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कोरोना वायरस पर निबंध (Essay on Coronavirus in Hindi): Covid-19 महामारी पर हिंदी में निबंध

Updated On: October 08, 2024 04:50 PM

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कोरोना वायरस के कुप्रभाव पर निबंध

कोरोना वायरस पर निबंध (Essay on Coronavirus in Hindi) 100, 200 और 500 शब्दों में

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  • अपने हाथों को बार-बार धोएं। हाथ धोने से कोरोना वायरस के फैलने का जोखिम कम हो जाता है। हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से धोना चाहिए। यदि साबुन और पानी उपलब्ध नहीं हैं, तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग किया जा सकता है।
  • संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें। कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले महीन बूंदों के माध्यम से फैलता है। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में हैं जो संक्रमित है, तो अपने लक्षणों पर ध्यान दें और यदि आपके कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
  • सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें। मास्क पहनने से कोरोना वायरस के फैलने से बचाव में मदद मिल सकती है।
  • अपने चेहरे को छूने से बचें। अपने चेहरे को छूने से कोरोना वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।
  • स्वस्थ आहार खाएं, पर्याप्त नींद लें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से बचें।

कोविड-19 पर लेख: निष्कर्ष

कोरोना वायरस पर हिंदी में 10 लाइन में संक्षिप्त लेख  (essay on coronavirus in 10 lines in hindi).

  • कोरोना वायरस उन वायरस के समूह से है जो बहुत तेजी से संक्रमित करते हैं।
  • कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई जहां इसे इंसानों ने बनाया।
  • भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी 2020 में सामने आया था।
  • कोरोना वायरस खांसने और छींकने से फैलता है और खांसते और छींकते समय हमें अपना मुंह और नाक ढक लेना चाहिए।
  • हमें अपनी सुरक्षा के लिए मास्क पहनना चाहिए और अपने हाथों को नियमित रूप से साफ करना चाहिए।
  • हमारी सुरक्षा के लिए, सरकार ने इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश को बंद कर दिया था।
  • कोरोना वायरस के कारण स्कूल को ऑनलाइन कर दिया गया था और छात्र घर से पढ़ाई करते थे।
  • कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में सभी लोग घर पर थे।
  • इस दौरान बहुत से लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ खूब समय बिताया।
  • खुद को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से हाथ धोना और चेहरे पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है।

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भारत में कोरोनावायरस के बारे में: जरूरी जानकारी

एक उपन्यास कोरोनावायरस (cov) कोरोनवायरस का एक नया तनाव है।.

30 years old Kusum showcases handwashing with soap techniques along with her sister-in-law at her house in Kamla Ganj, Shivpuri.

  • में उपलब्ध:

नोवेल कोरोनावायरस क्या है ? नोवेल कोरोनावायरस, यह कोरोना वायरस का नया नस्ल है| सबसे पहले वुहान, चीन में पता लगने वाले नोवेल कोरोनावायरस से होने वाली बीमारी को कोरोनावायरस डिजीज (COVID-19/कोविड - 19) कहते हैं | 

CO कोरोना के लिए, VI - वायरस के लिए और D - डिजीज के लिए है | पहले इस बीमारी को ‘2019 नोवेल कोरोनावायरस’ या ‘2019-nCoV.’ के नाम से जाना जाता था |

COVID-19/कोविड - 19 वायरस, Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) से जुड़ा हुआ एक नया वायरस है|

COVID-19/कोविड - 19 वायरस किस तरह फैलता है? यह वायरस किसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से सांस के कणों/बूंदों के सीधे संपर्क में आने से या वायरस से संक्रमित सतह को छूने से फैलता है | COVID-19/कोविड - 19 वायरस कुछ घंटों तक अपनी सतह पर जीवित रहता है लेकिन इसे किसी साधारण निस्संक्रामक से ख़त्म किया जा सकता है | कोरोनावायरस के लक्षण क्या हैं?

इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, जल्दी-जल्दी सांस लेना आदि हो सकता है | अधिक गंभीर मामलों में निमोनिया या सांस की तकलीफ आदि हो सकते हैं | और गंभीर लेकिन कम मामलों में इससे जान भी जा सकती है | इसके लक्षण फ्लू (इन्फ्लुएंजा) या सामान्य सर्दी-जुकाम से मिलते जुलते हैं, जिनकी सम्भावना COVID-19/कोविड - 19 की अपेक्षा अधिक है | 

इसलिए इसमें टेस्ट करना ज़रूरी है जिससे किसी को COVID-19/कोविड - 19 होने पर पता चल सके | ये जानना महत्वपूर्ण है कि इससे बचाव के वही सामान्य तरीके हैं - बार-बार हाथ धोना और सांस लेने सम्बन्धी सावधानियां (खांसते या छींकते समय टिश्यू या कोहनी को मोड़ कर अपना मुंह और नाक ढक लें और इस्तेमाल के बाद टिश्यू को किसी बंद कूड़ेदान में फ़ेंक दें) |

इसके संक्रमण के खतरे से हम किस तरह बच सकते हैं?

यहाँ चार सावधानियां बताई जा रही हैं, जिससे आप और आप का परिवार संक्रमण से बच सकता है:

icon 1

निरंतर अपना हाथ साबुन या अल्कोहल आधारित हैंड-रब से साफ़ करें |

icon 2

खांसते या छींकते समय टिश्यू या कोहनी को मोड़ कर अपना मुंह और नाक ढक लें और इस्तेमाल के बाद टिश्यू को नष्ट कर दें |

icon 3

अगर आपको या आपके बच्चे को बुखार, खांसी या सांस की तकलीफ हो तो अपने स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टर से संपर्क करें ।

icon 4

सर्दी-जुकाम या फ्लू के लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें |

क्या मुझे मेडिकल मास्क पहनना चाहिए?

यदि आपको सांस से सम्बंधित लक्षण हैं (खांसी और छींकना) तो और लोगों को बचाने के लिए आपको मेडिकल मास्क पहनना चाहिए | अगर आपको कोई लक्षण नहीं है तो आपको मेडिकल मास्क पहनने की ज़रुरत नहीं है | 

अगर आप मास्क पहनते हैं तो उसे सही ढंग से इस्तेमाल करने के बाद नष्ट कर देना चाहिए जिससे उसका सही असर हो और उससे किसी और में वायरस का संक्रमण न फैले | 

केवल मास्क पहनने से ही संक्रमण से बचाव नहीं होता है, इसलिए इसके साथ बार-बार हाथ धोना, छींकते और खांसते समय मुंह ढकना और किसी सर्दी या फ्लू के लक्षणों (खांसी, छींक, बुखार) वाले व्यक्ति से सीधे संपर्क से बचना ज़रूरी है |  

क्या COVID-19/कोविड - 19 बच्चों को प्रभावित करता है ?

