीं जो पैसा या रिश्वत लेकर काम करता है बल्कि वो लोग भी दोषी हैं जो रिश्वत का लालच देते हैं। जब व्यक्ति के मन में अपने काम को लेकर असंतोष हो, उसे वो सब नहीं मिल रहा हो जो वो चाहता है, तो वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने काम में अनैतिक चीजों को अपना लेता है और वो भ्रष्ट हो जाता है।
उसी प्रकार जब हमारा कोई काम आसान तरीके से नहीं होता तब हम पैसा देकर अपना काम कराते हैं तो फिर यहाँ हम भी एक भ्रष्टाचारी ही हुये। भ्रष्टाचार को फैलाने में हर कोई दोषी है, शायद इसीलिए यह एक विकराल रूप ले रहा है और देश की अर्थ व्यवस्था को निगल रहा है।
क्या भ्रष्टाचार को हम नहीं मिटा सकते?
मिटा सकते हैं लेकिन उसके लिए हमें अपने आप से ये वादा करना होगा की आज से हम पैसा देकर अपना काम नहीं करवाएंगे और जो भी हम से रिश्वत मांगने की कोशिश करेगा उसका पर्दाफाश करेंगे। हमें राजनीति के उन लोगों का बहिष्कार करना होगा जो भ्रष्टाचार में लिप्त है और जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। आज हम देखते हैं भ्रष्टाचार के जिन पर आरोप होते हैं वो भी चुनाव लड़कर विजयी होते हैं और हमारे प्रतिनिधि बन जाते हैं। ऐसे भ्रष्ट लोगों का बहिष्कार करना होगा।
एक ईमानदार सरकार ही भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर सकती है इसलिए हमें देश को एक ईमानदार सरकार चुनकर देना चाहिए। आम लोगों तक सरकारी पैसा और सुविधाएं पहुंचे और बिचौलिये उसका लाभ ना ले पाएँ इसके लिए पारदर्शी सिस्टम तैयार करने की जरूरत है।
भ्रष्टाचार को जड़ से खतम कर सकें इसके लिए सबसे जरूरी है की देश मे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कडा कानून बने ताकि जो लोग इसमें लिप्त हैं उनके मन में डर पैदा हो। जब तक हम एक ईमानदार और जवाबदार नागरिक नहीं बनेंगे तब तक भ्रष्टाचार को खतम नहीं कर सकते, हम सभी को अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी निभाने की जरूरत है।
किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति जब लालच या स्वार्थ के कारण अपने पद का दुरुपयोग करता है और गलत प्रवर्ती में लिप्त हो जाता है तो उसे हम भ्रष्टाचार कहते हैं, मतलब व्यक्ति का आचरण भ्रष्ट हो जाना ही भ्रष्टाचार है।
आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार की है, और इसकी जड़ें बहुत गहराई में हैं। कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक ईमानदारी के साथ उस देश का नागरिक अपना काम ना करे। अगर सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तब तो हम कह सकते हैं की उस देश का पतन निश्चित होता है।
हमारे भारत देश में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। हर जगह यह पनप रहा है और देश को खोखला कर रहा है। आज कोई भी काम बिना पैसों के नहीं होता, वोटों को पैसों से खरीद लिया जाता है, चीज-वस्तुओं में मिलावट होना आम बात है, करोड़ो रुपयों के घोटाले अब आम हैं।
कोई अनैतिक तरीके से किया गया काम भ्रष्टाचार कहलाता है इसको हम कुछ प्रकारों में बाँट सकते हैं:
1. राजनीतिक देश पर शासन करने वाले ही जब भ्रष्टाचार में लिप्त रहने लगेंगे तो सोचिए उस देश का कैसा भविष्य होगा, क्या वो देश कभी आगे बढ़ सकता है, नहीं बिलकुल नहीं। आए दिन हम राजनीति से जुड़े लोगों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को सुनते हैं। करोड़ो रुपयों का घोटाला किए हुये ऐसे राजनीतिक लोग इस देश के लिए दीमक के समान हैं।
चुनाव के समय लोगों को पैसों की लालच देना, चीज वस्तु की लालच देना और वोटों को हासिल करने का खेल हम देखते हैं। ये भी एक भ्रष्टाचार ही है। जरा सोचिए वोटों को खरीद कर चुने हुये प्रतिनिधि इस देश का क्या विकास करेंगे।
ऊंची सत्ता हासिल करने के बाद ऐसे राजनीतिक लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते हैं लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सजा नहीं मिलती।
2. प्रशासनिक आज किसी भी सरकारी ऑफिस का कचेरी में आप चले जाइए, बिना पैसों की लेन देन के कोई आपका काम नहीं करेगा। पहले पैसा दो, फिर अपना काम कराओ। अब तो लोगों को भी ये समझ में आ गया है की बिना पैसों के काम नहीं होने वाला इसलिए वो पहले से ही पैसा देकर अपना काम करा लेते हैं। कोई भी सरकारी काम हो आपसे रिश्वत मांगी जाती है, अगर कोई ईमानदार रिश्वत नहीं देता है तो उसका काम नहीं होता, उसे परेशान किया जाता है।
ऐसा ही हाल अन्य सरकारी विभागों का है जहां पहले रिश्वत ली जाती है और फिर काम किया जाता है। पूरा प्रशासन इसमें लिप्त है। सरकार द्वारा चलायी जा रहीं कई योजानाओं का पैसा गरीबों तक नहीं पहुँच पाता क्योंकि सरकारी कार्यालयों में बैठे भ्रष्ट लोग उन्हें हड़प कर जाते हैं।
3. व्यावसायिक आज चीज-वस्तुओं में मिलावट होना आम बात हो गयी है। अधिक पैसा कमाने की होड में लोग चीज-वस्तुओं में तरह-तरह की मिलावट करते हैं। नकली चीजों की तो भरमार है और लोगों को नकली चीजें बेचकर खूब ठगा जाता है, यही होता है व्यावसायिक भ्रष्टाचार।
कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक भ्रष्टाचार जड़ से खतम नहीं होता। आज जो देश विकास कर रहे हैं वहाँ काम करने में पारदर्शिता है, लोगों में विश्वास की भावना है। भ्रष्टाचार देश को आर्थिक रूप से कंगाल कर देता है। आज कई देश ऐसे हैं जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और वो देश बरबादी की कगार पर हैं।
राजनीति में घुसे हुये लोग जो इस देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जब वही भ्रष्टाचारी होंगे तो क्या उम्मीद हम कर सकते हैं।
भ्रष्टाचार की वजह से गरीब और ज्यादा गरीब हो गया है और अमीर व्यक्ति और ज्यादा अमीर। समाज में अमीरी-गरीबी की एक खाई बन गयी है। लोगों को अपना काम कराने के लिए पैसा देना पड़ता है और पैसा ना दो तो उनका काम नहीं होता।
सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार होने की वजह से लोगों का भरोसा टूटा है जिसकी वजह से प्रजा और प्रशासन के बीच एक अविश्ववास की भावना पैदा हुई है।
जो लायक है उनको कोई काम नहीं मिलता जबकि जो किसी लायक नहीं वो रिश्वत देकर ऊचे पदों पर बैठ जाते हैं। चुनावों में खूब भ्रष्टाचार होता है जिसकी वजह से ऐसे लोग चुनकर आते हैं जो ना देश के लिए कुछ कर सकते हैं और ना देश के लोगों के लिए। ऐसे लोग सत्ता में आने के बाद आम लोगों के पैसों को बर्बाद करते हैं।
ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका हल ना हो। बेशक भ्रष्टाचार आज हमारे देश मे दीमक की तरह फैला हो लेकिन अगर हम ठान लें की इसे हमें जड़ से खतम करना है तो हम जरूर ऐसा कर सकते हैं, समय जरूर लगेगा लेकिन बदलाव आने से कोई नहीं रोक सकता।
सबसे पहले तो हमें ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य समाप्त करना होगा जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे लोगों को हमें वोट नहीं करना है। हमें किसी भी प्रकार की लालच में ना आकार सिर्फ ईमानदार प्रतिनिधि को ही चुनकर इस देश की सेवा में लाना होगा। यह हर नागरिक का कर्तव्य है की वो हमेशा सही लोगों को अपना कीमती वोट दे।
दूसरी चीज हमें आज से यह शपथ लेनी है की किसी भी सरकारी कार्य के लिए हमें किसी को रिश्वत नहीं देना है, अगर हम से कोई रिश्वत मांगता है तो उसका हमें पर्दाफाश करना चाहिए।
तीसरा काम हमें करना है मिलावट करने वालों के खिलाफ। जो भी व्यक्ति चीज-वस्तु में मिलावट करता है उसका बहिष्कार करना चाहिए।
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भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद | Paragraph on Corruption in Hindi!
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज मे अनैतिकता, अराजकता और स्वार्थ से युत) भावनाओं का बोलबाला हो गया है । परिणाम स्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप कुंभला-सा हो गया है ।
इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रुप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक ब्यूक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । कमरतोड महंगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है ।
मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ जाने के कारण वह उन्हें पूरा करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है । किसी भी क्षेत्र में चले जाएं भ्रष्टाचार का फैलाव दिखाई देता है । भारत के सरकारी व गैर-सरकारी विभाग इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण हैं ।
ADVERTISEMENTS:
आप यहाँ से अपना कोई भी काम करवाना चाहते हैं, बिना रिश्वत खिलाए काम करवाना संभव नहीं है । मंत्री से लेकर संतरी तक को आपको अपनी फाइल बढ़ताने के लिए पैसे का उपहार चढाना ही पड़ेगा । स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है । बस इनके तरीके दूसरे हैं ।
गरीब परीवारों के बच्चों के लिए तो शिक्षा कॉलेजों तक सीमित होकर रह गई है । नामी स्कूलों में दाखिला कराना हो तो डोनेशन के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती है। बैंक जो की हर देश की अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ है वे भी भ्रष्टाचार के इस रोग से पीडित हैं ।
आप किसी प्रकार के लोन के लिए आवेदन करें पर बिना किसी परेशानी के फाइल निकल जाए यह तो संभव नहीं हो सकता । देश की आंतरिक सुरक्षा का भार हमारे पुलिस विभाग पर होता परन्तु आए दिन यह समाचार आते-रहते हैं की आमुक पूलिस अफसर ने रिश्वत लेकर एक गुनाहगार को छोड़ दिया । भारत को यह भ्रष्टाचार खोखला बना रहा है ।
हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा । सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना । प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने को इस भ्रष्टाचार से बाहर निकालना होगा । यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए ।
जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरूप लेकर विकसित हो । न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य ज्ञान को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करनी होगी । इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है ।
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Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ भ्रष्टाचार पर निबंध साझा कर रहे हैं. छोटे बच्चों के लिए Essay On Corruption In Hindi भ्रष्टाचार की समस्या पर छोटा बड़ा निबन्ध लेकर आए हैं.
विभिन्न कक्षा के विद्यार्थियों के लिए Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में निबन्ध दिया गया हैं.
Hello Friends Today We Share Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi Language With You For School Students & Kids.
यदि किसी हरे पेड़ में दीमक लग जाए तो जल्द ही वह अंदर से खोखला हो जाएगा. बस यही हमारे भारत के साथ भी यही हो रहा हैं. भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्या ने भारत की जड़ो तक को खोखला कर दिया गया हैं.
