Hindi diwas short essay: बच्चों को विद्यालय के लिए हिंदी दिवस का निबंध लिखना हो या भाषण तैयार करना हो, यहां दिया लेख बच्चों के बेहद काम आएगा. .
Hindi Diwas 2024: हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर स्कूलों और शैक्षिक संस्थानों समेत हिंदी भाषी कामकाजी क्षेत्रों में भी इस दिन को मनाया जाता है. हिंदी दिवस के मौके पर विद्यालयों में खासतौर से बच्चों के बीच तरह-तरह की प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं. बच्चों को हिंदी के लेख (Hindi Essay) लिखने के लिए कहा जाता है, कविताएं पढ़ी व सुनाई जाती हैं और हिंदी के महत्व पर बात होती है. ऐसे में यहां पढ़िए हिंदी दिवस का ऐसा निबंध जिसे बच्चे स्कूल में लिखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
उत्तर भारत की प्रमुख बोली है हिंदी. बच्चा जब बोलना सीखता है तो उसके मुंह से हिंदी के शब्द निकलते हैं. लेकिन, बड़े होते-होते सामाजिक और औपचारिक रूप से इंग्लिश की जरूरत देखते हुए हिंदी से बच्चे दूर जाने लगते हैं. हिंदी के खोते हुए महत्व को बनाए रखने और इसकी जरूरत व हिंदी के विशालकाय इतिहास (History) व साहित्य पर प्रकाश डालने के लिए हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मकसद हिंदी की प्रासंगिकता और महत्व को अखंडित बनाए रखना भी है.
हिंदी को 14 सितंबर, 1949 में भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था. हिंदी भाषा (Hindi Language) का साहित्य भी भारत की सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालने वाला साबित हुआ. हिंदी ने कई महान कवि और उपन्यासकार भी दिए हैं जिनमें प्रेमचंद, भारतेंदू हरिश्चंद्र, सूरदास, तुलसीदास और मीराबाई के नाम शामिल हैं. हिंदी सिनेमा का भी एक बड़ा इतिहास रहा है. भारत में कला, साहित्य , संगीत और सिनेमा के क्षेत्र में हिंदीभाषी कलाकारों का बड़ा हाथ रहा है.
आधुनिक युग में हिंदी की बात करें तो धीरे-धीरे हिंदी के स्तर को कमतर समझने की गलती की जा रही है. व्यक्ति अगर हिंदी बोलता है और उसे अंग्रेजी भाषा नहीं आती है तो उसे अक्सर ही बाकी लोगों की तुलना में कम समझा जाता है. ऐसे में हिंदी का महत्व (Importance) बनाए रखना जरूरी है. इस भाषा में आज भी अनेक गाने हैं, साहित्य है और फिल्म आदि हैं जिन्हें बढ़ावा देना जरूरी है जिससे हिंदी की लोकप्रियता बनी रहे.
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हिंदी दिवस पर निबंध: हिंदी, भारत की मातृभाषा है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली और सम्मानित भाषाओं में से एक है। छात्रों को नीचे दिए गए निबंधों को पढ़कर इसके बारे में अधिक जानना चाहिए। हिंदी दिवस 2024 पर 150 - 200 शब्दों का निबंध हिंदी में पाने के लिए इस लेख को पढ़ें।.
Hindi Diwas Par Nibandh: भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसका जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय एकता और विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है। इस अवसर पर, स्कूल, छात्रों को हिंदी और इसके महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूल प्राधिकारी और शिक्षक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। स्कूल छात्रों को अधिक जानकार और खुद को अभिव्यक्त करने में आत्मविश्वासी बनाने के लिए निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
यहां आपको हिंदी दिवस पर निबंधों के कुछ उदाहरण मिलेंगे। ये हिंदी दिवस निबंध हिंदी में हैं, जिसका उद्देश्य हिंदी दिवस 2024 के लिए आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करना है। हिंदी दिवस निबंध 150-200 शब्दों के हैं। छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध देखें।
हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (150 शब्द).
