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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण वर्तमान समय पूरे विश्व में विशेषरुप से औद्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण में धूंध, धुआं, विविक्त, ठोस पदार्थों आदि का रिसाव शहर के वातावरण को संकेन्द्रित करता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरनाक बीमारी हो जाती हैं। लोग दैनिक आधार पर बहुत सा गंदा कचरा फैलाते हैं, विशेषरुप से बड़े शहरों में जो बहुत बड़े स्तर पर शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान देता है। मोटर साइकिल (बाइक), औद्योगिक प्रक्रिया, कचरे को जलाना आदि के द्वारा निकलने वाला धुआं और प्रदूषित गैसें वायु प्रदूषण में में अपना योगदान देती हैं। कुछ प्राकृतिक प्रदूषण भी जैसे पराग-कण, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि वायु प्रदूषण के स्त्रोत है।

वायु प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Air Pollution in Hindi, Vayu Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

वायु प्रदूषण की परिभाषा

हमारे जीवन के लिए अनिवार्य वायु का, दूषित हो जानावायु प्रदुषण कहलाता है।वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है।

वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव

फैक्टरियों , वाहनों आदि से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदुषण का एक प्रमुख कारण है। ओज़ोन परत का क्षय होना और पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई भी वायु प्रदुषण का कारन है। वायु हमारे श्वसन के लिए अनिवार्य है। वायु का दूषित होना हमारे लिए संकट खड़ा कर सकता है। 

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लहणे चाहिए। हमें पेट्रोलियम की जगह प्राकृतिक गैसों का इस्तेमाल करना चाहिए।औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

वायु प्रदूषण को जड़ से खत्म करना हम सब का दायित्व है। वायु प्रदुषण एक विकराल समस्या है , जो हमारे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह है। अतः सरकार के साथ ही साथ प्रत्येक नागरिक को इस प्रदुषण से निजाद पाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Air Pollution in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द)

जब शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, ताजी हवा स्वस्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरुरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिये बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिये विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती हैं, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईधन का जलना जैसे; कोयला, पैट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण हैं। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती हैं। कुछ घरेलू गतिवधियाँ जैसे सफाई करने के लिये अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि भी बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती हैं। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दें की बीमारियाँ आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियाँ इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

निबंध 3 (400 शब्द)

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बढ़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाह्य तत्वों, विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़-पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषणों पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है, जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों (कार्बन ऑक्साइड, हलोगेनटेड और गैर- हलोगेनटेड हाईड्रोकार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर गैसें, अकार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक और कार्बनिक अम्ल, बैक्टीरिया, वायरस, कीटनाशक आदि) का मिश्रण है, जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाये जाते और पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन के लिये बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जोकि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोतों जैसे, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल, और अन्य गैसें), रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों की आग, ब्रह्मांडीय कण, किरण, क्षुद्रग्रह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे , पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है। वायु प्रदूषण की संख्या बढ़ने के कारण इसे दो प्रकार में बांटा गया, प्राथमिक प्रदूषण, और द्वितीयक प्रदूषण। प्राथमिक प्रदूषण वो है जो प्रत्यक्ष रुप से ताजी हवा को प्रभावित करता है और धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिकों से उत्सर्जित होता है। द्वितीयक प्रदूषक वो हैं जो वायु को अप्रत्यक्ष रुप प्राथमिक कारकों के साथ रासायनिक क्रिया करके जैसे सल्फर ट्राई ऑक्साइड, ओजोन, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, आदि से प्रभावित करते हैं।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर्स के साथ), छोटे तापमान सूचकों के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पैट्रोल में गैर-नेतृत्वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

Essay on Air Pollution in Hindi

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution in Hindi

Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) : हम सब जानते है कि देश के विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी काफी ज्यादा बढ़ रहा है, क्योंकि विकास में पेड़-पौधे कम हो रहे है और गाड़ीयों व फैक्ट्रीयों का प्रदूषण बढ़ रहा है। इसलिए हमें यह समझना होगा कि वायु प्रदूषण क्या है, इसके कारण क्या है और इसे कैसे रोक सकते है।

मैने इस आर्टिकल में Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words, 500 words और 1000 word में लिखा हैं। इसके अलावा मैने वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइनें भी लिखी है। यह आर्टिकल Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 सभी के लिए Helpful है।

वायु प्रदूषण पर निबंध निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में (Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words)

आज के समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक समस्या बनता जा रहा है, जिससे हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर इस प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो आने वाले समय में बहुत सारी बीमारियां फैल जाएगी, और सभी जीव-जंतु खत्म होने लगेंगे।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन किया जाता है, तो उसे वायु प्रदूषण ( Air Pollution) कहा जाता है। यह हानिकारक पदार्थ उद्योग के धुंओं और गाड़ियों के धुंओं से सबसे ज्यादा उत्सर्जित होते है। इस वायु प्रदूषण से पूरे पर्यावरण को खतरा होता है।

जैसे-जैसे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बीमारियां फैल रही है और जीवों की आयु कम होती जा रही है। वायु प्रदूषण से अनेक तरह की गंभीर बीमारियां फैल रही हैं, जैसे- खांसी, श्वास लेने में कठिनाई, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग, स्ट्रोक, मृत्यु का खतरा, कैंसर, जन्म दोष, प्रजनन क्षमता में कमी, अस्थमा, मधुमेह, मनोवैज्ञानिक समस्याएं आदि।

अगर हमें पृथ्वी पर जीवन बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण कम करना होगा। उदाहरण के लिए हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए। हमें जीवाश्म ईंधनों की जगह स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत ऊर्जा। इसके अलावा औद्योगिक धुंए को कार्बन में बदला जाना चाहिए।

Essay on Air Pollution in Hindi से हम वायु प्रदूषण के कारणों को समझ सकते है और इस रोकने का प्रयास कर सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में  (Essay On Air Pollution In Hindi 500 Words)

प्रस्तावना.