भारत नश नश में आज भ्रष्टाचार बसा हुआ हैं. सरकारी पदों पर बैठे बाबू से लेकर उच्च पदों पर विराजमान अधिकारी भी बिना पैसे लिए कोई काम नहीं करता हैं.
भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई हैं. जिनसे प्रत्यक्ष रूप से हम सब जिम्मेदार हैं. दूसरी तरफ ७० वर्षों से चली आ रही व्यवस्था में भ्रष्टाचार को हमारी व्यवस्था में मौन स्वीकार्यता दे दी है.
इसे रोकने के लिए कुछ विधान भी बनाए गये जिसके तहत रिश्वत देने और लेने वाले को समान रूप से आरोपी माना गया हैं. मगर यदि इसे धरातल पर लाकर देखा जाए तो यह बहुत नाकाफी हैं.
यदि आपकों किसी दस्तावेज पर सरकारी कर्मचारी के दस्तखत करवाने है अथवा किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता है या कोई प्रशासन की स्वीकृति चाहिए तो आपकों अपने आवेदन पत्र के साथ साथ हजार दो हजार का नोट भी देना पड़ता हैं.
यह बात भले ही हजम होने लायक नहीं हैं मगर यह आज की सच्चाई हैं. आम आदमी को इस सरकारी तन्त्र से कुछ भी काम करवाना है तो रिश्वत देनी अनिवार्य हैं, अन्यथा उन्हें हफ्तों तक एक से दूसरे दफ्तर तक चक्कर काटते रहना हैं.
भ्रष्टाचार समाप्त किये जाने की बाते तो आज दिन कोई नेता के मुहं से अवश्य सुनने को मिल ही जाती हैं मगर उनमें सच्चाई कही दूर दूर तक नहीं नजर आती. भारत में भ्रष्टाचार हर विभाग और भर्ती में सिर चढकर बोल रहा हैं.
नौकरी के लिए रिश्वत जरुरी सी हो गयी हैं. इंटरव्यू फिक्स कर दिए जाते हैं ५-१० लाख रूपये खर्च कर सरकारी पद पाने वाले बाबू या जिला कलक्टर से यह आशा करना कि वह जनता की सेवा करेगा, यह तो छोटे मुहं से बड़ी बात ही होगी.
जो लोग घूस लेकर व्यवस्था में आते है उनकी प्राथमिकता अपने नुकसान की पूर्ति ही करेगे. देश के अधिकतर चैनल भी किसी ग्रुप के अधीन जा चुके हैं. अपने प्रयोजकों की विचारधारा को लेकर ही उनके खबरे होती हैं.
मीडिया हाउस अपनी लाइन से हट कर कभी खबर नहीं दिखाएगे. राजनीति में विधायक और सांसदों के लिए टिकटों की बिक्री जारी हैं.
यदि भ्रष्टाचार को पूर्ण रूप से उखाड़ फेकना हैं तो सबसे पहले हमारी केंद्र एवं राज्य सरकार में ऐसे लोगों को लाना होगा जो अपने परिवार और पार्टी की बजाय देश का हित सोचे.
सौभाग्य से भारत को अब एक ऐसा प्रधान मिला हैं. मगर एक व्यक्ति के प्रयास से विदेशों में भारत की लूट का भरा धन वापिस लाना, सिस्टम को पाक साफ़ करना, भ्रष्ट लोगों को व्यवस्था से बाहर करना संभव नहीं हैं इसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक को आगे आना होगा.
भ्रष्टाचार से आशय
अच्छे गुणों को आचरण में उतारना सदाचार कहलाता हैं. सदाचार के विपरीत चलना ही भ्रष्टाचार हैं. भ्रष्ट अर्थात गिरा हुआ आचार अर्थात आचरण. कानून और नैतिक मूल्यों की उपेक्षा करके स्वार्थ सिद्धि में लगा हुआ मनुष्य भ्रष्टाचारी हैं. दुर्भाग्यवश आज हमारे समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं. चरित्रवान लोग नाममात्र को ही रह गये हैं.
विभिन्न क्षेत्रों भ्रष्टाचार कि स्थिति
आज देश में जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा हैं. जहाँ भ्रष्टाचार का प्रवेश न हो. शिक्षा व्यापार बन गयी हैं. धन के बल पर मनचाहे परीक्षाफल प्राप्त हो सकते हैं. व्यापार में मुनाफाखोरी, मिलावट और कर चोरी व्याप्त हैं. धर्म के नाम पर पाखंड और दिखावे का जोर हैं.
जेहाद और फतवों के नाम पर निर्दोष लोगों के प्राण लिए जा रहे हैं. सेना में कमिशन खोरी के काण्ड उजागर होते रहे हैं. भ्रष्टाचार का सबसे निकृष्टतम रूप राजनीति में देखा जा सकता हैं.
हमारे राजनेता वोट बैंक बढाने के लिए जनहित को दांव पर लगा रहे हैं. सांसद और विधायक प्रश्न पूछने तक के लिए रिश्वत ले रहे हैं. न्याय के मन्दिर कहे जाने वाले न्यायालय भी भ्रष्टाचार कि पंक में सने दिखाई देते हैं.
भ्रष्टाचार के कारण तथा समाज पर प्रभाव
देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के अनेक कारण है सबसे प्रमुख कारण है हमारे चरित्र का पतन होना थोड़े से लोभ और लाभ के लिए मनुष्य अपना चरित्र डिगा रहा है. शानदार भवन, कीमती वस्त्र, चमचमाती कार, एसी, टेलीविजन, वाशिंग मशीन आदि पाने के लिए लोग पागल हैं.
वे उचित अनुचित कोई भी उपाय करने को तैयार हैं. वोट पाने के लिए हमारे राजनेता निकृष्टतम हथकंडे अपना रहे हैं. हमारे धर्माचार्य भक्ति, ज्ञान, त्याग आदि का प्रवचन देते है और स्वयं लाखों की फीस लेकर घर भरने लगते हैं.
इनके अतिरिक्त बेरोजगारी महंगाई और जनसंख्या में दिनों दिन होती वृद्धि भी हमारे लोगों को भ्रष्ट बना रही हैं.
भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सुझाव
हम चरित्र की महत्ता भूल चुके हैं. धन के पुजारी बन गये हैं. चरित्र को संवारे बिना भ्रष्टाचार से मुक्त होना असम्भव हैं. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करना भी आवश्यक हैं. जनता को भी चाहिए कि वह चरित्रवान लोगों को ही मत देकर सत्ता में पहुचाएं.
मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा हैं. विमुद्रीकरण को भ्रष्टाचार उन्मूलन का प्रथम चरण बताया गया हैं. इसके अतिरिक्त नई तकनीकों के प्रयोग और उन्हें प्रोत्साहन देकर भ्रष्टाचार समाप्ति के प्रयास हो रहे हैं.
डिजिटल इंडिया ऐसा ही प्रयास हैं. जब लेन देन नकद न होकर ऑनलाइन होंगे तो सारी प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी. और भ्रष्टाचार में निश्चय ही उल्लेख नीय कमी आएगी. सरकारी काम भी पारदर्शी बनेगा. अतः ऑनलाइन क्रिया कलापों में जनता को पूरी रूचि लेनी चाहिए.
एक सच बड़ा कठोर और अप्रिय हैं. लोग कहते है कि जनता स्वयं ही भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं करना चाहती हैं. इसका नमूना नोटबंदी के समय नंगा हो चूका हैं.
हम यानी जनता अपना सही या गलत काम शीघ्र और सुगमता से कराने के लिए रिश्वत देने में संकोच नहीं करते. अतः भ्रष्टाचार मिटाने के लिए शासन और जनता दोनों को मिलकर सच्चे मन से प्रयास करने होंगे.
भ्रष्टाचार प्रच्छन्न देशद्रोह हैं. भ्रष्टाचारियों के लिए कठोरतम दंड कि व्यवस्था हो और जनता को भ्रष्टशासकों को वापस बुलाने का अधिकार प्राप्त हो.
भ्रष्टाचार दो शब्दों भ्रष्ट और आचार के मेल से बना शब्द है. भ्रष्ट शब्द का अर्थ – मार्ग से विचलित या बुरे आचरण वाला तथा आचरण का अर्थ चरित्र, व्यवहार या चाल चलन. इस तरह भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ – अनुचित व्यवहार एवं चाल चलन. विस्तृत अर्थो में इसका तात्पर्य व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले ऐसे अनुचित कार्य से है.
जिसे वह अपने पद या हैसियत का लाभ उठाते हुए आर्थिक व अन्य लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वार्थपूर्ण ढंग से कार्य करता है. इसमे व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत लाभ के लिए निर्धारित कर्तव्य की जानबूझकर अवहेलना करता है.
रिश्वत लेना-देना, खाद्य पदार्थो में मिलावट, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, अनैतिक ढंग से धन संग्रह करना, कानूनों की अवहेलना करके अपना उल्लू सीधा करना आदि भ्रष्टाचार के ऐसे रूप है, जो भारत ही नही दुनिया भर में व्याप्त है.
भारत में भ्रष्टाचार कोई नई बात नही है. ऐतिहासिक ग्रंथो में भी इसके परिणाम मिलते है. चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में भी विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचारों का उल्लेख किया है. हर्षवर्धन काल एवं राजपूत काल में सामन्ती प्रथा ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया.
भ्रष्टाचार के मामलों में मुगलकाल में बढ़ोतरी हुई और ब्रिटिश काल के दौरान इसने भारत में अपनी जड़े पूरी तरह जमा ली. अब यह जड़े इस कदर फ़ैल चुकी है. कि इससे निपटने के सभी उपाय विफल हो रहे है.
विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार का आकलन करने वाली स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्था “ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल” द्वारा वर्ष 2014 में जारी रिपोर्ट्स के अनुसार 175 देशों की सूची में भारत का 85 वाँ स्थान है. यह रिपोर्ट करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) के आधार पर बनाई गई है. इसके अनुसार जिस देश के सी पी आई का मान जितना अधिक होता है, वह देश उतना ही भ्रष्ट माना जाता है.
डेनमार्क 92 अंको के साथ सबसे कम भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में 175 देशों की सूची में उपर तथा सोमालिया 8 अंको के साथ सर्वाधिक भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में सबसे नीचे है. न्यूजीलैंड 91 अंको के साथ दूसरे तथा फ़िनलैंड 89 अंको के साथ तीसरे स्थान पर है. भारत को 38 अंक मिले है.
भ्रष्टाचार के मामले में विकसित देश भी पीछे नही है. इस सूची में ऑस्ट्रेलिया 80 अंक के साथ 11 वें स्थान पर, इंग्लैंड 78 अंक के साथ 14 वें स्थान पर और अमेरिका 74 अंक के साथ 17 वें स्थान पर है.
आज धर्म, शिक्षा, राजनीती, प्रशासन, कला, मनोरंजन, खेलकूद इत्यादि सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार ने अपने पाँव फैला दिए है. मौटे तौर पर देखा जाए, तो भारत में भ्रष्टाचार के निम्न कारण है.
