essay on earthquake in 1000 words hindi

भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi

Essay on Earthquake

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।

अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।

तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।

भूकंप क्या है – What is the Earthquake

भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।

वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।

वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।

भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake

प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-

भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake

क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं

धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।

धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।

भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake

  • परमाणु परीक्षण।
  • नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
  • गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
  • विशाल बांध का निर्माण।

रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:

रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।

इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।

भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake

  • भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
  • भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
  • भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:

  • भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
  • ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
  • भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
  • घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
  • कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।

भूकंप से बचने के उपाय:

भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।

अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:

  • वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
  • दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
  • गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
  • हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।

  • Water is Life Essay
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11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?

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भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में भूकंप पर निबंध के बारे में पड़ेंगे जो कि आपको क्लास 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे उच्चाधिकारी वाले एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। भूकंप पर निबंध (Earthquake essay in Hindi) के अंतर्गत हम भूकंप से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।  

प्रस्तावना (Introduction)

‘भूकंप’ बस नाम ही काफ़ी है। ‘भू का कंपन’ यह विचार मात्र मानव के मन और मस्तिष्क में कंपन ही उत्पन्न नहीं करता वरन् झकझोर कर रख देता है। जब-जब प्रकृति ने अपने इस रूप के दर्शन कराए हैं, मानव की लाचारी और बेबसी ने घुटने टेक दिए हैं। मनुष्य की सारी प्रगति प्रकृति के इस रूप के समक्ष बौनी दिखाई देती है। प्रकृति के महाविनाश का यह भयानक रूप है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करना चाहता। 

लेकिन मनुष्य के कल्पना करने या न करने से प्रकृति के कार्यक्रमों में कोई अन्तर नहीं आता। प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, वह आदिकाल से मनुष्य की सहचरी रही है किन्तु उसके अपने क्रियाकलाप भी हैं जिन्हें हम प्राकृतिक परिवर्तन के रूप में समझ सकते हैं। यदि मानव मस्तिष्क इसकी पूर्व जानकारी पा सकता है तो इतना भी मानव जाति के हित में होगा।

भूकंप क्या है? (Earthquake in Hindi)

जब पृथ्वी के भीतर का तरल पदार्थ अत्यधिक गर्म हो जाता है तो इसकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव से धरती की कई सतहों में परिवर्तन होता है, वे इधर-उधर खिसकती हैं, हिलती-डुलती हैं और धरती के गर्भ में उथल-पुथल मचाती हैं। इससे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को भी धक्का लगता है और हम इसे भूकंप कहते हैं।

भूकंप से बचाव

हमारे देश की प्रकृति ऐसी नहीं है जहाँ प्रायः भूकंप आते हों, जैसे जापान आदि देशों की है। ऐसे स्थानों पर लोग भूकंप बचाव की क्षमता वाली इमारतों का निर्माण करते हैं तथा लकड़ी आदि का प्रयोग करके छोटे-छोटे निवास स्थान बनाते हैं। वहाँ भूकंप से जान-माल की हानि से बचाव के उपाय किए जाते हैं।

इन्हें भी पढ़ें : सतर्क भारत समृद्ध भारत पर लेख हिंदी में

भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)

भूकंप का हल्का-सा झटका बहुत हानिकारक नहीं होता क्योंकि धरती के भीतर रासायनिक प्रक्रिया के कारण हर समय भूगर्भ में हल्के-हल्के झटके लगते रहते हैं जो धरती पर भौतिक रूप में अपने चिह्न प्रकट भी करते हैं। किन्तु जोर के शक्तिशाली झटके महाविनाशी होते हैं। जब पृथ्वी के नीचे स्थित प्लेटो में घर्षण होता है तो वहां दबाव पैदा होता है। जिससे तरल पदार्थ निकलता है जो बहुत ही गर्म होता है। जिसका वाष्प बाहर निकलने का प्रयास करता है।

यही भूकंप का वास्तविक और वैज्ञानिक कारण है। हमारे पुराणों में मान्यता रही है कि धरती शेषनाग के फन पर टिकी है। जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ जाता है, तब भगवान शेषनाग ही भूकंप के द्वारा अपना क्रोध प्रकट करते हैं।

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भूकंप का प्रभाव (Effect of Earthquake)

इस मान्यता का भी यदि यह अर्थ लिया जाए कि पृथ्वी पर प्रकृति के प्रकोपों को कम या शून्य करने के लिए शान्ति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। इसे हम स्वस्थ चिन्तन के साथ लें तो ही अच्छा होगा। भूकंप कुछ सेकंड या मिनट ही रहता है परन्तु इतने कम समय में ही भारी विनाश हो जाता है। 

भूकंप के भारी झटके से धरती पर दरारें पड़ जाती हैं और उनमें से गर्म लावा और विषैली वायु बाहर निकलती है। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो जाती हैं। कई बार बड़े-बड़े भवन धरती के गर्भ में फँस जाते हैं। हज़ारों लोग मलबे के नीचे दबकर मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं। लाखों लोग बेसहारा तथा बेघर हो जाते हैं। कभी-कभी हरे-भरे गाँव तथा सुन्दर नगर खण्डहरों में बदल जाते हैं।

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भूकंप के कारण भू-स्खलन भी होता है, जो नदी वाहिकाओं को अवरुद्ध कर जलाशयों में बदल देता है। कई बार नदियाँ अपना रास्ता बदल लेती हैं जिससे प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ और दूसरी आपदाएँ आ जाती हैं।

वर्ष 2001 में छब्बीस जनवरी प्रात:काल ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप गुजरात के भुज शहर में आया, जिसने कुछ ही मिनटों में पूरे शहर को एक मलबे के ढेर में बदल दिया। पूरा कच्छ प्रदेश भी काँप गया। सभी सहम गए, कोई कुछ न कर सका। 

वर्ष 1990 में उत्तरकाशी में भी ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप आया था। इस स्थिति में नदियों के प्रवाह, समुद्र और पर्वतों के स्थान भी बदल जाते हैं। कभी-कभी ज़मीन के नीचे दबे हुए प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता के अवशेष भूकंप के कारण बाहर निकल आते हैं। ऊपर की धरती नीचे तथा नीचे की धरती ऊपर आ जाती है।

भूकंप से बचाव के लिये उठाये गए कदम

कच्छ (गुजरात), लाटूर (महाराष्ट्र) में भयंकर भूकंप आए हैं। भूकम्प द्वारा हुई क्षति (हानि) को दृष्टि में रखते हुए अब हमारी सरकार ने इस दिशा में विशेष क़दम उठाए हैं तथा इस तरह के भवन निर्माण करने की योजना है जिससे भूकम्प आने पर कम से कम क्षति हो।

भूकंप के पश्चात् सरकारी और गैर-सरकारी लोगों तथा संस्थाओं द्वारा राहत कार्य शुरू होते हैं। भूकंप पीड़ितों को अन्न, वस्त्र, दवाइयों आदि की सहायता पहुँचाई जाती है। मलबा हटाया जाता है, खुदाई की जाती है। मलबे के नीचे दबे हुए लोगों में से कई जीवित भी पाए जाते हैं। इस समय इस राहत कार्य के साथ-साथ लोगों को सदमे की हालत से बाहर लाने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। 

मनुष्य की मानवता और सेवा भावना भी ऐसे ही समय प्रकट होती है। सरकार के लिए पूरे क्षेत्र की भंग हुई संचार, यातायात, पानी और बिजली की व्यवस्था आदि का कार्य विस्तृत रूप ले लेता है। ऐसे समय में सभी से यथासंभव सहायता और सहयोग की आशा की जाती है। यह संसार एक दूसरे के सहयोग से ही चलता है। 

भूकंप से होने वाले हानि को कम करने के उपाय 

दूसरी आपदाओं की तुलना में भूकंप अधिक विध्वंसकारी हैं। चूँकि यह परिवहन और संचार व्यवस्था भी नष्ट कर देते हैं इसलिए लोगों तक राहत पहुँचाना कठिन होता है। भूकंप को रोका नहीं जा सकता। अतः इसके लिए विकल्प यह है कि इस आपदा से निपटने की तैयारी रखी जाए और इससे होने वाले नुकसान को कम किया जाए। इसके निम्नलिखित तरीके हैं : 

(i) भूकंप नियंत्रण केंद्रों की स्थापना, जिससे भूकंप संभावित क्षेत्रों में लोगों को सूचना पहुँचाई जा सके। GPS (Geographical Positioning System) की मदद से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है। 

(ii) देश में भूकंप संभावित क्षेत्रों का सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना और संभावित जोखिम की सूचना लोगों तक पहुँचाना तथा उन्हें इसके प्रभाव को कम करने के बारे में शिक्षित करना।। 

(iii) भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिज़ाइन में सुधार लाना। ऐसे क्षेत्रों में ऊँची इमारतें, बड़े औद्योगिक संस्थान और शहरीकरण को बढ़ावा न देना। 

(iv) अंततः भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप प्रतिरोधी (resistant) इमारतें बनाना और सुभेद्य क्षेत्रों में हल्के निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करना।

भूकंप और मनोबल में संबंध

भूकंप की स्थिति में सबसे अधिक काम आता है व्यक्ति का स्वयं का मनोबल। हमें सुख की भाँति दु:ख लिए भी समान रूप से तैयार रहना चाहिए। सुख और आनन्द की भाँति आपदाएँ, विपदाएँ भी आएँगी परन्तु जो बहादुर हैं, उनका धैर्यपूर्वक मुक़ाबला करते हैं, जीवन का आनन्द बार-बार उनका स्वागत करता है। जो कमज़ोर हैं, धैर्य नहीं रखते हैं, भूकंप के एक-दो झटकों में ही उनकी हृदयगति रुक जाती है। 

जिससे आगे का दृश्य झेलने और देखने का न उनमें साहस होता है, न ही उन्हें अवसर मिलता है। कठिन समय में ही व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है। ऐसे समय का जो बहादुरी से सामना कर गए वे जी गए। जीवन जीने के लिए है और यह सिर्फ बहादुरों के लिए है।

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

उत्तर: L तिरंगे

उत्तर: सुनामी

उत्तर: भूकंप की तीव्रता

उत्तर: भूकंपीय तरंगों को

उत्तर: भूकंप

उत्तर: टेकटोनिज्म

उत्तर: सीस्मोलॉजी

उत्तर: जॉन मिल

उत्तर: 0 से 10

उत्तर: मरकैली मापनी (Mercalli Scale)

उत्तर: P (प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंग)

उपसंहार (Conclusion)

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi)  पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।

इन्हें भी पढ़ें :

  • मुद्रा क्या है? इसके कार्य,प्रकार और विशेषताएँ क्या है?
  • विश्व बैंक क्या है? इसके उद्देश्य और कार्य क्या-क्या है?
  • साख क्या है? इसके प्रकार तथा लाभ-हानि क्या है?

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भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi]

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake)

पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।

#1. [100-150 Words] भूकंप -भूचाल (Bhukamp)

धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। जब पृथ्वी के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है, तो भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी भूकंप हल्की तो कभी भारी तीव्रता का होता है। कम तीव्रता वाला भूकंप आने पर क्षेत्र-विशेष में धरती केवल हिलती महसूस होती है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी-कभी भारी क्षति पहुँचाता है। कच्चे और कमज़ोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है। सैंकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं। हज़ारों घायल हो जाते हैं। लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं। परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं। भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति ज़रूर कम की जा सकती है। इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए।

#2. [400-500 Words] भूकंप पर निबंध-essay on earthquake in Hindi

भूमिका : भूकंप पृथ्वी का अपनी धुरी से हिलकर कम्पन करने की स्थिति को भूकम्प या भूचाल कहा जाता है। कभी-कभी तो यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के ऊपर स्थित जड़-चेतन हर प्राणी और पदार्थ का या तो विनाश हो जाता है या फिर वह सर्वनाश की-सी स्थिति में पहुंच जाता है। जापान के विषय में तो प्रायः सुना जाता है कि वहां तो अक्सर भूकम्प आकर विनाशलीला प्रस्तुत करते ही रहते हैं। इस कारण लोग वहां लकड़ियों के बने घरों में रहते हैं। इसी प्रकार का एक भयानक भूकम्प बहुत वर्षों पहले अविभाजित भारत के कोटा नामक स्थान पर आया था। उसने शहर के साथ-साथ हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहने दिया था।

अभी कुछ वर्षों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र के कुछ भागों को भूकम्प के दिल दहला देने वाले हादसों का शिकार होना पड़ा था। प्रकृति की यह कैसी लीला है कि वह मानव-शिशुओं के घर-घरौंदों को तथा स्वयं उनको भी कच्ची मिट्टी के खिलौनों की तरह तोड़-मरोड़कर रख देती है। पहले यह भूकम्प गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आया था, जहां इसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। थोड़े दिन पश्चात् महाराष्ट्र के एक भाग में फिर एक भूकम्प आया जिसने वहां सब कुछ मटियामेट कर दिया था। महाराष्ट्र में धरती के जिस भाग पर भूकम्प के राक्षस ने अपने पैर फैला दिए थे वहाँ तो आस-पास के मकानों के खण्डहर बन गए थे। उन मकानों में फंसे लोग कुछ तो काल के असमय ग्रास बन गए थे, कुछ लंगड़े-लूले बन चुके थे। एक दिन बाद समाचार में पढ़ा कि वहां सरकार और गैर-सरकारी स्वयं-सेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक दोनों राहत कार्यों में जुटे हुए थे। ये संस्थाएं अपने साधनों के अनुरूप सहृदयता का व्यवहार करती हुई पीड़ितों को वास्तविक राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही थीं।

भूकम्प कितना भयानक था यह दूरदर्शन में वहां के दृश्य देखकर अन्दाजा हो गया था। जिन भागों पर भूकम्प का प्रकोप था वहां सब कुछ समाप्त हो चुका था। हल जोतने वाले किसानों के पशु तक नहीं बचे थे। दुधारू पशुओं का अन्त हो चुका था। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार हंसता-खेलता संसार वीरान होकर रह जाता है। सब ओर गहरा शून्य तथा मौत का-सा सन्नाटा छा जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जापान के लोग कैसे रहते होंगे जहां इस प्रकार के भयावह भूकम्प आए दिन आते रहते हैं।