अधिकांश भारतीयों के लिए हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि एक भावना है। 14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।
हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसकी लिपि देवनागरी है। यह भाषा विविध भाषाई और सांस्कृतिक परिदृश्य को एक साथ जोड़ने में एकीकृत भूमिका निभाती है। एक भाषा के रूप में हिंदी संचार के माध्यम के रूप में कार्य करती है जो लोगों और क्षेत्रों को जोड़ती है, राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देती है।
हिंदी दिवस 2024 के अवसर पर हमें अपनी भाषा का सम्मान करने और इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने की शपथ लेनी चाहिए। हिंदी दिवस का उत्सव भाषाई और सांस्कृतिक बहुलवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हिंदी दिवस पर, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारत कई क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों के साथ भाषाई विविधता का देश है। हिंदी दिवस राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में हिंदी को कायम रखते हुए इस विविधता को संरक्षित और सम्मान करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हिंदी दिवस सिर्फ एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि भारत की विविधता में एकता का भी उत्सव है।
14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।
14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। 26 जनवरी, 1950 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था, उसी दिन जब भारतीय संविधान लागू हुआ था। इस निर्णय को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया, जिसने अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भारत सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी, जिसका उपयोग एक संक्रमणकालीन अवधि के लिए किया जाना था।
14 सितंबर वह दिन है जब भारतीय हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।
हिंदी दिवस मनाने के और भी कई कारण हैं; आइए उन पर चर्चा करें। समय के साथ, आधुनिकीकरण के इस दौर में विकसित होने के साथ-साथ हमारा हिंदी का ज्ञान भी कम होता जा रहा है। इस प्रकार, हिंदी दिवस का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण हिंदी को एक भाषा के रूप में बढ़ावा देना है। दूसरा कारण राष्ट्र में भाषाई इकाइयों को बढ़ावा देना है। हिंदी दिवस का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत और बहुभाषावाद को बढ़ावा देना भी है। इससे हम अपनी राष्ट्रीय पहचान, शिक्षा और साक्षरता की रक्षा कर सकते हैं। दार्शनिकों और महान शिक्षाविदों ने कहा है कि जो राष्ट्र अपनी भाषा का सम्मान और पालन नहीं करता, उसका विनाश आसान होता है। इस प्रकार, हमें अपनी विरासत को जीवित रखना चाहिए और अपनी भावी पीढ़ियों और उनकी जड़ों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए इसका पालन करना चाहिए। आइए मिलकर इस हिंदी दिवस को मनाएं।
हिंदी दिवस, भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हिंदी भाषा के महत्व और योगदान को उजागर करता है।
हिंदी दिवस का पहली बार मनाया जाना 1949 में हुआ था। उस समय, भारत की संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। हिंदी दिवस को मनाने का निर्णय इस महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए लिया गया था।
हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह देश की विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को जोड़ने में मदद करती है। हिंदी भाषा का व्यापक रूप से भारत में और दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। यह शिक्षा, व्यापार, और सरकारी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन, और भाषण शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
हिंदी दिवस का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। हिंदी भाषा का उपयोग बढ़ने से देश की एकता और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में मदद मिली है। हिंदी भाषा का व्यापक उपयोग भारत के विकास और प्रगति में भी योगदान देता है।
यदि आपको 500 शब्दों का हिंदी दिवस निबंध दिया गया है, तो शब्द संख्या बढ़ाने के लिए उपरोक्त हिंदी दिवस निबंध में अधिक जानकारी जोड़ें। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए हिंदी दिवस भाषण को देख सकते हैं। अपने निबंध में हिंदी दिवस के नारे जोड़ने से यह और अधिक आकर्षक हो जाएगा।