इन सबके अतिरिक्त बेरोजगारी, सरकारी कार्यो का विस्तृत क्षेत्र, महंगाई, नौकरशाही का विस्तार, लालफीताशाही, अल्प वेतन, प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्टाचारियों को सजा में देरी, अशिक्षा, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, महत्वकांक्षा इत्यादि कारणों से भी भारत में भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है.
जब एक नागरिक अथवा राजकीय पद पर स्थापित व्यक्ति निजी लाभ के लिए अनुचित गतिविधियों से धन घूस अथवा रिश्वत के रूप में अर्जित करता हैं उसे करप्शन अथवा भ्रष्टाचार कहा जाता हैं.
वह इस कार्य में अपने दायित्वों तथा कर्तव्यो को ताक पर रखकर अनुचित सेवा अथवा सामान को अनुमति अथवा मूक स्वीकृति प्रदान कर देता हैं.
भ्रष्टाचार एक गहरी समस्या हैं जिसकी जड़े भारत की आजादी के साथ ही शुरू हो गई थी. निचले स्तर से उच्च स्तर तक घूस का साम्राज्य रसा बसा हैं. अपने आंशिक लाभों के लिए जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपना ईमान बेच डालते हैं.
प्रत्येक नागरिक को यह समझना आवश्यक हैं कि किसी अच्छे भविष्य के लिए सरकार द्वारा नियत मानदंडों पर चलकर ही एक सशक्त व्यवस्था तैयार की जा सकती हैं. जिससे वक्त के साथ राष्ट्र की प्रगति में भी गति मिलेगी तथा जब हमारा देश तरक्की की ओर बढ़ेगा तो निश्चय ही राष्ट्र के नागरिकों का जीवन भी सुखमय हो सकेगा.
आज के दौर में किसी भयानक बिमारी की भांति समाज के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका हैं. भारत के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने जिस भारत का सपना देखकर अपना जीवन कुर्बान कर दिया था.
क्या हम वो भारत बना पाए हैं. हम अपने थोड़े से फायदे के लिए राष्ट्र के साथ द्रोह जैसे करप्शन का सहारा लेने से नहीं चूकते. हमें उन लोगों से सबक लेना चाहिए जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया था, तभी हम महसूस कर पाएगे कि हमारी जिम्मेदारियां क्या थी और हम क्या कर रहे हैं.
आम जनता के जीवन, राजनीति, केंद्र सरकारों, राज्य सरकारों, व्यवसायों, उद्योगों, सरकारी भर्तियों जहाँ तक नजर जाएं भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका हैं. आम आदमी के जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बसा जहाँ करप्शन, अवैध धन, सत्ता, शक्ति का प्रयोग न होता हो.
एक तरफ हम करप्शन फ्री इंडिया की बात करते हैं, दूसरी तरफ हमारे देश में करप्शन खत्म होने की बजाय नित्य नयें घोटालों के नाम सामने आ रहे हैं. नेता से लेकर पुलिस ऑफीसर तथा रंगे हाथ पकड़े जा रहे हैं.
विलासिता की भूख किस स्तर तक लोगों को गिरा सकती हैं इसे समझने के लिए आज का वातावरण उदाहरण योग्य हैं.
ऐसा प्रतीत होता है लोग अपने मूल्य, आदर्श तथा संस्कार सब कुछ भूलकर विलासिता तथा पैसे के पीछे भाग रहे हैं, जो जितने बड़े पद पर बैठा हैं वह उतने ही बड़े घोटाले कर रहा हैं.
इस देश की सेना के हथियारों की खरीद तक में सरकारे घोटाला करती हैं तो स्पष्ट समझा जा सकता हैं सफेद पोशाक के ये राजनेता राष्ट्र हित के लिए अपने परिवार के हित के लिए पोलिटिक्स करते हैं.
अब वक्त आ चूका हैं हमें अपने नैतिक मूल्यों का स्मरण करना चाहिए. धन की तृष्णा की इस संस्कृति के कुचक्र को पूरी तरह कुचलने के बाद ही भारत से करप्शन की समस्या का समाधान किया जा सकता हैं.
जब तक व्यक्ति समाज तथा देश से अधिक महत्व पैसे को देगा, तब तक भ्रष्टाचार की जड़ों की काटा जाना सम्भव नहीं होगा.
भ्रष्टाचार की वजह से जहाँ लोगों का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हुआ है, वही दूसरी और देश को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है. आज भ्रष्टाचार के फलस्वरूप अधिकारी एवं व्यापारी वर्ग के पास कालाधन अत्यधिक मात्रा में एकत्रित हो गया है.
इस काले धन के कारण अनैतिक व्यवहार, मद्यपान, वैश्यावृति, तस्करी एवं अन्य अपराध में वृद्धि हुई है. भ्रष्टाचार के कारण लोगों में अपने उतरदायित्व से भागने की प्रवृति बढ़ी है.
देश में सामुदायिक हितों के स्थान पर व्यक्तिगत और स्थानीय हितों को महत्व दिया जा रहा है. आज सम्पूर्ण समाज भ्रष्टाचार की जकड़ में है, सरकारी विभाग तो भ्रष्टाचार के अड्डे बन चुके है.
राजनितिक स्थिरता एवं एकता आज खतरे में है. नियमहीनता एवं कानूनों की अवहेलना में वृद्धि हो रही है. भ्रष्टाचार के कारण आज देश की सुरक्षा के खतरे में पड़ने से इनकार नही किया जा सकता है.अतः जरुरी है कि इस पर जल्द से जल्द लगाम लगाईं जाए.
भ्रष्टाचारियों के लिए भारतीय दंड संहिता में दंड का प्रावधान है तथा समय समय पर भ्रष्टाचार के निवारण के लिए समितिया भी गठित हुई है. और इस समस्या के निवारण के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून भी पारित किया जा चूका है, फिर भी इसको अब तक समाप्त या नियंत्रित नही किया जा सका है. इस समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है.
भ्रष्टाचार हमारे देश के लिए कलंक है इसको मिटाए बिना देश की वास्तविक प्रगति संभव नही है. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए किये जा रहे विभिन्न आंदोलनों को जनसामान्य द्वारा यथाशक्ति समर्थन प्रदान करना चाहिए.
कठोर से कठोर कदम उठाकर इस कलंक से मुक्ति पाना नितांत आवश्यक है, अन्यथा मानव जीवन बद से बद्दतर हो जाएगा.
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भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है। जिसका शिकार सभी कभी न कभी एक बार जरूर हुए हैं। भ्रष्टाचार आज एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी आज घूस ली जाती है।
भ्रष्टाचार कैसे फैलता है ?
भ्रष्टाचार अत्याधिक चुनावी प्रणालियों के दिनो में देखने को मिलता है। कहीं वोट खरीदें व बेचे जाते हैं तो कहीं वोटो की हेर- फेर की जाती है। गरीब लोगों के वोटो को पैसो के बदले खरीदा जाता है।
भ्रष्टाचार का यही दृश्य दिखाने के लिए कई फिल्में बनाई गई। तथा जब देश में चुनाव का माहौल होता है तब भी भ्रष्टाचार के रोकथाम के लिए कई नारें जोरों शोरों से लगाए जाते हैं।
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भ्रष्टाचार या भारत में भ्रष्टाचार
आधुनिक युग को यदि भ्रष्टाचार का युग कहा जाए, तो अत्युक्ति न होगी। आज भ्रष्टाचार जीवन के प्रतेयेक क्षेत्र में फैल चूका है। इसकी जड़े इतनी गहरी छा चुकी हैं कि समाज का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रह पाया है। भ्रष्टाचार ने समाज से नैतिक मूल्यों को ध्वस्त कर दिया है स्वार्थ इर्ष्या, द्वेष तथा लोभ जैसे दुर्गुणों को बढ़ावा दिया है।
‘भ्रष्टाचार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है – ‘भ्रष्ट + आचार’ अर्थात ऐसा व्यवहार जो भ्रष्ट हो, जो समाज के लिए हानिप्रद हो। भ्रष्टाचार के मूल में मानव की स्वार्थ तथा लोभ वृति है। आज प्रत्येक व्यक्ति अधिकाधिक न कमाकर सभी प्रकार के भोतिक सुखों का आनंद भावना चाहता है। धन की लालसा से भ्रष्ट आचरण करने पर मजबूर कर देती है तथा वह उचितानुचित को समझते हुए भी अनुचित की और प्रवृत हो जाता है। मन की अनेक लालसाएँ उसके विवेक को कुंठित कर देती हैं। कबीर ने ठीक कहा है –
“मन सागर मनसा लहरि बूड़े बहे अनेक कहे कबीर ने बाचि है, जिनके हृदय विवेक।”
मानव का मन अत्यंत चंचल होता है जब वह उसे लोभ और लालच की जंजीरों में जकड़ लेता है तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है तथा उसे प्रत्येक बुरा कार्य भी अच्छा लगने लगता है। वह सामाजिक नियमों के तोड़कर, कानून का उल्लंघन करके केवल अपने स्वार्थ के लिए अनैतिक कर्मों की और प्रवृत्त हो जाता है। मानव-निर्माता नीतियों नियमों का उल्लंघन करना ही भ्रष्टाचार है।
मनुष्य और पशु में आहार, निद्रा, भय, मैथुन ये चार बातें सामान रूप से विद्द्यामन हैं। मनुष्य पशु से अगर किसी बात से श्रेष्ठ है तो वह उसका विवेक। विवेक शून्य मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं रह जाता। आज प्रत्येक मानुष ‘स्व’ की परिधि में जी रहा है उसे ‘पर’ की कोई चिंता नहीं जहाँ भी जिसका दांव लगता है, हाथ मार लेता है।
भ्रष्टाचार के मूल में शासन तंत्र बहुत हद तक उत्तरदायी है। ऊपर से निचे तक जब सभी भ्रष्टाचारी हों, तो भला कोई ईमानदार कैसे हो सकता है। जिसका दायित्व भ्रष्टाचार के विरुद्ध शिकायत सुनना है या जिनकी नियुक्ति उन्मूलन के लिए की गई है, अगर वही भ्रष्टाचारी बन जाएँ, तो फिर भ्रष्टाचार कैसे मिट पायेगा।
आज भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि कोई भी अपराधी रिश्वत देकर छूट जाता तथा निर्दोष को सजा भी हो सकती है। लोगों में न तो कानून का भय है और न ही सामाजिक दायित्व की भावना। भ्रष्टाचार की प्रवाह ऊपर से निचे की और बहता है। जब देश के बड़े – बड़े नेता ही धोटालों में लिप्त हों, तो निचे क्या होगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि आज तक किसी भ्रष्ट नेता या मंत्री को सजा नहीं मिली। विश्व के दुसरे देशों में ऐसी स्थिति नहीं है। वहाँ के लोग भ्रष्टाचारी नेता को सहन नहीं कर पाते। अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन को एक घोटाले के कारण ही हार का सामना करना पड़ा था। भारत की इस स्थिति को देखकर हमें एक शायर का शेर याद आता है।
“बरबाद चमन को करने को बस एक ही उल्लू काफी था हर शाख पे उल्लू बेठा था अंजामें गुलिस्तां क्या होगा?”