वायु प्रदूषण प्रकृति के लिए एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह औद्योगीकरण और शहरीकरण का एक घातक परिणाम है। अगर समय रहते वायु प्रदूषण को नही रोका गया तो पृथ्वी पर जीवन संकट में आ सकता है। वायु प्रदूषण से पृथ्वी का पूरा पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है, जिसके बहुत सारे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

वायु प्रदूषण किसे कहते है

Air Pollution, जब स्वच्छ वायु में रसायनिक कण, धूल कण, विषैली गैसे, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि मिल जाते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। यह वायु प्रदूषण अनेक कारणों से होता है, जैसे- जीवाश्म ईंधन के दहन से, गाड़ियों के धुंए से, औद्योगिक फैक्ट्रियों के धुंए से, कृषि कार्यों में कीटनाशकों और उर्वरकों से इत्यादि।

वायु प्रदूषण के कारण

Air Pollution के अनेक कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • औद्योगिकरण वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है, क्योंकि औद्योगिकरण प्रक्रिया में अनेक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं।
  • पैट्रोल और डीजल वाहन भी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है। क्योंकि वाहनों से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक पदार्थ निकलते हैं।
  • जीवाश्म ईंधनों का उपयोग भी वायु प्रदूषण को काफी ज्यादा बढ़ाता है। जीवाश्म ईंधन जैसे- बिजली संयंत्र कोयला, तेल, या प्राकृतिक गैस।
  • कृषि में कीटनाशकों के उपयोग से और फसलों को जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है।

इसके अलावा और कई कारण है जिससे वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण के दुषप्रभाव

वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या है क्योंकि इसका दुषप्रभाव पूरी प्रकृति पर पड़ता है। इससे काफी सारी गंभीर बीमारियां फैलती हैं, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है, जैसे- अस्थमा, कैंसर, गर्भपात, जन्म दोष, हृदय रोग, खांसी, फेंफड़ो से संबंधित रोग आदि।

Air Pollution का नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता हैं, जैसे- जलवायु में परिवर्तन, जल प्रदुषित होना, वनस्पति और जीवों को नुकसान पहुंचना, पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित होना।

वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय

हमारे लिए वायु प्रदूषण को कम करना एक बहुत बड़ी चुनौति है, लेकिन हमें मिलकर प्रयास करना होगा। हमें पेट्रोल या डिजल वाहनों का कम से कम उपयोग करना होगा। हमें जीवाश्म ईंधनों का कम उपयोग करना होगा। इसके अलावा कल कारखानों को बंद करना होगा, और जो कल कारखाने ज्यादा जरूरी हैं, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए, ताकि हमारा वायुमंहल कम प्रदुषित हो।

हम सभी मिलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर वायु प्रदूषण को कम कर सकते है। हमें सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करना चाहिए।

उपसंहार

अगर वायु प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो यह भविष्य में जानलेवा साबित हो सकता है। आने वाले कुछ ही वर्षों में पृथ्वी पर जीवन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इसलिए हमें वायु प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेना होगा, और इसे खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो आने वाले कुछ सालों हमारा पर्यावरण दोबारा स्वच्छ हो सकता है।

आप Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 1000 words  (Essay On Air Pollution In Hindi 1000 Words)

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। लेकिन यह समस्या भारत के लिए काफी बड़ी है। क्योंकि भारत में लगातार जनसंख्या बढ़ रही हैं, और इसके साथ-साथ आवश्यकताएं भी बढ़ रही है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगातार प्रदूषण को बढ़ा रहा है। उदाहरण के लिए पेट्रोल या डिजल वाहनों का बहुत ज्यादा उपयोग करना। औद्योगिकीकरण की प्रक्रियाओं का बढ़ना, जिससे कई हानिकारक गैसे, सुक्ष्म कण, और रासायन आदि का उत्सर्जन होना।

अगर हमें अपने देश को बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण को कम करना होगा, और जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।

वायु प्रदूषण क्या है

पृथ्वी पर जीवन के लिए वायु एक महत्वपूर्ण कारक है। एक शुद्ध वायु में ऑक्सीजन होती है, जो जीवन का आधार है, और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है, जो वनस्पति का पोषण है। यह वायुमंडल प्रकृति की एक बहुत बड़ी देन है।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायु में विषैली गैसे (कार्बन डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जमीन स्तरीय ओजोन, सरल्फर डाई ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर आदि), रसायन, सुक्ष्म कण, धूल, जैविक पदार्थ आदि मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।

हमारे वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड और शेष 0.97% आर्गन, नियोन, सल्फर डाईऑक्साइ, कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन के कण, धूल मिट्टी और जलवाष्प होते है। लेकिन प्रदूषण की वजह से ऑक्सीजन कम हो रही है, और कार्बनिक पदार्थ ज्यादा बढ़ रहे है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।

वायु प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं, मतलब जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इसी तरह वायु प्रदूषण को भी कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। वायु प्रदूषण के मुख्य दो प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • प्राकृतिक प्रदूषण – वह प्रदूषण जो मानवीय गतिविधियों की बजाय प्राकृतिक प्रक्रियाओं से होता है, जैसे- ज्वालामुखी विस्फोट से, जंगल की आग से, धूल भरे तूफान से, मवेशियों के दहन से आदि।
  • मानव निर्मित प्रदूषण – यह वह प्रदूषण है जो मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होता है, जैसे- औद्योगिक कल कारखाने, पेट्रोल व डीजल वाहन, जीवाश्म ईंधन, दावानल आदि। इसके अलावा और भी अनेक कारण है जिससे वायु प्रदुषण फैलता है।

वायु प्रदूषण आंतरिक और बाह्य प्रकार के भी होते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण प्राथमिक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) और द्वितीयक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) प्रकार के भी होते हैं।

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानवीय कारणों की वजह से होते हैं, जो निम्नलिखित हैं।

प्राकृतिक कारण:

  • ज्वालामुखी वायु प्रदूषण का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक कारण है, क्योंकि ज्वालामुखी के फटने पर जहरीली गैसे और लावा बाहर निकलता है।
  • कई बार जंगलों में गर्मीयों की वजह से आग लग जाती है, जिससे अधिक मात्रा में धुंआ निकलता है और वायु प्रदूषण फैलता है।
  • तूफान भी वायु प्रदूषण का एक प्राकृतिक कारण है, क्योंकि तूफान से धूल मिट्टी उड़ती है।
  • वायु में कई सुक्ष्म बैक्टेरिया भी होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। ऐसे बैक्टेरिया भी वायु को प्रदूषित करते है।
  • पृथ्वी के चारों ओर कई धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते है, जो कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते है। इससे धूली मिट्टी और कुछ गैसे वायु में मिल जाती है।
  • पशुओं से छोड़ी जाने वाली मिथेन गैस से भी वायु प्रदुषण होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।

मानवीय कारण:

  • बड़े-बड़े औद्योगिक कल कारखानों से निकलने वाले धुएं और हानिकारक गैसों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है।
  • वनों की अंधाधुन कटाई से भी वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। क्योंकि पैड़-पौधे न होने की वजह से कार्बन डाईऑक्सान बड़ रही है, और ऑक्सीजन कम हो रही है।
  • जनसंख्या वृद्धि वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है, क्योंकि अधिक लोगों के लिए अधिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है, और इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
  • किसान फसलों को काटने के बाद डंठल को जला देते है, जिससे जहरीले कीटनाशक रसायन जलने के साथ वायुमंडल में आ जाते है, और वायु प्रदूषण फैलाते है।
  • पैट्रोल व डीजल वाहनों से निकलने वाले धूंए की वजह से भी वायु प्रदूषण फैलता है।
  • जीवाश्म ईंधन जैसे पैट्रोलियम उत्पाद, कोयला और प्राकृतिक गैस के दहन से भी वायु प्रदूषण होता है।
  • लोगों द्वारा किए जा रहे धूम्रपान से भी वायु प्रदूषण काफी ज्यादा हो रहा है।

पर्यावरण पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण से प्रकृति पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता हैं। ये दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्सान (CO2) लगातार बढ़ रही है, जिससे ओजोन परत पतली होती जा रही है। इससे से प्रकृति और मानव सभी को खतरा है।
  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 24% से कम होकर 22% हो गयी है।
  • Air Pollution की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • वायु प्रदूषण की वजह से प्राकृतिक आपदाएं भी आती रहती हैं।
  • वायु प्रदूषण से पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है। और ऋतुओं का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • Air Pollution से अम्लीय वर्षा भी होती है, जिससे प्रकृति को काफी नुकसान होता है।

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

प्रदूषित वायु मानव के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावीत करती है। इससे अनेक तरह की गंभीर बीमारियां भी फैलती हैं, जैसे-

  • श्वासनीय रोग- सांस की एलर्जी, घबराहट, अस्थमा, खांसी और ब्रोंकाइटिस।
  • हृदय रोग- हृदय की गति बढ़ना, रक्तचाप का बढ़ना, स्ट्रोक, और अन्य हृदय रोग।
  • प्रजनन संबंधित रोग – गर्भपात, जन्म दोष और अन्य प्रजनन संबंधित रोग।
  • कैसर रोग – वायु प्रदूषण से कैंसर की बीमारी।

इस तरह वायु प्रदूषण से अनेक तरह रोग फैलते है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो जाते है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके

भारत में वायु प्रदूषण काफी हद तक बढ़ रहा है, जिसे रोकना काफी ज़रूरी है। हम वायु प्रदूषण को निम्न तरीके से रोक सकते है।

  • वायु प्रदूषण को रोकने का सबसे आसान और अच्छा तरीका पेड़-पौधे लगाना है।
  • अगर हम जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर ले, तो वायु प्रदूषण कम हो सकता है।
  • अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलाने वाले कल कारखानों को बंद करना चाहिए।
  • हमे सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए, और कोयले व परमाणु ऊर्जा का कम उपयोग करना चाहिए।
  • कंस्ट्रक्शन के कार्य को कपड़े से ढ़ककर किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा धूल मिट्टी के कण न उड़े।
  • हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए, ताकि गाड़ियों से निकलने वाला धुआ कम हो।
  • वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण कानून (1981) का अच्छे पालन करना चाहिए।
  • हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक करना चाहिए।

आज के समय में वायु प्रदूषण केवल भारत के लिए नही बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। अगर इस समस्या को पूरी तरह से खत्म करना है तो हम सभी को जागरूक होना होगा, और इसे कम करने के लिए साथ-साथ कदम उठाने होंगे।

अगर हमने अभी प्रयास नही किए तो आने वाले समय में पृथ्वी से सभी जीव का नामों निशान खत्म हो जाएगा। इसलिए सभी को वायु प्रदूषण के संकट को लेकर जागरूक होना चाहिए।

हम 1000 शब्दों में Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार से लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन

  • वायु में जब हानिकारक और विषैले पदार्थ मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदुषण कहा जाता है।
  • वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
  • आज के समय में वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • अभी के समय में वायु प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है, अन्यथा हमारा भविष्य संकट में आ सकता है।
  • वायु प्रदूषण उत्पति के आधार पर मुख्य दो प्रकार हैं- प्राकृतिक वायु प्रदूषण और मानव निर्मित वायु प्रदूषण।
  • वायु प्रदूषण के मुख्य कारण कल कारखाने, वाहन, जनसंख्या वृद्धि, जीवाश्म ईंधन है।
  • वायु प्रदूषण से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते है, जैसे- जलवायु परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ग्लेशियरों का पिघलना।
  • वायु प्रदूषण से अनेक तरह की बीमारियां फैलती हैं, जैसे- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, उच्च रक्तचाप, हर्ट अटैक, कैंसर आदि।
  • वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय- पेड़-पौधे लगाना, वाहनों का उपयोग कम करना, कल कारखानों को बंद करना, जनंसख्या वृद्धि पर नियंत्रण आदि।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार अगर तेजी से Air Pollution बढता रहा तो 2050 तक पृथ्वी का तापमान 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा, जिससे पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे और भंयकर बाढ़ आएगी। इससे पूरी पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा।

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

Air Pollution Essay in Hindi  : आज हमने वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध में  हमने वायु प्रदूषण के बारे में बताया है.