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Hindi Diwas 2024; 10 Lines on Hindi Diwas: हिंदी दिवस का उत्सव पूरे देश में बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्त्व को समझने और भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन है। हिंदी दिवस 2024 नई योजनाओं और थीम के साथ एक नया अध्याय जोड़ेगा, जिसमें हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयास किए जायेंगे।
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है। यह दिन 1949 में हिंदी भाषा को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। भारत के करोड़ों निवासियों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी भाषा केवल संचार का एक माध्यम नहीं है बल्कि ये देश की एकता और विविधता का प्रतीक भी है।
इस दिन का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना और इसे बढ़ावा देना है। स्कूली बच्चों में हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा के प्रति जागरूकती बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
यहां तीन अलग-अलग सेटों में हिंदी दिवस पर 10 लाइन प्रस्तुत किये जा रहे हैं। ये कक्षा विशेष के लिए सूचीबद्ध किये गये हैं।
1. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। 2. 14 सितंबर 1949 में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया। 3. हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला है। 4. हिंदी में बहुत से महान साहित्यकार हुए हैं। 5. महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। 6. हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है। 7. स्कूलों में हिंदी दिवस पर कविता और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। 8. इस दिन हम हिंदी भाषा की महत्ता को समझते हैं। 9. हिंदी हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। 10. हिंदी से हमें अपनी पहचान मिलती है।
1. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया था। 2. हिंदी विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। 3. हिंदी साहित्य में कबीर, तुलसीदास, प्रेमचंद जैसे महान लेखकों का नाम शुमार है। 4. हिंदी दिवस का उद्देश्य भाषा के प्रति सम्मान बढ़ाना और इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना है। 5. इस दिन देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में भाषण, निबंध और कविता प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। 6. हिंदी हमारे देश की एकता का प्रतीक है और विभिन्न राज्यों को एक सूत्र में बांधती है। 7. महात्मा गांधी ने इसे जनमानस की भाषा कहा और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काम किया। 8. आज हिंदी फिल्में और साहित्य पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। 9. हिंदी दिवस पर हम सभी को हिंदी के महत्व को समझना चाहिये और इसे आगे बढ़ाना चाहिये। 10. यह दिन हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करने का प्रतीक है।
1. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1949 में इसी दिन भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। 2. हिंदी एक सरल और समृद्ध भाषा है जो हमारी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। 3. हिंदी साहित्य में दुनिया की कुछ बेहतरीन कृतियां शामिल हैं, जो भारतीय समाज और उसकी सोच को प्रकट करती हैं। 4. हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य है हिंदी के प्रति लोगों की जागरूकता और इसके महत्व को बढ़ाना है। 5. इस दिन कई शैक्षिक संस्थानों में हिंदी से संबंधित कार्यक्रम, जैसे निबंध लेखन, वाद-विवाद और काव्य पाठ होते हैं। 6. हिंदी भाषा भारत के विभिन्न क्षेत्रों को एक सूत्र में बांधती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है। 7. हमें गर्व करना चाहिये कि हिंदी संयुक्त राष्ट्र की भी मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है। 8. हिंदी के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री का भी महत्वपूर्ण योगदान है। 9. हिंदी दिवस हमें अपने भाषा की समृद्धि और महत्व को समझने का एक अवसर प्रदान करता है। 10. आइए इस दिन हम सब संकल्प लें कि हम हिंदी का उपयोग अधिक से अधिक करेंगे और इसकी महत्ता को बनाए रखेंगे।
आज हम आप सभी को नशे के हर पहलू से अवगत कराने जा रहे हैं। भारत में यह जहर बिल्कुल हवा के भांति फैल रहा है। इस आर्टिकल के द्वारा हम आपके साथ नशा मुक्ति पर निबंध शेयर करने जा रहे है। यह निबन्ध सभी विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।
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नशा मुक्ति पर निबंध (250 शब्द).