ये एक नया वायरस है और अभी हमें इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है कि ये बच्चों को किस प्रकार प्रभावित करता है | हम जानते हैं कि इस वायरस से कोई भी प्रभावित हो सकता है लेकिन अभी तक COVID-19/कोविड - 19 से बच्चों के प्रभावित होने के कम मामले ही सामने आये हैं | मुख्य रूप से कोविड - 19 पहले से बीमार वृद्ध लोगों के मामले में अधिक प्रभावित करता है |

अगर मेरे बच्चे में COVID-19/कोविड - 19 के लक्षण दिखें तो मुझे क्या करना चाहिए ?

डॉक्टर को दिखाएँ, लेकिन याद रखें कि इस समय उत्तरी गोलार्द्ध (hemisphere) में फ्लू का मौसम चल रहा है और COVID-19/कोविड - 19 के लक्षण जैसे खांसी या बुखार फ्लू या असामान्य सर्दी-जुकाम में भी होते हैं - जिसकी सम्भावना बहुत अधिक है |

हाथ और सांस सम्बन्धी स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें, जैसे लगातार हाथ धोना और बच्चों को सभी टीके लगे होना - जिससे आपका बच्चा बीमारियां पैदा करने वाले अन्य वायरस और बैक्टीरिया से बचा रहे |

आपको या आपके बच्चे को फ्लू की तरह अन्य सांस सम्बन्धी संक्रमण के लक्षण होने पर भीड़ वाली जगह (काम की जगह, स्कूल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट) में जाने से बचें, जिससे अन्य लोगों में ये संक्रमण न फैले |

अगर मेरे परिवार के किसी सदस्य में इसके लक्षण दिखें तो मुझे क्या करना चाहिए ?

अगर आपको या आपके बच्चे को बुखार, खांसी या सांस की तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए | अगर आप किसी ऐसी जगह गए हैं जहाँ COVID-19/कोविड - 19 के मामले सामने आये हों, या किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आये हों जो ऐसे जगह पर गया हो और उसे सांस सम्बन्धी तकलीफ हो, तो आप पहले ही अपने डॉक्टर को संपर्क करें |

क्या मुझे अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहिए ?

अगर आपके बच्चे में ये लक्षण हैं तो डॉक्टरी मदद लें और डॉक्टर की सलाह मानें, अन्यथा फ्लू जैसे सांस के अन्य संक्रमण के मामले में बच्चे को घर पर आराम करने दें और भीड़ वाली जगह में जाने और संक्रमण फैलने से रोकें |

अगर आपके बच्चे में बुखार, खाँसी जैसे लक्षण नहीं हैं और स्वास्थ्य या स्कूल सम्बन्धी कोई सलाह नहीं जारी किया गया है - तो बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे को स्कूल भेजें |

बच्चे को स्कूल न भेजने के बजाय उसे स्कूल और अन्य स्थानों पर हाथ और सांस सम्बन्धी स्वच्छता, जैसे बार-बार हाथ धोना (नीचे देखें), कोहनी मोड़ कर या टिश्यू से खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढक लेना और इस्तेमाल के बाद टिश्यू को किसी बंद कूड़ेदान में फ़ेंक देना और गंदे हाथ से अपनी आँख, मुंह या नाक न छूना आदि सिखाएं |

सही ढंग से हाथ धुलने का सबसे अच्छा तरीका क्या है ?

पहला चरण  – नल के / बहते पानी में हाथ गीला करिए |

दूसरा चरण  – पूरे हाथ के लिए पर्याप्त साबुन लीजिये |

तीसरा चरण  – पूरे हाथ को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से मलिए – हाथ के पीछे, उँगलियों के बीच में और नाखूनों के अंदर भी |

चौथा चरण  - नल के / बहते पानी में हाथ अच्छे से धुलिये |

पांचवां चरण  – साफ़ कपड़े या एक बार इस्तेमाल करने वाले तौलिये से हाथ पोछें |

निरंतर हाथ धोइए, विशेष रूप से खाने से पहले, नाक साफ करने के बाद, खांसने या छींकने के बाद और बाथरूम में जाने के बाद|

अगर साबुन और पानी उपलब्ध न हो तो अल्कोहल युक्त सैनीटाईज़र, जिसमे कम से कम 60% अल्कोहल हो, से हाथ साफ़ करें | अगर हाथ देखने में गन्दा लग रहा हो तो, साबुन और पानी से हाथ साफ करें |

यात्रा करते हुए मुझे अपने परिवार के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ?

किसी दूसरे देश की यात्रा करने से पहले वहां के सम्बन्ध में जारी कोई यात्रा सम्बन्धी सलाह, देश में प्रवेश के सम्बन्ध में किसी प्रकार की रोक, प्रवेश के समय क्वारंटाइन सम्बन्धी निर्देश या अन्य कोई सलाह के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें |

यात्रा सम्बन्धी सामान्य सावधानियों के साथ, क्वारंटाइन से बचने के लिए या अपने देश में वापस लौटने के प्रतिबन्ध से बचने के लिए, आपको इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की वेबसाइट पर COVID-19/कोविड –19 के बारे में ताज़ा स्थिति (the latest COVID-19 update on the International Air Transport Association website) की जानकारी प्राप्त कर लें |

किसी भी यात्रा के दौरान सभी अभिभावक खुद के लिए और अपने बच्चों के सम्बन्ध में स्वच्छता सम्बन्धी मानकों का पालन करें: बार-बार हाथ धुलें या अल्कोहल युक्त सैनीटाईज़र, जिसमे कम से कम 60% अल्कोहल हो, से हाथ साफ़ करें, सांस सम्बन्धी स्वच्छता (कोहनी मोड़ कर या टिश्यू से खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढक लेना और इस्तेमाल के बाद टिश्यू को नष्ट कर देना) का पालन करें और किसी खांसने या छींकने वाले के संपर्क में आने से बचें | इसके अतिरिक्त अभिभावकों को ये सलाह है कि वे हमेश अपने साथ हाथ साफ करने वाला सैनीटाईज़र, डिस्पोजेबल टिश्यू और कीटाणु नाशक वाइप्स साथ रखें |

इसके अतिरिक्त ये करने की भी सलाह दी जाती है की किसी विमान या अन्य किसी गाड़ी में बैठते समय कीटाणु नाशक वाइप्स से अपनी सीट, आर्म्स रेस्ट, टच स्क्रीन आदि को साफ कर लें | जिस होटल में आप और आपके बच्चे रुकें, वहां भी कीटाणु नाशक वाइप्स से चाबियाँ, दरवाजों के हैंडल, रिमोट कण्ट्रोल आदि साफ कर लें |  

क्या किसी गर्भवती महिला से उसके बच्चे में कोरोनावायरस जा सकता है ?

अभी तक इस विषय में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है कि किसी गर्भवती महिला से गर्भावस्था के दौरान उसके बच्चे में वायरस जा सकता है या नहीं और इसका उसके बच्चे पर क्या प्रभाव हो सकता है | इस बारे में शोध अभी जारी है | गर्भवती महिलाओं को इस वायरस के संपर्क में आने से बचने के लिए ज़रूरी सावधानियों को अपनाएं और बुखार, खांसी या सांस की तकलीफ जैसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाएँ|

क्या कोरोना वायरस से पीड़ित माँ के द्वारा अपने बच्चे को स्तनपान करना सुरक्षित है ?