Air Pollution पर निबंध  इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुएअलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

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Best Air Pollution Essay in Hindi 100 Words

वायु प्रदूषण वातावरण में घुलने वाली हानिकारक गैसों के कारण होता है. वायु प्रदूषण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव डालता है इसके कारण कई ऐसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं जो कि जीवन भर मानव के शरीर का साथ नहीं छोड़ती हैं और अंत में उस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रभाव शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर बड़े-बड़े उद्योग धंधों, मोटर वाहनों इत्यादि से जहरीली गैसें निकलती है.

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Air Pollution Essay in Hindi 200 Words

वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया भर में एक अहम मुद्दा बन चुका है वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक देश इसके हानिकारक प्रभावों को झेल रहा है. आज दुनिया भर में सब लोग सिर्फ अपने उद्योग धंधों की तरफ दे रहे हैं वह इतने स्वार्थी हो गए हैं कि पर्यावरण की उनको जरा भी चिंता नहीं है.

वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है. वायु प्रदूषण के कारण कैंसर, दमा, हार्ट अटैक श्वसन संबंधी खतरनाक बीमारियां हो रही है.

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इसके कारण हमारे पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिसके कारण सूर्य की हानिकारक कितने हमारी पृथ्वी पर सीधी पड़ती है और कई बीमारियों को जन्म देती है.

वायु प्रदूषण के कारण आज जीव जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. इसी के कारण आज मानव का जीवन काल भी कम हो गया है पहले मानव 100 साल तक जीवित रहता था लेकिन आजकल 70 वर्ष की अवधि भी पार करना मुश्किल हो रहा है.

वायु प्रदूषण उद्योग धंधे, मोटर वाहनों, ज्वालामुखी फटने इत्यादि के कारण बढ़ रहा है इसको कम करने के लिए हमें जल्द से जल्द पेड़ पौधे लगाने होंगे और ऊर्जा के लिए नए संसाधन ढूंढने होंगे जिनसे वायु प्रदूषण न के बराबर हो.

Vayu Pradushan Essay in Hindi 500 Words

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इसके कारण हमारे देश में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है. यह प्रतिवर्ष दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण को लेकर ना तो सरकार की तरफ से कोई पुख्ता कदम उठाई जा रहे हैं और ना ही आम आदमी इसके बारे में कोई चिंता कर रहा है.

पृथ्वी पर रहने वाला एक जीव या मानव भोजन और जल के बिना तो कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है लेकिन वायु के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता है इसलिए हमें प्राण दाई ऑक्सीजन को प्रदूषित नहीं करना चाहिए.

वायु प्रदूषण के कारण हमारी पृथ्वी पर भी बदलाव आ रहा है जिसके कारण हमारी पृथ्वी का वातावरण बहुत तेजी से गरम हो रहा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. वायु प्रदूषण हमारी पूरी पृथ्वी के वातावरण को नष्ट कर रहा है.

वायु प्रदूषण होने के दो प्रमुख कारण है जिसमें एक प्राकृतिक है और एक मानव जनित है –

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वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण –

हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है जैसे की ज्वालामुखी का फटना, जंगलों में आग लगना, धूल उड़ना, रेत संकुचन, महासागर की लवणता बढ़ना, आंधी-तूफान, धूमकेतु स्प्रे, पराग अनाज, विषाणु, बैक्टीरिया इत्यादि कारण है जिसके कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण का मानव निर्मित कारण –

पृथ्वी पर वायु प्रदूषण प्रमुख रूप से मानव द्वारा किया जा रहा है इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है – बड़े उद्योग धंधे, कल कारखाने, मोटर वाहन, धूम्रपान, लकड़ियों का धुँआ, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, खरपतवार को हटाने के लिए और फसल को रगड़ो से मुक्त करने के लिए गैसों का छिड़काव, फसल काटने के बाद बची हुई घास को जलाना, पार्टिकुलेट पदार्थ, बम विस्फोट, परमाणु विस्फोट, खुले में शौच करना, कोयले का दोहन, निर्माण कार्य से उड़ती धूल इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में फैलता है.

इन सभी कारणों से हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैसों की मात्रा बढ़ जाती है यह सभी कैसे हमारे वायुमंडल के लिए हानिकारक है.

पृथ्वी पर इन सभी गैसों की मात्रा बढ़ने के कारण कैंसर, दमा, दिल की बीमारियां, पेट की बीमारियां, आंखें खराब होना जैसी लाइलाज बीमारियां अत्यधिक मात्रा में बढ़ रही है. अगर जल्द ही वायु प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो यह पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकता है.

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वायु प्रदूषण से हमारी पृथ्वी को बचाने के लिए हमें उद्योग धंधों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित करना चाहिए, हमें परमाणु ऊर्जा के स्थान पर नई ऊर्जा के स्त्रोत खोजने चाहिए जिनसे प्रदूषण कम हो, हमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए, बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता देनी चाहिए, घरों में लकड़ियों के स्थान पर गैस का इस्तेमाल होना चाहिए,

निर्माण कार्य करते समय पानी का छिड़काव करके या फिर कपड़े से ढककर निर्माण कार्य करना चाहिए और सबसे अधिक और जरूरी कार्य में अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Latest Air Pollution Essay in Hindi 2500 Words

प्रस्तावना –

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया भर में एक महामारी के रूप में फैल रहा है. वायु पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए प्रथम आवश्यकता है लेकिन इसमें जब हानिकारक गैसें मिल जाती है तब यह धीमे जहर की तरह काम करता है. पूरी दुनिया भर में वायु प्रदूषण बहुत तेजी से फैल रहा है.

जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां जन्म ले रही है वायु प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. जो वस्तुएं हमें प्रगति की ओर ले कर जा रही है असल में वह हमें दुगनी रफ़्तार से दुर्गति की ओर लेकर जा रही है क्योंकि हम जितनी भी वस्तुए काम में लेते है-

जैसे मोटर वाहन, हवाई जहाज, कल कारखाने, ऊर्जा के लिए कोयले का इस्तेमाल आदि इन से जहरीली गैसे बनती है जो कि हमारे वातावरण और हमारे लिए बहुत खतरनाक है. वायु प्रदूषण को जल्द से जल्द रोका जाना बहुत जरूरी है.