जिस देश में हर क्षेत्र में भ्रष्टाचारी विद्दमान हों, उसका क्या अंजाम होगा, सोच पाना भी कठिन है। व्यापारी लोग मिलावटी सामान बेचते हैं, सिंथेटिक दूध बाजार में बेचा जा रहा है, नकली दवाओं की भरमार है, फलों और सब्जियों को भी रासायनिक पदार्थों द्वारा आकर्षित बनाकर बेचा जाता हैं, चाहे इससे लोगों की जान ही क्यों न चली जाए। कर – चोरी आम बात हो गई है, तस्करी का समान खुलेआम बिकता दिखाई देता है। कोई भी अपराध हो जाए, भ्रष्टाचारी रिश्वत देकर छूट जाता है। अनेकों बार तो उच्च अधिकारियों के सरंक्षण में ही भ्रष्टाचार पनपता है। अधिकारियों की जेबें भरने के बाद किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती। पिछले दिनों तहलका कांड में कई नेताओं की रिश्वत लेते दिखाया, पर क्या हुआ देश में इतने घोटाले हुए किसी को भी सजा नहीं मिली देश में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ तथा ‘बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपया’ वाली कहावतें चरितार्थ हो रही हैं।
भ्रष्टाचार को किस प्रकार दूर किया जाए यह गंभीर प्रशन है। इसके लिए स्वच्छ प्रशासन तथा नियमों का कड़ाई से पालन आवयश्क है। यदि पचास – सौ भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा मिल जाए, तो इससे भयभीत होकर अन्य लोग भी भ्रष्ट आचरण करते समय भयभीत रहेंगे। भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा और एक भ्रष्टाचारमुक्त समाज का निर्माण करने के लिए कृतसंकल्प होना पड़ेगा।
Thanks…
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Thanks sir very good and simple language
Nice one… Thanks
Very good essay sir. Thanks
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भ्रष्टाचार- कारण और निवारण
Bhrashtachar – Karan aur Nivaran
भूमिका- आज के भौतिकवादी युग में धन को प्रधान माना जाता है। आज चारों ओर धनवान का बोलवाला है। सम्मान केवल धनवान को मिलता है। मनुष्य धन के लालच में आकर धर्म व कर्म का ध्यान नहीं रखता। समाज की ऐसी स्थिति को देख कर धर्म और कर्म से उसका विश्वास उठ जाता है। उसका ध्येय केवल धन इकट्ठा करना होता है। धन चाहे किसी भी ढंग से इकट्ठा किया उस का उससे कोई सरोकार नहीं। धन एकत्रित करने के लिए वह चोरी, जमाखोरी, कर चोरी, काला बाजारी, तस्करी आदि बुरे से बुरे काम करने से भी नहीं हिचकिचाता। भारत वर्ष में इस भयंकर समस्या ने चारों तरफ अपने चरण फैला रखे हैं। समय रहते इस समस्या का हल ढूंढना चाहिए नहीं तो इसके भयंकर परिणाम सामने आएंगे।
भ्रष्टाचार का अर्थ- भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है- आचार से भ्रष्ट या अलग होना। अत: कहा जा सकता है कि मन से, वाणी से, शरीरिक कर्म, संकल्प और इच्छा से, इस तरह से भ्रष्ट हो जाना अर्थात् इस प्रकार के कर्म करना जो गिरे हुए हैं और मानव समाज के लिए हानिप्रद हैं। भ्रष्टाचार वह निन्दनीय आचरण है, जिसके वशीभूत होकर मानव अपने कर्त्तव्य को भूल कर अनुचित रूप से लाभ प्राप्त करने का प्रयास करता है। मानव एक सामाजिक जीव है और वह समाज में रह कर ही प्रगति कर सकता है। इस व्यवस्था के लिए उसे कुछ नियम तथा बन्धनों के अनुसार रहना पड़ता है। प्रत्येक कर्म करने के लिए नैतिक आचरण का ध्यान रखना पड़ता है। वह इससे स्वयं भी सु:खी रहता है और समाज को भी सुःखी रख सकता है। लेकिन यदि कोई इस भौतिकवादी युग में केवल अपना ही स्वार्थ देखता है तो वह कोई दूसरों को दु:ख देता है। जब कोई मनुष्य अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए सामाजिक नियमों का ध्यान नहीं रखता, अपने कर्त्तव्य की पालना नहीं करता तब ही भ्रष्टाचार जन्म लेता है। भ्रष्टाचार अंग्रेजों की देन है। अंग्रेज़ अधिकारियों ने धनवान बनने के लिए भारत से लूट-खसूट की ओर यह भयानक बीमारी भी हमें दी। इतिहास साक्षी है कि क्लाईव जब भारत आया तो निर्धन था परन्तु भारत से जब इंग्लैंड लौटा तो काफी धन का स्वामी था।
भ्रष्टाचार पैदा होने के कारण- हर भयंकर समस्या के पीछे कोई-न-कोई कारण अवश्य रहता है। इसी प्रकार भ्रष्टाचार के विकास के पीछे भी विभिन्न कारण हैं। सु:खी और शान्तमय जीवन बिताने के लिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इनका सन्तुलन होना चाहिए। आज मानव ने काम और अर्थ को प्राथमिकता दी है। इसने मानव की धन प्राप्ति की प्रवृत्ति बढ़ा दी है। अपनी असीम इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए धन की आवश्यकता है। धन की लालसा ने भ्रष्टाचार को जन्म दिया है। जब हमारी इच्चाएं उचित साधनों से पूरी नहीं होती तो हम अनुचित साधनों से अपनी इच्छाएं पूर्ण करने का प्रयत्न करते हैं। आज मनुष्य अपनी चादर देखकर पैर नहीं पसारता। वह अपनी सीमा में रह कर धन व्यय नहीं करता। वह सुख और ऐश्वर्य की सामग्री, विलास की वस्तुएं और फैशन की चीजें शृंगार और आभूषणों के लिए अपव्यय करता है। आज का मानव चाहता है कि संसार की हर चीज मेरे पास हो। सुःख सविधाओं को प्राप्त करने के लिए मानव उचित या अनुचित साधनों से धन इकट्ठा करने लगा। बढ़ती हुई महंगाई के कारण भी भ्रष्टाचार फैला है। हमारे समाज में फैली हुई अनेक कुरीतियां भी भ्रष्टाचार को फैलने से सहायक होती हैं। आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां भ्रष्टाचार ने अपनी जड़े न फैला रखी हों। ऐसा लगता है कि संसारका कोई भी काम इसके बिना पूरा नहीं होता। व्यापारियों ने भ्रष्टाचार की सभी सीमाओं को ही लांघ दिया है। राजनीति ने हमारे देश में भ्रष्टाचार को जो कीर्तिमान बनाए हैं उसकी तुलना किसी देश से नहीं की जा सकती। आज विधायक हो या सांसद बाजार में रखी वस्तुओं की तरह बिक रहे हैं। आज एम० एल० ए०, एम० पी० आदि का टिकट प्राप्तकरने को लेकर चुनाव तक, मन्त्री बनने तक केवल भ्रष्टाचार को अपनाया जाता है। भ्रष्टाचार के बल पर सरकार बनाई जाती है या गिराई जाती है। मंदिर का पुजारी भी आज भक्त की आर्थिक स्थिति देख कर पुष्प डालता है है। आज करोड़ों की रिश्वत लेने वाले सीना तान कर चलते हैं। सरकारी दफतर में चपड़ासी से लेकर कलर्क और अधिकारी सब अपने-अपने तरीकों से कमाई करते हैं। यह भयंकर बिमारी कैंसर और एड्स की तरह पनप रही है। शिक्षा को किसी समय पवित्र कार्य माना जाता था, आज स्कूलों के, कॉलेजों के अध्यापक और अध्यापिकाएं भी इससे अलग नहीं हैं। पढ़ाई की स्थिति दयनीय हो गई है। घर में प्राईवेट ट्यूशन के माध्यम से अधिक धन अर्जित किया जाता है। योग्य छात्र-छात्राएं उच्च कक्षाओं में प्रवेश नहीं पा सकते। किन्तु अयोग्य छात्र-छात्राएं भ्रष्टाचार का सहारा लेकर कहीं-से-कहीं जा पहुंचते हैं और योग्य विद्यार्थी हाथ मलता रह जाता है।
भ्रष्टाचार के रोकने के उपाय- भ्रष्टाचार को रोकना अति कठिन कार्य है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जो भी कदम उठाए जाते हैं वे थोड़े समय पश्चात् प्रभावहीन हो जाते हैं। भ्रष्टाचार की बिमारी और इसके कीटाणु हमारे खून में मिल गए हैं। भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सर्व प्रथम देश में चेतना और जागृति लाना आवश्यक है। जब तक हमारे जीवन में नैतिकता का समावेश नहीं होगा तब तक हमारा भौतिकवादी दृष्टिकोण नहीं बदल सकता। समाज में फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि उन्हें देख कर दूसरे भी उनका अनुकरण करने लगें। समाज में फैली करीतियों को मिटाने के लिए भी स्वयं सेवी संस्थाओं तथा अन्य को आगे आना होगा। सरकारी मशीनरी यदि भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाए तो शासक वर्ग और अधिकारी प्रजा में पल रहे और बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने में समर्थ हो सकते हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दण्ड व्यवस्था की जानी चाहिए। हमारे देश में न्याय प्रणाली भी पंग हो गई है। न्यायपालिका की गरिमा को बचाना अति आवश्यक है। वास्तव में भ्रष्टाचार का जन्म प्रशासन एवं न्याय पद्धति में देरी के कारण होता है। किसान हो या मजदूर, उद्योगपति हो या श्रमिक, दुकानदार हो या नौकर सरकारी अधिकारियों के सम्पर्क में अवश्य आता है। आज दण्ड व्यवस्था इतनी कमजोर है कि रिश्वत लेता हआ यदि कोई पकड़ा जाए तो रिश्वत देकर बच निकलता है।
उपसंहार- भ्रष्टाचार को समाप्त करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं है। यह हर व्यक्ति, समाज और संस्था की भी जिम्मेदारी बनती है। हम सब भारतवासियों को मिल कर भ्रष्टाचार को समाप्त करने का प्रयास करना होगा। हमारा सौभाग्य है कि आज की भारत सरकार तस्करी एवं भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए सजग है। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मन्त्रियों तथा विधानसभा एवं लोकसभा के सदस्यों से ही इनका श्री गणेश कर रही है। सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करने वाले कर्मचारियों को परस्कृत करना आवश्यक है। इससे अन्य लोगों को प्रेरणा एवं उत्साह मिलता है।
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भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध- bhrashtachar mukt samaj par nibandh.
