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Samas in Hindi | समास परिभाषा व भेद और उदाहरण - हिन्दी व्याकरण
January 31, 2024 by Prasanna
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Samas in Hindi (समास इन हिंदी) | Samas ki Paribhasha Aur Uske Bhed, Udaharan (Examples) – Hindi Grammar
What is Samas in Hindi
समास ‘संक्षिप्तिकरण’ को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं। उदाहरण ‘दया का सागर’ का सामासिक शब्द बनता है ‘दयासागर’।
समास हिंदी में (Types of Samas in Hindi Grammar)
समास में विषय :
- समास क्या है? (Samas kya hey)
- समास के प्रश्न (Samas key prashn)
- समास परिभाषा व भेद (Samas Paribhasha va Bhed)
- बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvir Samas key Udaharan)
- समास के भेद का चार्ट (Samas key Bhed ka Chart)
- कर्मधारय समास (Karmadhaaray Samaas)
- समास के प्रकार और उदाहरण (Samaas Ke Prakaar aur Udaaharan)
इस उदाहरण में ‘दया’ और ‘सागर’ इन दो शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले ‘का’ प्रत्यय का लोप होकर एक स्वतन्त्र शब्द बना ‘दयासागर’। समासों के परम्परागत छ: भेद हैं-
- द्वन्द्व समास
- द्विगु समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- अव्ययीभाव समास
- बहुव्रीहि समास
Samas Vigraha Examples in Hindi
1. द्वन्द्व समास
जिस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों ही प्रधान हों अर्थात् अर्थ की दृष्टि से दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व हो और उनके मध्य संयोजक शब्द का लोप हो तो द्वन्द्व समास कहलाता है;
- माता-पिता = माता और पिता
- राम-कृष्ण = राम और कृष्ण
- भाई-बहन = भाई और बहन
- पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
- सुख-दुःख = सुख और दुःख
2. द्विगु समास
जिस समास में पूर्वपद संख्यावाचक हो, द्विगु समास कहलाता है।
- नवरत्न = नौ रत्नों का समूह
- सप्तदीप = सात दीपों का समूह
- त्रिभुवन = तीन भुवनों का समूह
- सतमंजिल = सात मंजिलों का समूह
3. तत्पुरुष समास
जिस समास में पूर्वपद गौण तथा उत्तरपद प्रधान हो, तत्पुरुष समास कहलाता है। दोनों पदों के बीच परसर्ग का लोप रहता है। परसर्ग लोप के आधार पर तत्पुरुष समास के छ: भेद हैं
(i) कर्म तत्पुरुष (‘को’ का लोप) जैसे-
- मतदाता = मत को देने वाला
- गिरहकट = गिरह को काटने वाला
(ii) करण तत्पुरुष जहाँ करण-कारक चिह्न का लोप हो; जैसे-
- जन्मजात = जन्म से उत्पन्न
- मुँहमाँगा = मुँह से माँगा
- गुणहीन = गुणों से हीन
(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष जहाँ सम्प्रदान कारक चिह्न का लोप हो; जैसे-
- हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी
- सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
- युद्धभूमि = युद्ध के लिए भूमि
(iv) अपादान तत्पुरुष जहाँ अपादान कारक चिह्न का लोप हो; जैसे-
- धनहीन = धन से हीन
- भयभीत = भय से भीत
- जन्मान्ध = जन्म से अन्धा
(v) सम्बन्ध तत्पुरुष जहाँ सम्बन्ध कारक चिह्न का लोप हो; जैसे
- प्रेमसागर = प्रेम का सागर
- दिनचर्या = दिन की चर्या
- भारतरत्न = भारत का रत्न
(vi) अधिकरण तत्पुरुष जहाँ अधिकरण कारक चिह्न का लोप हो; जैसे-
- नीतिनिपुण = नीति में निपुण
- आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
- घुड़सवार = घोड़े पर सवार
4. कर्मधारय समास
जिस समास में पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य हो, कर्मधारय समास कहलाता है। इसमें भी उत्तरपद प्रधान होता है; जैसे
- कालीमिर्च = काली है जो मिर्च
- नीलकमल = नीला है जो कमल
- पीताम्बर = पीत (पीला) है जो अम्बर
- चन्द्रमुखी = चन्द्र के समान मुख वाली
- सद्गुण = सद् हैं जो गुण
5. अव्ययीभाव समास
जिस समास में पूर्वपद अव्यय हो, अव्ययीभाव समास कहलाता है। यह वाक्य में क्रिया-विशेषण का कार्य करता है; जैसे-
- यथास्थान = स्थान के अनुसार
- आजीवन = जीवन-भर
- प्रतिदिन = प्रत्येक दिन
- यथासमय = समय के अनुसार
6. बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पदों के माध्यम से एक विशेष (तीसरे) अर्थ का बोध होता है, बहुव्रीहि समास कहलाता है; जैसे
- महात्मा = महान् आत्मा है जिसकी अर्थात् ऊँची आत्मा वाला।
- नीलकण्ठ = नीला कण्ठ है जिनका अर्थात् शिवजी।
- लम्बोदर = लम्बा उदर है जिनका अर्थात् गणेशजी।
- गिरिधर = गिरि को धारण करने वाले अर्थात् श्रीकृष्ण।
- मक्खीचूस = बहुत कंजूस व्यक्ति
Samas in Hindi Worksheet Exercise Questions with Answers PDF
1. किस समास में शब्दों के मध्य में संयोजक शब्द का लोप होता है? (a) द्विगु (b) तत्पुरुष (c) द्वन्द्व (d) अव्ययीभाव उत्तर : (c) द्वन्द्व
2. पूर्वपद संख्यावाची शब्द है (a) अव्ययीभाव (b) द्वन्द्व (c) कर्मधारय (d) द्विगु उत्तर : (d) द्विगु
3. ‘जन्मान्ध’ शब्द है (a) कर्मधारय (b) तत्पुरुष (c) बहुव्रीहि (d) द्विगु उत्तर : (b) तत्पुरुष
4. ‘यथास्थान’ सामासिक शब्द का विग्रह होगा (a) यथा और स्थान (b) स्थान के अनुसार (c) यथा का स्थान (d) स्थान का यथा उत्तर : (b) स्थान के अनुसार
5. जिस समास में दोनों पदों के माध्यम से एक विशेष (तीसरे) अर्थ का बोध होता है, उसे कहते हैं- (a) अव्ययीभाव (b) द्विगु (c) तत्पुरुष (d) बहुव्रीहि उत्तर : (d) बहुव्रीहि
6. ‘सप्तदीप’ सामासिक पद का विग्रह होगा (a) सप्त द्वीपों का स्थान (b) सात दीपों का समूह (c) सप्त दीप (d) सात दीप उत्तर : (b) सात दीपों का समूह
7. ‘मतदाता’ सामासिक शब्द का विग्रह होगा (a) मत को देने वाला (b) मत का दाता (c) मत के लिए दाता (d) मत और दाता उत्तर : (a) मत को देने वाला
8. ‘आत्मविश्वास’ में समास है- (a) कर्मधारय (b) बहुव्रीहि (c) तत्पुरुष (d) अव्ययीभाव उत्तर : (c) तत्पुरुष
9. ‘नीलकमल’ का विग्रह होगा (a) नीला है जो कमल (b) नील है कमल (c) नीला कमल (d) नील कमल उत्तर : (a) नीला है जो कमल
10. ‘लम्बोदर’ का विग्रह पद होगा (a) लम्बा उदर है जिसका अर्थात् गणेशजी (b) लम्बा ही है उदर जिसका (c) लम्बे उदर वाले गणेश जी (d) लम्बे पेट वाला उत्तर : (a) लम्बा उदर है जिसका अर्थात् गणेशजी
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Class 8 Hindi Grammar Chapter 17 समास
Class 8 Hindi Grammar Chapter 17 समास (Samaas). Practice here for CBSE and State Boards Hindi Vyakaran for Class VIII standard updated for session 2024-25. Examples of Samaas and Samaas Vigrah with suitable explanation in simplified language. Students can study here about Samaas and Samaas ke 6 Bhed with proper examples for the preparation of school tests and terminal exams 2024-25.