वायु प्रदूषण क्या है –

हमारी पृथ्वी के वातावरण विभिन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है जिसमें मानव और एवं अन्य सजीव जीव जंतुओं के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि वातावरण में लगभग 24% है. लेकिन धीरे-धीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है इसमें कई प्रकार की विषैली गैसे घुल रही है.

साधारण शब्दों में बात करें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, विषैली गैसें, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के कारण वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण के कारण –

जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है तब से वायु प्रदूषण हो रहा है लेकिन मानव सभ्यता के आने से पहले वायु प्रदूषण बहुत कम मात्रा में होता था लेकिन मानव जनित कार्यों के कारण वायु प्रदूषण 2 से 3 गुना अधिक रफ्तार से बढ़ रहा है.

दुनिया के लगभग सभी देश वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय हमारे भारत देश के लिए है क्योंकि वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर हमारे भारत देश में ही है. जिसके कारण हमारे देश के शहरों में जीना मुश्किल हो गया है.

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण मे प्राकृतिक कारणों और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है जिसको हमने विस्तारपूर्वक नीचे बताया है

(1) ज्वालामुखी का फटना – हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोकि समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली गैस से और लावा निकलता रहता है जिसके कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती रहती है. हाल ही में अभी इंडोनेशिया में एक ज्वालामुखी फटा था जिसका धूल का गुबार करीब 4000 मीटर तक फैल गया था. जिससे वहां के आसपास की वनस्पति और जीव-जंतु समाप्त हो गए थे और इसके कारण करीब 1400 लोग मारे गए थे.

(2) जंगल में आग लगना – पृथ्वी पर बहुत से बड़े बड़े जंगल हैं जिन में बहुत से पेड़ पौधे और वनस्पतिया है जिनके कारण जंगलों में बहुत सी जलाऊ लकड़ी पाई जाती है यह थोड़ी सी आग की चिंगारी से जलने लग जाते है. ज्यादातर गर्मियों में जंगलों में आग लगती है जिसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है जिससे अधिक मात्रा में धुँआ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषण होता है.

(3) धूल उड़ना – हमारे वातावरण में हर समय धूल मिट्टी उड़ती रहती है इसका कारण यह है कि कभी तेज हवा चलती है तो कभी आंधी तूफान आ जाते हैं जिसके कारण धूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. धूल मोटर वाहनों और अन्य बड़े वाहनों के चलने के कारण धूल उड़ती है.

(4) बैक्टीरिया – पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं यह में खुली आंखों से तो दिखाई नहीं देते लेकिन यह हवा के साथ मिलकर हमारे शरीर में चले जाते है जिसके कारण हमारा शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है. यह हानिकारक बैक्टीरिया केमिकल फैक्ट्री और अन्य हानिकारक वस्तु से निकलते रहते है.

(5) फूलों के परागण – दुनिया के सभी देशों में फूलों के बागान होते है. जिनमें अधिक मात्रा में फूल उगते है लेकिन उन फूलों के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में फूलों के परागकण होते हैं जो की थोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है.

(6) धूमकेतु / उल्का पिंड – पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में बहुत सारे धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते हैं जिसके कारण उनकी धूल मिट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है.

(7) पशुओं द्वारा – हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के लिए पाला जाता है कुछ लोग उनसे दूध निकालते हैं तो कुछ उनको बाहर के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इनके द्वारा छोड़ी गई गैस मिथेन के रूप में निकलती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.

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वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण –

(1) उद्योग धंधे/ कल कारखाने – बड़े उद्योग धंधे और कल कारखाने किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इन्हीं कारखानों के कारण दिन प्रतिदिन हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि इन कारखानों से धुएं के साथ साथ हानिकारक गैसे भी निकलती है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित करती है.

बड़े उद्योगों में रासायनिक केमिकल और कोयले का इस्तेमाल किया जाता है दोनों ही हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है. इन उद्योगों के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन सही से कानून की पालना नहीं होने के कारण वायु प्रदूषण दुगनी तेजी से फैल रहा है.

(2) वनों की अंधाधुंध कटाई – वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण क्योंकि पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती हो और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेकिन पेड़ों की संख्या कम होने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है

इसका मुख्य कारण है कि हम बहुत तेजी से वनों को काट रहे है लेकिन उतनी तेजी से पेड़ पौधे लगा नहीं रहे है. इसी कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है और पूरे वातावरण में बदलाव आ रहे है.

(3) जनसंख्या वृद्धि – वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन की मात्रा का उपयोग अधिक मात्रा में हो रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संसाधनों की भी जरूरत पड़ती है जिनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

(4) पराली जलाना – फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं जिनको किसानों द्वारा जला दिया जाता है और सभी देशों में खेत अधिक मात्रा में होती है और हमारे भारत देश की बात करें तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां पर ज्यादातर किसान लोग ही रहते हैं इसलिए अधिक मात्रा में खेतों में डंठल बच जाते है. जिनको जलाए जाने से वायु में धुएं का गुबार छा जाता है

जिसके कारण लोगों को सांस लेने और दिखाई देने में दिक्कत होने लग जाती है. इसका उदाहरण हम दिल्ली राज्य से ले सकते हैं जहां पर हर साल नवंबर दिसंबर माह में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है यह मात्रा इतनी ज्यादा अधिक होती है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकती है.

वायु प्रदूषण की मात्रा एक्यूआई में मापी जाती है जो कि 0 से 50 एक्यूआई तक अच्छी मानी जाती है लेकिन दिल्ली में इसकी मात्रा 400 एक्यूआई से भी अधिक चली जाती है जो कि बहुत ही हानिकारक होती है

(5) मोटर वाहन – जितनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की विलासता की चीजों में भी रुचि बढ़ती जा रही है लोग दिन प्रतिदिन नए वाहन खरीद रहे है जिसके कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वच्छ हवा में घुलता है और उसे प्रदूषित कर देता है.