26 जनवरी, 2001 को गुजरात सहित पूरे भारत ने भूकंप का कहर देखा। भुज सहित संपूर्ण गुजरात में भारी जान-माल का नुकसान हुआ। 8 अक्टूबर, 2005 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे भारतीय कश्मीर में दिल दहला देने वाला जो भूकंप आया उसमें जहाँ एक लाख से अधिक लोंग काल के गाल में समा गए, वहीं लाखों लोग घायल हुए। अरबों रुपए की संपत्ति की हानि हुई।

भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई उपकरण-यंत्र विकसित नहीं हुआ है, जिससे यह बात पता चल सके कि अमुक-अमुक क्षेत्रों में भूकंप आने वाला है। भूकंप के आते समय ‘रिक्टर स्केल’ पर सिर्फ उसकी क्षमता का ही माप लिया जा सकता है। जापान, पेरू व अमेरिका के कुछ राज्यों में जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं, वहां के वैज्ञानिकों ने भूकंपरोधी मकानों (Earthquake Resistance) का निर्माण किया है। भारत के भूकम्प प्रमाणित क्षेत्रों में भी ‘भूकंपरोधी’ मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को कारगर नीति बनानी चाहिए।

#3. [600-700 Words] Bhukamp par nibandh भूकंप निबंध हिंदी में

भूमिका : प्रकृती उस ईशवर की रचना होने के कारण अजय है। मनुष्य आदि काल से प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता रहा है। उसने अपनी बुद्धि साहस एवं शक्ति के बल पर प्रकृति के अनेक रहस्य का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त की है लेकिन इस प्रकृति की शक्तियों पर पूर्ण अधिकार करने की सामर्थ्य मनुष्य में नहीं है। प्रकृति अनेक रूपो में हमारे सामने आती है। ये कभी अपना कोमल और सुखदायी रूप दिखाती है। तो कभी ऐसा कठोर रूप धारण करती है कि मनुष्य इसके सामने विवश और असहाय हो जाता है। आंधी तूफान, अकाल, अनावृष्टि अतिवृष्टि तथा भूकम्प ऐसे ही प्रकोप है।

भूकम्प क्या है: भूमि के हिलने को भूचाल, भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा जहां कभी ना कभी भूकंप के झटके ना आए हो, भूकंप के हल्के झटके से तो विशेष हानि नहीं होती है। लेकिन जब कभी जोर के झटके आते हैं तो वे प्रलय कारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। कामायनी के महाकाव्य के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद में प्रकृति का प्रकोप का वर्णन करते हुए लिखा है।

हा – हा – कार हुआ क्रंदनमय कठिन कुलिश होते थे चूर हुए दिगंत वाघेर, भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।

भूकंप का कारण: भूकंप क्यों आते हैं यह एक ऐसा रहस्य है जिसका उद्घाटन आज तक नहीं हो सका वैज्ञानिकों ने प्रकृति को मनुष्य के अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है । वह गर्मी तथा सर्दी में स्वयं को बचाने के लिए वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है। लेकिन भूकंप तथा बाढ़ आदि ऐसे देवी प्रकोप है जिनका समाधान मनुष्य जाति सैकड़ों वर्षों के कठोर प्रयोत्नो के बावजूद भी नहीं कर पाई है।

भूकंप के कारण के विभिन्न मत: भूकम्प को विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत है, भुगर्भ शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है, जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में तो यह कथा भी प्रचलित है कि शेषनाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर है जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है। तो उसे दूसरे सिर पर बदलना है उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है। और भूकंप आ जाता है, अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती है तब उसे संतुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती हैं।

भूकंप से हानि: भूकंप का कारण कोई भी क्यों ना हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है जो अधिक विनाश का कारण बनता है यह जान लेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दीयो की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। बिहार में बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए भूमि में दरारें पड़ गई जिनमें जीवित प्राणी समा गए पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैस उत्पन्न हूंई जिनमें प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं बड़े-बड़े भवन धराशाई हो जाते हैं लोग बेघर हो जाते हैं धनवान निर्धन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।

भूकंप का उल्लेख: सन 1935 में क्वेटा ने भूकंप का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया हजारों स्त्री पुरुष जो रात की सुखद नींद का आनंद ले रहे थे क्षण भर में मौत का ग्रास बन गए। मकान, सड़के ओर व्रक्ष आदि सब नष्ट हो गए सब कुछ बहुत दयनीय हो गया। बहुत से लोग अपंग हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी की टॉन्ग, कोई अँधा हो गया तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियां विधवा हो गई। बच्चे अनाथ हो गए। भारत देश के गुजरात राज्य में सन 2001 का भूकंप ऐसा रहा कि जिससे हुई बर्बादी अभी तक किसी भी भूकम्प से हुई बर्बादी से अधिक है। आज भी जब उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते है।तो ह्रदय कांप उठता है।

भूकंप क्यों आते हैं ? इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। भूगर्भशास्त्रियों की राय है कि पृथ्वी के भीतर की तहों में सभी धातुएँ और पदार्थ आदि तरल रूप में बह रहे हैं। जब वे भीतर की गरमी के कारण अधिक तेजी से बहते और फैलते हैं तो धरती काँप उठती है। कभी-कभी ज्वालामुखी पर्वतों के फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। एक अन्य मत यह भी प्रचलित है कि पृथ्वी के भीतर मिट्टी की तहों के बैठने (धसकने) से भी धरती हिल उठती है।

जापान आदि कुछ ऐसे देश है जहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है यहां पर मकान पत्थर चुने तथा ईट के ना होकर लकड़ी तथा गत्ते के बनाए जाते हैं। ये साधन भूकम्प के प्रभाव को कम कर सकते हैं पर उसे रोक नहीं सकते है। भूकंप जब भी आता है जान और माल की हानि अवश्य होती है। टर्की में भी एक भीषण भूकंप आया था जिसके परिणाम स्वरूप हजारों मनुष्य दबकर मर गए थे भूकंप के हल्के झटके भी कम भयंकर नही होते उससे भवनों को क्षति पहुंचती है।

उपसंहार : आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। पर विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। भूकम्प के मनुष्य कारण क्षण भर में ही प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश है। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए उसे हमेशा प्रकृति तथा ईश्वर की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए। ईश्वर की कृपा ही मानव जाति को ऐसे प्रकोप से बचा सकती है।

#4. [800-1000 Words Long essay] प्राकृतिक आपदा भूकंप पर निबंध

प्रस्तावना : मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि और तरक्की के कारण पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं को इसने जन्म दिया है। भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। यह एक भीषण संकट है। भूकंप जैसे ही आता है , यह जीव जंतु , मनुष्य सभी की जान ले लेता है। पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। बड़ी बड़ी इमारतें कुछ ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। भूमि पर दरार पड़ जाती है। अचानक धरती पर तीव्र गति से कम्पन होती है कि एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। कई परिवार भूकंप की इस भयावह आपदा के शिकार हो जाते है। हर तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। भूकंप दो अक्षरों -भू + कम्प से बना है। भू मतलब धरती और कम्प का अर्थ है कम्पन। इस प्रकार भूमि यानी धरती पर अचानक आये कम्पन को भूकंप कहते है।

लोग बेघर हो जाते है और इस विनाशकारी आपदा की वजह से घायल हो जाते है। भूकंप के समक्ष मनुष्य की हालत दयनीय और असहाय हो जाती है। अपने चारो तरफ वह विनाश देखने को बेबस हो जाता है। भूकंप , बड़े उन्नत शहरों को खंडहरों में बदल कर रख देता है। मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति कर ली मगर भूकंप पर विजय पाने में असफल रहा है। ज़्यादातर भूंकम्प ज्वालामुखी विस्फोटो से आते है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है , धरती में कम्पन पैदा हो जाता है। भूंकम्प आने पर चट्टानें टूट जाती है। जहाँ पर यह भूकंप आता है , वहां पर बसे गाँव और शहर नष्ट हो जाते है। जान माल की प्रचुर हानि होती है। कई बार दरारे इतनी गहरी पड़ती है कि लोग जिन्दा दफ़न हो जाते है। संचार और यातायात के सभी साधन भूकंप की वजह से नष्ट हो जाते है।

भूकंप पीड़ित जगहों पर कई वर्षो तक खुशहाली लौटती नहीं है। जीवन सामान्य होने में वक़्त लगता है। धरती को कृषि योग्य बनाने के लिए सैंकड़ो सालों से की गयी परिश्रम एक पल में नष्ट हो जाती है। भूकंप की वजह से सागर में भयानक लहरें उठती है जो वहां के क्षेत्रों में बसे लोगो पर कहर बरसाती है। भूकंप के समय समुद्र में तैर रही जहाजों का बचना नामुमकिन हो जाता है।

भारत में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में तीस हज़ार से ज़्यादा लोगो की जान चली गयी थी।

चार परतो से मिलकर धरती का निर्माण होता है। क्रस्टल , मेन्टल , इनर कोर , आउटर कोर इन चार परतो के नाम है। जब घरती के अंदर यह टेकटोनिक प्लेट हिलती है भूंकम्प आता है। धरती पर कभी कभार इतना अधिक दबाव पड़ता है कि पहाड़ खिसकने लगते है। टेकटोनिक प्लेट की तरह पहाड़ो , महासागरों की भी विभिन्न प्लेट होती है। भूकंप तब भी आ सकता , जब ऐसी प्लेट्स एक दूसरे के संग टकराती है।

भूकंप आने के कुछ कारण , मनुष्य का परमाणु परीक्षण , अनियमित प्रदूषण खदानों में विस्फोट , गहरे कुएं से तेल प्राप्त करना , जगह -जगह पर बाँध का निर्माण करवाना है । भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल में मापी जाती है। भूकंप को जिस उपकरण से मापा जाता है , उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है। अगर दो से तीन तक की रिक्टर स्केल की भूकंप आती है ,तो यह भूकंप इतनी तीव्र नहीं होती है। अगर भूकंप की तीव्रता सात रिक्टर या उससे ज़्यादा होती है , तो भीषण विनाश ले आती है। ऐसे भूकंप में जान माल का बहुत नुकसान होता है।

जिस जगह में जनसंख्या का घनत्व अधिक होती है , वहां भूकंप से भयानक हानि होती है। शहरों में बड़ी इमारते होती है ,वो ढह जाती है जिसमे कई लोग दब कर मर जाते है। जब भूकंप आता है , तो नदियों और समुन्दरो में लहरें बढ़ जाती है। इससे बाढ़ का भय बढ़ जाता है।

अगर अतिरिक्त कम्पन होता है , धरती का बुरी तरीके से फटना शुरू हो जाता है। भूकंप आने पर चारो तरफ तनाव और भय का माहोल उतपन्न हो जाता है। मनुष्य को ऐसे घरो का निर्माण करना चाहिए ,जो भूकंप की चपेट को झेल सके। भूकंप रोधी घर होने चाहिए। जैसी ही लोगो को भूकंप के झटके महसूस होते है , उन्हें अपने मकान से निकलकर , खुले स्थान पर जाना चाहिए। अगर देर हो रही है , तो किसी सख्त फर्नीचर के नीचे छिप जाए । एक बात का ध्यान रखे , भूकंप के समय लिफ्ट का उपयोग बिलकुल ना करे। बिजली की मैन स्विच बंद कर दे। भूकंप की वजह से बड़े बड़े घरो और पाइपलाइनो में भयंकर आग लग सकती है। इससे और अधिक लोगो की जान जा सकती है। कई तरह के बिजली उपकरणों के कारण और अधिक भयंकर हादसा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। समुद्र में जब भूकंप आता है ,तो वहां ऊँची लहरों का निर्माण होता है। यह सब विनाश भूकंप की ही देन है।

भूकंप आने से पूर्व मनुष्य को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। लोगो को भूकंप के बारे में पहले से कुछ जानकारी नहीं मिलती है। कभी भूकंप की गति कम होती है , लोग इसे भूल जाते है। जब भूकंप अपने चरम सीमा पर होता है , तो गंभीर घाव दे जाता है। भूकंप अचानक दस्तक देती है और सब कुछ तहस नहस कर देती है।

यह सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है। इससे लोगो की जिंदगी और संपत्ति सब लूट जाती है। भूकंप की उत्पत्ति जहां होती है , उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है। भूकंप जैसे महाविनाश को रोकना असंभव है। मनुष्य को इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए , इस पर विचार करना चाहिए। मनुष्य भूकंप के कष्टों को कम ज़रूर कर सकता है। सामाजिक संस्थाएं ग्रसित जगहों में जाकर पीड़ित लोगो की मदद करती है। सरकार पीड़ित लोगो के पुनः स्थापना के लिए सरकारी अनुदान देती है। राहत कोष जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। मनुष्यो के औद्योगीकरण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीव्र गति की उन्नति ने इन भयानक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दिया है। मनुष्य को इस पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है।

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1 thought on “भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)”

Well l think u could have posted 200-300 words limitation too. Coz there situation in which we don’t need much words and of course least words.So for that situation 200-300 words is perfect. I just wanted to make u know about it……..

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Essay on earthquake in hindi भूकंप पर निबंध.