इससे प्रभावित या अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाली या बुखार, खांसी या सांस की तकलीफ की लक्षण वाली माताओं को डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए, और उनका पालन करना चाहिए |

स्तनपान के फायदों को ध्यान में रखते हुए और श्वास सम्बन्धी अन्य वायरस की माँ के दूध में क्षीण भूमिका  को देखते हुए देखते हुए माताओं को अपने बच्चों को पूरी सावधानी के साथ स्तनपान कारन जारी रखना चाहिए |

जैसा कि COVID-19/कोविड –19से संक्रमित या संभावित अन्य मामलों में सावधनी रखना चाहिए, इसके लक्षण वाली माताओं को भी, जो स्तनपान कराती हैं, सभी सावधानियां रखनी चाहिए जैसे मास्क पहनना, अपने बच्चे के पास जाते समय (या उसे स्तनपान कराते समय) अपना हाथ धुलना, संक्रमित सतहों को साफ / विसंक्रमित करना आदि |

यदि माँ ज्यादा बीमार हो तो उनको, संक्रमण से बचाव के तरीके अपनाते हुए, अपना दूध निकल कर किसी साफ कप या चम्मच से बच्चे को पिलाने को कहना चाहिए|

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essay on corona warriors in hindi

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  • Corona Warriors: Meet Yogendra Baisoya Who Beat Corona 4 Times And Donated Plasma Twice

सुपर से ऊपर है ये कोरोना वॉरियर्सः पूरे 4 बार कोरोना को दी मात, 2 बार डोनेट किया प्लाज्मा

आज की कहानियां न सिर्फ आपके हौसले को बढ़ाएंगी बल्कि आपको मदद करने के लिए प्रेरित भी करेंगी। ऐसी ही एक कहानी में मिलिने कोरोना वॉरियर योगेंद्र बसोया से जिन्होंने एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे 4 बार कोरोना को मात ही और उन्होंने लोगों की मदद के लिए दो बार प्लाज्मा भी दान किया। पढ़िए ये हौसले की कहानियां....

corona warriors meet yogendra baisoya who beat corona 4 times and donated plasma twice

प्रोटोकॉल तोड़ने और लापरवाही से हुआ हर बार कोरोना

प्रोटोकॉल तोड़ने और लापरवाही से हुआ हर बार कोरोना

एक एमएनसी में नेटवर्क सिक्योरिटी इंजीनियर योगेंद्र के परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी और दो बच्चे हैं। उनकी पत्नी भी उन्हीं की कंपनी में उनके साथ काम करती हैं। योगेंद्र को पिछले साल जून में पहली बार कोरोना हुआ। उसके बाद सितंबर में हुआ, लेकिन 14 दिन बाद जब उन्होंने अपना दोबारा टेस्ट कराया, तब भी वह पॉजिटिव निकले और करीब एक महीने बाद जाकर वह ठीक हो पाए। तीसरी बार जनवरी में और चौथी बार पिछले महीने वह कोरोना की चपेट में आए। इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। योगेंद्र बिना किसी गुरेज के यह मानते हैं कि हर बार उनकी अपनी लापरवाही और ओवर कॉन्फिडेंस के चलते वह कोरोना की चपेट में आए, बल्कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि चार बार कोरोना होने के बाद भी वह बच गए।

एनबीटी से बातचीत में कोरोना से बचाव के अपने मंत्र साझा करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना बेहद जरूरी है। मुझे जब भी कोरोना हुआ, इस प्रोटोकॉल को तोड़ने और लापरवाही बरतने की वजह से ही हुआ। एक बार मैं दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाने चला गया। एक बार चंडीगढ़ घूमने चला गया और एक बार शादी में जाने और एक बार भीड़भाड़ वाली जगह पर नियमों का ध्यान नहीं रखने की वजह से वह कोरोना की चपेट में आए।

नियमों का पालन करना बहुत जरूरी

नियमों का पालन करना बहुत जरूरी

योगेंद्र का कहना है कि कोरोना को बिल्कुल भी हल्के में ना लें और नियमों का सख्ती से पालन करें। खासकर घर से बाहर निकलते वक्त अच्छी तरह से मास्क पहनना, हाथ साफ रखना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बहुत जरूरी है। दूसरा, अगर हल्के से भी लक्षण नजर आए, तो टेस्ट कराने या उसकी रिपोर्ट आने का इंतजार ना करें। तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेकर पहले दिन से ही ट्रीटमेंट शुरू कर दें और अपने आप को आइसोलेट कर लें। कोरोना से जल्दी उबरने में घरेलू उपायों से भी उन्हें काफी मदद मिली। योग, प्राणायम, काढ़ा, स्टीम, आयुर्वेदिक दवाइयां लेने जैसे तमाम उपायों को उन्होंने कारगर बताया। उनका मानना है कि इस बार युवाओं के कोरोना की चपेट में आने की एक बड़ी वजह स्मोकिंग और हुक्का पीना है, जो सीधे फेफड़ों पर असर डालते हैं और जब कोरोना होता है, तब पता चलता है कि इन आदतों का कितना नुकसान होता है। हालांकि वह खुद शराब, सिगरेट आदि से दूर रहते हैं, पर उनकी सलाह है कि अगर युवाओं को कोरोना से बचना है, तो इन चीजों से दूर रहना होगा। इसके अलावा खुद को पॉजिटिव बनाए रखना, नकारात्मक खबरों से दूर रहना और परिवार के साथ समय बिताना, दोस्तों रिश्तेदारों से बात करते रहना बहुत जरूरी है। इससे आपको हौसला मिलता है और बीमारी से जल्दी उबरने की ताकत मिलती है।

​70 साल के बुजुर्ग रोजाना 200 जरूरतमंदों को खिला रहे खाना

​70 साल के बुजुर्ग रोजाना 200 जरूरतमंदों को खिला रहे खाना

डीटीसी के चीफ जनरल मैनेजर पद से रिटायर्ड जसवंत सिंह मल्होत्रा (70) रोजाना कोरोना मरीजों और जरूरतमंदों के बीच खाना बांट रहे हैं। अलग-अलग एरिया में रोजाना 200 लोगों को दोपहर का खाना खिला रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सिजन, दवाईयां और अस्पताल में इलाज तक निशुल्क मुहैया करवा रहे हैं। कई लोगों की टीम वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर इस काम को अंजाम दे रही है। वॉट्सऐप ग्रुप पर जानकारी मिलती है, वॉलंटियर्स मदद के लिए आगे आ जाते हैं। जसवंत सिंह प्रीतमपुरा के राशमी अपार्टमेंट में रहते हैं।