भारत के उन्नति में बाधक कई समस्याओ में एक भ्र्ष्टाचार है। भ्र्ष्टाचार हमारे देश को अंदर से खोखला कर रहा है। वक़्त आ गया है कि हम समाज और हमारे देश की सरकार प्रणाली में मौजूद भ्र्ष्टाचार को खत्म करे और इस पर सदा के लिए पूर्णविराम लगाए। देश की राजनीति और भ्र्ष्टाचार में कई ताल मेल देखे गए है। भ्र्ष्टाचार सिर्फ राजनीति में ही नहीं बल्कि देश के कई सिस्टम में मौजूद है। समाज को इस भ्र्ष्टाचार भरे जहर से मुक्त कराने का वक़्त आ गया है। सिर्फ राजनीतिज्ञ ही भ्र्ष्ट नहीं है, बल्कि कई क्षेत्रों में इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले है।
आजकल के इस युग में सबको सफल बनना है। सफलता के साथ उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाने की जल्दी लगी रहती है। अपने आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लोग भ्र्ष्ट तरीको को अपनाते है। आजकल लोगो की मान्यता बन गयी है कि ईमानदारी और सच्चाई से कुछ भी हासिल करना बेहद मुश्किल है। उनका सोचना है कि अगर वह ईमानदारी के मार्ग को अपनाएंगे तो उनके सपनो को पूरा करने में सालो का वक़्त लग जाएगा।
अगर दफ्तर में प्रमोशन नहीं होगा, तो पैसे और बोनस नहीं मिलेंगे। इसलिए लोग शॉर्टकट की पद्धति अपनाते है और रिश्वत देकर अपने इरादों को पूरा करवाते है। ऐसी पदोन्नति सरासर गलत है। कार्यो को पूरा करवाने के लिए लोग अनुचित मार्ग अपना रहे है और भ्र्ष्टाचार की ओर अग्रसर हो रहे है।
ऐसे अनुचित साधनो का उपयोग करके लोगो में अमीर बनने की होड़ लगी है। आजकल की यह विडंबना है, ज़्यादातर व्यक्ति सफलता को पैसो से तोलकर देखते है। पैसे कमाने की चाहत में कम उम्र से लोग भ्र्ष्टाचार जैसे अनुचित कार्यो में लिप्त हो जाते है।
यह असलियत में इंसान को अंदरूनी खुशी और संतुष्टि नहीं दे सकता है। गैर कानूनी ढंग से किये गए कार्य में इंसान को सुख चैन ज़्यादा दिनों तक नसीब नहीं होता है और उन्हें पकड़े जाने का डर भी सताता है। गलत तरीको और भ्र्ष्टाचार का सहारा लेकर महत्वाकांक्षी लोग धन और साथ में नकली इज़्ज़त भी कमा लेंगे। लेकिन इंसान को यह कुछ ही समय तक खुश रख पायेगा क्यों कि लम्बे वक़्त तक वे असंतुष्टि में जीयेंगे।
भ्र्ष्टाचार के कई प्रमुख कारण है, अशिक्षा, अच्छी नौकरियों की कमी, सख्त और कड़ी सजा का अभाव, दिन प्रतिदिन लोगो की बढ़ती महत्वकांक्षाएं और हर क्षेत्र में बढ़ती हुयी प्रतियोगिता।
हमे भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे क्यों कि इसकी जड़े बेहद मज़बूत है। भ्र्ष्टाचार का तात्पर्य है बुरा आचरण। ऐसा कार्य और आचरण जो गलत और अनैतिक हो। न्याय व्यवस्था के खिलाफ, जो व्यक्ति अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए गलत राह का चयन कर, उसपर चलता है वह भ्र्ष्टाचारी कहलाता है।
भ्र्ष्टाचार के कई प्रकार है जैसे रिश्वत देना, काला बाज़ारी, जान बूझकर कीमतें बढ़ाना, सस्ते सामग्री को ज़्यादा दाम में बिक्री करना, ब्लैकमेल करना, झूठा केस करना, परीक्षा में नक़ल, पैसे लेकर रिपोर्ट बनाना, पैसे लेकर जबरन वोट दिलाना इत्यादि गैरकनूनी कार्य है। एक बार व्यक्ति भ्र्ष्टाचार के दल दल में फंसता है, तो उसके लिए इससे निकल पाना मुश्किल हो जाता है।
मनुष्य कई कारणों से भ्र्ष्टाचार के मार्ग को चुन लेते है। आर्थिक और समाजिक परेशानी, अपने स्टेटस को बचाने के लिए भ्र्ष्टाचार जैसे गलत आचरण की तरफ अपने आपको धकेल लेते है। कभी कभी अपने सहकर्मी या प्रतिद्वंदी से ईर्ष्या होने की वजह से भी भ्र्ष्टाचार के मार्ग को इंसान चुन लेता है।
भारतीय राजनीति अपने भ्र्ष्टाचार तरीको के लिए आये दिन विवादों के कठघरे में खड़ा हो जाता है। हर राजनीतिज्ञ दल गलत साधनो और तरीको का उपयोग करके चुनाव जीतने की कोशिश करते है। उन्हें देश के लोगो को सच्चाई और ईमानदारी के पथ पर प्रेरित करते रहना चाहिए। आज़ादी के बाद ऐसा कभी भी नहीं हुआ। साम दाम दंड भेद जैसे नीतियों के उपयोग किये बिना वह चुनाव जीत ही नहीं सकते है। अगर आज समाज में भ्र्ष्टाचार नहीं होता, तो भारत उन्नति की शिखर पर होता।
राजनीतिज्ञ दल और उम्मीदवार का चयन सही रूप से करने की ज़रूरत है। उम्मीदवारो की पात्रता मानदंड में योग्यता निर्धारित करना ज़रूरी है। ऐसे बहुत से मंत्री है जो शिक्षित ही नहीं है। अगर वे शिक्षित नहीं होंगे तो देश और राज्य के महत्वपूर्ण फैसले कैसे ले पाएंगे। ज़्यादातर नेता शिक्षित नहीं होते है, जिसके कारण वह भ्र्ष्टाचार जैसे गैर कानूनी चीज़ो को बढ़ावा दे रहे है। एक व्यक्ति निश्चित तौर पर देश चलाने में तभी सक्षम होंगे जब वे प्रशिक्षित और शिक्षित होंगे, अन्यथा गलत साधनो का उपयोग करेंगे और भ्र्ष्टाचार में प्रगति होगी। भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज का गठन तभी होगा, जब इन मंत्रियों पर दैनिक निगरानी रखने के लिए उचित अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे।
भारत एक लोकतान्त्रिक देश होने के कारण, यहाँ की मीडिया बड़ी मज़बूत है। मीडिया ऐसे गलत भ्र्ष्टाचार से भरे आचरणों का स्टिंग ऑपरेशन करती है और उसे जनता के समक्ष रखती है। मीडिया ऐसे भ्र्ष्ट लोगो और राजनेताओ को बेनकाब करती है।
भ्र्ष्टाचार के कारण जो लोग योग्य होते है उन्हें काम नहीं मिलता है और जो लोग अनैतिक तरीको से कार्य कर रहे है उन्हें अच्छे अवसर प्राप्त हो रहे है। यह नाइंसाफी है। राजनीति हो या ग्लैमर वर्ल्ड, भाई भतीजावाद जैसे भ्र्ष्टाचार फैले हुए है। भ्र्ष्टाचार एक रोग की तरह है, जो समाज में भयानक रूप से फैल रही है। अगर वक़्त रहते समाज में भ्र्ष्टाचार जैसे बीमारी को फैलने से ना रोका गया, तो यह अपराध दीमक की तरह समाज को खा जायेगा।
जीवन के हर क्षेत्र में भ्र्ष्टाचार का प्रकोप है। उदाहरण स्वरुप आईपीएल जैसे खेल में मैच फिक्सिंग जैसे आरोप सामने आये, जिसके चलते कुछ खिलाड़ी को निलंबित किया गया था और मैच खेलने पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। नौकरियों में आपको अच्छा पोस्ट चाहिए, तो लोग रिश्वतखोरी का सहारा लेते है। आज भ्र्ष्टाचार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि समस्त दुनिया की समस्या है।
भ्र्ष्टाचार को रोकने के लिए सरकार और न्याय व्यवस्था को कठोर नियम लागू करने होंगे। समाज की विडंबना यही है कि अगर व्यक्ति रिश्वत देने के जुर्म में पकड़ा जाता है, तो रिश्वत देकर छूट जाता है। इसी अनैतिक प्रशासन को ठीक करने की आवश्यकता है। भ्र्ष्टाचार के खिलाफ लोगो में जागरूकता फैलाने के लिए, 9 दिसंबर को अंतराष्ट्रीय भ्र्ष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। हम भ्र्ष्टाचार को अंत करने के इस जंग में साथ खड़े है। यह जंग मुश्किल है मगर नामुमकिन बिलकुल नहीं है।
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इस पोस्ट में आपको भ्रष्टाचार पर निबंध ( Bhrashtachar Par Nibandh ) पढ़ने को मिलेंगे| इस लेख में हमने भ्रष्टाचार पर तीन निबंध दिए हैं जिनमे एक 100 से अधिक शब्दों में, एक 200 शब्दों में तथा भ्रष्टाचार पर एक निबंध 500 शब्दों में दिया गया है|
ये सभी निबंध सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है| आशा करता हूँ आपको हमारी यह पोस्ट काफी पसंद आएगी|
एक समय था जब गांधीजी कहते थे “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे साकार करने का एक साधन है।” उस समय में ये हमारे राजनीतिक नेताओं के सिद्धांत थे। आज जो अधिक आश्चर्यजनक है वह यह है कि 177 देशों के बीच भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत को 94 वां स्थान दिया गया है।
जबकि भारत महाशक्ति बनने की दहलीज पर है। देश की प्रगति देश के कुछ भ्रष्ट लोगों के कारण रुक जाती है। Bhrashtachar घूसखोरी के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है जिसका अर्थ है किसी अवैध कार्य के लिए लाभ देना या लेना। भारतीय समाज के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार शामिल है। Bhrashtachar एक कैंसर है जो किसी विशेष राजनीतिक दल तक सीमित नहीं है। यह पूरे समाज को संक्रमित करता है।
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नीचे हमने भ्रष्टाचार पर लघु निबंध ( Bhrashtachar Short Essay In Hindi ) दिया है यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 और 6 के लिए है।
भ्रष्टाचार एक बहुत ही भयानक बीमारी है। भ्रष्टाचार के कारण बहुत से अवैध कार्य होते हैं जिनका नतीजा भी बहुत भयानक हो सकता है। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम जनवरी 2014 में कुछ सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ Bhrashtachar के आरोपों की जांच के लिए लागू किये गए।
सूचना का अधिकार (2005) अधिनियम, जिसके तहत सरकारी अधिकारियों को नागरिकों द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती है, ने कुछ क्षेत्रों में भ्रष्टाचार को कम किया है। आज के समय में मीडिया की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
मीडिया घोटालों और अपराधों को उजागर करके Bhrashtachar को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे नागरिकों को जागृत किया जा सकता है। शीघ्र न्याय के लिए अधिक से अधिक न्यायालय खोले जाने चाहिए। लोकपाल और सतर्कता आयोग अधिक शक्तिशाली और स्वतंत्र प्रकृति के होने चाहिए ताकि शीघ्र न्याय प्रदान किया जा सके।
भारत के पास एक विकसित राष्ट्र होने की हर क्षमता, प्रतिभा और संसाधन है, बस यहाँ कुछ सुधार और आवश्यक हैं। एक फिल्म ‘नायक’ में भी इस विचार पर जोर दिया गया था जिसमें शीर्ष राजनीतिक पद पर एक व्यक्ति भ्रष्ट था, उसने अपनी पूरी पार्टी को भ्रष्ट लोगों से भर दिया। जबकि सही इरादे वाले एक अन्य व्यक्ति ने न केवल भ्रष्टाचार को मिटाया, बल्कि अपने राज्य के पूरे चेहरे और भाग्य को बदल दिया।
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भ्रष्टाचार का मतलब ( Bhrashtachar Ka Matlab ) बेईमानी या किसी प्रकार की आपराधिक गतिविधि होता है। यह एक व्यक्ति या एक समूह द्वारा एक दुष्ट कार्य का वर्णन करता है। सबसे उल्लेखनीय, यह अधिनियम दूसरों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से समझौता करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार में मुख्य रूप से रिश्वतखोरी या गबन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
हालाँकि, भ्रष्टाचार कई तरीकों से हो सकता है। सबसे ज्यादा शायद, प्राधिकरण के पदों पर बैठे लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। Bhrashtachar निश्चित रूप से लालची और स्वार्थी व्यवहार को दर्शाता है।
Bhrashtachar का सबसे पहला और मुख्य तरीका है रिश्वत। यह भ्रष्टाचार का सबसे आम तरीका है। रिश्वत में व्यक्तिगत लाभ के बदले एहसान और उपहारों का उपयोग भी शामिल है। इसके अलावा, एहसान के अनेक प्रकार होते हैं। जैसेकि पैसा, उपहार, कंपनी के शेयर, यौन एहसान, रोजगार, मनोरंजन और राजनीतिक लाभ शामिल हैं।
इसके अलावा, व्यक्तिगत लाभ हो सकता है – अधिमान्य उपचार देना और अपराध को नजरअंदाज करना। इसके अलावा, यह एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा होता है जिन्हें किसी प्रकार के कार्य को सौंपा गया था और वे अपना कार्य ईमानदारी से नहीं करते। इन सबसे ऊपर, गबन वित्तीय धोखाधड़ी का एक प्रकार है।
सबसे उल्लेखनीय है कि यह व्यक्तिगत लाभ के लिए एक राजनेता के अधिकारों का गलत उपयोग करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के लिए एक लोकप्रिय तरीका राजनेताओं के लाभ के लिए सार्वजनिक धन का गलत तरीके से उपयोग करना है। जबरन वसूली Bhrashtachar का एक और प्रमुख तरीका है। इसका मतलब अवैध रूप से संपत्ति, धन या सेवाएं प्राप्त करना है।