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Essay on Earthquake in Hindi

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प्रकृति का स्वभाव बड़ा विचित्र है – कभी कल्याणकारी तो कभी विनाशकारी। प्रकृति कब, कैसे और क्या रूप धारण कर लेगी, इसे समझ पाना अभी तक मनुष्य के बस की बात नहीं है। ज्ञान-विज्ञान की उन्नति के कारण यह कहा जाता है कि आज मनुष्य ने प्रकृति के सभी रहस्यों को जान लिया है और सुलझा लिया है, किन्तु यह बात सच नहीं जान पड़ती। मौसम-विज्ञानी घोषणा करते हैं कि अगले चौबीस घंटों में तेज वर्षा होगी या कड़ाके की ठंड पड़ेगी, किन्तु होता कुछ और ही है। वर्षा और ठंड के स्थान पर चिलचिलाती धूप खिल उठती है। विज्ञान और वैज्ञानिकों की जानकारियों और सफलताओं का सारा दंभ धरा का धरा रह जाता है। सच तो यह है कि प्रकृति अनंत है और उसका स्वभाव अबूझ। बाढ़, सूखा, अकाल, भूकंप प्रकृति के विनाशकारी रूप के ही पर्याय हैं जो असमय मानव जीवन में हाहाकार मचा देते है।

प्राकृतिक आपदाओं में भूकम्प ही सबसे अधिक विनाशकारी होता है। सचमुच भूकंप विनाश का दूसरा नाम है। इसके कारण जहां लाखों मकान धराशायी हो जाते हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग असमय ही मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। कितने अपाहिज और लूले-लँगड़े होकर जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। कभी-कभी तो पूरा शहर ही धरती के गर्भ में समा जाता है और नदियाँ अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती हैं। भूतल पर नए भू-आकार जन्म ले लेते हैं, जैसे कि द्वीप, झील, पठार आदि। कभी-कभी जलाच्छादित भूमि समुद्र से बाहर निकल आती है। भूतल पर आए परिवर्तन मनुष्य के जीवन को भी प्रभावित करते हैं।

भूकंप शब्द का अर्थ होता है – पृथ्वी का हिलना। पृथ्वी के गर्भ में किसी प्रकार की हलचल के कारण जब धरती का कोई भाग हिलने लगता है, कंपित होने लगता है तो उसे भूकंप की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर कंपन हल्के होते हैं और उनका पता नहीं चलता, न ही उनका हमारे जीवन पर कोई बुरा प्रभाव पड़ता है। मुख्य रूप से हम पृथ्वी के उन झटकों को ही भूकंप कहते हैं, जिनका हम अनुभव करते हैं। भूकंप के मुख्य कारणों में पृथ्वी के भीतर की चट्टानों का हिलना, ज्वालामुखी का फटना आदि हैं। इनके अतिरिक्त भू-स्खलन, बम फटने तथा भारी वाहनों या रेलगाड़ियों की तीव्र गति से भी कंपन पैदा होते हैं।

देश के इतिहास में सबसे भयानक भूकंप 11 अक्तूबर 1737 में बंगाल में आया था जिसमें लगभग तीन लाख लोग काल के गाल में समा गए थे। महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिलों में आए विनाशकारी भूकंप ने करीब 40 गाँवों में भयानक तबाही मचाई। इसी कड़ी में 26 जनवरी, 2001 का दिन भारतीय गणतंत्र में काला दिन बन गया। उस दिन सुबह जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस मना रहा था, प्रकृति के प्रलयंकारी तांडव ने भूकम्प का रूप लेकर गुजरात को धर दबोचा। देखते ही देखते भुज, अंजार और भचाऊ क्षेत्र कब्रिस्तान में बदल गए। गुजरात का वैभव कुछ ही क्षणों में खंडहरों में परिवर्तित हो गया। बहुमंजिली इमारतें देखते ही देखते मलबे के ढेर में बदल गईं। चारों ओर चीख-पुकार, बदहवासी और लाचारी का आलम था। अचानक हुई इस विनाशलीला ने लोगों के कंठ से वाणी और आँख से आंसू ही छीन लिए।

रैक्टर पैमाने पर गुजरात के इस भूकंप की तीव्रता 6.9 थी। इसका केन्द्र भुज से 20 कि-मी उत्तर-पूर्व में था। इस त्रासदी में हजारों की संख्या में लोग काल कवलित हो गए और कई हजार घायल हो गए, और लगभग एक लाख लोग बेघर हो गए। सारा देश इस त्रासदी में गुजरात के साथ था। सर्वप्रथम क्षेत्रीय लोग और स्वयं सेवी संस्थाओं ने राहत और बचाव कार्य आरम्भ किया। मीडिया की अहम भूमिका ने त्रासदी की गंभीरता का सही-सही प्रसारण कर भारत सरकार को झकझोरा और भारत सहित समूचे विश्व को सहायता के लिए उद्वेलित कर दिया। सारा जनमानस सहायता के लिए उमड़ पड़ा। भारत के कोने-कोने तथा विश्व के अनेक देशों से सहायता सामग्री का अंबार लग गया। सहायता के लिए धन-राशि के साथ-साथ अन्य आवश्यक सामग्री भी पहुंचने लगी। देश की तीनों सेनाओं के सैनिक तथा कई समाज सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता भी सहायता-कार्य में जुट गए। इस त्रासदी में करोड़ों रुपए की निजी तथा सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान होने का अनुमान आंका गया।

क्या मनुष्य सदैव इस विनाशलीला का मूकदर्शक बना रहेगा, इस त्रासदी को भोगता रहेगा ? यद्यपि विज्ञान ने भूकंप की पूर्व सूचना देने के सम्बन्ध में उल्लेखनीय प्रगति की है, उपग्रह भी इस दिशा में काफ़ी सहायक सिद्ध हो रहे हैं। तथापि इन भूकंपों को कैसे रोका जा सकता है इस दिशा में अभी तक कोई निर्णायक सफलता प्राप्त नहीं हुई है। आज तो स्थिति यह है कि विज्ञान जब तक कोई और नया चमत्कार न दिखला दे, तब तक मनुष्य को भूकंप की त्रासदी को किसी न किसी रूप में भोगना ही पड़ेगा। आशा है कि निकट भविष्य में विज्ञान कोई ऐसा चमत्कार दिखाएगा, जिससे मानव जाति इस त्रासदी से मुक्त हो सकेगी।

महाराष्ट्र का विनाशकारी भूकंप

30 सितम्बर, 1993 को रात करीब तीन बजकर छप्पन मिनट पर महाराष्ट्र की भूमि की कोख में भयंकर हलचल शुरू हुई। भूकंप का एक अति तीव्र झटका आया। धरती कांपने लगी। प्रकृति की विनाश लीला आरंभ हो चुकी थी। आप ने किताबों अखबारों या अन्य माध्यमों से इस भयंकर भूकंप के बारे में अवश्य सुना होगा। आपके माता-पिता को तत्कालीन राष्ट्रपति डा। शंकरदयाल शर्मा की वह भावुकता से सराबोर आह्वान अवश्य याद होगा, जिसे उन्होंने जनता के नाम संप्रेषित किया था। उन्होंने नम आँखों से सारे देश के नागरिकों से इस राष्ट्रीय आपदा को सहन करने में सहयोग देने की नैतिक अपील की थी और उसका व्यापक प्रभाव भी देखने को मिला था। लोगों ने भूकपपीड़ितों की तन-मन-धन से सहयता की थी। डॉक्टरों, सेवादारों और बचाव कर्मियों की टोलियां तुरन्त ही महाराष्ट्र के लिए पूरे देश भर से निकलने लगी थीं। सरकारी तौर पर भी इस आपदा से मुक्ति का प्रयास व्यापक पैमाने पर किया जा रहा था।

रात्रि के समय आने वाला यह भूकंप अति विनाशकारी सिद्ध हुआ। उसने निद्रा में डूबे हुए लोगों को सदा-सदा के लिए चिरनिद्रा में सुला दिया। लोग जिस स्थान पर सो रहे थे, इस विनाशकारी भूकंप ने उन्हें उनके स्थान पर दफन कर दिया। जो कभी उनका शयन कक्ष हुआ करता था, वही क्षणभर में उनकी कब्र बन गया। इस भूकंप का प्रभाव अत्यंत व्यापक था। देश-विदेश तक में इस की खबरें आयी और इसे सदी का भयानक भूकंप बताया गया। रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 बताई गयी। जिस गहन रात्रि में यह भूकंप आया था वह रात्रि एक प्रकार से काल की क्रूरता का एक खेल सी बन गयी थी। इस भूकंप का पहला झटका 3.56 मिनट तक महसूस किया गया और दूसरा 4.42 मिनट तक इस विनाशलीला की गति यहीं पर नहीं रुकी। कुछ समय बाद एक तीसरा झटका भी आया, जो करीब 6.40 मिनट तक महसूस किया गया।

एक पाश्चात्य भू-वैज्ञानिक का स्पष्ट मानना था कि इस तीव्रता एवं क्षमता वाला भूकंप एक वृहद क्षेत्र को अतिशीघ्र ध्वस्त कर देने की प्रबल क्षमता रखता है। हुआ भी वही, महाराष्ट्र का एक बड़ा क्षेत्र इसकी चपेट में आया और बुरी तरह से ध्वस्त हो गया। महाराष्ट्र के लातूर से लेकर कर्नाटक के गुलबर्गा तक इसका प्रभाव देखा गया। किन्तु इस भूकंप ने जिस क्षेत्र को भयावह रूप से बर्बाद किया, वह था महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिले के उभरेगा और किल्लारी तालुका नामक कस्बे। इन क्षेत्रों में इस रात्रि को मृत्यु का नंगा नाच होता रहा। मानो पृथ्वी अपना स्वाभाविक धर्म छोड़कर मनुष्य का शत्रु हो गयी हो और उसे अपना ग्रास बनाने की भावना से आप्लावित हो रही हो। मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी, वृक्ष आदि सभी इस विनाशलीला का शिकार हुए। तड़पते हुए मानव, असहाय होकर मृत्यु को अपनी आंखों के सामने खड़ा देख रहे थे। मानों समस्त प्रकृति ही नहीं अपितु ब्रम्हा भी अपनी मानव-संतान से मोह तोड़ चुके हों। बारिस के कहर ने इस विनाशलीला को और भी भयानक बना दिया। तेज बारिस शुरू हो गयी और इसके कारण बचाव कार्य शिथिल होता रहा। जिस शीघ्रता और अनुपात में भूकंप पीड़ितों को सहायता चाहिए थी वह उन्हें सरकार चाहकर भी नहीं दे सकी। किन्तु यह स्थिति बहुत देर तक बनी नहीं रह सकी। भारतीयों की यही विशेषता है कि समय पड़ने पर वह फिर किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता को आड़े नहीं आने देते, अपितु ऐसी प्रतिकूलताएं उन्हें अपने कार्य के प्रति और भी जुझारू बना देती हैं।

सरकार ने भी अपने मानवीय सरोकारों को इस मौकेपर भूलाया नहीं। जिस भांति भी संभव हुआ, प्रभावित क्षेत्र को आवश्यक सहायता प्रदान की जाती रही। सहायता राशि के रूप में केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपए प्रदान किए। राज्य सरकारों ने भी अपने निवासियों के दुःख दर्द को पूरी तरह समझा और उनके पुनर्वास के लिए हर संभव सरकारी सहायता प्रदान की। किन्तु जैसे कहा भी जाता है कि भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है, करीब 2 लाख लोग इससे प्रभावित हुए, जिसमें मरने वालों की संख्या हजारों में थी।

सरकार को इस प्रकार की आपदाओं से देशवासियों को बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाने चाहिए और नयी तकनीक ग्रहण करनी चाहिए ताकि ऐसे प्रकोप के प्रभाव को सीमित किया जा सके।

सन् 1991 का विनाशकारी भूकम्प

20 अक्टूबर सन् 1991 की वह गहरी रात्रि हम भारतीयों के लिए सचमुच एक प्रलयकारी रात्रि सिद्ध हुई। उस दिन करीब 45 सेकन्ड तक की समय अवधि का एक भकंप आया था जिसकी तीव्रता विशेषज्ञों ने रिएक्टर पैमाने के अनुसार 6।1 बतलायी। इसे करीब 330 किलो टन परमाणु विस्फोट के बराबर कहा जा सकता है। इस भूकंप की जो रिर्पोटिंग बी।बी।सी लंदन ने की थी, उसे देखकर ही हम इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र में हुए धन-बल और जन-बल के भयानक विनाश की सहज ही कल्पना कर सकते हैं। उसके अनुसार “भूकंप में मरने वालों की संख्या तीन हजार से उपर पहुँच चुकी है और लगभग दस हजार लोग घायल हुए हैं।” इस भयंकर भूकंप से 175 करोड़ रूपये की धनराशि का नुकसान हुआ।

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है और यह अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में ज्यादा घातक और विनाशकारी प्राकृतिक आपदा होती है। इसका कारण यह भी है कि इसके कारण मानव-समाज कतिपय अन्य अपदाओं और समस्याओं से घिर जाता है। भौगोलिक-विशिष्टता भी इस भूकंप रूपी प्राकृतिक आपदा की मार को और ज्यादा मारक बना देती है। जैसे 1991 में आया यह भूकंप गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल को बना दिया। यह भू-क्षेत्र भौगोलिक रूप से एक पर्वतीय क्षेत्र है। इस भू-क्षेत्र में अनेक बड़े-बड़े पर्वतों के साथ साथ अनेक गहरी घाटियां भी विद्यमान हैं। साथ ही इनके मध्य में अपने पूरे वेग से प्रवाहित होने वाली अनेक गहरी नदियां भी अवस्थित हैं। यह सब मिलकर इस भू-क्षेत्र को सामान्य रूप से एक अत्यंत विषम स्थल का रूप दे देते हैं। सन् 1991 में जो विनाशकारी भूकंप इस क्षेत्र में आया, उसकी विनाशलीला को और अधिक बढ़ाने में इस भू-क्षेत्र की भौगोलिक-विशिष्टता ने भी अपना पूरा योग दिया।

सन् 1991 का यह विनाशकारी-भूकंप जिस समय आया था वह समय गहन रात्रि का समय था। सारे लोग दिन भर के परिश्रमपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके थकान मिटा रहे थे और अगले दिन के लिए पूर्णत: तैयार होने के लिए आरामदायक मीठी नींद ले रहे थे। कहा भी जाता है कि सोया हुआ आदमी मरे हुए आदमी के सादृश ही होता है। उसे अपने आस-पास के वातावरण का किंचित मात्र भी ज्ञान या बोध नहीं रहता। वह पूर्णत: एक गहरी नींद में डूबा होता है। 20 अकूबर का यह रात्रि भी इसी प्रकार की स्थिति में थी। इस भू-क्षेत्र का प्रत्येक मनुष्य गहरी नींद में डूबा हुआ था। और तभी दुर्भाग्य ने अपना प्रलयंकारी खेल खेलना आरम्भ कर दिया। हजारों की संख्या में लोग इस प्रलयंकारी भूकंप की चपेट में आ गये। वो जहां सो रहे थे वहीं दफन हो गये। उनके कठिन परिश्रम से बनाए गये मकान उन्हीं का मृत्यु का सामान बन गये। वो मकान उन्ही के उपर भरभरा कर आ गिरे और लोग अपने ही घरों के मलवे में दफन होने लगें।