(6) परमाणु परीक्षण – पूरी दुनिया में प्रत्येक देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु परीक्षण कर रहा है जिसके कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के साथ साथ परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्ट हो रहा है इसे हम एक उदाहरण के तहत समझ सकते हैं जब दुसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने नागा शाकी नाम की जगह पर परमाणु बम गिराया था तो वहां पर जिंदगी का नामोनिशान मिट गया था जिसका असर आज भी देखने को मिलता है वहां की हवा आज भी प्रदूषित है

(7) सूखा कचरा जलाना – प्रतिदिन घरों से सूखा और गीला कचरा निकलता है सूखे कचरे को हम नादानी में जला देते हैं और सोचते हैं कि इससे क्या प्रदूषण होगा लेकिन अगर करना की जाए तो दुनिया भर में बहुत सारे करें और उनमें से रोज अगर थोड़ा भी कचरा निकलता है तो वह एक साथ मिलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और उसे जलाने पर प्रदूषण की मात्रा बड़ी जाती है

(8) मरे हुए मवेशी – हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए देखने को मिल जाते हैं जिनसे भयंकर बदबू आती रहती है और उनमें कई तरह के व्यक्तित्व उत्पन्न हो जाते हैं जो कि पूरी हवा को प्रदूषित कर देते हैं इसके कारण कई बीमारियां भी फैल जाती है. कभी-कभी तो इन के कारण बहुत गंभीर बीमारियां हो जाती है.

(9) रासायनिक पदार्थ – वर्तमान समय में सभी लोग रासायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है जिंदगी वस्तुओं में रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है वे एक समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ निकलने लग जाता है जोकि हवा में आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है.

(10) धूम्रपान – पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जिससे हमारे वातावरण की सोच व प्रदूषित हो रही है.

(11) कीटनाशक – वर्तमान में किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है जिसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो हवा में कीटनाशक दवा बन जाती है और वह हवा को प्रदूषित कर देती है.

(12) लकड़ी का अत्यधिक उपयोग – भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं किया जाता है और अधिक मात्रा में लकड़ी जलाई जाती है जिसके कारण धुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. हालांकि सरकार ने गांव में भी गैस पहुंचाने के लिए उज्जवला योजना प्रारंभ की है लेकिन इस योजना का लाभ अभी कुछ लोग ही ले पाए है.

(13) ताप ऊर्जा – बिजली बनाने के लिए आज भी कोयला सबसे सस्ता साधन है लेकिन इसके कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है कोयला सत्ता होने के कारण आज भी 70% बिजली कोयले से ही बनाई जाती है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है.

(14) औद्योगिक निर्माण – पूरी दुनिया में जिस तेजी से तरक्की हो रही है उसी तेजी से औद्योगिक निर्माण भी किया जा रहा है हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण हवा में सीमेंट, धूल आदि उठते रहते हैं जिसके कारण हवा प्रदूषित होती रहती है.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव –

(1) ओजोन परत का क्षरण होना – जैसे-जैसे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है उसके कारण पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है जिसके कारण सूची से आने वाली हानिकारक किरणें सीधी हमारे ऊपर पड़ती है जिससे त्वचा का कैंसर जैसी बीमारियां हो रही है.

(2) बीमारियों को निमंत्रण – पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और मनुष्य को स्वच्छता की आवश्यकता होती है इसके बिना वे एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं अगर हवा प्रदूषित होगी तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है.

(3) ऑक्सीजन की कमी – हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24% थी लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम होती जा रही है एक रिसर्च के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मात्रा 22% ही रह गई है.

(4) जीव जंतुओं की असमय मृत्यु – स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और साथ ही कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है अगर ऐसे ही वायु प्रदूषण होता रहा तो एक दिन सभी जीव जंतु की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी.

(5) वातावरण प्रभावित होना – वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने के कारण पृथ्वी का पूरा वातावरण प्रभावित हो रहा है इसके कारण पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है. आए दिन कोई ना कोई आपदा आती रहती है इसका कारण प्रदूषण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा.

(6) अम्लीय वर्षा – वायु प्रदूषण के कारण शुद्ध हवा में कई प्रकार की हानिकारक ऐसे मिल जाती हैं जिनमें सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है यह हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है

जिससे अम्लीय वर्षा होती है जिस को आम भाषा में हम तेजाब वर्षा भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती है और यह पानी में घुलने कारण सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं.

(7) पृथ्वी के तापमान में वृद्धि – वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वातावरण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है.

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय –

(1) पेड़ पौधे लगाना – अगर हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों से ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है जिसके कारण ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है वर्तमान में पेड़-पौधों को अधिक मात्रा में काटा जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फ़ैल रहा है.

(2) जनसंख्या नियंत्रण – आज पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रही है अगर हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर लेते हैं तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी जिससे प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी. वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि ही है.

(3) कल कारखाने कम करना – हमें उन कल कारखानों को बंद कर देना चाहिए कि से अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है और जिन कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी चिमनीयो की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए जिससे हमारा वायुमंडल कम से कम प्रभावित हो.

(4) ऊर्जा के नए स्रोत खोजना – हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत खोजने चाहिए हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए हमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए जिसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी मिल जाएगी.

(5) नियमों के अनुसार निर्माण कार्य करना – हमारे पूरे देश में जब भी कोई निर्माण होता है तो वह खुले में होता है जिसके कारण चारों तरफ धूल मिट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है. जब भी हम निर्माण कार्य करें तो उसे किसी कपड़े से ढककर करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण नहीं हो.

(6) पुराने वाहनों को बंद करना – हमारे भारत देश में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं जिनसे अधिक मात्रा में जहरीला धुआं निकलता है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देते है. एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के बराबर धुआं निकलता है जो कि वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाता है. सरकार को नए नियम लागू पुराने वाहन बंद कर देनी चाहिए जिसे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके/

(7) सार्वजनिक वाहनों का उपयोग – अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मात्रा में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना होगा जिससे कम से कम प्रदूषण होगा.