अनुकूलता और भाई-भतीजावाद अभी भी उपयोग में है यह भ्रष्टाचार का एक पुराना रूप है। यह एक व्यक्ति के अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को इंगित करता है। यह निश्चित रूप से एक बहुत ही अनुचित प्रथा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई योग्य उम्मीदवार नौकरी पाने में असफल होते हैं और किसी के रिश्तेदार या दोस्त वो नोकरी पा लेते हैं जबकि वे इसके योग्य भी नहीं होते तथा योग्य उम्मीदवार नोकरी से वंचित रह जाता है।
अधिकारों या शक्ति का दुरुपयोग Bhrashtachar का एक और तरीका है। यहाँ एक व्यक्ति अपनी पावर और अधिकारों का दुरुपयोग करता है। उदाहरण के लिए किसी न्यायाधीश द्वारा किसी आपराधिक मामले एक गुनहगार व्यक्ति को जानबूझकर सजा ना देना।
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Bhrashtachar को रोकने का एक महत्वपूर्ण तरीका सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन देना है। कई सरकारी कर्मचारियों को बहुत कम वेतन मिलता है। इसलिए, वे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेते हैं। तो, सरकारी कर्मचारियों को उच्च वेतन मिलना चाहिए। उच्च वेतन उनकी भ्रष्टाचार की प्रेरणा को कम कर देगा और रिश्वत न लेने का संकल्प करेगा।
श्रमिकों की संख्या बढ़ाना भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का एक और उपयुक्त तरीका हो सकता है। कई सरकारी कार्यालयों में, कार्यभार बहुत अधिक होता है। यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम को धीमा करने का मुख्य कारण होता है। नतीजा यह होता है कि ये कर्मचारी काम को तेजी से करने के बदले में रिश्वत लेते हैं। इसलिए, सरकारी कार्यालयों में अधिक कर्मचारियों को लाकर रिश्वत देने के इस कारण को कम किया जा सकता है।
Bhrashtachar को रोकने के लिए कठिन कानून बनाना बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन सबसे ऊपर, दोषी व्यक्तियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सख्त कानूनों का एक कुशल और त्वरित कार्यान्वयन होना चाहिए। कार्यस्थलों में कैमरे लगाना भ्रष्टाचार को रोकने का एक शानदार तरीका है। कई लोग पकड़े जाने के डर से भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचेंगे।
सरकार को मुद्रास्फीति को कम रखना सुनिश्चित करना चाहिए। कीमतों में वृद्धि के कारण, कई लोगों को लगता है कि उनकी आय बहुत कम है और कारणवश यह जनता के बीच Bhrashtachar को बढ़ाता है। व्यवसायी अपने माल के स्टॉक को उच्च कीमतों पर बेचने के लिए कीमतें बढ़ाते हैं।
इसके अलावा, राजनेता उन्हें मिलने वाले लाभों के कारण उनका समर्थन करते हैं। भ्रष्टाचार समाज की एक बहुत बड़ी बुराई है। इस बुराई को समाज से जल्दी खत्म किया जाना चाहिए। Bhrashtachar वह जहर है जिसने इन दिनों कई व्यक्तियों के दिमाग में प्रवेश कर लिया है। उम्मीद है, लगातार राजनीतिक और सामाजिक प्रयासों के साथ, हम भ्रष्टाचार से छुटकारा पा सकते हैं।
हमें भी यह संकल्प लेना होगा कि हम ना तो रिश्वत देंगे और ना ही रिश्वत लेंगे। हमें समाज को जागरूक करने के लिए प्रयास करने चाहिए कि Bhrashtachar इस देश की जड़ों को खोखला कर रहा है।
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों आपको हमारी यह पोस्ट Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi काफी अच्छी लगी होगी तथा इस विषय से संबंधित आपको पूर्ण जानकारी मिली होगी| अगर आपका किसी प्रकार का कोई प्रश्न या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं| अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद|
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आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। भ्रष्टाचार पर निबंध की आवश्यकता स्कूल और कॉलेज के छात्रों को पड़ती है। इसके अलावा बहुत से छात्र जो किसी कंपटीशन की तैयारी कर रहे होते हैं उन्हें भी भ्रष्टाचार पर निबंध लिखना पड़ सकता है। तो ऐसे में अगर आप भ्रष्टाचार पर निबंध ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और जानें भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में कैसे लिखें।
आज भ्रष्टाचार हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में तेजी के साथ फैलता जा रहा है। यह एक प्रकार की आपराधिक गतिविधि है जो किसी एक व्यक्ति या फिर किसी समूह के द्वारा की जाती है। आज भ्रष्टाचार लगभग हर क्षेत्र में फ़ैल चुका है लेकिन इसकी सबसे अधिक संभावनाएं सत्ता या तंत्र के अंदर काम करने वाले भ्रष्टाचारियों के द्वारा होती है। भ्रष्टाचार से देश और समाज का बहुत नुकसान होता है। जो लोग भ्रष्टाचार करते हैं वे बहुत ही स्वार्थी और लालची प्रवृत्ति के होते हैं। सरकार को ऐसे लोगों के लिए कड़े से कड़े कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए क्योंकि तभी इसको कम किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश को दीमक की तरह खाए जा रही है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था को और सामाजिक व्यवस्था को भी यह अंदर से खोखला कर रहा है। इसीलिए आज भ्रष्टाचार हमारे देश की एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है।
कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक उस देश में भ्रष्टाचार हो। इसीलिए जिस देश में चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हो वहां पर कभी भी प्रगति नहीं हो सकती। यदि हम अपने देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे जरूरी है कि भ्रष्टाचार को फैलने से रोका जाए।
जब कोई व्यक्ति अपने काम के लिए पूरी तरह से वफादार नहीं होता और गलत तरीके से लाभ कमाने के लिए अनैतिक कार्यों को करने लगता है तो उसकी वजह से भ्रष्टाचार जन्म लेता है। भ्रष्टाचार किसी भी जगह पर हो सकता है और इसे रोकने के लिए जरूरी है कि हर कार्य में पारदर्शिता लाई जाए। हम सबको यह प्रण करना चाहिए कि ना तो हम खुद भ्रष्टाचार करेंगे और ना ही किसी और को भ्रष्टाचार करने देंगे।
किसी भी देश की प्रगति के लिए सबसे जरूरी है कि उस देश के ऊंचे पदों पर बैठे हुए लोग ईमानदार हो। जब कोई शीर्ष पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अपने काम के प्रति सच्चा होता है तो वह देश को प्रगति की ओर ले जाता है। वह देश किसी भी सूरत में अपना विकास नहीं कर सकता जहां पर भ्रष्टाचार ने पैर जमा लिए हों। हमारे देश के लिए आज भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुकी है और यह एक ऐसी समस्या है जो पूरी दुनिया में अपनी शाखाएं फैला रही है।
जब कोई व्यक्ति अपने काम के प्रति ईमानदार नहीं होता और अपने कार्य में गलत आचरण को शामिल कर लेता है तो तब वह भ्रष्टाचारी बन जाता है। भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज है जो किसी भी जगह पर देखा जा सकता है। जैसे किसी सरकारी विभाग में काम करने के बदले रिश्वत लेना। कई बार बहुत से बदमाश और अपराधी पुलिस को पैसे देकर सजा से बच जाते हैं। जब भ्रष्ट लोग राजनीति में होते हैं वे करोड़ों-अरबो रुपयों का भ्रष्टाचार बहुत आसानी से कर लेते हैं। ऐसी स्थिति होने पर देश बर्बादी की तरफ चला जाता है।
रिश्वतखोरी एक ऐसा भ्रष्टाचार है जो की आमतौर पर कई जगहों पर देखा जाता है। इस काम में सिर्फ रिश्वतखोर ही नही बल्कि वे लोग भी उतने ही जिम्मेदार होते हैं जो ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना काम कराते हैं। इसलिए जो रिश्वत लेने वाला होता है और जो रिश्वत देने वाला होता है वे दोनों ही समान दोषी होते हैं।
अगर हम भ्रष्टाचार को मिटाना चाहें तो यह इतना आसान नहीं है क्योंकि इसका जहर सब जगह फैला हुआ है। लेकिन अगर सरकार और जनता पूरी सच्चाई से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए काम करे तो निश्चित तौर पर बदलाव लाया जा सकता है।
जब किसी ऊंचे पद पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति लालच या दुर्भावना की वजह से अपने पद और अधिकारों का गलत उपयोग करता है तो उसे भ्रष्टाचार कहा जाता है। आज हमारे देश में ही नही बल्कि पूरी दुनिया के सामने भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है क्योंकि इसकी जड़े छोटी नहीं हैं। किसी भी देश का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वहां पर ईमानदारी और सच्चाई ना हो। लेकिन अफसोस की बात यह है कि भ्रष्टाचार देश में बहुत तेजी से के साथ बढ़ता जा रहा है और हमारे देश को यह अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है।
भ्रष्टाचार के कई प्रकार है जोकि निम्नलिखित हैं –
प्रशासनिक भ्रष्टाचार
कई बार सरकारी कार्यालयों में काम करने के लिए लोगों से रिश्वत लिए जाते हैं। अगर हमें अपना कोई काम करवाना है तो पहले हमें पैसा देना पड़ता है। अब तो आम जनता को भी यही लगता है कि बिना पैसों के वह किसी भी सरकारी विभाग से अपना काम नहीं करा सकते। इसलिए वे अपना कोई भी सरकारी काम रिश्वत देकर करवा लेते हैं। पर अगर कोई ईमानदार व्यक्ति रिश्वत नहीं देता है तो ऐसे में उसका काम नहीं किया जाता बल्कि उसे बहुत परेशान किया जाता है। अफसोस की बात है कि पूरा प्रशासन ही भ्रष्टाचार से लिप्त हो चुका है। इसके चलते सरकार ने जो गरीबों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई हैं उनका पैसा भी सरकारी कार्यालयों के भ्रष्ट लोग हड़प जाते हैं।
राजनीतिक भ्रष्टाचार
उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता जहां पर शासन करने वाले लोग ही भ्रष्टाचारी होते हैं। आज सत्ता में बैठे हुए और राजनीति से जुड़े हुए लोगों के भ्रष्टाचारों के बारे में नई नई खबरें सुनने को मिलती हैं। जो लोग तंत्र में ऊँचे पदों पर हैं वे करोड़ों रुपयों का घोटाला बहुत आसानी के साथ कर जाते हैं जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। जब चुनाव होता है तो तब लोगों को पैसों का लालच देकर उनसे वोट मांगे जाते हैं। लेकिन कोई भी नागरिक यह नहीं सोचता कि जो लोग वोटों को खरीद कर सत्ता संभालते हैं वे देश का बिल्कुल भी विकास नहीं कर सकते।
व्यावसायिक भ्रष्टाचार
आज के दौर में वस्तुओं में मिलावट होना एक बहुत ही आम सी बात हो चुकी है। हर कोई चाहता है कि वो ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए। इसीलिए ऐसे लोग वस्तुओं में अनेकों प्रकार की मिलावट करते हैं। बाजार में नकली चीजों की भरमार है और आम नागरिकों को नकली चीजें बेचकर व्यवसायिक लोग खूब ठग रहे हैं।
भ्रष्टाचार के नुकसान
भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान बहुत सारे हैं जो कि निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –
आज तक ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान ना हो। इसमें कोई शंका नहीं कि भ्रष्टाचार आज दीमक की तरह चारों तरफ फैल गया है लेकिन यदि हम ठान ले कि हमें इसे पूरी तरह से खत्म करना है तो हम ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए जो भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। इसके अलावा अपना वोट हमें केवल ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जो सही हों। किसी भी सरकारी काम के लिए हमें रिश्वत नहीं देनी चाहिए और यदि हमसे कोई रिश्वत की डिमांड करता है तो हमें उसकी शिकायत करनी चाहिए। इसके साथ साथ जो लोग मिलावट करते हैं हमें उनकी चीजों का बहिष्कार करना चाहिए। सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून और नियम बनाने चाहिए इसके अलावा पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार करने में कठिनाई हो।
दोस्तों यह कि हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में बताया। हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा यह आर्टिकल आपके लिए जरूर हेल्पफुल रहा होगा। यदि आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया पर उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो corruption essay in Hindi ढूंढ रहे हैं।
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भ्रष्टाचार पर हिन्दी में निबंध.