इस भूकंप की तीव्रता अत्यधिक थी। इसके कारण वह समूचा पर्वतीय क्षेत्र व्यापक रूप से आक्रांत हो उठा और पर्वतों में स्खलन उत्पन्न हो गया। भू-स्खलन के कारण यह विनाशलीला और भी बढ़ गयी। पर्वत टूट-टूटकर नीचे बह रही नदियों में आ गिरे जिसके फलस्वरूप नदियों का बहाव भी बाधित हो गया और उसका पानी आस-पास के क्षेत्रों में भर गया। एकदम सी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस प्रकार हम हर तरफ से देखें तो यही कहा जा सकता है कि गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल में आया यह भूकंप अनेक रूपों में दिखलायी पड़ा। यह अपने साथ अन्य अनेक दुश्कर आपदाएं लिए हुए आया था।

इस भूकंप का जो प्रभाव इस क्षेत्र के लोगों के जीवन पर पड़ा था वह अत्यंत व्यापक और विस्तृत था। इससे न केवल जन-हानि और धन हानि ही हुई थी अपितु वहाँ के विकास हेतु कियान्वित की गयी महत्वपूर्ण योजनाएं भी बाधित हो गयी थी। इन्हीं में से एक योजना थी ‘टिहरी बांध’ की महत्वाकांक्षी योजना। इस भूकंप ने इस महत्वपूर्ण योजना को लगभग बर्बाद ही कर दिया था। बाद में, इस योजना को पुन: गतिशील और सुचारू करने में सरकार को अतिरिक्त पर्याप्त धन का व्यय करना पड़ा।

भूकंप ने इस मार्ग के आवागमन के प्राय: हर मार्ग को बाधित कर दिया। अनेक पुलों का नाश हो गया। यह धर्म-भूमि माना जाने वाला क्षेत्र है। पूरे वर्ष इस क्षेत्र में विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। और जिस समय यह भूकंप आया उस समय भी इस क्षेत्र में अनेक विदेशी पर्यटक विद्यमान थे। उनके वहाँ फँस जाने से समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गयी थी।

उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इस आपदा से पूर्णत: निपटने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। नाना भांति की सहायता वहाँ तत्काल भेजी गयी। केन्द्र सरकार ने भी समस्या की विकरालता को देखते हुए पानी की तरह पैसा बहाया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी आपदा थी जिसने भारत को हिला कर रख दिया था।

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भूकंप पर निबंध | earthquake essay in hindi | 150-250-500 words.

Earthquake Essay In Hindi

200-250 Words

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भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi)

हमारी इस धरती पर कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिनके माध्यम से सामान्य जनजीवन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्राकृतिक आपदा से कई प्रकार की हानियां होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से भूकंप शामिल है। जो कहीं ना कहीं हमारे अंदर डर और घबराहट के भाव उत्पन्न करता है।

जब कभी खतरनाक भूकंप आता है, तो ऐसे में उनके कारणों को समझना आसान नहीं होता है। लेकिन भूकंप आने का एक विशेष कारण पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के बने टेक्निकल प्लेट में आने वाली गति है, जिसके अंतर्गत यह टेक्निकल प्लेट आपस में टकराने लगते हैं और एक अतिरिक्त उर्जा बाहर निकलती है। जिस वजह से भूकंप की तरंगे उत्पन्न होती हैं और भूकंप का रूप लेकर त्रासदी का कारण बन जाती हैं।

आज तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई प्रकार के घातक भूकंप आ चुके हैं, जिनके माध्यम से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। जिनमे से कुछ भूकंप के बारे में निचे दिया गया है। 

4) भारत के गुजरात में 2001 में आया भूकंप भी बहुत ही खतरनाक माना जाता है, जिसमे लगभग 200000 लोगों की मृत्यु हुई और कई हजारों लोग घर से बेघर हो गए थे।

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भूकंप पर निबंध – Essay on earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, में आज आपके लिए लेकर आया हूँ भूकंप पर निबंध(Short and long essay on earthquake in Hindi). मनुष्य पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. इनमें से भूकंप सबसे घातक है. घातक इसलिए क्योंकि भूकंप ने कई लोगों की जान ले ली है. भूकंप के दौरान मनुष्य अपना सब कुछ खो देता है. आज आप इस लेख में भूकंप का कारण, भूकंप से नुकसान और भी बहुत कुछ भूकंप के बारे में जानेंगे. तो चलिए हमारे मुख्य लेख के ओर बढ़ते हैं जो है भूकंप पर निबंध (Essay on earthquake in Hindi) .    

भूकंप पर निबंध – Short essay on earthquake in Hindi

प्रस्तावना     .

तूफान और बाढ़ जैसे भूकंप भी एक प्राकृतिक आपदा है. तूफान और बाढ़ से भूकंप ज्यादा खतरनाक होता है. उपग्रह या रडार द्वारा यह पहले से ही ज्ञात हो जाता है कि तूफान होने वाला है. लेकिन उपग्रहों और रडार द्वारा भूकंप होगा या नहीं पता नहीं चल पाता है. इसलिए भूकंप अचानक आता है. लेकिन क्योंकि लोग भूकंप के बारे में कुछ नहीं जान पाते हैं, इसलिए सुरक्षित क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं.

भूकंप का कारण    

पृथ्वी की सतह को कठिन मूर्तिकला और कठोर चट्टान की आवरण के साथ आवृत होकर रहा है. लेप का ऊपरी हिस्सा ठंडा होता है. लेकिन धरती के अंदर हमेशा आग लगी रहती है. परिणाम बहुत अधिक गैस या भाप सृष्टि हो रहा है और बहुत सी धातु पिघल रही है. यह सब जगह की कमी को देखते हुए, वे पृथ्वी पर आने के इरादे से पृथ्वी को अंदर से धकेल रहे हैं, नतीजतन भूकंप सृष्टि हो रहा है.

bhukamp par nibandh

भूकंप का भयानक रूप

भूकंप घरों को नष्ट कर देता है. जल स्तर बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, 6 जनवरी, 2001 की सुबह में, गुजरात के कुछ हिस्सों में भूकंप आया था. जिसमें 20,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस भूकंप ने बहुत सारे जिंदगियों को तबाह कर दिया था.

सरकार और विभिन्न स्वैच्छिक संगठन लोगों को बचाने के लिए काम करते हैं. सेना भी बचाव अभियान में शामिल होते हैं. राहत सहायता भूकंप से न प्रभावित क्षेत्र से आती है. भारत सरकार ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को सहायता के लिए करोड़ों रुपये प्रदान किए हैं.

दुनिया के किस हिस्से में भूकंप की संभावना है, यह जानने का एक तरीका है; लेकिन कब और कहां भूकंप आएगा यह पता नहीं चल पाता है. तो उस उस क्षेत्र में छोटे और मध्यम आकार के भूकंप से लोगों को बचाने के तरीकों के बारे में सोचना होगा. ऊंची इमारतों की नींव मजबूत रखने की जरूरत है और उस क्षेत्र में जापानी प्रणाली में घर बनाना बेहतर है. जिससे भूकंप से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी.

दूसरी ओर, भूकंप मनुष्य पर भगवान का सबसे बड़ा प्रकोप लगता है. क्योंकि इसको रोकने के लिए कोई पूर्व उपाय नहीं है. इसलिए भूकंप से बचने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना ही एकमात्र रास्ता है.

सृष्टि की शुरुआत से ही पृथ्वी पर होने वाली अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ अचानक और अप्रत्याशित. प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, आदि से पहले इन सब के संबंध में कुछ पूर्वानुमान लगाना संभव है. लेकिन भूकंप के मामले में, यह संभव नहीं है. इसलिए भूकंप सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अचानक और अप्रत्याशित हैं. बेशक, पृथ्वी की सतह के कुछ क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं. इसलिए उस इलाके के लोग भूकंप के डर से हमेशा सतर्क रहते हैं. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर, बिना किसी पूर्वानुमान के, बहुत अचानक और अप्रत्याशित भूकंप आता है. और परिणामस्वरूप, कई लोगों की जान चली जाती है.

भूकंप का कारण

आज से लाखों साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था. प्रारंभ में यह एक जलता हुआ और गर्म निर्जन ग्रह था. हालाँकि इसकी सतह समय के साथ ठंडी और सख्त हो गई है, फिर भी इसका आंतरिक भाग तरल और अर्ध-तरल है. सतह से पृथ्वी की सतह तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है. इसलिए, तापमान पृथ्वी की सतह के विभिन्न स्तरों पर भिन्न होता है. कभी-कभी तापमान में एक विशेष अंतर पृथ्वी की सतह के एक निश्चित स्तर पर होता है, जो बदले में पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी का कारण बनता है. गड़बड़ी जितनी तीव्र होगी, उसका सतह पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा और सतह कांप उठेगी. सतह का यह कंपन होता है भूकंप. इसके अलावा, सतह का संतुलन बदलना, पृथ्वी की सतह पर दरारें बनने के बाद और भू अभ्यंतर से गैस निकलने के बाद भूकंप आते हैं. कुछ मामलों में, भूकंप मानव गतिविधि के कारण भी होते हैं.

भूकंप से नुकसान

भूकंप के परिणामस्वरूप, जमीन पर गरज होने के साथ कंपन होने लगता है. सतह के ऐसे अशांत अवस्था के परिणामस्वरूप, घर, पेड़ और बिजली का खंभा आदि सभी नष्ट हो जाते हैं. एक पल में, सुंदर पृथ्वी एक खंडहर बन जाती है. भूकंप के कारण कई इंसान और जानवर मर जाते हैं. विनाशकारी भूकंप से बचे लोगों का पुनरुत्थान करना एक बड़ी समस्या के रूप में प्रकट होता है. सार्वजनिक आवास के अलावा, कई कार्यशालाएं, सरकारी भवन, शैक्षणिक संस्थान, मंदिर, चर्च, मस्जिद आदि भी भूकंप से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा, सड़कें, रेलमार्ग, पोल, बांध, आदि बिखर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, परिवहन, संचार, बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित होता है. बड़े भूकंप के कारण समुद्र के तटीय क्षेत्र में भी कुछ बदलाव होता है. कुछ तटीय क्षेत्र भी जलमग्न हो जाते हैं, या समुद्र का पानी सूखी भूमि बन जाता है.

दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्र

भूकंप पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत कमजोर क्षेत्रों में होते हैं. इस तथ्य के कारण है कि भूमिगत गड़बड़ी कमजोर क्षेत्र को जल्दी से प्रभावित कर सकती है. प्रशांत महासागर के व्यापक तटीय क्षेत्र, उत्तर और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों के उत्तर-पश्चिमी हिस्से और दक्षिणी यूरोप में अक्सर भूकंप आते हैं. भारत के हिमालय की तलहटी के तल पर और दक्षिण भारतीय  के कुछ हिस्सों को भूकंप संभावित क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप

सृष्टि की शुरुआत से कई बार भूकंप आए हैं जिसके वजह से जीवित दुनिया जबरदस्त रूप से पीड़ित हुआ है. अब भी हर दो साल के अंतराल पर विभिन्न स्थानों पर भूकंप आते हैं. 1988 से 2001 के बीच दुनिया में छह भूकंप आए हैं. 1950 और 1975 के बीच चार भूकंप आए हैं. भूकंप कहां आएगा, कब आएगा, कोई भी निश्चित रूप से बोल नहीं सकता. चूंकि यह एक प्राकृतिक आपदा है, यह पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करता है. मनुष्य के लिए इसे नियंत्रित करना असंभव है.

1908 में इटली में आए भयावह भूकंप में एक लाख बीस हजार लोग मारे गए थे. पेरू में 1960 में आए भूकंप में कम से कम 60,000 लोग मारे गए थे. चीन में 1958 में आए भूकंप ने भी हजारों लोगों की जान ले ली थी. 1934 में बिहार में आए भूकंप में 10,000 से अधिक लोग, 1993 में लातूर में आए भूकंप में 9,000 से अधिक लोग, 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 20,000 लोग और 2005 में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारत में 40,000 लोग मारे गए थे.

भूकंप की तीव्रता

बाढ़ के दौरान बाढ़ के पानी के बहाव के परिणाम, के साथ-साथ तूफानों के दौरान बहने वाली हवा की गति कम होती है, इसी तरह भूकंप की तीव्रता भिन्न भिन्न प्रकार की होती है. भूकंप की तीव्रता मापक यंत्र को रिक्टर स्केल कहा जाता है. कंपन की तीव्रता के अनुसार, रिक्टर स्केल बढ़ना शुरू हो जाता है. भूकंप की तीव्रता की  मात्रा जितनी अधिक होती है, क्षति की भयावहता भी उतनी ही अधिक होती है. इस पैमाने का नाम कैलिफोर्निया के एक प्रमुख वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर के नाम पर रखा गया है. भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में इस पैमाने का उपयोग करके भूकंप की तीव्रता निर्धारित की जाती है.

सहायता और बचाव कार्य 

भूकंप प्रभावित क्षेत्र में कई लोग मारे जाते हैं. यदि मृतकों की लाशों का समय पर दाह संस्कार किया नहीं जाता है, तो वे सड़ जाएंगे और पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा. और बाकी बचे लोगों के बीमार होने का खतरा रहता है. इसी तरह, घायलों को तत्काल उपचार के परिणामस्वरूप, वे ठीक हो जाते हैं. कुछ लोगों को बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है. इसलिए इन सभी क्षेत्रों में सेवा और बचाव कार्य आवश्यक है. घायलों और बचे लोगों को उनके जीवन आवश्यक भोजन, पानी, दवाई आदि उपलब्ध कराया जाता है. भूकंप प्रभावित क्षेत्र में, कई घर पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वस्त हो जाते हैं. इसलिए घरों का पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों को स्थानांतरित करना बहुत महत्वपूर्ण है. सरकारी अधिकारी और कई स्वयंसेवक और संगठन इस काम में शामिल होते हैं. भूकंप से प्रभावित क्षेत्र को आर्थिक सहायता भी दिया जाता है.

कैसे सावधान रहें

भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. फिर भी पृथ्वी पर सबसे अधिक भूकंप वाले क्षेत्रों के लोगों और संबंधित देशों की सरकारों को इस संबंध में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. पहले से ही सूखे खाद्य पदार्थ जैसे चूड़ा, चीनी, ब्रेड, बिस्कुट उपलब्ध होने चाहिए. आवास लकड़ी, बांस, पुआल, से बना होना चाहिए. भूकंप होने से हताहतों की संख्या होगा  और मौतों की संख्या भी कम होगा.