(8) कानूनी नियंत्रण – वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमारी सरकार को नए नियम बनाने चाहिए और प्रदुषण नियन्त्रण सम्बन्धी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता की जानी चाहिए साथ ही वायु प्रदूषण कानून (1981) की सख्ती से पालना करवानी चाहिए.

(9) जन जागरण – किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर है अगर नियंत्रण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए. हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाहिए और स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है.

हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है.

उपसंहार –

वायु प्रदूषण जानलेवा है  इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान ही मिट जाएगा. जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है.

क्योंकि हमारी सरकार हर गली मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगा सकती है इसलिए हमें  आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते है.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Air Pollution Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

8 thoughts on “वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi”

Good , I like it. Help me like this always please.

Thank you Kritika Singh for appreciation.

Thanks 😊😘😊😊😊😊😊 Bahut accha essay hai

Atharv, sarahna ke liye dhanyawad aise hi hindi yatra par aate rahe.

It’s very nice, thanks alot to write it, it’s very useful for me.

Welcome Rahul Kumar Saini keepvisiting hindiyatra.com

Thanks apne bahut sahi kiya jo y essay diya esko padkar mujhe bahut santuste hue h thanks

Welcome Sakshipal and thank you for appreciation.

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Essay on Pollution : प्रदुषण पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैम्पल्स

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  • Updated on  
  • जून 5, 2024

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। प्रदूषण की समस्या को समझते हुए कई बार विद्यार्थियों को इसके ऊपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहां Essay on Pollution in Hindi दिया गया है, जिसे आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजक्ट में प्रयोग कर सकते हैं।

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प्रदूषण के बारे में, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द , प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदूषण के प्रकार , प्रदुषण पर कोट्स.

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है। प्रदूषण (संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

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Essay on Pollution in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

यह भी पढ़ें : प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

Essay on Pollution in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है-

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

जल प्रदूषण : उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

भूमि प्रदूषण : वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण : ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण : प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य   निबंध से संबंधित ब्लॉग्स   पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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प्रदूषण के सभी प्रकारों में से वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है क्योंकि यह एक ही समय में पर्यावरण, प्रकृति, प्राकृतिक संसाधनों, मनुष्य, पेड़-पौधों, जानवरों, पशु-पक्षियों, वायु, जल आदि सभी को एक साथ बहुत तेजी से प्रभावित कर सकता है। वायु प्रदूषण मानव जीवन पर कई तरह से अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है और आने वाले समय के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है। समय रहते अगर इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो यह धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट कर देगा।

वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है। ये समय क्यों आ गया है कि हमें बाहर निकलते वक्त अपने मुँह को किसी कपड़े या मास्क के ढककर निकलना पड़ रहा है। इसका कारण सिर्फ एक है और वो है तेजी से अपने पैर पसारता हुआ “प्रदूषण”। प्रदूषण ने ना सिर्फ प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है बल्कि महामारियों को भी जन्म दिया है।

वायु प्रदूषण क्या है?

सबसे पहले हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि वायु प्रदूषण है क्या? दरअसल वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पूरी वायुमंडलीय हवा में बाहरी तत्वों से मिलकर बनता है। यह तत्व छोटे-बड़े उद्योगों और अनगिनत मोटर वाहनों से पैदा होते हैं। यह खतरनाक, हानिकारक और जहरीली गैसें ही हमारे मौसम, पेड़-पौधों, जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के ऊपर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक हैं। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने का कारण इंसानों द्वारा की जाने वाली गतिविधियाँ हैं। ये गतिविधियाँ तेल का जलना, गंदा कचरा जलाना, प्लास्टिक जलाना, हानिकारक गैसों को छोड़ना, कारखानों, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि में सम्मिलित होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण सामने आते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानव निर्मित कारण। इन दोनों कारणों की वजह से ही वायु प्रदूषण पैदा होता है। लेकिन अगर तुलना की जाए, तो सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव निर्मित कारण की वजह से ही बढ़ा है। वायु प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस और लावा
  • प्राकृतिक रूप में जंगलों में लगने वाली आग
  • वातावरण में हर समय उड़ती हुई धूल और मिट्टी
  • तेज हवा, आंधी और तूफान
  • बड़े उद्योगों और कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस
  • वनों की कटाई
  • जनसंख्या वृद्धि
  • परमाणु परीक्षण से निकलने वाले जहरीले तत्व
  • गंदे कचरे से उड़ने वाली भयंकर बदबू
  • किसानों द्वारा पराली जलाना

वायु प्रदूषण के ये वो सभी कारण हैं जिनसे हम सभी अवगत हैं और जिनकी हम पहचान कर सकते हैं। इन कारणों को पहचाने के बावजूद हमें इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं और इन्हें भूलकर चुप बैठ जाते हैं। लेकिन अब ज़रूरत है कि वायु प्रदूषण के कारणों की समय पर पहचान करते हुए इसका तुंरत हल निकाला जाए और प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जाए।

वायु प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण प्रदूषण के प्रकारों में से ही एक है, लेकिन वायु प्रदूषण के अपने भी कुछ प्रकार हैं, जैसे-

  • विविक्त प्रदूषण- हवा में कई तरह के प्रदूषक ठोस रूप में उड़ते हुए पाये जाते हैं। इस तरह के प्रदूषकों में धूल, राख आदि शामिल होते हैं। इसके कण बड़े और चौड़े आकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर फैलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह के प्रदूषण को विविक्त प्रदूषण कहा जाता है।
  • गैसीय प्रदूषण- जो क्रियाएं मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है।
  • रासायनिक प्रदूषण- वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायुमण्डल में विषैली रासायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती हैं।  
  • धुआँ और धुंध प्रदूषण- हमारे वायुमण्डल में धुआँ (स्मोक) और कोहरा (फॉग) यानी कि हवा में पायी जाने वाली जलवाष्प और जल की बूँदों के छोटे-छोटे कणों से धुंध (स्मॉग) का निर्माण होता है। इसी धुंध से वायुमण्डल में घुटन पैदा होती है और दृश्यता भी काफी कम हो जाती है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ने से और इसके अनियंत्रित होने की वजह से इसके कई दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। ये दुष्प्रभाव आने वाले समय और धरती पर जीवन यापन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। वायु प्रदूषण के होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों में निम्नलिखित हैं, जैसे-