जसवंत ने बताया कि जरूरतमंदों को खाना खिलाने का काम उन्होंने 2 फरवरी से शुरू किया था, जो 17 मार्च तक लगातार जारी रहा। इस दौरान हम रोजाना 100 लोगों को खाना खिलाते थे, लेकिन अब पिछले तीन दिनों से हम 200 लोगों की बीच जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि कोरोना मरीजों के साथ-साथ जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाया जाए। लॉकडाउन के लगने के बाद से ही दिहाड़ी मजदूरों का काम ठप है। काफी ऐसे लोग हैं, जो रोजाना कमाते और खाते हैं। ऐसे में ऐसे मजदूर इस लॉकडाउन में भूखा ना रह जाए, हमें जहां-जहां से जानकारी मिलती हैं, हम उन तक खाना पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही ऐसे कोरोना मरीज, जो घर पर ही हैं और उन्हें खाना बनाने में परेशानी आ रही है। हम उनतक भी खाना पहुंचा रहे हैं। इस काम में हमें एम्पावरिंग फाउंडेशन की चेयरमैन मेनका सोनी का काफी सहयोग मिल रहा है। मेनका सोनी यूएसए के सिएटल शहर में रोजाना 100 जरूरतमंदों को खाना खिला रही हैं। इसके अलावा मां की रसोई, होप फाउंडेशन के अलावा विजय मल्होत्रा, कादंबिनी, विकास बरोका, जेपीएस मल्होत्रा, रेखा गुप्ता और जोगिंद्र सिंह का सहयोग मिल रहा है। हम सभी मिलकर काम कर रहे हैं।

कोरोना से जंग जीतकर अब दूसरों की सेवा कर रहे हैं राहुल

कोरोना से जंग जीतकर अब दूसरों की सेवा कर रहे हैं राहुल

हम पूरे परिवार के साथ कोरोना पॉजिटिव हो गए थे, बेटे का ऑक्सिजन लेवल 88-89 तक चला गया। फिर भी हम घबराए नहीं। हिम्मत के साथ काम लिया और कोरोना से जंग जीत गए। अब हम दूसरों की सेवा कर रहे हैं। कई दिनों से लाइन में लगकर ऑक्सिजन सिलिंडर भरवा रहे हैं। राहुल कपूर (43) प्रीतमपुरा में परिवार के साथ रहते हैं। राहुल ने बताया कि उन्होंने खुद दूसरी बार कोरोना को हराया है। कुछ दिन पहले मेरे साथ धीरे-धीरे परिवार के अन्य सदस्य पत्नी हेमा (43), बेटी तनिषा (13), बेटा कनन (17) और मेड सुनीता (24) सभी की तबीयत खराब होने लगी। कोरोना के लक्षण लक्षण दिखने पर समय ना गंवाते हुए मैने तुरंत पंजाबी बाग में होमियोपैथिक क्लीनिक चल रहीं डॉक्टर नेहा से संपर्क किया। जिसके बाद उन्होंने कुछ दवाइयां दीं, तुरंत ही हमने दवाइयां शुरू कर दीं। परिवार के सभी सदस्य धीरे-धीरे ठीक होने लगे, लेकिन इस दौरान बेटे की तबियत बिगड़ने लगी। बेटे का ऑक्सिजन लेवल 88-89 तक चला गया। बेटे को पेट के बल लिटा दिया, एकसरसाइज शुरू करवाई। जिसके बाद बेटे का ऑक्सिजन लेवल 92 हो गया। डेढ़ दिन बाद ऑक्सिजन लेवल 95 से ऊपर चला गया। राहुल ने बताया कि इससे पहले उनके पिता रविंद्र कपूर (76) की तबियत खराब हुई। 5 अप्रैल को पता चला कि पिता को कैंसर है। 7 अप्रैल को कोरोना का पता चला। इस दौरान पिता ने कोरोना से जंग तो जीत ली, लेकिन कैंसर से 23 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।

कोरोना से जंग जीतते ही सेवा में जुट गए राहुल

कोरोना से जंग जीतते ही सेवा में जुट गए राहुल

राहुल सही होते ही लोगों की सेवा में जुट गए हैं। राहुल ने बताया कि उनके एक दोस्त की मां कोरोना पॉजिटिव हैं और वह एक अस्पताल में आईसीयू में एडमिट हैं, दोस्त के पास अस्पताल से बार-बार कॉल पर जानकारी मिलती है कि उनका ऑक्सिजन खत्म होने वाला है, खुद का ऑक्सिजन लेकर आएं। पिछले 7-8 दिनों से प्रतिदिन कई-कई घंटे लाइन में खड़े रहकर जैसे-तैसे ऑक्सिजन मिल रही है। लेकिन दो से तीन दिनों से वह भी नहीं मिल रही है।

​​दोस्तों का हौसला और मदद आई काम

​​दोस्तों का हौसला और मदद आई काम

मैं कैसे कोरोना पॉजिटिव हो गया, पता ही नहीं चला। लक्षण दिखे तो टेस्ट करवाया। 13 अप्रैल को टेस्ट रिपोर्ट आई, जिसमें मैं पॉजिटिव था। उसी दिन से मैंने अपने आप को एक कमरे में कैद कर लिया। यह कहना है राजेंद्र मीणा का, जो एक सरकारी स्कूल में एग्जाम इंचार्ज हैं। मीणा का कहना है कि एक तो मैं पॉजिटिव, दूसरा कोरोना से ही करीबी दोस्त के मरने की खबर, मुझे पूरी तरह से विचलित कर दिया। मैंने राजापुरी में रहने वाले अपने दोस्त मनमोहन लटियाल और चुन्नीलाल को फोन किया। उन्होंने सलाह दी कि टीवी चैनलों और कोरोना अपडेट्स को देखना बंद करो। तब, मैंने आईपीएल पर फोकस किया। घरवलाों से राजस्थान में बात की। डीडीयू के अपने एक डॉक्टर से दव्ईयों के लिए सलाह ली। उन्होंने कुछ दवाइयों का प्रिस्क्रिप्शन मोबाइल पर भेजा जिसे मैंने मनमोहन को भेज दिया। उन्होंने मेरे घर दवाइयां और खाना नियमित रूप से पहुंचाया। दोस्तों की हेल्प ने मेरे एंदर एक पॉजिटिव ऊर्जा पैदा कर दी जिसने मुझे संक्रमण से उबरने में काफी मदद की।

कोरोना मरीजों के घर तक निशुल्क पहुंचा रहे खाना

कोरोना मरीजों के घर तक निशुल्क पहुंचा रहे खाना

जो लोग कोरोना पॉजिटिव हैं और घर में ही आइसोलेट हैं और खाना नहीं बना पा रहे हैं, ऐसे लोगों को ए ब्लॉक जनकपुरी श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा के ‘सिंह सुरमे निशकाम सेवक जत्था’ की ओर से खाना बनाकर उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है। 70 से 100 लोगों को रोजाना खाना पहुंचा रहे हैं। लोगों की सेवा कर रहे हरमीत सिंह और अरविंदरजीत सिंह ने कहा कि इस महामारी से हर तबका प्रभावित है। हर कोई परेशान हैं। कोरोना पॉजिव होने के बाद कई लोग खाना नहीं बना पाते हैं। ऐसे लोगों की मदद में हमलोग जुटे हैं। कई बुजुर्ग भी ऐसे हैं, जो घर पर अकेले हैं और खाना नहीं बना पा रहे हैं। ऐसे लोग हमसे संपर्क करते हैं और हम उन तक खाना पहुंचा रहे हैं। इस काम में कई साथी एक साथ मिलकर पहले सामान लाते हैं। फिर खुद ही खाना बनाते हैं। जिसके बाद खाने के पैकेट तैयार कर हम उन तक पहुंचते हैं। यह सेवा हम जनकपुरी इलाके में कर रहे हैं। इस काम में रमनीत सिंह, अंगद, चिराग अरोड़ा के अलावा गुरुद्वारे के सेवादार और मुख्य हेड ग्रंथी भी जुड़े हैं।