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by Meenu Saini | Jul 13, 2022 | Hindi | 0 comments
इस लेख में हम यूपीएससी (UPSC) छात्र के लिए भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध लिखखेगे | भ्रष्टाचार होता क्या है, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय, भारत सरकार की भ्रष्टाचार दूर करने के लिए बनाई गई नीतियां के बारे में जानेगे |
भ्रष्टाचार एक व्यापक संक्रामक परजीवी है जो प्रणालियों, विभागों, संस्थानों, व्यक्तियों या समूहों के जीवन को चूस रहा है और जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है, चाहे वह सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक या नैतिक हो। यह वास्तव में शर्म की बात है कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक है। हमारे देश में जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां हमें भ्रष्टाचार सामना न करना पड़े।
इस लेख में हम भ्रष्टाचार के कारण, प्रभाव, भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बारे में बात करेंगे।
भारतीय समाज कैसे भ्रष्टाचार मुक्त बन सकता है.
भ्रष्टाचार एक बहुत पुरानी सामाजिक बुराई है।
यह मानव समाज में हमेशा किसी न किसी रूप में मौजूद रहा है। गौरतलब है कि ‘अथर्ववेद’ लोगों को भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी देता है। कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भ्रष्ट लोगों द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए अपनाए गए चालीस तरीकों का उल्लेख है। दिल्ली के सुल्तान, अलाउद्दीन खिलजी को अपने भू-राजस्व कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचाने के लिए उनके वेतन में काफी वृद्धि करनी पड़ी।
” अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अनुसार, “भ्रष्टाचार से लड़ना केवल सुशासन नहीं है। यह आत्मरक्षा है। यह देशभक्ति है।”
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) भ्रष्टाचार को “निजी लाभ के लिए सौंपी गई शक्ति का दुरुपयोग” के रूप में परिभाषित करता है। भ्रष्टाचार का अर्थ है सत्ता के दुरुपयोग और दुरुपयोग का कार्य, विशेष रूप से सरकार में उनके द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए या तो धन या एक पक्ष के लिए। भारत में 50% से अधिक लोगों ने सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने के दौरान रिश्वत देना स्वीकार किया है।
भ्रष्टाचार के कारणों की जांच एक सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक-प्रशासनिक परिदृश्य की एक विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करती है जो दैनिक आधार पर भ्रष्टाचार को जन्म देती है।
भारत में भ्रष्टाचार के निम्नलिखित कारण हैं।
पिछले 10 वर्षों में लोकसभा चुनावों के लिए घोषित खर्च में 400% से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि उनकी आय का 69% अज्ञात स्रोतों से आया है।
ऐसे उद्यम आमतौर पर अधिकारियों को उन कानूनों के दायरे से बाहर रखने के लिए रिश्वत देते हैं।
राजनीति का अपराधीकरण और नौकरशाही का राजनीतिकरण राज्य सत्ता के दुरुपयोग के लिए एकदम सही मंच प्रस्तुत करता है।
सीबीआई, ईडी, आईटी-विभाग, एसीबी जैसे प्रवर्तन अधिकारियों का दुरुपयोग और स्वायत्तता की कमी भी कानून के प्रतिरोध मूल्य को कमजोर करती है।
सिविल सेवकों को संविधान के अनुच्छेद 309 और 310 के तहत प्रदान की गई अतिरिक्त सुरक्षा और सिविल सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता समस्या को और बढ़ा देती है।
वैश्वीकरण से प्रेरित जीवनशैली में बदलाव ने समाज में नैतिकता और मानवता को और गिरा दिया है।
भ्रष्टाचार के भारतीय समाज में निम्न प्रभाव हुए हैं।
भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए समय समय पर कानून लाती रही है और पुराने कानूनों में संशोधन करती रही है।
भारत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए निम्न प्रकार की नीतियां व कानून बनाए गए।
भ्रष्टाचार के लिए एक परिभाषा प्रदान करता है और उन कृत्यों को सूचीबद्ध करता है जो भ्रष्टाचार के रूप में होंगे जैसे कि रिश्वत, एहसान के लिए उपहार आदि।
यह अधिनियम भ्रष्ट लोगों को बेनकाब करने और ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।
एक अधिकारी के अभियोजन के लिए सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसमें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, राष्ट्रीयकृत बैंक आदि शामिल हैं।
इस अधिनियम के तहत परीक्षण के लिए विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है जो उपयुक्त मामलों में संक्षिप्त सुनवाई का आदेश दे सकते हैं।
हाल के संशोधनों ने बेनामी संपत्ति की परिभाषा को विस्तृत किया है और सरकार को अदालत की मंजूरी के बिना किसी परेशानी के ऐसी संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति दी है।
इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाओं को रोकना और भारत में ‘अपराध की आय’ के उपयोग को प्रतिबंधित करना है।
मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सख्त सजा का प्रावधान है, जिसमें 10 साल तक की कैद और आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति की कुर्की (जांच के प्रारंभिक चरण में भी और जरूरी नहीं कि सजा के बाद भी) शामिल है।
सीवीसी को वैधानिक दर्जा देता है।
केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में पीएम, एमएचए और एलओपी की एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी।
जांच करते समय आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां होती हैं।
यह अधिनियम पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सूचना के प्रकटीकरण को जनता का कानूनी अधिकार बनाता है।
इसके अंतर्गत धारा 4 सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण और अभिलेखों के डिजिटलीकरण को अनिवार्य करती है।
कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसका इस्तेमाल सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में अनियमितताओं को सामने लाने के लिए किया है।
जैसे; मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला।
कॉर्पोरेट प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्रदान करता है।
‘धोखाधड़ी’ शब्द की व्यापक परिभाषा दी गई है और यह कंपनी अधिनियम के तहत एक आपराधिक अपराध है।
विशेष रूप से धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की स्थापना की गई है, जो कंपनियों में सफेदपोश अपराधों और अपराधों से निपटने के लिए जिम्मेदार है।
एसएफआईओ कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच करता है।
भारतीय दंड संहिता, 1860 उन प्रावधानों को निर्धारित करता है जिनकी व्याख्या रिश्वत और धोखाधड़ी के मामलों को कवर करने के लिए की जा सकती है, जिसमें आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी से संबंधित अपराध शामिल हैं।
लोक सेवकों द्वारा गलत काम करने की शिकायतों की जांच के लिए केंद्र में एक स्वतंत्र प्राधिकरण लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति करता है
लोकपाल की नियुक्ति पीएम, एलओपी, सीजेआई, स्पीकर और एक प्रख्यात न्यायविद की समिति द्वारा की जाएगी।
एसएआरसी और संथानम समिति जैसे विभिन्न आयोगों ने महत्वपूर्ण और व्यवहार्य सिफारिश की है कि एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
नागरिकों को सशक्त बनाने और भारतीय समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है:
भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए, भारत सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 को अधिनियमित किया है और मुख्य सतर्कता आयोग की स्थापना की है, जो भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटने के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करता है। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया के लंबे गलियारों के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका में गवाहों की कमी और भ्रष्टाचार से शायद ही कोई फर्क पड़ सकता है।
कुशल समाधानों में जन जागरूकता, भ्रष्ट सौदों का बार-बार संपर्क, और सबसे बढ़कर व्हिसलब्लोअर की भूमिका शामिल है। व्हिसलब्लोअर की अवधारणा पश्चिमी है, लेकिन अगर बड़ी संख्या में लोग भ्रष्ट अधिकारियों पर नजर रखते हैं, उनकी जासूसी करते हैं और संबंधित विभागों से परामर्श करते हैं, तो चीजें बेहतर हो सकती हैं।
सरकार ने अब जवाबदेही पर जोर दिया है और भारत भविष्य के लिए सकारात्मक हो सकता है क्योंकि डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के साथ सब कुछ डिजिटाइज़ करने से भ्रष्टाचार उच्च स्तर तक कम हो जाएगा क्योंकि सिस्टम में बिचौलियों के लिए कोई जगह नहीं होगी, और सरकार हर चीज की निगरानी करेगी।
हां, भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है लेकिन इसे व्यवस्थित और सही प्रयासों से खत्म किया जा सकता है।
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भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय चरित्र, भ्रष्टाचार की व्यापकता, आयकर की चोरी, राजनीति में भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार : एक सामाजिक अभिशाप, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उपाय, भ्रष्टाचार का कारण एवं निवारण.