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जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक संक्षिप्त शब्द का निर्माण करते हैं तो यह क्रिया समास कहलाती है। “समास” शब्द का अर्थ ही है पास रखना, छोटा करना। भाषा के प्रयोग में सामासिक शब्दों के प्रयोग से संक्षिप्तता और शैली में उत्कृष्टता एवं सटीकता आती है। उदाहरण के लिए: “राजा का महल” कहने के स्थान पर “राजमहल” कहना अधिक उपयुक्त है। इससे स्पष्ट है कि दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने पर ही सामासिक शब्द का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया में दो या दो से अधिक पद साथ आ जाते हैं। समास-रचना में प्रायः दो पद होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। समास से बने पद को समस्तपद कहते हैं। समस्तपद के अंगों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं। कुछ समास ऐसे भी होते हैं, जिनमें किसी भी पद की प्रधानता न होकर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है।
समास के भेद
इस आधार पर समास के निम्नलिखित भेद हैं:
- 1. अव्ययीभाव
- 2. तत्पुरुष
- 3. कर्मधारय
- 6. बहुव्रीहि
जहाँ समस्तपद के दो खंडों में पहला अव्यय हो तथा संपूर्ण सामासिक पद भी प्रायः क्रियाविशेषण या अव्यय हो, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है। अव्ययीभाव का शाब्दिक अर्थ है “अव्यय हो जाना”। इस समास में पहले शब्द की प्रधानता रहती है और संपूर्णपद प्रायः क्रिया विशेषण या अव्यय के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे:
बिना संदेह पुनरुक्ति से बनने वाले समस्तपद भी अव्ययीभाव समास होते हैं, जैसे- घर-घर, गली-गली आदि।
जहाँ समस्त पद के दो खंडों के बीच से परसर्ग (न, को, के लिए आदि) का लोप हो जाता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है। तत्पुरुष का शाब्दिक अर्थ है- “उसका आदमी” जैसे राजकुमार (राजा का कुमार)। यहाँ “कुमार” प्रधान है। इस समास में दूसरा शब्द प्रधान होता है। इसकी बनावट में दो शब्दों के मध्य के कारक चिह्न “का / के / को / के / लिए / की / से/ में/पर” का लोप हो जाता है। इसके निम्नलिखित छह भेद होते हैं
इसमें कर्म की विभक्ति “को” का लोप हो जाता है। जैसे:
इसमें करण कारक की विभक्ति “से” का लोप हो जाता है। जैसे:
इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति “के लिए” का लोप हो जाता है। जैसे:
इसमें अपादान कारक की विभक्ति “से” का लोप हो जाता है। जैसे:
इसमें संबंध कारक की विभक्ति “का/ के / की” का लोप हो जाता है। जैसे:
इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति “में / पर” का लोप हो जाता है। जैसे:
इस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेषण का विशेष्य होता है। जैसे- सद्गुण में दो पद हैं, सद् तथा गुण। चूंकि इसका पहला पद विशेषण है और दूसरा उसका विशेष्य है, अतः यहाँ कर्मधारय समास है। अत: जहाँ सामासिक पद के दोनों खंडों में विशेषण- विशेष्य या उपमान-उपमेय संबंध हो, वहाँ कर्मधारय समास होता है।
- विशेषण – विशेषण बताने वाले पद। “सद्गुण” में “सद्” शब्द विशेषण है।
- विशेष्य – जिसकी विशेषता बताई जाए। सद्गुण में “गुण” विशेष्य है।
- उपमान – जिससे किसी की उपमा / तुलना की जाए। कमल नयन (कमल सरीखे नयन) में “कमल” उपमान है।
- उपमेय – जिसकी उपमा / तुलना की जाए / कमलनयन (कमल सरीखे नयन) में “नयन” उपमेय है। कर्मधारय में पहला पद विशेषण या उपमावाचक होता है। जैसे:
जिस सामासिक पद का पहला पद संख्यावाचक होता है और समूह का बोध कराता है, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे- त्रिभुवन। इसमें पहला पद संख्यावाचक और दूसरा पद प्रधान है, अतः यहाँ द्विगु समास है।
इस समास में पहला और दूसरा दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों को मिलाते समय “और” शब्द का लोप कर दिया जाता है। जिस समास में दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करते समय दोनों पदों के बीच “और / तथा / एव / या” आदि का प्रयोग हो तो उसे द्वंद समास कहते हैं। जैसे:
इस समास में कोई पद प्रधान नहीं होता है। वह अपने पदों से अलग किसी अन्य संज्ञा का विशेषण होता है जैसे- लंबोदर का अर्थ है-“गणेश” इस शब्द में “लंबा” और “उदर” दोनों पद अप्रधान हो गए हैं और अन्य शब्द “गणेश” की प्रधानता हो गई है। इसी प्रकार अन्य उदाहरण हैं
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