एनबीटी डेस्क

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कोरोना वायरस

कोरोना वायरस

कोरोना वायरस 

कोरोना वायरस (Coronavirus) आरएनए वायरस का एक समूह है (RNA Viruses) जो स्तनधारियों और पक्षियों को प्रभावित करता है.  यह मनुष्यों और पक्षियों के विंड पाइप और लंग्स को संक्रमित करता हैं जो हल्के से लेकर घातक तक हो सकते हैं. इंसानो में हल्की और सामान्य सर्दी की तरह हो सकता है या फिर SARS, MERS जैसे अधिक घातक हो सकता है. कोरोना वायरस यानी COVID-19 को महामारी का कारण बताया गया हैं ( SARS, MERS and COVID-19). 

कोरोना वायरस का जीनोम आकार 26 से 32 किलोबेस के बीच होता है ( Genome Size of Coronaviruses). उनके पास खास क्लब-आकार की स्पाइक्स हैं जो उनकी सतह से प्रोजेक्ट होती हैं. यह इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफ में सौर कोरोना की याद ताजा कराती है, जिससे उसका नाम निकला है (Reminiscent of Solar Corona).

“कोरोना वायरस” नाम लैटिन कोरोना से लिया गया है (Latin Corona), जिसका अर्थ है “मुकुट” या “पुष्पांजलि”. यह नाम जून अल्मेडा और डेविड टायरेल द्वारा गढ़ा गया था (June Almeida and David Tyrrell) जिन्होंने पहली बार मानव कोरोना वायरस को देखा और अध्ययन किया था. इस शब्द का प्रयोग पहली बार 1968 में नेचर जर्नल में वायरस के नए परिवार को नाम देने के लिए किया गया था (Etymology of Coronavirus). 

जानवरों में कोरोना वायरस संक्रमण की सबसे पहली रिपोर्ट 1920 के दशक के अंत में उत्तरी अमेरिका में पालतू मुर्गियों श्वसन संक्रमण के दौरान आई (Earliest Reports of Coronavirus Infection in Animals).

मानव कोरोना वायरस की खोज 1960 के दशक में की गई थी. ई.सी. केंडल, मैल्कम बायनो और डेविड टायरेल ने 1961 में एक असामान्य सर्दी-जुकाम के वायरस को B814 नाम किया था (Discovery of Human Coronaviruses). कोरोना वायरस बड़े, मोटे तौर पर गोलाकार कण होते हैं जिनकी सतह बिल्कुल अलग होती है. उनका आकार 80 से 120 एनएम के औसत व्यास के साथ बेहद परिवर्तनशील है. इनका कुल आणविक द्रव्यमान औसतन 40,000 है. वे कई प्रोटीन अणुओं के साथ एक कवर में होते हैं. लिपिड बाइलेयर कवर, झिल्ली प्रोटीन, और न्यूक्लियोकैप्सिड वायरस की रक्षा करते हैं (Structure of Coronavirus).

कोरोना वायरस से संक्रमित कैरियर वातावरण में वायरस को फैला सकते हैं. कोरोना वायरस मुख्य रूप से एपिथेलियल कोशिकाओं को निशाना बनाते हैं. ये वायरस एक एयरोसोल, फोमाइट, या फेकल-ओरल मार्ग द्वारा, कोरोनावायरस वेरिएंट के आधार पर, एक मेजबान से दूसरे मेजबान में फैलते हैं (Coronavirus Transmission).

मानव कोरोना वायरस श्वसन पथ की एपिथेलियल कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जबकि पशु कोरोनावायरस आमतौर पर पाचन तंत्र की एपिथेलियल कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं. उदाहरण के लिए, SARS कोरोना वायरस, एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम 2 (ACE2) रिसेप्टर से जुड़कर एक एयरोसोल मार्ग के माध्यम से फेफड़ों की मानव एपिथेलियल कोशिकाओं को संक्रमित करता है (Human Coronaviruses Infect Epithelial Cells of Respiratory Tract).  

कोरोना वायरस न्यूज़

अगले साल के संभावित खतरनाक प्रदूषण रोकने के लिए कोई एहतियाती उपाय अभी से क्यों नहीं किये जा सकते हैं?

दिल्ली सरकार को क्‍यों रहता है AQI के खतरे का निशान पार करने का इंतजार? | Opinion

दिल्ली में प्रदूषण ने फिर से जीना मुहाल कर दिया है. प्रदूषण के खतरनाक लेवल तक पहुंचने की सालगिरह दिवाली की तरह मनाने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ा है - आखिर दिल्ली में प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए सरकार की तरफ से एहतियाती उपाय क्यों नहीं किये जाते?

  • मृगांक शेखर
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:41 IST

उमर अब्दुल्ला को सपोर्ट के बदले अरविंद केजरीवाल ने जो डिमांड रखी है, वो निर्दलीय विधायकों जैसी ही है.

AAP का नेशनल कॉन्‍फ्रेंस को सपोर्ट कम, कांग्रेस से 'समर्थन वापसी' ज्‍यादा है | Opinion

उमर अब्दुल्ला को अब अरविंद केजरीवाल का भी समर्थन मिल गया है. 4 निर्दलीय विधायकों के बाद आम आदमी पार्टी का समर्थन नेशनल कांफ्रेंस के लिए तो खास मायने रखता है, गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के लिए खतरे का नया संकेत है.

  • 14 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 16:41 IST

Non-Veg Food

नॉनवेज खाना छोड़ने से कितनी बचत होगी?

वर्ल्डवॉच इंस्टीट्यूट के मुताबिक, हम ऐसी दुनिया में हैं जहां हर 6 में से 1 व्यक्ति भूखा रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मांस के उत्पादन में अनाज का दुरुपयोग होता है. अगर इंसान सीधे अनाज खाए तो इसका सही उपयोग हो सकेगा.

  • 13 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 18:54 IST

Non-Vegetarian Food

क्या नॉनवेज खाने से बीमारियों का खतरा बढ़ता है? जानिए क्या कहता है विज्ञान

कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि कोविड आखिरी महामारी नहीं है. भविष्य में और भी महामारियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए हमें जानवरों में फैलने वाली बीमारियों को करीब से देखने की जरूरत है. एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 90% से ज्यादा मांस फैक्ट्री फार्म से आता है. इन फार्म्स में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है. इससे वायरल बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

  • अपडेटेड 12:45 IST

How many Viruses on Earth?

MPox वायरस के खौफ के बीच जान लीजिए 10 nonillion वायरस इस समय एक्टिव हैं धरती पर!