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट-आचरण, किन्तु आज यह शब्द ‘रिश्वतखोरी’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है। भ्रष्टाचार की यह समस्या इतनी व्यापक हो गई है कि हम यहाँ तक कहने लगे हैं कि आज के युग में ‘भ्रष्टाचार’ से वही बच पाता है जिसे भ्रष्ट होने का अवसर नहीं मिल पाता। नग्न सत्य तो यह है भ्रष्टाचार हमारी पहचान है, हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। आज के इस युग में राजनीतिज्ञ, अधिकारी, न्यायाधीश, वकील, शिक्षक, डॉक्टर, राजकर्मचारी, इन्जीनियर सबके सब भ्रष्ट हैं।
भारत में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं तथा यह इतना सर्वव्यापी है कि हम भ्रष्टाचार को ही अपना चरित्र कह सकते हैं। यद्यपि भारत एक आध्यात्मिक देश है और इतिहास साक्षी है कि हम लोग सन्तोषी जीव रहे हैं तथापि धन लिप्सा ने हमें अपनी नैतिकता, मानवतावादी मूल्यों से जैसा वर्तमान समय में विचलित कर दिया है, वैसा पहले कभी नहीं था। धर्म, अध्यात्म, नैतिकता भले ही हमें सदाचार की शिक्षा देते हों, किन्तु हमारा आचरण दिनों दिन भ्रष्ट होता जा रहा है। यहाँ एक बात स्पष्ट कर देनी आवश्यक है और वह यह है कि भ्रष्टाचार का तात्पर्य केवल ‘रिश्वत’ ही नहीं, अपितु अनुचित मुनाफाखोरी, करों की चोरी, मिलावट, कर्तव्य के प्रति उदासीनता, सरकारी साधनों का अनुचित प्रयोग भी भ्रष्टाचार की परिधि में आते हैं। “ आइए हम अपने-अपने गिरेबान में झाँककर देखें और फिर इस कथन की परीक्षा को क्या भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय चरित्र नहीं है? “
स्वतन्त्रता प्राप्ति के अवसर पर देश की जनता ने यह परिकल्पना की थी कि अब हमारी अपनी सरकार होगी और हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी, किन्तु यह परिकल्पना सच नहीं हुई और अब तो हालात इतने बदतर हो गए हैं कि इस भ्रष्टाचार रूपी दानव ने समाज को पूरी तरह अपने मजबूत जबड़ों में फंसा लिया है। आज भ्रष्टाचार का जो स्वरूप हमारे देश में विद्यमान है उससे सभी परिचित हैं।
सरकारी कार्यालयों में बिना भेंट पूजा दिए हुए कोई काम करवा लेना असम्भव है। क्लर्क के रूप में जो व्यक्ति सीट पर बैठा हुआ है वही आपका असली भाग्य विधाता है। अफसर को यह ऐसे-ऐसे चरके देता है कि बेचारे को नानी याद आ जाती है। यदि क्लर्क न चाहे, तो आप एड़ियाँ रगड़ते रहिए आपकी फाइल पर ‘फारवर्डिंग’ नोट नहीं लगेगा और भला किस अफसर की मजाल है जो क्लर्क की टिप्पणी के बगैर अपना निर्णय लिख दे। कहावत है कि प्रान्त में बस दो ही शक्तिशाली व्यक्ति हैं लेखपाल या राज्यपाल। लेखपाल ने जो लिख दिया, उसे काटने वाला तो जिलाधीश भी नहीं।
भ्रष्टाचार के चलते हुए आज लाखों रुपए महीने कमाने वाले डॉक्टर, वकील, वास्तुविद विभिन्न उपायों से आयकर की चोरी करते हैं। ‘प्रोफेशनल’ कार्य करने वाले कितने लोग ऐसे हैं जो सही आयकर देते हैं ? व्यापारियों और उद्योगपतियों ने तो बाकायदा चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट रखे हुए हैं जो उन्हें कर बचाने तथा कर चोरी करने के उपाय सुझाते हैं। यदि सभी लोग सही ढंग से आयकर अदा करने लगें तो हमारे देश की निर्धनता समाप्त हो जाए।
शिक्षक कॉलेजों में पढ़ाने में उतनी रुचि नहीं लेते जितनी ट्यूशन की दुकानों को चलाने में लेते हैं। विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करने हेतु तरह-तरह के हथकण्डे अपनाए जाते हैं। स्कूल-कॉलेज में कक्षाएं नहीं लगतीं, किन्तु कोचिंग स्कूलों में सदैव भीड रहती है। ट्यूशन की मोटी कमाई कर वे कोई आयकर नहीं देते।
सरकारी अधिकारी, जिन्हें जनता का सेवक माना जाता है, दोनों हाथों से जनता को लूट रहे हैं। पुलिस का मामूली दरोगा चार-पांच वर्ष की नौकरी में ही मोटर साइकिल, मकान, टी. वी., फ्रिज जैसी सुविधाएं जुटा लेता है। क्या सरकार उससे कभी पूछती है कि भाई अपने वेतन में इतनी बचत कैसे कर लेते हो जो लाखों रुपए की सम्पत्ति खरीद ली। ये सब भ्रष्ट आचरण से काला धन अर्जित कर रहे है।
राजनीति में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। सच तो यह कि भारतीय चुनाव पद्धति लोकतन्त्र की खिलवाड़ है। कौन नहीं जानता कि सरकार द्वारा प्रत्याशियों के लिए निर्धारित व्यय सीमा में चुनाव लड़ पाना असम्भव है। नेतागण चुनाव जीतने के लिए सभी मर्यादाओं को त्याग देते हैं और जब वे भ्रष्ट आचरण से चुनाव जीतते हैं तो फिर नाक तक भ्रष्टाचार में डूबकर पैसा बनाते हैं। यदि ऐसा नहीं करेंगे, तो अगले चुनाव में अपनी नैया कैसे पार लगेगी।
राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव खर्च के लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों से चन्दा लेती हैं और फिर उन्हें लाभ पहुँचाने के लिए ऐसे नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं जिससे उद्योगतियों की चाँदी कटती है और गरीब जनता पर उसका बोझ पड़ता है। देश के लिए किए गए बड़े-बड़े सौदों में कमीशन, दलाली के नाम पर लम्बी रकमें ऐंठ ली जाती हैं। बोफोर्स सौदे में कमीशन लिया गया, यह तो सिद्ध हो गया पर किसने यह रकम डकार ली, यह रहस्य उजागर नहीं हो सका। ‘तहलका’ के जांबाज रिपोर्टरों ने छुपे कैमरे के माध्यम से जो सच टी.वी. पर उजागर किया उसने इन राजनीतिज्ञों को नंगा कर दिया। पर वे तो बेशर्म हैं, जानते हैं कि जनता कुछ दिनों में इसे भूल ही जायेगी।
भ्रष्टाचार एक सामाजिक अभिशाप है। भ्रष्टाचार को सही ठहराने के लिए लोग तरह-तरह के तर्क गढ़ते हैं। यथा- ‘साहब, इसी बढ़ती हुई महँगाई में वेतन से खर्च नहीं चल सकता’, अतः मजबर होकर हमें रिश्वत लेनी पड़ती है, या फिर, क्या करें पुत्री के विवाह में बीस लाख का दहेज देना है। अब इतना पैसा वेतन से तो बचाया नहीं जा सकता। ऐसे कितने ही तर्क बेमानी हैं। सच तो यह कि वे अपने अपराध बोध से ग्रस्त रहते हैं और उसे कम करने के लिए इस प्रकार के तर्क गढ़ लेते हैं, जिनमें कोई वजन नहीं है।
भ्रष्टाचार का मूल कारण है अधिक-से-अधिक धन कमाने की प्रवृत्ति। आज हमारी दृष्टि बदल गई है। हम भौतिकवादी हो गए हैं और वस्तुओं के प्रति गहरा मोह बढ़ गया है। सुविधाभोगी जीवन-पद्धति के हम आदी बन गए हैं। जैसे भी सम्भव हो भोग-विलास के उपकरण एकत्र किए जाएँ। पारस्परिक प्रतिस्पर्धा ने विचार को बढ़ावा दिया है। अब यदि पड़ोसी के घर में रंगीन टी. वी. और स्मार्ट टी० वी० है तो भला मेरे यहाँ क्यों न हो? बस एक अन्धी दौड़ प्रारम्भ हो जाती है जिसका समापन भ्रष्टाचार के कुएं में होता है।
सबसे चिन्ताजनक बात तो यह है कि आज भ्रष्टाचार को लोगों ने सामाजिक मान्यता प्रदान कर दी है। भ्रष्टाचार के बलबूते पर धन अर्जित करके लोग सम्मान प्राप्त कर रहे हैं और समाज यह जानते हुए भी कि धन बेईमानी से अर्जित किया गया है उसका तिरस्कार नहीं करता। परिणामतः भ्रष्टाचार पनपने में सहायता मिलती है। आज ईमानदारी, नैतिकता, सत्य को धता बताई जा रही है। कहा जाता है कि आज ईमानदार वही जिसे बेईमानी का मौका नहीं मिल पाता। ईमानदार आदमी को लोग मूर्ख, पागल, गाँधी का अवतार कहकर खिल्ली उड़ाते हैं और बेईमान को इज्जत देते हैं। ऐसे समाज में कौन मूर्ख ईमानदार बनना चाहेगा।
भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए सरकार ने कानून बनाए हैं, किन्तु वे अधिक प्रभावी नहीं हैं। कहा जाता है कि भ्रष्टाचार की जड़े ऊपर होती हैं। यदि किसी विभाग का मन्त्री या सचिव रिश्वत लेता है तो उसका चपरासी भी भ्रष्ट होगा। अतः भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ऊपर के पदों पर योग्य एवं ईमानदार लोगों को आसीन किया जाए। कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार लोगों को सरकार एवं समाज की ओर से सम्मानित किया जाए तथा नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जाए। शिक्षकों एवं समाज के अन्य जिम्मेदार नागरिकों को विद्यार्थियों के समक्ष आदर्श उपस्थित करना चाहिए। समाज भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों का सामाजिक तिरस्कार एवं बहिष्कार करे और ऐसे लोगों को महिमामण्डित न करे जो भ्रष्टाचार से धन अर्जित करते हैं।
दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को दूर करने पर भी भ्रष्टाचार में कमी आएगी। आयकर के अधिक-से-अधिक छापे मारे जाएँ और प्रत्येक व्यक्ति से उसके आय-व्यय का हिसाब-किताब पूछा जाए। सरकारी कर्मचारियों पर विशेष निगाह रखी जाए जिससे वे अनुचित साधनों से धन अर्जित न कर सकें। सम्भव हो तो उनकी सम्पत्ति की खुफिया जाँच करवाई जाए, उनके रहन-सहन के स्तर को भी देखा-परखा जाए।
यदि इन उपायों को ईमानदारी से लागू कर दिया जाए तो कोई कारण नहीं कि हम भ्रष्टाचार की इस समस्या से छुटकारा न पा सकें।
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