हमारे देश का उज्जल भविष्य युवाओं पर टिका होता है। अगर देश की युवा पीढ़ी ही गलत रास्ते में जाने लगे तो निश्चित ही उनका भविष्य अंधकार में चला जाता है। हमारे देश का युवा वर्ग को ज़िन्दगी के हर पहलु को जीने की इच्छा होती है। युवा वर्ग नशे को अपनी शान समझते है। वे शराब, गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट का नशा करते है। उनकी पार्टी नशे के बगैर अधूरी है।
आजकल के हमारे युवा को और कई व्यस्क लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए दिखाई देते हैं। उन्हें यह समझ नहीं आता की किसी भी प्रकार का नशा उनके लिए आगे चलकर हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकता है। आजकल युवा वर्ग के लिए नशा एक फैशन बन गया है, यह उनके लिए अमृत के समान बन चुका है।
हमारे भारत देश में शराब और सिगरेट के निर्यात की वजह से करोड़ों रुपये मिलते है। सिगरेट के पैकेट्स पर नो स्मोकिंग लिखा रहता है, फिर भी रोज कम उम्र के लड़की और लड़के इसका भरपूर सेवन करते है। धूम्रपान या शराब का सेवन स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है।
तम्बाकू, खैनी और गुटखा से माउथ कैंसर हो जाता है। कई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना होता है, मगर कुछ लोग किसी की सुनते नहीं है। उनको सिर्फ अपने मन की करनी होती है। यह सब करने में उनको एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है, लेकिन उनको यह नहीं पता है कि यह उनके लिए कितना हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
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देश में आज के समय बुजुर्ग से लेकर युवा हर कोई नशे की दलदल में फंसा हुआ है। नशा मनुष्य के लिए हानिकारक है, लेकिन फिर भी मनुष्य नशे के पीछे भागते रहते हैं। लोगों को ऐसा लगता है कि नशा करने से उनकी मानसिक चिंता दूर हो जाती है और मनुष्य चिंता मुक्त होकर समय व्यतीत कर सकता है। लेकिन यह नशे की बुरी लत व्यक्ति के परिवार को और व्यक्ति को खुद को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है।
नशा मुक्त के लिए सरकार के द्वारा भी कई प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी देश में नशा करना आम बात हो गया है। आज के समय में तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट और शराब का प्रयोग देश के युवा लोगों द्वारा अत्यधिक संख्या में किया जा रहा है।
नशे के सेवन को लेकर देखा जाए तो आज की युवा पीढ़ी इसके पीछे पागल होती जा रही है। कई लोग नशे को सिर्फ शौक समझकर शुरू करते हैं और बाद में उनको नशे की लत लग जाती है। कई लोग अपनी मानसिक चिंता को दूर करने के लिए नशे का सेवन करते हैं और कई लोग दूसरे लोगों को देखकर उनके पीछे-पीछे नशे का सेवन करना शुरू कर देते हैं।
इस तरह से आज की युवा पीढ़ी नशे की दलदल में फंसती जा रही है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे बच्चों पर पड़ता है। उनको भी इस प्रकार की शिक्षा मिलती है और भविष्य में उनको भी दोस्तों से ऐसी ही संगत मिलना शुरू होती है, जिसकी वजह से वे नशे की लत में पड़ जाते हैं।
सरकार के द्वारा नशा मुक्ति को लेकर कई प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं। कई प्रकार से जागरूकता फैलाई जा रही है। लेकिन उसका कोई भी असर देश की युवा पीढ़ी और वयस्क लोगों पर नहीं पड़ रहा है। हर प्रकार के नशीले पदार्थ की पैकिंग सफलता के बैनर चिपका जा रहे हैं। लेकिन उसके बावजूद भी युवा पीढ़ी लगातार इसका प्रयोग कर रहे हैं।
युवा पीढ़ी को किसी भी तरह से नशा मुक्त करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। अन्यथा हमारे देश का भविष्य पूरी तरह से अंधकार में चला जाएगा, तंबाकू और सिगरेट का सेवन करना मुंह और फेफड़ों के कैंसर जैसी भयानक बीमारियों को उत्पन्न करता है।
अब नशा मुक्त देश बनाने के लिए सबसे पहले भारत सरकार को एक बेहतरीन कदम उठाना चाहिए, जिस प्रकार से गुजरात में शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित की गई है। उसी प्रकार के देश के सभी जगहों में भयानक बीमारी फैलाने वाले नशीले पदार्थ को पूरी तरह से प्रतिबंधित करना चाहिए।
सरकार को प्रतिबंधित करने के साथ-साथ कई प्रकार के नशा मुक्ति केंद्र के जरिए लोगों को जागरूकता फैल आनी चाहिए और टीवी के माध्यम से प्रचार-प्रसार करके जागरूकता फैलानी चाहिए।
देश को नशा मुक्त बनाने के लिए सरकार कई तरह से प्रयास कर रही है। सरकार के द्वारा किए गए प्रयास सराहनीय है, लेकिन हर देशवासी को इस नशा मुक्ति के प्रति खुद में और अपने आसपास के लोगों में जागरूकता फैलाना और सरकार नशा मुक्ति अभियान के तहत सहायता करना बहुत जरूरी है। हम सब मिलकर एक दिन देश को नशा मुक्त देश बना सकते हैं।