अभी दुनिया के कई देशों में MPox वायरस फैला है. लेकिन क्या आपको पता है कि धरती कितने वायरस मौजूद हैं. वैज्ञानिकों को संख्या पता है. धरती पर 10 नॉनिलियन वायरस मौजूद हैं. ये संख्या मिलियन, बिलियन के कहीं ऊपर है. 10 नॉनिलियन में जीरो गिनते-गिनते आप थक जाएंगे. कन्फ्यूज हो जाएंगे कि गिनती सही हो रही है या नहीं.

  • साइंस न्यूज़
  • ऋचीक मिश्रा
  • 10 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 13:06 IST

Digvijay Singh

कोरोना पॉजिटिव हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, सोशल मीडिया पर दी जानकारी

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इसकी जानकारी उन्होंने अपने 'एक्स' अकाउंट पर दी है. दिग्विजय सिंह ने लिखा, 'मेरा COVID test पॉजिटिव आया है. मुझे 5 दिनों तक आराम करने के लिए कहा गया है. इसलिए मैं कुछ समय किसी से नहीं मिल पाउंगा. क्षमा करें. आप सभी भी COVID से बचने के लिए अपना ख्याल रखें.'

  • 20 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:22 IST

Covid-19 Virus Spreads in Wild Animals

दुनिया के लिए नई चिंता... जिस वायरस ने कोविड-19 फैलाया, अब तेजी से जंगली जानवरों में फैल रहा

जिस वायरस ने कोरोना महामारी फैलाई. अब वो जंगली जानवरों में तेजी से फैल रहा है. अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में यह चेतावनी दी है. कई प्रजातियों के जीवों में तो 60 फीसदी संक्रमण है.

  • आजतक साइंस डेस्क
  • 12 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 13:43 IST

कोरोनावायरस

गर्मियों में पूरी दुनिया में बढ़े कोरोना वायरस के मामले, WHO ने दी चेतावनी

WHO की डॉ. वैन केरखोव ने कहा, "हाल के महीनों में, सीजन की परवाह किए बिना, कई देशों में COVID-19 के मामलों में उछाल देखा गया है, जिसमें ओलंपिक भी शामिल है, जहां कम से कम 40 एथलीट पॉजिटिव पाए गए हैं."

  • हेल्थ न्यूज़
  • स्नेहा मोरदानी
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 02:42 IST

UN, Pandemic, Warning, Zoonotic Diseases

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी... 2030 तक फैल सकती है एक और महामारी

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगले 5-6 साल में नई महामारी फैल सकती है. बदलते जलवायु ने प्रजातियों के रहने की जगह को प्रभावित किया है. इससे जीवों की विभिन्न प्रजातियों के बीच नया संपर्क हो रहा है. जिसकी वजह से जानवरों से इंसानों में बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है.

  • 18 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 11:49 IST

akshay kumar covid positive

कोरोना के चलते अक्षय कुमार ने खुद को किया आइसोलेट!

बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं. कोरोना होने की वजह से वो अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का हिस्सा भी नहीं बन पाएंगे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय कुमार पिछले दो दिनों से ठीक महसूस नहीं कर रहे थे. इसी बीच वो लगातार फिल्म 'सरफिरा' के प्रमोशन में भी बिजी चल रहे थे.तबीयत ठीक ना होने पर जब उन्होंने टेस्ट कराया तो वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए.

  • 12 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 17:10 IST

कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही

लखनऊ में 14 गुना बढ़ गए कोरोना के केस, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी संक्रमित

बीते दिन लखनऊ में 70 नए मामले सामने आए हैं. लखनऊ के साथ पूरे यूपी में कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं. यूपी में मंगलवार को सक्रिय मामलों की संख्या 640 पहुंच गई. वहीं देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 4,435 नए मरीज सामने आए हैं. इसके साथ ही संक्रमण दर 3.38 फीसदी रिकॉर्ड की गई है

  • उत्तर प्रदेश
  • आशीष श्रीवास्तव
  • 05 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 14:03 IST

ब्लैक फंगस का इलाज (सांकेतिक फोटो)

लखनऊ KGMU के डॉक्टरों ने किया कमाल... मात्र 30 रुपये की दवा से हो सकेगा Black Fungus का इलाज, ईजाद की ये मेडिसिन

अभी तक बाजार में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जो दवाएं उपलब्ध थीं वो काफी महंगी थीं. लेकिन अब आंखों में होने वाले ब्लैक फंगस जैसे जटिल संक्रमण के इलाज के लिए जेब ज्यादा ढीली नहीं करनी पड़ेगी.

  • सत्यम मिश्रा
  • 24 जून 2024,
  • अपडेटेड 17:28 IST

ब्लैक फंगस ट्रीटमेंट

लखनऊ: KGMU को मिली बड़ी कामयाबी, 30 रुपए के टैबलेट से ठीक हुआ ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है और इसके इलाज के लिए एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन इस्तेमाल में लाया जाता था, जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपए है. इसके अलावा दो और दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं.

  • अपडेटेड 15:00 IST

essay on corona warriors in hindi

COVID-19 New Variant FLiRT: भारत में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट 'FLiRT' की एंट्री...कई राज्यों में फैला, क्या बढ़ाएगा मुश्किल?

ओमिक्रॉन के दो वैरिएंट KP.2 और KP.1, FLiRT (ग्रुप) के अंदर रखे गए हैं. इन्हें JN.1 की तुलना में कम संक्रामक कहा जा रहा है लेकिन यह इम्यूनिटी को चकमा दे सकता है. FLiRT क्या है और इसके लक्षण क्या हैं, इस बारे में जान लीजिए.

  • 22 मई 2024,
  • अपडेटेड 10:38 IST

corona news update

महाराष्ट्र में फिर पांव पसार रहा कोरोना! ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट ने बढ़ाई टेंशन, सामने आए 91 केस

ठाणे में ओमिक्रॉन के केपी.2 सब-वेरिएंट के 20 मामले, अमरावती और छत्रपति संभाजी नगर में सात-सात, सोलापुर में दो और सांगली, लातूर, अहमदनगर और नासिक में एक-एक मामला दर्ज किया गया है.

  • 14 मई 2024,
  • अपडेटेड 06:01 IST

essay on corona warriors in hindi

All-in-One वैक्सीन बनाने में जुटे साइंटिस्ट, आया ये अपडेट

दुनिया की प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ के साइंटिस्ट की एक टीम को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता हाथ लगी है.

  • शॉर्ट वीडियो
  • 07 मई 2024,
  • अपडेटेड 17:07 IST

vaccine development called “proactive vaccinology

कोरोना वायरस के हर वैरिएंट पर कारगर All-in-One वैक्सीन बनाने में जुटे साइंटिस्ट, आया ये अपडेट

कोरोनावायरस के कई वैरिएंट से निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने बड़ा समाधान खोज निकाला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब एक ही टीके से कोरोना के कई वैरिएंट से बचाव कर सकता है. अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों ने मिलकर ऐसा ऑल इन वन टीका बनाया है. ये टीका ओमिक्रॉन, डेल्टा समेत कोरोना के कई वैरिएंट से बचाव में कारगर साबित हो सकता है.