भूकंप को बर्दाश्त करना अत्यधिक दुर्भाग्य की पहचान है. वैज्ञानिकों ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके भूकंप की भविष्यवाणियों की गणना करने के लिए काम कर रहे हैं. भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है. इंसानों के लिए इससे पूरी तरह बच निकलना आसान नहीं है.

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भूकंप पर निबंध – 10 lines (Earthquake Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

essay on earthquake in 1000 words hindi

Earthquake Essay in Hindi – भूकंप सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इसके स्रोत का पता पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में लगाया जा सकता है। यह जीवन और संपत्ति के बड़े नुकसान के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, यह मानव जाति के लिए एक बड़ी समस्या है। भूकंप शब्द ग्रीक शब्दों से बना है, ‘पृथ्वी’ का अर्थ है जमीन और ‘भूकंप’ का अर्थ है हिलना या कांपना। इसलिए, भूकंप पृथ्वी का हिलना या कांपना है।

भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेटों में गड़बड़ी के कारण होता है। भूकंप संक्षिप्त और हल्के या बड़े और विनाशकारी हो सकते हैं। हमारे ग्रह ने सदियों से कई गंभीर और हल्के भूकंपों का सामना किया है। भूकंप ज्यादातर संक्षिप्त होते हैं लेकिन सेकंड के भीतर बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बन सकते हैं। अतीत में भूकंपों के कारण दुनिया भर के लोगों को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा है।

बच्चों के लिए भूकंप पर 10 लाइनें (10 Lines On Earthquake For Kids in Hindi)

  • भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है।
  • वे तब होते हैं जब कुछ तरकीबें पृथ्वी की सतह के नीचे चलती हैं, जिससे कंपन या भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं।
  • इससे हम अपने पैरों के नीचे से पूरी जमीन हिलती हुई महसूस कर सकते हैं। इससे इमारतें, पेड़ और अन्य ऊंची संरचनाएं टूट कर गिर सकती हैं।
  • भूकंप की तीव्रता या तीव्रता को उसका परिमाण कहते हैं और इसे रिक्टर स्केल पर 1 से 10 तक मापा जाता है।
  • भूकंप को सिस्मोग्राफ से मापा जा सकता है।
  • 6 या 7 परिमाण के भूकंप बहुत शक्तिशाली होते हैं और इससे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है।
  • जिस स्थान पर भूकंप की उत्पत्ति होती है, उसे उसका अधिकेंद्र कहा जाता है। यह स्थान आपदा के अधिकतम प्रभाव का सामना करता है।
  • भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हमेशा खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और आपदा प्रबंधन रणनीति बनानी चाहिए क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
  • भूकंप के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका खुले मैदान में दौड़ना है।
  • यदि आस-पास कोई खुली जगह नहीं है, तो आप एक मजबूत और मजबूत टेबल के नीचे झुक सकते हैं।

भूकंप पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप दुनिया में कहीं भी आ सकते हैं, और हालांकि उनकी घटना का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, कुछ चीजें हैं जो आप अपने आप को और अधिक तैयार करने के लिए कर सकते हैं यदि कोई हमला करता है। इसमें जाने के लिए एक भूकंप किट तैयार होना, यह जानना कि कैसे गिरना, ढकना और रुकना है, और अपने क्षेत्र में किसी भी संभावित जोखिम के बारे में सूचित रहना शामिल है। सुनिश्चित करें कि आपके पास भोजन, पानी और अन्य आपूर्तियों के साथ एक आपातकालीन किट है, और जानें कि भूकंप आने पर क्या करना चाहिए। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि क्या करना है, तो खिड़कियों और अन्य वस्तुओं से दूर रहना सबसे अच्छा है जो आप पर गिर सकते हैं और सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं।

भूकंप पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो अपने साथ कई खतरे लेकर आती है। पृथ्वी के हिलने और हिलने से इमारतें गिर सकती हैं, जिससे लोग अंदर फंस सकते हैं। इस तरह के अचानक परिवर्तन के कारण होने वाला कंपन आमतौर पर बहुत मामूली होता है, लेकिन बड़े भूकंप कभी-कभी भूमि के बहुत बड़े झटकों का कारण बनते हैं। हिलती हुई लहरें उस स्थान से फैलती हैं जहां पहली बार चट्टान टूटना शुरू होती है; इस स्थान को भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर कहा जाता है।

अगर भूकंप शुरू होने पर आप अंदर हों, तो जमीन पर लेट जाएं और अपने सिर को ढक लें। भूकंप का परिमाण एक भूकंपीय घटना में जारी भूकंपीय ऊर्जा की मात्रा से संबंधित है।

विभिन्न प्रकार के भूकंप

भूकंप तीन प्रकार के होते हैं:

उथला | उथला भूकंप तब होता है जब भूकंप का फोकस पृथ्वी की सतह के करीब होता है। ये भूकंप आमतौर पर अन्य दो प्रकारों की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, लेकिन फिर भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मध्यम | मध्यवर्ती भूकंपों का एक फोकस होता है जो सतह और पृथ्वी के आवरण के बीच स्थित होता है, और आमतौर पर उथले भूकंपों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है।

दीप | गहरे भूकंपों का फोकस मेंटल में स्थित होता है, जो क्रस्ट के नीचे पृथ्वी की परत है। वे सबसे शक्तिशाली प्रकार के भूकंप हैं, और यहां तक ​​कि सतह पर नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

भूकंप पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप और ज्वालामुखी दो प्राकृतिक आपदाएं हैं जो पृथ्वी की सतह में परिवर्तन के कारण होती हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं को लाने में मनुष्य की बहुत कम या कोई भूमिका नहीं है। भूकंप और ज्वालामुखियों का परस्पर संबंध कहा जाता है। यह देखा गया है कि ज्वालामुखी क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जो अक्सर आसन्न ज्वालामुखी के चेतावनी संकेत के रूप में काम करते हैं।

भूकंप मूल रूप से पृथ्वी का हिलना है। भूकंप या तो पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण या ज्वालामुखियों में मैग्मा की गति के कारण आते हैं। ज्वालामुखीय विस्फोट मैग्मा आंदोलनों के कारण हो सकते हैं। भूकंप कमजोर होने के साथ-साथ हिंसक भी हो सकते हैं। जबकि कमजोर ज्वालामुखियों को शायद ही महसूस किया जाता है, हिंसक लोगों के परिणामस्वरूप बड़ी इमारतों की तबाही और जीवन की भारी हानि हो सकती है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई भूकंप आए हैं जिससे गंभीर विनाश हुआ है।

ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह से गर्म लावा का विस्फोट है। यह तब होता है जब पृथ्वी की पपड़ी फट जाती है। गर्म लावा, जहरीली गैसें और ज्वालामुखीय राख ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से निकलती हैं और विशाल विनाश का कारण बन सकती हैं। विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखियों में सुपर ज्वालामुखी, उप-हिमनद ज्वालामुखी, पानी के नीचे के ज्वालामुखी और मिट्टी के ज्वालामुखी शामिल हैं।

ज्वालामुखीय भूकंप क्या है?

ज्वालामुखीय भूकंप जिसे ज्वालामुखी टेक्टोनिक भूकंप भी कहा जाता है, मैग्मा की गति के कारण होता है। यह आंदोलन दबाव डालता है और मैग्मा के चारों ओर चट्टान में परिवर्तन का कारण बनता है और यह अंततः ज्वालामुखीय भूकंप का कारण बनता है। इन भूकंपों को बड़े विनाश का कारण माना जाता है जिसमें जमीन की विकृति, इमारतों का उखड़ना और जमीन की दरारें शामिल हो सकती हैं।

भूकंप और ज्वालामुखी दोनों से मानव जाति को भारी नुकसान हो सकता है। जबकि वैज्ञानिक इन दोनों की भविष्यवाणी करने की पूरी कोशिश करते हैं, वे इन प्राकृतिक आपदाओं के समय और तारीख का निर्धारण करने में सफल नहीं हुए हैं। भूकंप और ज्वालामुखी प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए और इनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और ऐसी समस्या होने पर शांति और समझदारी से काम लेना चाहिए।

भूकंप पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Earthquake in Hindi)

सीधे शब्दों में कहें तो भूकंप का अर्थ है पृथ्वी की सतह का हिलना। यह पृथ्वी की सतह का अचानक कांपना है। भूकंप निश्चित रूप से एक भयानक प्राकृतिक आपदा है। इसके अलावा, भूकंप जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ भूकंप प्रकृति में कमजोर होते हैं और संभवत: उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसके विपरीत, कुछ भूकंप बड़े और हिंसक होते हैं। प्रमुख भूकंप प्रकृति में लगभग हमेशा विनाशकारी होते हैं। सबसे उल्लेखनीय, भूकंप की घटना काफी अप्रत्याशित है। यही बात उन्हें इतना खतरनाक बनाती है।

भूकंप के प्रकार

टेक्टोनिक भूकंप : पृथ्वी की पपड़ी में असमान आकार की चट्टानों के स्लैब शामिल हैं। चट्टानों के ये स्लैब टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। इसके अलावा, यहां ऊर्जा संग्रहित है। यह ऊर्जा टेक्टोनिक प्लेटों को एक दूसरे से दूर या एक दूसरे की ओर धकेलने का कारण बनती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, ऊर्जा और गति दो प्लेटों के बीच दबाव बनाती है।

इसलिए, यह भारी दबाव फॉल्ट लाइन बनाने का कारण बनता है। साथ ही, इस गड़बड़ी का केंद्र बिंदु भूकंप का फोकस है। नतीजतन, ऊर्जा की तरंगें फोकस से सतह तक यात्रा करती हैं। इससे सतह का हिलना शुरू हो जाता है।

ज्वालामुखीय भूकंप : यह भूकंप ज्वालामुखी गतिविधि से संबंधित है। इन सबसे ऊपर, ऐसे भूकंपों की तीव्रता कमजोर होती है। ये भूकंप दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार ज्वालामुखी-विवर्तनिक भूकंप है। यहां इंजेक्शन लगाने या मैग्मा निकालने से झटके आते हैं। इसके विपरीत दूसरा प्रकार दीर्घकालीन भूकंप है। यहाँ भूकंप पृथ्वी की परतों के बीच दबाव परिवर्तन के कारण होता है।

पतन भूकंप: ये भूकंप गुफाओं और खानों में होते हैं। इसके अलावा, ये भूकंप कमजोर परिमाण के हैं। खदानों के ढहने का कारण संभवत: भूमिगत विस्फोट हैं। इन सबसे ऊपर, खदानों के ढहने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। नतीजतन, ये भूकंपीय तरंगें भूकंप का कारण बनती हैं।

विस्फोटक भूकंप: ये भूकंप लगभग हमेशा परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण आते हैं। जब कोई परमाणु हथियार फटता है तो बड़ा धमाका होता है। इसके परिणामस्वरूप भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह संभवतः भूकंप का परिणाम है।

भूकंप के प्रभाव

सबसे पहले, जमीन का हिलना भूकंप का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव है। इसके अलावा, कंपन के साथ-साथ जमीन का फटना भी होता है। इससे आधारभूत सुविधाओं को भारी नुकसान होता है। भूकंप की गंभीरता भूकंप के परिमाण और अधिकेंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। साथ ही, गंभीरता को निर्धारित करने में स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियां एक भूमिका निभाती हैं। भूभंग पृथ्वी की सतह के दृश्य विखंडन को संदर्भित करता है।

भूकंप का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव भूस्खलन है। ढलान की अस्थिरता के कारण भूस्खलन होता है। यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

भूकंप मिट्टी के द्रवीकरण का कारण बन सकता है। यह तब होता है जब जल-संतृप्त दानेदार सामग्री अपनी ताकत खो देती है। इसलिए, यह ठोस से तरल में बदल जाता है। नतीजतन, कठोर संरचनाएं तरलीकृत जमा में डूब जाती हैं।

भूकंप के परिणामस्वरूप आग लग सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भूकंप से बिजली और गैस की लाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। सबसे बढ़कर, आग लगने के बाद उसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

भूकंप कुख्यात सुनामी भी पैदा कर सकते हैं। सुनामी लंबी तरंगदैर्घ्य वाली समुद्री लहरें हैं। ये समुद्री लहरें बड़ी मात्रा में पानी की अचानक या अचानक गति के कारण होती हैं। यह समुद्र में भूकंप के कारण है। इन सबसे ऊपर, सुनामी 600-800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकती है। समुद्री तट से टकराने पर ये सूनामी भारी तबाही मचा सकती हैं।

अंत में, भूकंप पृथ्वी की एक महान और भयानक घटना है। यह प्रकृति के विरुद्ध मनुष्य की दुर्बलता को दर्शाता है। यह एक जबरदस्त घटना है जो निश्चित रूप से सभी को झकझोर कर रख देती है। इन सबसे ऊपर, भूकंप केवल कुछ सेकंड के लिए ही रहता है, लेकिन इससे अकल्पनीय क्षति हो सकती है।

भूकंप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 विस्फोटक भूकंप क्यों आता है.

A1 परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण एक विस्फोटक भूकंप आता है।

Q2 भूकंप के कारण भूस्खलन क्यों होते हैं?

A2 भूस्खलन ढलान की अस्थिरता के कारण होता है। सबसे उल्लेखनीय, यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi

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भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi!