नशे का उल्लेख सोम व सूरा जैसे ग्रंथो में देखने को मिलता है। पुराने समय के जो राजा महाराजा मदिरापान के बहुत ही ज्यादा शौकीन हुआ करते थे। आधुनिक युग में भी इसका सेवन होते चला आ रहा है। अधिकतर हमें यह ज्यादा देखने को मिलता है कि लोग अत्यधिक चिंता करने के कारण नशे का सहारा ले लेते हैं और धीरे धीरे इसके लती हो जाते हैं।
आज के समय में अधिकतर युवा वर्ग नशे की ओर झुक रहा है। युवा जो हमारे देश का उज्ज्वल भविष्य होते हैं, वे आज नशे की बुरी लत में पढ़कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यहां तक आज के समय में पुरुष तो पुरूष बहुत सी महिलाएं भी नशे की चपेट में आ रही हैं।
भारत में नशे का सेवन बिल्कुल हवा की तरह फैल रहा है और बहुत सी लोगों की ज़िंदगियाँ खराब कर रहा है। बहुत से लोग इसका सेवन केवल अपनी लाइफस्टाइल को मेन्टेन करने के लिए करते हैं। आज के समय हालात यह है कि बहुत से घर नशे की वजह से बर्बाद होते जा रहे हैं। लोग नशा करने के बाद अपना होश खो देते है और वे घर जाकर अशांति फैलाते हैं।
अपने परिवारजनों से मार पीट करते हैं और गाली गलौज करते नज़र आते हैं। इसके साथ साथ मानसिक स्तर व सामाजिक स्तर भी बहुत प्रभावित होता है। नशे की वजह से ही हमें आर्थिक स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। नशे की वजह से ही इंसान बर्बाद होता चला जाता है और इसी के चलते वो घर के लड़ाई झगड़े, मोहल्ले वालों से झगड़े और हर जगह तमाशा करने लगता है। अपना तो तमाशा बनाता ही बनाता है और अपने परिवार की भी इज़्ज़त को मिट्टी में मिला देता है।
नशे से होने वाले दुष्परिणाम बहुत ही ज्यादा हानिकारक होते हैं। नशा आपके हँसते खेलते जीवन को तहस नहस कर के रख देता है। आजकल नाबालिक बच्चे भी अधिक मात्रा में नशे का सेवन करता है। भारत सरकार की ओर से हर नशे से संबंधित सामग्री पर चेतावनी दी होती है, पर लोगों को इससे बिल्कुल प्रभाव नही पड़ता है और वह नशा करते हैं।
नशा करने के बाद इंसान अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है, जिस कारण वह अपने आप को काबू नहीं कर सकता और नशे के चलते हर जगह झगड़ा करना, अपशब्द बोलना, गाली गलौज करना, घर पर कलेश मचाना आदि कृत्य करता है जबकि यह सरासर जुर्म की श्रेणी में आता है।
नशे की वजह से आप अपने वाहन को नहीं चला सकते। लोग उसी अवस्था में वाहन चलाते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं। इसके चलते आप अपने सामने वाले कि जान को भी खतरे में डालते हैं और साथ ही साथ अपनी जान को भी खतरे में डालते हैं।
अकसर नशे की शुरुआत हमारे मित्रों के समूह से ही होती है, चाहें वो कोई भी नशा क्यों न हो, उसके बाद मनुष्य की ऐसी अवधारणा बन जाती है कि वो अधिक मात्रा में नशे का सेवन करने लगता है और एक समय ऐसा आता है कि वो बहुत बुरी तरह फस जाता है और अपने जीवन को भी पूरी तरह बर्बाद कर लेता है, ऐसा करने से हम अपने जीवन को तो खराब करते ही हैं और साथ ही साथ अपने परिवार को भी खत्म करते चले जाते हैं।
नशे की लत के कारण हमें बहुत सी अन्दुरुनी बीमारियां हो सकती हैं। तम्बाकू, शराब, सिगरेट का अधिक मात्रा में सेवन करने से हमारे फेफड़े गुर्दे आदि पर प्रभाव पड़ता है और एक समय आने पर वो भी काम करना बंद कर देते हैं।
इसके साथ ही साथ हमें यह भी ज्ञात होना चाहिए कि अगर हम ध्रूमपान कर रहे हैं और हमारे सामने या साथ वाले को उसका धुंआ लग रहा है, तो वो भी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो सकता है जैसे मुहं का कैंसर होना, फेफड़े का खराब हो जाना और भी अनेकों बीमारी होना आदि।
भारत सरकार नशे को रोकने को के लिए रोजाना हर एक संभव कोशिश कर रही है और लोगों को जागरूक कर रही है। भारत में बहुत सारे काउंसिलिंग सेन्टर खुल रहे हैं। लोगों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है, वे लोग अपने काम को बहुत ही अच्छे से करते हैं।
जब लोग अपने जीवन से हारकर नशा करना चालू करते है तब और वो इस दलदल में बहुत बुरे फसते जा रहे है। इस दलदल से बाहर निकालने का काम चिकित्सक बखूबी करते हैं। भारत सरकार हेल्थ चेकप के साथ-साथ नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता फैलाती है और लोगों को जागरूक करती है।
हम सभी देश का भविष्य हैं। हमें नशे जैसी चीज़ को एक शौक के रूप में भी प्रयोग नही करना चाहिए। हमें जितना हो सके इससे दूर ही रहना चाहिए और ज्यादातर युवाओं को जागरूक करना चाहिए। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमे नशे जैसी चीज को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह नशा मुक्ति पर निबंध इन हिंदी पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध
Comments (2).