  • अपडेटेड 14:54 IST

Covishield vaccine Rithaika Sri Omtri and Karunya

कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद दो लड़कियों की हुई थी मौत, अब 3 साल बाद सीरम इंस्टीट्यूट पर केस करेंगे माता-पिता

जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद जिन दो लड़कियों की मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मूड बना लिया है. ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवारों ने कहा कि वो अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ अदालत जाएंगे और केस दर्ज करवाएंगे.

  • 02 मई 2024,
  • अपडेटेड 14:09 IST

essay on corona warriors in hindi

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A tribute to frontline corona warriors––Doctors who sacrificed their life while saving patients during the ongoing COVID-19 pandemic

Suresh k pandey, vidushi sharma.

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Correspondence to: Dr. Suresh K Pandey, SuVi Eye Institute and Lasik Laser Center, Kota, C 13 Talwandi, Rajasthan, India. E-mail: [email protected]

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The 2019–2020 coronavirus pandemic is upending life on a global level as we know it. The highly infectious coronavirus disease 2019 (COVID-19) is caused by severe acute respiratory syndrome coronavirus 2 (SARS-CoV-2). It was first seen in Wuhan, Hubei, China where its outbreak was first identified in December 2019. After almost 3 months, on March 11, 2020, the World Health Organization recognized it as a pandemic considering its significant ongoing spread in multiple countries across the world.

As of April 11, 2020, approximately 1,741,621 cases of COVID-19 have been confirmed in over 210 countries and territories resulting in around 106,670 deaths. Clearly, the corona virus outbreak situation cannot be taken lightly. Global pandemic of COVID 19, its ophthalmic implications, and precautions are nicely summarized in recently published editorial.[ 1 ]

While on one hand people across India and around the globe are largely confined to their homes with businesses and educational institutions all shut down in an attempt to contain the virus, and on the other hand doctors, health-care workers, and medical staff members are leading the battle against COVID-19 from the front. Putting their own lives at risk with selfless determination for the sake of saving lives, they truly are our heroes in these challenging times. While they are putting their own health, families, and most importantly their own lives at risk, the least we can do is appreciate their efforts and cooperate by staying safe indoors. That being said, it is good to see tributes pouring in for all the medical heroes working in scrubs. On occasion of the Doctors' Day (March 30, 2020 USA and Australia), the stories of the medical heroes are inspiring and heartbreaking at the same time .

Doctors, Health-care Workers and Fight against COVID-19

Needless to say, doctors, nurses and people working in health-care sectors are particularly vulnerable to the highly infectious disease. In response to the global pandemic, the under-resourced doctors are facing unprecedented challenges. The list of the sleep-deprived heroes includes doctors, nurses, medical cleaners, pathologists, paramedics, ambulance drivers, and health-care administrators. In the fight against coronavirus, the brave medical army stands strong with thermometers, stethoscopes, and ventilators as their weapons. Not to forget, medical researchers are working day in and night out against all odds, hoping to find the antidote to the disease.

Since the coronavirus outbreak, health-care professionals have not only experienced the gratification of healing patients and saving their lives but have also lost many battles along the way. On top of that, many doctors have even sacrificed their own lives in the line of duty.

Every day, the selfless warriors are giving it their all in health-care settings while cutting themselves off from their families and loved ones. The sacrifice that they are making for the safety and welfare of humanity is priceless and deserves lifelong gratitude on our end. Most importantly, we must reassess the value health-care workers hold in our lives and the kind of treatment they get from us. Among the several lessons this coronavirus pandemic has been teaching us, the biggest one is to find ways to sufficiently invest in the better and more efficient medical fraternity and give medical professionals the respect, compensation and infrastructure that they truly deserve once this crisis is over. Moreover, the world needs to work towards advancement in medical research and technology. Nothing will be a greater tribute to the health-care workers than this.

That being said, we'd now like to highlight the heroic efforts of some courageous and inspiring doctors from across the globe who lost their lives while saving the lives of COVID-19 patients.

Dr. Li Wenliang, an Ophthalmologist from China

The death that broke several hearts in the initial days of coronavirus spread was of Dr. Li Wenliang, a Chinese ophthalmologist who tried to warn fellow practitioners about the potential outbreak of a virus [ Fig. 1 ]. Unfortunately, he was accused of making false claims and misleading the public. Dr. Li's warning did not depend on sophisticated laboratory testing or expensive imaging studies, but on his own understanding of biological plausibility—the kind of analysis that clinicians of all specialties could make.[ 2 ] The New York Times reported that on January 10, 2020, Dr Li developed a cough after having treated a woman for glaucoma who had unknowingly been infected with the coronavirus, probably by her daughter. No report suggests that he observed any ophthalmologic complications of the coronavirus infection in his patient.

Figure 1

Dr Li Wenliang

The 34-year-old eye specialist, in his Weibo story, revealed how he had come down with cough and fever after a month of his warning going unnoticed.

The doctor had contracted the virus while treating a glaucoma case (suffering from corona virus) in Wuhan. Dr. Li passed away on February 7, 2020 leaving the people in China and worldwide grieving and angry.

Another doctor who died of the disease in Wuhan was just 29 years old. As per the reports, he had postponed his Lunar New Year marriage to serve humanity and treat patients who had been hit by the virus. Unfortunately, he ended up contracting the virus from one of his patients and died a hero.

Dr. Roberto Stella from Italy

The COVID-19 wrath is taking no stop in Italy and the situation seems to be getting out of hands in the new epicenter of the disease. More than 66 doctors who were tested positive for coronavirus in Italy have reportedly died. According to the head of an Italian research institute, a total of 8,358 health workers have caught the disease.

Dr. Roberto Stella, aged 67, was an Italian general practitioner, who died on March 10 at the Como Hospital, as confirmed by the town's mayor, Mario Landriscina [ Fig. 2 ]. He died of respiratory failure due to coronavirus. Like other heroes, Dr. Stella had contracted the virus while actively taking care of patients and guiding them on proper care.

Figure 2

Dr Roberto Stella

Another case that shattered millions of hearts across the world was of a nurse who has reportedly taken her own life after being tested positive out of the fear of spreading the disease to others.

A 67-year-old physician in Italy who, despite running out of his protective gear, continued to treat the patients ended up sacrificing his life. Furthermore, a 34-year-old doctor, Daniela Trezzi who had been working on the front line at a hospital in Lombardy died after catching the disease. Her death was confirmed by the National Federation of Nurses of Italy.

Dr. Jean-Jacques from France

Jean-Jacques Razafindranazy [ Fig. 3 ] was the first French doctor who died while treating coronavirus patients. The 68-year-old accident and emergency department doctor was retired but the passion that he had for serving humanity was undying. Thus, he volunteered to help his colleagues save the lives of people, as the number of incoming patients continued to increase.

Figure 3

The retired doctor was working in an emergency ward at the Lille University Hospital where he caught the disease. His death was announced through a social media post titled “My Father: A Hero“ written by his family.