भूकंप का नाम लेते ही मन भय से काँप (Shiver) उठता है । जहाँ भूकंप होता है, वहाँ अनेक मकान ध्वस्त (Demolish) हो जाते हैं और मानव के साथ-साथ अनेक जीव-जंतु घरों में दबकर मरजाते हैं चारों-ओर-प्रलय (Total end) का दृश्य (Scene) उपस्थित हो जाता है ।

धरती काँपती है, तो कहीं नदी के बीच से जमीन निकल आती है, तो कहीं धरती फट कर झील (Lake) का रूप ले लेती है । भूकंप आता है और दे जाता है अनेक प्रकार के कष्ट और कई प्रकार की पीड़ा (Pain) ।

जापान को भूकंप का देश कहा जाता है । वहाँ आए दिन धरती डोलती रहती है । ये भूकप ज्वालामुखी (Volcano) के फटने के कारण होते हैं । जापान में ज्वालामुखी पहाड़ अधिक संख्या में है जो धरती के अन्दर गर्मी बढ़ जाने के कारण ज्वालामुखी अचानक फट पड़ता और धरती डोलने लगती है ।

ADVERTISEMENTS:

धरती के भीतर चट्‌टानों (Rocks) के इधर-उधर खिसकने (Move) से भी धरती डोलती है । इसलिए अधिक पहाड़ों वाले स्थानों पर भी भूकंप होता है क्योंकि वहाँ धरती पर दबाव (Pressure) अधिक होता है । यह दबाव अधिक ऊंचे-बड़े मकानों के कारण भी होता है और भूकंप का खतरा बढ़ जाता है । आधुनिक विज्ञान (Modern science) ने भूकंप का एक और कारण (Cause) खोज निकाला है, जिसे प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate) कहा जाता है ।

इसके अनुसार भिन्न महाद्वीपों (Continents) और महासागरों (Oceans), पर्वतों (Mountains) तथा मरुभूमियों (Deserts) की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो निरंतर (Always) खिसकती रहती हैं । उन्हीं प्लेटों के टकराने या अलग होने पर भूकंप आता है ।

भारत में हिमालय के क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत (North-Eastern india) तथा पश्चिम के कुछ क्षेत्रों में अब तक भयंकर भूकंप आ चुके हैं । हाल में ही गुजरात में आये भीषण भूकंप में बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई थीं । भूकंपों के बाद राहत कार्य (Measures for comfort) चलाये जाते हैं किन्तु इसके आने की सूचना पहले से दिये जाने का कोई तरीका अब तक ज्ञात (Known) नहीं है ।

फिर भी इससे अपनी जान बचाने के लिए लकड़ी के मकानों में रहने और अपने पास मोबाइल फोन, टॉर्च पानी की बोतल और कुछ आवश्यक चीजें हमेशा रखना लाभकारी रहता है । पेड़-पौधे भी भूकंप से हमारी रक्षा करते हैं ।

4. उपसंहार :

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) है जिसे रोकना यदि मनुष्य के लिए संभव नहीं है, तो कम-से-कम उससे बचने के लिए आधुनिक विज्ञान (Modern science) की पूरी मदद तो अवश्य ले सकता है ।

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भूकंप पर निबंध

Essay on Earthquake in Hindi: हम यहां पर भूकंप पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में भूकंप के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप पर निबंध (250 words).

प्रकृति आपदा भूकंप एक खतरनाक आपदा है । धरती के अचानक हिलने से एक कंपन उत्पन्न होती है, इस घटना को भूकंप कहा जाता है। जब हमारी पृथ्वी की आंतरिक सतह अधिक गर्म हो जाती है, तो एक हलचल सी उत्पन्न होती है। तब उस स्थिति में भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। भूकंप कभी – कभी बहुत ही धीमी गति से आता है, जिसका सिर्फ हमें आभास होता है कि भूकंप की कम्पन सी उत्पन होती है। कभी -कभी भूकंप अचानक बहुत तेजी से आता है, जिससे काफ़ी मात्रा में नुकसान होता है।

भूचालआने से हमारे जीवन मे बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है, भूकंप आने से हमारा जीवन अस्त – व्यस्त हो जाता है।अभी कुछ सालों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र मे भूकंप आने से लोगों के पर जीवन बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। भूकंप  के कम्पन उत्पन्न होने से लोगों के मकान गिर गये। पशु,पक्षी आदि भूकंप की चपेट में आकर दबकर लाखों जीव – जंतुओ की मौत हो गई और महाराष्ट्र में आये हुये भूकंप के कारण मकान और पेड़ -पौधों कंपन के कारण गिरते है और उसकी चपेट मे काफ़ी लोग दब कर घायल हो जाते है और कुछ लोगों की मौत हो जाती है और जो लोग घायल होकर ठीक होते वह पैर से, तो कही हाथ से लाचार हो जाते है।

भूकंप ऐसी प्रकृति आपदाएं होती हैं, जिन को रोकना बहुत ही मुश्किल होता है। भूकंप के आने से बहुत सी विकट समस्याएं उत्पन्न होती हैं। भूकंप को आने से रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन जिस कारण से भूकंप आता है। उन कारणों पर तो रोक लगा कर कुछ हद तक प्राकृतिक आपदा को कम किया जा सकता है।

भूकंप पर निबंध (800 Words)

दुनिया के शुरुआत में कई बार भूकंप आ चुका है, जिसके कारण से दुनिया भर में बहुत से लोग इसकी चपेट में आकर पीड़ित हुए हैं। सन 1988 से 2001 के बीच दुनिया भर मे 6 बार भूकंप आ चुका है। 1950 से 1975  के बीच में लगभग दुनिया भर के कई हिस्सों में 4 बार भूकंप आ चुके होते है। भूकंप किस जगह आएगा, कितने समय आएगा भूकंप का अनुमान लगाना किसी के बस की बात नहीं होती है, क्योंकि भूकंप एक प्राकृतिक आपदा होती है, जो प्रकृति पर निर्भर होती है, इसको नियंत्रित करना हमारे बस की बात नहीं होती है।

आज से लाखों वर्षों पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था। उस समय पृथ्वी एक जलता हुआ आग का पिंड या सबसे गर्म ग्रह होता था। समय के साथ पृथ्वी की सतह ठंडी हो गई और पृथ्वी का आंतरिक भाग तरल है, जिसके कारण पृथ्वी की आंतरिक सतह का तापमान बढ़ने लगता है। पृथ्वी की सतह का तापमान विभिन्न स्तरों में बदलता रहता है, पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी की वजह से ही पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है और भूकंप आने के खतरा महसूस होने लगता है।

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आया भूकंप

दुनिया के किन-किन हिस्सों में आया भूकंप आइए जानते हैं,

1908 मे इटली शहर में भूकंप आने से लाखों लोगों की मौत हुई, उनमें से कुछ लोग घायल हुए और लोगों के घर – बार उजाड़ कर नष्ट हो गया, लोगों का काफ़ी नुकसान हुआ।

पेरू में सन 1960 में भूकंप आने के कारण काफ़ी लोग घायल हुये और 60,000 लोग भूकंप की चपेट में आये और उनकी दर्दनाक मौत हो गई।

चीन में सन 1958 मे भूकंप के आने के कारण 1 लाख लोगों की मौत हो गई।

बिहार में सन 1934 मे भूकंप आने से 1 लाख से अधिक लोगों की जान गई।

लातूर में सन 1933 मे भूकंप के आने के कारण 1,50,000 लोग की मृत्यु हुई है।

गुजरात में सन 2001 मे भूकंप आने से 2लाख लोगों की मृत्यु हुई है।

भूकंप के आने से कई देशो में बहुत अधिक संख्या में लोगों की दर्दनाक मौते हुई है।

भूकंप आने के कारण

भूचाल कई कारणों से आता है, कि जैसे कि पृथ्वी में कई छोटे-बड़े टेक्निकल प्लेट्स होते हैं। जिनके कारण भूकंप विवर्तनिक प्लेट् से टकराकर ब्लेट में आ जाती है। ये प्लेट एक -दूसरे के दूर रहकर गति करती है, तो कभी एक – दूसरे के पास रहकर गति करती है। जिसके कारण यह आपस में टकराती है और झटके के साथ मुफ्त ऊर्जा के रूप में बाहर निकलती है और भूकंपी तरंगे उत्पन्न करती हैं। जिसको भूकंप कहा जाता है।

भूकंप आने का एक कारण ज्वालामुखी का विस्फोट भी होता है। ज्वालामुखी का जब किसी क्षेत्र में विस्फोट होता है, तो उसके प्रभाव कई क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव के कारण कुछ नजदीकी क्षेत्रों की भूमि में कंपन उत्पन्न होता है। जिसको भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट कहते है।

ज्वालामुखी विस्फोट का प्रभाव कुछ क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है और कुछ क्षेत्रों में इसका प्रभाव कम देखने को मिलता है, यह ज्वालामुखी विस्फोट पर ही निर्भर करता है।

भूकंप के आने से नुकसान

धरती में भूकंप आने से हमें बहुत नुकसान होता है। पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के हरे पेड़ -पौधों, जीव जंतुओं के होने से हमारी धरती बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है। लेकिन भूकंप के आने से पल भर में पेड़ -पौधे जीव – जंतु और ससब कुछ तहस – नहस हो जाते है। बड़ी -बड़ी बिल्डिंग, भवन, बिजली के खंभे, मंदिर, मस्जिद, चर्च, सरकारी पाठशालाएं, सरकारी कार्यस्थल आदि सभी भूकंप के कंपन आने से टूट- फूट कर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

भूकंप के आने से बहुत से क्षेत्र प्रभावित होते हैं। पृथ्वी के सबसे कमज़ोर सतह पर भूकंप आने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि कमजोर भूमिगत में भूकंप जल्दी आते है। वहां की भूमि कमज़ोर और दरार वाली होती है, जहां पर ज्वालामुखी के विस्फोट होने का खतरा अधिक रहता है। भूकंप के साथ कुछ प्राकृतिक आपदाएं भी होती हैं, जैसे -तेज तूफान चलना, बाढ़ का आना ये सभी प्राकृतिक आपदाएं है।

विद्युत लाइन टूट जाती है और आग भी लगने से काफ़ी नुकसान होता है, यदि आग एक बार लग गई तो उसको रोकना काफ़ी मुश्किल होता है और यदि ऐसे में जल का स्रोत विस्फोट हो जाये तो आग को फैलने से रोका जा सकता है और काफ़ी हद तक होने वाले नुकसान को भी रोका जा सकता है।

भूकंप से बचने के उपाय

भूकंप के आने से हमको ऐसा महसूस होता है, कि जैसे हम को कोई हिला रहा हो। अगर भूकंप कम तीव्रता से आता है, तो कुछ व्यक्तियों को पता भी नहीं चलता है और कभी -कभी बहुत तेज झटका देकर भूकंप आता है, जिससे पूरी धरती में कंपन उत्पन्न होने लगती है। जैसे ही भूकंप के झटके आने का खतरा महसूस होने लगे तो खुद के बचाव के लिए मजबूत टेबल, कुर्सी को पकड़कर बैठ जाये।

भूचाल के झटके आने पर हमें एक ही जगह पर रह कर स्वयं का बचाव करना चाहिये, और खिड़की और अलमारियों से दूर रहना चाहिए, ताकि वह हम पर झटके के कारण गिरे नहीं।

यदि आप ऊंची बिल्डिंग में रहते है और भूकंप के झटके आने लगते हैं, तो ऐसे में ऊंची बिल्डिंग का गिराना स्वाभाविक होता है, तो हमें नीचे उतर कर किसी सुरक्षित जगह पर बैठ जाना चाहिए, जब तक भूकंप के झटके आना खत्म नहीं हो जाते है।

अगर आप कही है और कार चलाते है, तो उस समय आपको भूकंप के झटके आने मासूस होने लगते है, तो ऐसे में हमको एक जगह गाड़ी खड़ी करके तुरंत किसी खुले मैदान में बैठे जाना चाहिये, तब तक भूकंप के झटके आना बंद नहीं हो जाते है। और ऐसे में हमें लिफ्ट से ऊपर बिल्डिंग में जाने नहीं सोचना चाहिये, क्योंकि ऐसे में आप को झटके से आपको चोट भी आ सकती है। अगर आप बाजार, स्कूल के बीच मे फंस गये है तो ऐसे में खुले स्थान पर बैठे और बिजली के तार से दूर हो कर बैठे जब तक भूकंप के झटके आने खत्म नहीं हो जाते।

भारत मे भूकंप के आने से  काफ़ी नुकसान हुआ है। सिर्फ भूकंप के कारण लोग लाखों की सम्पति और घर सब कुछ खो देते है। भूकंप के कारण ऊँची बिल्डिंग, कर्मचारी कार्यालय, भवन, जीव -जंतु  और कई व्यक्तियों को काफी नुकसान हुआ है।

भूकंप सभी के जीवन में बहुत बुरा प्रभाव डालता है। यह एक प्राकृतिक आपदा होती है। इस पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकता है। प्राकृतिक आपदा में कब क्या हो जाये इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता है।

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Earthquake Essay for Students and Children

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500+ Words Essay on Earthquake

Simply speaking, Earthquake means the shaking of the Earth’s surface. It is a sudden trembling of the surface of the Earth. Earthquakes certainly are a terrible natural disaster. Furthermore, Earthquakes can cause huge damage to life and property. Some Earthquakes are weak in nature and probably go unnoticed. In contrast, some Earthquakes are major and violent. The major Earthquakes are almost always devastating in nature. Most noteworthy, the occurrence of an Earthquake is quite unpredictable. This is what makes them so dangerous.

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Types of Earthquake

Tectonic Earthquake: The Earth’s crust comprises of the slab of rocks of uneven shapes. These slab of rocks are tectonic plates. Furthermore, there is energy stored here. This energy causes tectonic plates to push away from each other or towards each other. As time passes, the energy and movement build up pressure between two plates.

Therefore, this enormous pressure causes the fault line to form. Also, the center point of this disturbance is the focus of the Earthquake. Consequently, waves of energy travel from focus to the surface. This results in shaking of the surface.

Volcanic Earthquake: This Earthquake is related to volcanic activity. Above all, the magnitude of such Earthquakes is weak. These Earthquakes are of two types. The first type is Volcano-tectonic earthquake. Here tremors occur due to injection or withdrawal of Magma. In contrast, the second type is Long-period earthquake. Here Earthquake occurs due to the pressure changes among the Earth’s layers.

Collapse Earthquake: These Earthquakes occur in the caverns and mines. Furthermore, these Earthquakes are of weak magnitude. Undergrounds blasts are probably the cause of collapsing of mines. Above all, this collapsing of mines causes seismic waves. Consequently, these seismic waves cause an Earthquake.

Explosive Earthquake: These Earthquakes almost always occur due to the testing of nuclear weapons. When a nuclear weapon detonates, a big blast occurs. This results in the release of a huge amount of energy. This probably results in Earthquakes.

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Effects of Earthquakes

First of all, the shaking of the ground is the most notable effect of the Earthquake. Furthermore, ground rupture also occurs along with shaking. This results in severe damage to infrastructure facilities. The severity of the Earthquake depends upon the magnitude and distance from the epicenter. Also, the local geographical conditions play a role in determining the severity. Ground rupture refers to the visible breaking of the Earth’s surface.