Thanks for your support
Too much nice Very good explanation sir Thanks ?
आज नशा हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बहुत तेजी के साथ फैल रहा है। इसके प्रभाव में सबसे ज्यादा छोटी उम्र के लोग आ रहे हैं। ऐसे में सरकार अपनी तरफ से काफी कोशिश कर रही है जिससे कि लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाया जा सके। इसी वजह से स्कूलों में बच्चों को खासतौर पर नशे की बुराइयों के बारे में समझाया जाता है जिससे कि वो नशे से बचे रहें। कई बार परीक्षा में और किसी कंपटीशन में नशा मुक्ति पर निबंध या नशे से होने वाले नुकसान पर निबंध लिखवाए जाते हैं। अगर आप भी नशा मुक्ति निबंध के बारे में जानकारी ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और जानें की नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में कैसे लिखें।
नशा आज हमारे समाज के लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुका है। इसके कारण बहुत से युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है। एक बार नशे की लत अगर किसी व्यक्ति को लग जाती है तो तब वह चाहते हुए भी इसे छोड़ नहीं पाता। ऐसे में व्यक्ति के सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को नशे से बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है। नशा एक तरह का नहीं होता बल्कि कई तरह का होता है जैसे कि शराब, भांग, अफीम, बीयर, बीड़ी, सिगरेट, ड्रग्स इत्यादि।
पर सवाल यह है कि आखिर लोग नशा क्यों करते हैं? हर इंसान के नशा करने के पीछे अलग-अलग कारण होते हैं। कोई व्यक्ति शौकिया तौर पर नशा करता है तो कोई किसी दुख को भुलाने के लिए। लेकिन अगर नशीले पदार्थों की बिक्री पर अगर सरकार रोक लगा दे तो काफी हद तक इससे छुटकारा पाया जा सकता है। सरकार के साथ-साथ पूरे देश की जनता को भी इसमें सहयोग करना चाहिए।
हर देश की तरक्की और उसका भविष्य उस देश के युवाओं के ऊपर निर्भर होता है। लेकिन यदि देश की युवा पीढ़ी नशा करने लगे तो ऐसे में उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता। परंतु कुछ युवाओं को यह बात समझ में नहीं आती और वे नशे करने को बहुत अच्छा समझते हैं। यही वजह है कि आज ज्यादातर युवा गुटखा, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू और शराब जैसे मादक पदार्थों से नशा करते हैं।
हालांकि हमारे देश की सरकार भी बहुत सारे नशा मुक्ति अभियान चला रही है पर फिर भी नशा करना बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि आज लोगों में कई प्रकार की भयानक बीमारियां जैसे कि मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर इत्यादि देखीं जा रहीं हैं। ऐसे में देश के लोगों को नशे से मुक्ति दिलाने के लिए सभी लोगों को प्रयास करने चाहिए। लोगों को नशे से होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी देकर उनमें जागरूकता लानी होगी।
किसी भी देश के लिए वहां के लोग यानी कि जनता बहुत महत्वपूर्ण होती है। पर अगर जनता गलत रास्ते पर चलने लगे तो ऐसे में वो देश फिर कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। आज जिस तरह से हमारे देश भारत के कई युवा लोग नशे के आदी बन चुके हैं इससे उनका भविष्य अंधकार में जा रहा है। शराब, सिगरेट, बीड़ी, अफीम, हीरोइन जैसे नशीले पदार्थ व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन करने का मतलब है मौत को न्यौता देना।