Dr. Usama Riaz from Pakistan

Dr. Usama Riaz [ Fig. 4 ], a young 26-year-old, became the first Pakistani doctor to die of coronavirus. He remained on the forefront, screening people returning from abroad from the Pakistan–Iran border at a hospital in Gilgit-Baltistan. He was busy fighting the deadly virus with utmost bravery and confidence when he contracted the virus. Upon showing symptoms, he was rushed to the hospital and was put on a ventilator but he could not make it. He proved to be a real hero by sacrificing his life while saving the lives of many.

Figure 4

Dr. Usama Riaz

Dr. Adil El Tayar from the UK

Sixty-three-year-old Dr. Adil El Tayar [ Fig. 5 ] became the first frontline health-care worker to die of coronavirus in the UK on March 25. The organ transplant consultant was performing his duty at St. Mary's and St. George's hospitals in London when he contracted the virus. He started showing symptoms in mid-March due to which he immediately self-isolated himself. In a matter of 12 days, he went from a perfectly fit doctor treating patients to a COVID-19 victim lying in a hospital morgue.

Figure 5

Dr. Shirin Rouhani from Iran

The Iranian doctor, Shirin Rouhani [ Fig. 6 ], also lost her life while treating coronavirus patients. Her determination and will power was such that she continued to treat patients till her last breath even when she herself was on IV. She knew she could not rest because of the shortage of doctors and medical workers to cater to the needs of patients.

Figure 6

Dr. Israel Bactol from the Philippines

The Philippine Heart Center announced the death of the first doctor, Dr. Israel Bactol [ Fig. 7 ], who was a senior Adult Cardiology fellow-in-training. The medical professionals in the country are devastated and so are the citizens. While grieving the death, they have strengthened their resolve to make it the first and last death.

Figure 7

Coronavirus Crisis Causing Chaos in the U.S.A.

As of April 11, 2020, a total of 20,043 people died due to the COVID-19 pandemic outbreak in America, while approximately 521,084 cases have been registered in the national healthcare system.

Doctors face the contagious disease daily, as they work around the clock to keep the situation under control. However, with the rising cases, it was inevitable for someone within the medical field to contract the viral infection.

The American College of Emergency recently reported two emergency room doctors have come down with the virus in the past week. Out of which, a senior emergency physician doctor Frank Gabin passed away a few days back. The good doctors contracted the disease after wearing the same surgical mask for a week. The inadequate supply of personal protection equipment (PPE) for healthcare workers is the primary reason for this tragedy. The other physician is a 40-year-old Washington-based practitioner. Both doctors are under observation, as their colleagues try to prevent their condition from escalating.

Coronavirus Update from India

The coronavirus crisis in India is also steadily engulfing the nation. So far, there have been 8,339 cases of the coronavirus reported in India and 249 deaths. The current statistics include 774 recovered cases (as of 11th April 2020). Moreover, over 50 healthcare professionals have been tested positive for corona virus in India. The first three doctors that were tested had no prior travel history or symptoms. It is believed that all the doctors contracted the disease through their patients. An Andheri-based doctor is currently under quarantine with his family as all members have tested positive for the disease.

Furthermore, the first medical practitioner to die was Dr. Shatrughan Panjwani, a private practitioner from Indore. The 60-year-old physician passed away on 9th April, 2020 leaving behind many mourners.

Final Words

While the deadly virus has brought attention to the inadequacies in the health-care systems across the globe, doctors and health-care workers have been risking their lives to save all of us. They are also risking the lives of their family members, which indeed is a huge sacrifice. On top of that, the shortage of face masks, shields, and protective gear is not helping. And this makes the efforts of the medical workers even more extraordinary. On occasion of the Doctors' Day (March 30, 2020 USA and Australia), the stories of the medical heroes putting themselves on the forefront to fight the virus are inspiring and heartbreaking at the same time. They deserve all the appreciation and support. The sacrifice of doctors and healthcare workers across the globe will not go to waste. Humanity will always be grateful to them for what they are doing during these unprecedented times. The respect for healthcare professionals has grown manifolds in the hearts of people. It is good to see that the Government of India along with the governments worldwide have decided to allocate more budget for healthcare in their respective countries . The world is taking the health, healthcare professionals and hospitals more seriously, as it appears. More work is expected to be done for hospitals and intensive care units (ICUs) to strengthen the healthcare infrastructure in India as well as in countries across the world.

  • 1. Khanna RC, Honavar SG. All eyes on coronavirus-what do we need to know as ophthalmologists. Indian J Ophthalmol. 2020;68:549–53. doi: 10.4103/ijo.IJO_516_20. [ DOI ] [ PMC free article ] [ PubMed ] [ Google Scholar ]
  • 2. Parrish RK, 2nd, Stewart MW, Duncan Powers SL. Ophthalmologists are more than eye doctors-in memoriam Li Wenliang. Am J Ophthalmol. 2020 pii: S0002-9394(20)30067-2 doi: 101016/jajo 202002014. [ Google Scholar ]
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उभरते श्वसन वायरस COVID-19 के सहित: पता लगाने, रोकथाम, प्रतिक्रिया और नियंत्रण के लिए तरीके

उभरते श्वसन वायरस COVID-19 के सहित: पता लगाने, रोकथाम, प्रतिक्रिया और नियंत्रण के लिए तरीके

कोरोनवायरस ऐसे वायरस परिवार से है जो सामान्य जुकाम से लेकर गंभीर स्वरूप की बीमारि जैसे की मिडल ईस्ट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (Middle East Respiratory Syndrome- MERS) और सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (Severe Acute Respiratory Syndrome- SARS) का कारण बनता है।

नोवल कोरोनावायरस (COVID-19) की पहचान चीन के वुहान में 2019 में हुई थी। यह एक नया कोरोनोवायरस है जिसे मनुष्यों में पहले कभी नहीं देखा गया था।

यह कोर्स COVID-19 और उभरते हुए श्वसन सम्बन्धी वायरस के बारेमें एक सामान्य परिचय प्रदान करता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों, घटना प्रबंधकों / अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र (UN), अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और गैर सरकारी संगठनों (NGO) के लिए काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अभिप्रेत है।

चूंकि भौतिक निर्माण के बाद आधिकारिक रोग का नाम स्थापित किया गया था, nCoV का कोई भी उल्लेख COVID-19 को संदर्भित करता है, जो हाल ही में खोजे गए कोरोनावायरस के कारण होने वाला संक्रामक रोग है।

कृपया ध्यान दें कि इस पाठ्यक्रम की सामग्री को वर्तमान में नवीनतम मार्गदर्शन को दर्शाने के लिए संशोधित किया जा रहा है। आप निम्न पाठ्यक्रमों में कुछ COVID-19-संबंधित विषयों पर अद्यतन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं: टीकाकरण: COVID-19 वैक्सीन चैनल आईपीसी उपाय: * COVID-19 के लिए आईपीसी एंटीजन रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्टिंग: 1) SARS-CoV-2 एंटीजन रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्टिंग ; 2) SARS-CoV-2 एंटीजन RDT कार्यान्वयन के लिए मुख्य विचार

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