Another significant effect of Earthquake is landslides. Landslides occur due to slope instability. This slope instability happens because of Earthquake.

Earthquakes can cause soil liquefaction. This happens when water-saturated granular material loses its strength. Therefore, it transforms from solid to a liquid. Consequently, rigid structures sink into the liquefied deposits.

Earthquakes can result in fires. This happens because Earthquake damages the electric power and gas lines. Above all, it becomes extremely difficult to stop a fire once it begins.

Earthquakes can also create the infamous Tsunamis. Tsunamis are long-wavelength sea waves. These sea waves are caused by the sudden or abrupt movement of large volumes of water. This is because of an Earthquake in the ocean. Above all, Tsunamis can travel at a speed of 600-800 kilometers per hour. These tsunamis can cause massive destruction when they hit the sea coast.

In conclusion, an Earthquake is a great and terrifying phenomenon of Earth. It shows the frailty of humans against nature. It is a tremendous occurrence that certainly shocks everyone. Above all, Earthquake lasts only for a few seconds but can cause unimaginable damage.

FAQs on Earthquake

Q1 Why does an explosive Earthquake occurs?

A1 An explosive Earthquake occurs due to the testing of nuclear weapons.

Q2 Why do landslides occur because of Earthquake?

A2 Landslides happen due to slope instability. Most noteworthy, this slope instability is caused by an Earthquake.

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HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on Earthquake in Hindi – भूकंप पर निबन्ध

November 18, 2017 by essaykiduniya

Get information about Earthquake in Hindi Language. Here you will get Paragraph and Short Essay on Earthquake in Hindi Language / Bhukamp Essay in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200, 300, 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भूकंप पर निबन्ध मिलेगा।

Essay on Earthquake in Hindi – भूकंप पर निबन्ध

Essay on Earthquake in Hindi

Paragraph & Essay on Earthquake in Hindi – भूकंप पर निबन्ध ( 100 words )

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो कि बहुत ही नुकसानदायक है। भूकंप स्थलमंडल में ज्यादा मात्रा में ऊर्जा के मुक्त होने और नीचे की स्तह में प्लेटों के हिलने की वजह से होता है। भूकंप को मापने के लिए सिसमोग्राफ का प्रयोग किया जाता है। जब भूकंप आता है तो हमें झटके महसूस होते है और यह झटके इतने ताकतवर होते है कि ऊँची ऊँची इमारतों को भी गिरा देते हैं। भूकंप के आने पर बहुत से नगर तहस नहस हो जाते हैं। भूकंप के कारण मानव को जीवन की क्षति भी होती है। भूकंप आने पर हमें खुले मैदान में भाग जाना चाहिए और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।

Short Essay on Earthquake in Hindi Language – भूकंप पर निबन्ध ( 200 words )

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जिसके आने की घोषणा पहले से नहीं की जा सकती है। भूकंप पहाड़ो वाले क्षेत्रों में अधिक आते हैं। भूकंप के आनो को बहुत सो कारण है जैसे अधिक गर्मी के कारण ज्वालामुखी का फटना। धरती के नीचे चट्टानों का खिसकना। धरती के नीचे मौजुद प्लेटस का टकराना या फिर खिसकना। भूकंप के आने पर धरती डोलने लगती है जिस वजह से मकान पेड़ पौधे आदि गिर जाते हैं और लाखों इंसान और पशु पक्षी उनके नीचे दब कर मर जाते हैं। भूकंप जब भी आता है बहुत तबाही मचाकर जाता है।

भूकंप धरती पर बोझ के कारण भी आता है और इसके आने पर सबसे ज्यादा खतरा ऊँची इमारतों के गिरनो का होता है। भूकंप के आने पर सभी लोगों को घर से बाहर खुले मैदान में चले जाने चाहिए। भूकंप के आने का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता लेकिन उससे बचने की बहुत सी तैयारियाँ की जा सकती हैं। इसके लिए लोगों को लकड़ी के घरों में रहने की सलाह दी जाती है। उन्हें अपने पास एक मोबाईल फोन और टॉर्च जरूर रखनी चाहिए। भूकंप को रोकना मनुष्य के लिए संभव नहीं है लेकिन पेड़ पौधे भूकंप से हमारी रक्षा करते हैं। इसलिए भूकंप जैसी आपदा रोकने को लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए।

Essay on Earthquake in Hindi Language – भूकंप पर निबन्ध ( 300 words )

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो किसी भी समय और कहीं भी पृथ्वी की सतह पर हो सकती है, जिससे जीवित प्राणियों और उपयोगी प्राकृतिक संसाधनों की बहुत गड़बड़ी होती है।

भूकंप के मुख्य कारणों में से एक प्लेट टेक्टोनिक्स है जो पृथ्वी की सतह में विवर्तनिक आंदोलनों का कारण बनता है। धरती की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के साथ टकराती हैं और दूसरे पर चढ़ाई करती हैं जो पहाड़ी निर्माण, भूकंप और ज्वालामुखी का कारण बन जाती हैं। यह प्रक्रिया ऊर्जा का एक विशाल स्तर जारी करती है जो एक बल बनाता है और इस प्रकार सतह आंदोलन।

जहां भी भूकंप होते हैं, जीवन और संपत्ति के नुकसान, भूस्खलन, वनस्पति और पशु जीवन का नुकसान, धरनाओं का विनाश और दोषों के विकास और पृथ्वी की सतह में भंग के अलावा आम तौर पर भूकंप होते हैं और ये सभी पर्यावरण क्षरण को जाता है। दुनिया में भयावह भूकंपों की सूची यहां बहुत लंबी है, जिनके बारे में यहां बताया गया है। भारत में, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र-उत्तर-पूर्वी राज्यों के क्षेत्रों में भूकंप की घटनाएं आम हैं।

सबसे हाल ही में भूकंप 26 जनवरी 2001 को गुजरात में और कश्मीर में 28 मार्च 1999 को हुई, जिसमें पूरे क्षेत्रीय पारिस्थितिक तंत्र से परेशान होने के अलावा संपत्ति और जीवन की भारी क्षति की सूचना मिली।

वास्तव में, प्राकृतिक खतरों के बीच भूकंप सबसे विनाशकारी होते हैं।

भूकंप से सुरक्षित रहने के तरीके : 

लोगों को शांत रहना चाहिए और दरवाजे के अंदर या बाहर रहना चाहिए, लेकिन खिड़कियों, इमारतों और बिजली लाइनों से दूर रहना चाहिए। उन्हें इमारत के केंद्र के पास की दीवार के द्वार पर खड़े होना चाहिए और कुछ भारी फर्जीचर जैसे डेस्क या टेबल के नीचे क्रॉल करना चाहिए। यदि कोई गाड़ी चला रहा है, तो उसे कार को रोकना चाहिए और भूकंप बंद होने तक अंदर रहना चाहिए।

Essay on Earthquake in Hindi – भूकंप पर निबन्ध ( 400 words )

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जिसे भूचाल के नाम से भी जाना जाता है और इसकी तीव्रता से पता लगता है कि यह कितना विनाशकारी है। भूकंप अक्सर स्थलमंडल में अत्यधिक ऊर्जा के उतपन्न होने और पृथ्वी की सतह में परतों में कंपन के कारण आता है। अक्सर बहुत बार हम भूकंप के हल्के झटकों को महसूस करते है पर कई बार यह झटके बहुत ही खतरनाक होते हैं। भूकंप धरती की सतह में उठने वाली तरंगो से उत्पन्न होता है और भूकंप को रिएक्टर में मापा जाता है और इसे मापने के लिए सिस्मोमीटर का प्रयोग किया जाता है।

भूकंप में उठने वाली तरंगे तीन प्रकार की होती है। प्राथमिक तरंगे वह होती है जिनसे केवल दो या तीन रियेक्टर भूकंप आता है जिससे कोई हानि नहीं होती है। माध्यमिक तरंगों में हानि से सावधानी बरत कर बचा जा सकता है। इसमें चार से सात रिएक्टर तक का भूकंप आता है। सतह तरंगे वह तरंगे है जो बहुत ही आतंक मचाता है और यह 7 रिएक्टर से ज्यादा होता है।

भूकंप बहुत ही विनाशकारक है जिससे बहुत से नगर और कस्बें तबाह हो जाते है। भूकंप से बहुत सी ऊँची ईमारते ध्वस्त हो जाती है। भूकंप आने पर सबसे ज्यादा नुकसान जान का होता है।

भूकंप से पहले से ही सावधानियाँ बरतने से हम विनाश से बच सकते हैं। हमें खबरों में मिल रही चेतावनियों पर ध्यान देना चाहिए और भूकंप से बचने के इंतजाम करने चाहिए। हमें भूकंप आने पर बाहर खुले मैदान में चले जाना चाहिए और गैस सिलिंडर और बिजली के मेन स्विच को बंद कर देना चाहिए। भूकंप के समय यात्रा नहीं करनी चाहिए और वाहन में नहीं बैठना चाहिए। भूकंप के समय पर कभी भी ऊँची या पहाड़ी वाले स्थान पर खड़े नहीं होना चाहिए और न ही कुएँ के पास खड़ा होना चाहिए।

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जिसके आने का कोई समय निर्धारित नहीं है और न हीं मनुष्य के पास इसका कोई समाधान नहीं है लेकिन फिर भी कुछ छोटे मोटे उपाय करके हानियौं से बचा जा सकता है। हम सबको आधुनिक विग्यान की सहायता लेकर भूकंप से बचने के उपाय करने चाहिए। पेड़ पौधे भी भूकंप से हमारी रक्षा करते है। हमें अपने साथ हमेशा पानी की बोतल, टॉर्च और आपातकालिन चिकित्सा बॉक्स रखना चाहिए। हमें भूकंप आने पर भयभीत नहीं होना चाहिए अपितु सुझ बुझ से इसका सामना करना चाहिए और दुसरों की भी मदद करनी चाहिए।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Earthquake in Hindi – भूकंप पर निबन्ध ) पसंद आएगा।

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Essay on Earthquake For Students and Children in 1000 Words

Essay on Earthquake For Students and Children in 1000 Words

In this article you will read an essay on earthquake for students and children. It includes meaning, types, causes, effects, and management of earthquakes.

Table of Contents

Essay on Earthquake (1000 Words)

One of these natural disasters that can do a lot of damage to the ecosystem is an earthquake.

What is an Earthquake?

Types of earthquake.

There are mainly four different types of earthquakes, namely, tectonic, volcanic, collapse, and explosive.

Tectonic Earthquake

Collapse earthquake, volcanic earthquake.

As per the name, the volcanic earthquake is caused by volcanic activity. Just like the collapse earthquake, these are also of weaker magnitude. A light magnitude earthquake due to the explosion of magma from the volcanoes.

Causes of Earthquake

Depending on the depth of the epicenter, location, and magnitude, the seismic waves have the potential to tear the surface of the Earth, thus damaging buildings and other natural ecosystems. The areas where this activity occurs are usually known as geological faults. 

Effects of Earthquake

The damage can block roads and bridges and can cause catastrophic problems for a few months. Earthquakes can also affect electric power and gas lines and also have a chance to cause fire breakouts.

When an earthquake occurs beneath the ocean, it can possibly cause a tsunami. The waves of the tsunami bring a lot of water and are strong enough to destroy anything in their path. 

Disaster Management in Earthquake

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सुनामी पर निबंध Essay on Tsunami in Hindi (1000+Words)

सुनामी पर निबंध Essay on Tsunami in Hindi

इस लेख में हमने सुनामी पर निबंध (Essay on Tsunami in Hindi) बेहद आकर्षक रूप से लिखा है। दिए गए निबंध में सुनामी क्या है तथा इसके आने के कारण व प्रभाव साथ ही सुनामी से बचाव के उपाय दिए गए हैं। अगर आप सुनामी के ऊपर निबंध खोज रहे हैं तो यह लेख आपकी बड़ी मदद कर सकता है। 

Table of Contents

प्रस्तावना (सुनामी पर निबंध Essay on TSunami in Hindi)

सुनामी को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदा के रूप में गिना जाता है। यह आपदा जहां भी आती है वहां सर्वनाश करती हुई चली जाती है।

सुनामी यह समुद्र से जन्म लेने वाली एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। सुनामी आने पर एक साथ कई देशों में भय का माहौल होता है क्योंकि इस प्राकृतिक आपदा से बचने का कोई उपाय आधुनिक विज्ञान के पास नहीं है।

समुद्र से शुरू होकर सुनामी अपने अंदर पहाड़, नदी नाले, मलबे सभी को समाहित करती हुई आगे बढ़ती है इसलिए इसे बेहद ही खतरनाक माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि सुनामी को सबसे पहले परिभाषित ग्रीक लोगों ने किया। सुनामी आने पर समुद्र की लहरें सैकड़ों किलोमीटर तक ऊंची हो सकती हैं। आज तक की सबसे भयंकर सुनामी अलास्का की खाड़ी में आई थी इसकी लहरों की ऊंचाई 524 मीटर तक दर्ज की गई थी।

जो देश समुद्र के करीब होते हैं वहां पर सुनामी आने का खतरा बेहद अधिक रहता है। सन 2004 में भारत में सुनामी आई थी इसकी शुरुआत इंडोनेशिया से हुई थी। इस सुनामी ने इंडोनेशिया से चलकर भारत, थाईलैंड, मालदीव, बांग्लादेश में भयंकर तबाही मचाई थी ।

आधुनिक विज्ञान ऐसी तकनीक विकसित कर चुका है जिससे सुनामी की जानकारी कुछ समय पहले मिल जाती है। लेकिन अगर इन प्राकृतिक आपदाओं से स्थायी निजात पाना हो तो प्रकृति संरक्षण ही एकमात्र उपाय है।

सुनामी क्या है? What is Tsunami in Hindi?