जो व्यक्ति नशा करता है समाज में कोई भी उसका सम्मान नहीं करता। नशे करने वाला इंसान नशा करने के बाद अपने परिवार के लोगों से लड़ाई झगड़ा करता है जिसकी वजह से घर का माहौल खराब होता है। इसके अलावा जो लोग नशा करते हैं उनकी जिंदगी में कभी भी खुशियां नहीं आ सकतीं और ना ही उनके पास पैसा रहता है। जब कोई इंसान नशे का आदी हो जाता है तो तब वह चोरी और दूसरे अवैध काम भी करने लगता है।
नशे जैसी खतरनाक आदत को छुड़ाने के लिए एक नहीं अनेकों प्रयास करने होंगे जैसे कि –
आज हमारे देश में अधिकतर लोगों में नशे की आदत बढ़ती जा रही है। चिंता की बात यह है कि युवा वर्ग खासतौर से नशे की चपेट में आ रहा है। युवा लोगों को नशे की आदत इतनी ज्यादा लग गई है कि उन्हें नशे के अलावा कोई दूसरा काम सुझाई नहीं देता। यही वजह है कि भारत सरकान ने देश के नौजवानों को और व्यस्को को नशे से बचाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए हैं। लेकिन सरकार अपने प्रयासों में तभी सफल होगी जब लोग भी इसमें अपना सहयोग देंगें।
नशा करने के नुकसान एक नहीं बहुत सारे हैं जिनके बारे में जानकारी निम्नलिखित है –
आजकल नशा एक फैशन की तरह बन गया है जिसे युवा पीढ़ी और व्यस्क लोग खुलेआम करते हैं। कई बार लोग नशा सिर्फ इसलिए करते हैं कि वो अपने मन को दुखों से छुटकारा दिलाना चाहते हैं। परंतु उन्हें नहीं पता कि अगर नशे में इतनी ताकत होती कि वह किसी व्यक्ति के दुखों को खत्म कर दे तो फिर दुनिया भर में कोई भी दुखी इंसान नहीं होता। कई बार लोग अपने दोस्तों के कहने पर शराब या अफीम का सेवन करते हैं और धीरे-धीरे वो फिर उसके आदी बन जाते हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता कि नशा अनेकों बुराइयों को जन्म देता है और व्यक्ति के जीवन को असंतुलित बना देता है।
नशा मुक्ति के लिए वैसे तो हमारी सरकार द्वारा बहुत सारे प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वो प्रयास तभी सफल होंगे जब जनता भी अपना भरपूर योगदान देगी। सरकार को चाहिए कि वह देश को नशा मुक्त करने के लिए कठोर कानून बनाए और उनका फिर कठोरता के साथ पालन किया जाए। कानून को ऐसे लोगों को माफ नहीं करना चाहिए जो नशा करते पकड़े जाएं या फिर जो लोग नशे का कारोबार करते हैं। इसके लिए हमारे देश में बहुत सारी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी हैं जो नशा मुक्ति अभियान चलाकर लोगों को जागरुक कर सकती हैं।
इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जो लोग नशा करते हैं वे एकदम से नशे से मुक्त नहीं हो सकते बल्कि ऐसे लोगों को समझा-बुझाकर और प्यार के माध्यम से ही सही रास्ते पर धीरे-धीरे लाया जा सकता है। नशा करने वाले लोगों की मन की स्थिति को बदलने में टाइम लगता है और इसके लिए नशा मुक्ति केंद्रों से उनका उपचार करवाना चाहिए।
दोस्तों यह था हमारा आज का आर्टिकल नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि आप किस प्रकार से नशा मुक्ति पर निबंध अलग-अलग शब्दों में लिख सकते हैं। हमें पूरी आशा है कि हमारा यह लेख आपके लिए काफी लाभदायक रहा होगा। इसलिए हमारी आप से रिक्वेस्ट है कि हमारे इस आर्टिकल को ऐसे लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो नशा मुक्ति पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में ढूंढ रहें हैं।
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