जब समुद्र तल में भूकंप आते हैं तो उसके कंपन्न से बड़ी-बड़ी लहरें उठने लगती हैं। उन लहरों में वायुदाब अधिक होने पर वह गतिमान तथा विनाशकारी रूप धारण कर लेते हैं जिन्हें सुनामी कहा जाता है। 

कभी-कभी ज्वालामुखी में विस्फोट होने पर भयंकर कंपन्न उत्पन्न होता है जिसके कारण भी सुनामी आने का खतरा रहता है। भूस्खलन तथा चक्रवात के कारण भी सुनामी का जन्म हो सकता है।

धार्मिक ग्रंथ सुनामी को प्राकृतिक परिवर्तन तथा पाप उन्मूलन का कारण बताते हैं। जो आज के समय में शत प्रतिशत सही साबित हो रहा है। क्योंकि आज इंसान अपनी स्वार्थ लोलुपता के कारण प्रकृति का दोहन कर रहा है और जिसके परिणाम स्वरूप प्रकृति विनाश का रूप धारण करती है।

सुनामी आने के कारण Reasons of Coming Tsunami in Hindi

क्या आपको पता है – सुनामी आने के कारणों में भूस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, अतिवर्षा तथा चक्रवात को शामिल हैं।

समुद्र के अंदर बन रहे ज्वारीय तरंगों के कारण सुनामी उत्पन्न होती हैं। ज्वारीय तरंगे प्राकृतिक असंतुलन के कारण उत्पन्न होती हैं।

सुनामी के लिए सबसे अधिक जवाबदार लहरें हैं। लहरें जितनी ऊंची उठती हैं उनका खतरा उतना ही बढ़ जाता है। सुनामी को रोकना लगभग नामुमकिन ही होता है।

आज शहरीकरण और विकास के नाम पर सैकड़ों वृक्षों को हर घंटे काटा जा रहा है। लेकिन इंसान इसके परिणाम से जानबूझकर अनभिज्ञ बनने की कोशिश कर रहा है।

मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए प्रकृति का संतुलन बेहद जरूरी है और वृक्षों का प्राकृतिक संतुलन में बहुत बड़ा योगदान होता है। वृक्षों से ऋतु चक्र संतुलित रहते हैं। वृक्षों के माध्यम से जमीन का कटाव रुकता है तथा जीने के लिए सबसे जरूरी ऑक्सीजन गैस का निर्माण होता है।इस कारण हमे जादा से जादा वृक्षारोपण करना चाहिए।

वनों के आच्छादन के कारण आज ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ चुकी है। धरती का सामान्य तापमान बेहद बढ़ चुका है जिसके कारण ग्लेशियर बड़ी तेजी से पिघल रहे हैं।

ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का स्तर ऊंचा उठ रहा है। समुद्र का स्तर जितना ऊंचा उठता है उसमें कंपन्न बनने और सुनामी आने का खतरा उतना ही ज्यादा रहता है।

विकास के नाम पर इंसान प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा है। बड़ी-बड़ी नदियों के जल रोक कर समुद्र चक को बाधित कर रहा है। सिर्फ यही नहीं समुद्रों में कृत्रिम टापू बनाकर प्रकृति को सीधे चुनौती दे रहा है।

मनुष्य ने अपने मस्तिष्क के दम पर बहुत विकास किया है और उसे नियमित विकास करते रहने का भी पूरा हक है। लेकिन उसे प्रकृति को समझना होगा और अपने वजूद को प्रकृति के साथ जोड़ना होगा तब जाकर इन आपदाओं से मुक्ति मुमकिन हो सकेगी।

सुनामी के प्रभाव Tsunami Effects in Hindi

9 जुलाई सन 1958 के दिन इतिहास की सबसे बड़ी सुनामी दर्ज की गई थी। अलास्का की खाड़ी में आया हुआ भूकंप का झटका एक विनाशकारी सुनामी का रूप धारण कर लिया और देखते ही देखते लाखों लोग मृत्यु के मुख में समा गए।

अलास्का की खाड़ी में बेहद ऊंचे तथा चौड़े पर्वत मौजूद हैं। इस सुनामी की विनाशकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुनामी में ऊंचे ऊंचे पर्वत भी बह गए थे।

सुनामी आने पर मनुष्य लाचार हो जाता है और अपने विकास के अभिमान तथा मानकों को चूर चूर होते देखता है। सुनामी आने पर विस्थापन के अलावा और कोई उपाय कारगर साबित नहीं होता।

जब सुनामी आता है उस समय मनुष्य का एक बड़ा वर्ग प्राण गवा देता है तथा उससे भी अधिक लोग अपने आवास को छोड़ सुरक्षित स्थान पर चले जाते हैं।

सुनामी आने पर बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, मोटर गाड़ी सब कुछ कुछ ही सेकंड में बह जाते हैं। सुनामी के एक छोटे से प्रभाव से भी पूरे देश की स्थिति बिगड़ सकती है।

प्राकृतिक आपदा सुनामी के कारण यातायात ठप्प हो जाता हैं तथा संपर्क एक टूट जाता है, साथ ही कोई राहत कार्य मुमकिन नहीं हो पाता। सुनामी आने के कारण लाखों-करोड़ों कि सरकारी संपत्ति का यूं ही नाश हो जाता है। साथ ही करोड़ों रुपयों का उपयोग स्थिति को फिर से सामान्य करने में लगाना पड़ता है।

सुनामी के जाने के बाद कई भयंकर रोगों का जन्म होता है। उदाहरण के तौर पर गुजरात में आई एक बाढ़ के बाद प्लेग जैसी महामारी उत्पन्न हो गई थी जिससे हजारों लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी।

किसी भी प्राकृतिक आपदा के बाद जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है तथा उन्हें सोचने पर मजबूर करता है कि किन कारणवश उन्हें इतनी बड़ी त्रासदी का भोग बनना पड़ा।

सुनामी से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Tsunami Prevention Measures in Hindi

किन्हीं भी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए पहले से तैयारी की जाती है। सुनामी से बचने के लिए पहले से की गई तैयारी बेहद कारगर साबित होती है। क्योंकि सुनामी यह बेहद तीव्र गति से चलती है और पल भर में सब कुछ समाप्त कर देती है।

आज लगभग हर देश के पास सुनामी से बचने के लिए चेतावनी सिस्टम है तथा ऐसी तकनीक भी विकसित की जा चुकी हैं जिनके माध्यम से सुनामी की गति तथा भयानकता का अंदाजा लगाया जा सके।

सुनामी की चेतावनी मिलते ही सर्वप्रथम समुद्र तटों पर रहने वाले लोगों को किन्ही सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देना चाहिए। नदियों तालाबों के किनारे रहने वाले लोगों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देना चाहिए।

प्रशासन को पहले से ही सतर्क और सक्रिय रहना चाहिए। जल विभाग, बिजली विभाग, मेडिकल विभाग तथा खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा सुनामी से बचने की रणनीति पहले से ही बनाई जानी चाहिए।

सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदाओं के संकेत मिलते ही अन्न, जल तथा दवाइयों का संग्रह कर लेना चाहिए। पशुओं को खोलकर किन्हीं सुरक्षित स्थान पर पहुँचा देना चाहिए।

याद सुनामी आने पर जितना हो सके रक्षा टीम के संपर्क में रहना चाहिए तथा टीवी, रेडियो या इंटरनेट के माध्यम से सटीक जानकारी प्राप्त करते रहना चाहिए और अफवाहों से बचना चाहिए।

सुनामी आने पर अपने जीवन को महत्व ज्यादा देना चाहिए ना कि अन्य सामान को। क्योंकि जीवन होने पर वस्तुएं फिर से जुटाई जा सकती है।

स्थाई सुरक्षा के लिए पर्यावरण की शुद्धि ही एकमात्र विकल्प है। काटे गए वृक्षों के स्थान पर नए वृक्ष लगाने की आवश्यकता है। हानिकारक गैसों तथा केमिकल्स का न्याय मार्ग खोजने की आवश्यकता है।

प्रकृति से छेड़छाड़ करने के स्थान पर प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर रहने की आवश्यकता है। यह सामान्य से दिखने वाले सूत्र किन्हीं भी प्राकृतिक आपदाओं से स्थाई बचाव के उपाय हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने सुनामी पर निबंध (Essay on Tsunami in Hindi) पढ़ा जिसमें सुनामी के बारे में विस्तार से जाना। आशा है यह लेख आपको सरल तथा मददगार लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

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  • Earthquake Essay

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Download the Earthquake Essay Available on Vedantu’s Website.

Earthquakes are some of the most devastating natural disasters. Millions of dollars worth of property are damaged and a hundred die every time a big magnitude of eater quake strikes.  It is in this regard that everyone must read and know about earthquakes and be prepared to mitigate the damage. Furthermore, the topic of earthquakes is quite often asked in exams. Preparing for this topic will enable them to have an edge and score more marks in the English paper.

To serve the above-mentioned purpose, Vedantu has come up with the Earthquake essay. This essay is prepared by the experts who know what exactly is required to know and weeding out points that are not important. The essay is very precise and would surely allow students to successfully claim marks in the essay question and even stay prepared when an earthquake actually strikes.

What is an Earthquake?

When the earth’s surface shakes, the phenomenon is referred to as an earthquake. Precisely, the sudden trembling of the earth’s surface is the cause of an earthquake. Earthquakes are regarded as one of the deadliest natural disasters. Huge damage and loss of property are caused by earthquakes. There are various types of earthquakes. Some of them are severe in nature. The most dangerous thing about an earthquake is that it is quite unpredictable. It can cause several damages without any previous indication. The intensity of an earthquake is measured by the Richter’s scale. Generally, earthquakes occur due to the movement of tectonic plates under the earth’s surface.

Types of Earthquake

There are four kinds of earthquakes namely 

Tectonic Earthquake,

Volcanic Earthquake, 

Collapse Earthquake and 

Explosive Earthquake.

Tectonic Earthquake 

It is caused due to the movement of the slab of rocks of uneven shapes that lie underneath the earth’s crust. Apart from that, energy is stored in the earth’s crust. Tectonic plates are pushed away from each other or towards each other due to the energy. A pressure is formed because of the energy and movement as time passes. A fault line is formed due to severe pressure. The center point of this dispersion is the epicenter of the earthquake. Subsequently, traveling of the waves of energy from focus to the surface causes the tremor.

Volcanic Earthquake

The earthquake caused by volcanic activity is called a volcanic earthquake. These kinds of earthquakes are of weaker magnitudes. Volcanic earthquakes are categorized into two types. In the first type, which is called volcano-tectonic, shaking happens due to input or withdrawal of Magma. In the second type, which is termed as Long-period earthquake, tremors occur due to changing of pressure among the earth’s layers.

Collapse Earthquake

Collapse Earthquake is the third type of earthquake that occurs in the caverns and mines. This is another example of a weak magnitude earthquake. Mines collapsed due to underground blasts. Consequently, seismic waves are formed due to this collapsing. Earthquakes occur because of these seismic waves.

Explosive Earthquake

The fourth type of earthquake is called an explosive earthquake. This is caused due to the testing of nuclear weapons.

Effects of Earthquake

The effects of earthquakes are very severe and deadly. 

It can cause irreparable damage to property and loss of human lives. The lethality of an earthquake depends on its distance from the epicentre. 

Damage to establishments is the direct impact of an earthquake. In the hilly areas, several landslides are caused due to earthquakes.  

Another major impact of an earthquake is soil liquefaction. Losing the strength of water-saturated granular material is the cause behind this. The rigidity of soil is totally lost due to this.

Since the earthquake affects the electric power and gas lines, it can cause a fire to break out. 

Deadly Tsunamis are caused due to earthquakes. Gigantic sea waves are caused by the sudden or abnormal movement of huge volumes of water. This is called an earthquake in the ocean. When tsunamis hit the sea coasts, they cause a massive loss of lives and properties. 

Earthquake is termed as one of the most huge and lethal natural disasters in the world. It proves the fact that human beings are just nothing in front of nature. The sudden occurrence of earthquakes shocks everyone. Scientists are working rigorously to prevent the damage of earthquakes, but nothing fruitful has been achieved yet.

Examples of Devastating Earthquake

The city of Kobe in Japan witnessed a devastating earthquake on January  17, 1995, killing more than 6,000 and making more than 45,000 people homeless.  The magnitude of the quake was 6.9 at the moment which caused damage of around 100 million dollars.  The governor of Kobe spent years on reconstruction and made efforts to bring back fifty thousand people who had left home.  Japan geologically is a highly active country. It lies upon four major tectonic plates namely, Eurasian, Philippine, Pacific, and North American which frequently meet and interact.

The second incident is in Nepal where an earthquake struck on April 25, 2015. About 9000 people were killed and almost 600,000 structures were destroyed.  The magnitude of the quake was 7.9 and the repels were felt by neighbouring countries like Bangladesh, China and India.  The disaster caused severe damage of millions of dollars. All the countries across the world including India garnered to help Nepal by sending monetary aid, medical supplies, transport helicopters and others.

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FAQs on Earthquake Essay

1. How to download the Earthquake Essay?

The Earthquake essay is available on Vedantu's website in PDF format. The PDF could be downloaded on any device, be it android, apple or windows.    One just has to log on to www.vedantu.com and download the document. The document is totally free of cost and a student does not need to pay any prior registration fee.  

2. How to protect oneself during an earthquake?

Earthquakes could be very disastrous and can cause a lot of collateral damage.  During an earthquake you can look for the corners to hide. Another safe place to hide is under the table or under the bed. If one is sitting in a multistory building, avoid taking a lift and only use the stairs. In this kind of situation, one should never panic and stay calm.  Let the earthquake pass until then keep hiding in the safe spot. Once over, come out to evaluate the situation and take appropriate actions.

3. How to mitigate the effects of an earthquake?

Prevention is better than cure. It is always a better idea to take necessary actions before an earthquake has struck. In the first place, send a copy of all your documents to someone reliable. In case of an earthquake that destroys your important documents, there would always remain a facility to retrieve them.  Research and know if your city is in a seismic zone.  One should also take note of earthquakes during the construction of a house and lay emphasis on a seismic-proof house.

4. How can one teach people about the effects of an earthquake?

There are many ways one can raise awareness about the effects of earthquakes.  There is Youtube and Instagram which could be used to disseminate all the knowledge about the earthquake and its impact on humans. You can also go to schools and colleges to conduct a seminar whereby the students could be told about the mitigation and steps to take when an earthquake strikes.  However before that, one must thoroughly research the topic. For this, visit www.vedntu.com and download the earthquake essay for free.

5. Who has written the Earthquake essay?

The earthquake essay provided by Vedantu is prepared by expert teachers who invest a good amount of time and effort to come up with an essay that is highly useful for the students in their personal lives as well as for their academic performance. The students can use this essay to maximize their abilities to cope with the questions on earthquakes and the earthquake itself. The essay is totally reliable and one mustn’t doubt its credibility at all.

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