बीमारियों का बढ़ना 

हम सभी को इस पृथ्वी पर रहने के लिए स्वच्छता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। साफ-सफाई के बिना हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं। अगर हमारी हवा ही प्रदूषित होगी, तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर, सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाएगा। ये बीमारियाँ हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती हैं।

ऑक्सीजन कम होना 

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन भी कम होती जा रही है। पहले हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24 प्रतिशित थी लेकिन धीरे-धीरे अब इसकी मात्रा भी कम हो रही है। एक रिसर्च के मुताबिक अब हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घटकर केवल 22 प्रतिशत ही बची है।

पशु-पक्षियों की समय से पहले मृत्यु 

स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन न मिलने की वजह से रोज़ न जाने कितने ही जीव-जंतुओं की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के कारण पशु-पक्षियों की कुछ प्रजातियां तो बिल्कुल ही विलुप्त होती जा रही हैं। इस तरह से ही अगर वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो एक दिन ऐसा आएगा जब धरती पर कोई भी जीव-जंतु जीवित नहीं बचेगा।

वातावरण प्रभावित होना 

हवा में प्रदूषण की मात्रा ज़्यादा होने की वजह से पृथ्वी का पूरा वातावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस वजह से पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है। रोज़ कोई ना कोई आपदा या महामारी आती रहती है। इन सबका कारण प्रदूषण ही है। अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है, तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा।

अम्लीय वर्षा होना 

वायु प्रदूषण होने की वजह से साफ हवा में बहुत सी प्रकार की हानिकारक गैसें मिल जाती हैं। इन गैसों में सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है। जब ये हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है, तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है, जिसे अम्लीय3 वर्षा बोलते हैं। इसे आम भाषा में हम तेजाब वर्षा या ऐसिड रेन भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती हैं। यह पानी में घुलने की वजह से सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं और कई अलग-अलग प्रकार की गंभीर बीमारियां बनाती हैं।

तापमान का बढ़ना 

वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ धरती का तापमान भी लगातार बढ़ता जा रहा है। एक रिसर्च के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो पृथ्वी का तापमान भी तेजी से बढ़ता जाएगा। यदि पृथ्वी का तापमान दो से तीन प्रतिशत भी बढ़ता है, तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल सकते हैं और भयंकर बाढ़ आ सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो पृथ्वी पूरी तरह से नष्ट भी हो सकती है।

वायु प्रदूषण के निवारण

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे नियंत्रित करने के लिए हमें छोटे-छोटे उपायों से ही शुरुआत करनी होगी। सबकी भागीदारी ही वायु प्रदूषण को खत्म करने में मदद करेगी। वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय इस प्रकार हैं-

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना– अगर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना चाहते हैं, तो हमें ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में पेड़-पौधे लगाने होंगे। क्योंकि पेड़-पौधों से ही ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं जिस वजह से ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है। लेकिन आज के समय में पेड़-पौधों को ही सबसे ज़्यादा काटा और नष्ट किया जा रहा है, जिसके कारण वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देना– जनसंख्या वृद्धि की समस्या सबसे गंभीर समस्या है और इस समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है। यदि हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी, जिससे प्रदूषण अपने आप ही कम हो जाएगा। जनसंख्या वृद्धि भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।

उद्योग और कारखाने कम करना – वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें उन उद्योगों और कारखानों को भी बंद करना होगा, जो अधिक मात्रा में प्रदूषण करते हैं। जिन कारखानों की हमें ज़रूरत है, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई भी ज़्यादा होनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा वायुमंडल भी कम से कम प्रभावित होगा।

ऊर्जा के नए स्रोत तलाशें– कारखानों, फैक्ट्रियों, मशीनों आदि को चलाने के लिए हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत तलाशने होंगे। हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का प्रयोग कम करना होगा। हमें सौर ऊर्जा का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा करना होगा। ऐसा करने से वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी तरह से प्राप्त हो जाएगी।

सार्वजनिक वाहनों का उपयोग– वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें निजी वाहनों का इस्तेमाल बंद करके ज़्यादा से ज़्यादा सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना होगा। इस पहल से भी वायु प्रदूषण में कमी आएगी।

कानूनी नियंत्रण जरूरी– वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमारी देश की सरकार को नए नियम और कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े प्रमाण पत्र की भी अनिवार्यता करनी होगी और लोगों को वायु प्रदूषण कानून का भी सख्ती से पालना करना सीखना होगा।

जन जागरण की आवश्यकता– प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए हमें लोगों को प्रदूषण के बारे में सचेत और जागरूक करना होगा। प्रदूषण के बारे में सभी विद्यालयों में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो प्रदूषण कैसे फैलता है और इसे फैलने से कैसे रोकें। इसके अलावा हमें गांव-गांव में जाकर नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से वहाँ के लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। इन सभी प्रयासों के बाद ही हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में सफल हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण की समस्या एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसके बारे में हम लोगों को जितना जागरूक करेंगे उतनी ही जल्दी हम इस समस्या का इलाज कर पाएंगे। लोगों को जागरूक करेंगे का काम हमें जमीनी स्तर पर रहकर, उनके बीच जाकर और उन्हें इस समस्या के दुष्प्रभावों के बारे में बताकर करना होगा। लेकिन उससे भी पहले हमें खुद जागरूक होना होगा, खुद को बदलना होगा और सबसे पहले इसकी शुरुआत हमें अपने आप से ही करनी होगी, तब कहीं जाकर हम वायु प्रदूषण मुक्त भारत की कल्पना कर सकते हैं।

यह निबंध भी पढ़ें-

  • प्रकृति पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

वायु प्रदूषण पर आधारित FAQs

प्रश्न- वायु प्रदूषण कैसे होता है?

उत्तर- वायु में हानिकारक प्रदूषकों के एकत्रित होने को वायु प्रदूषण कहते हैं। अधिक जनसंख्या, वाहन, असंतुलित औद्योगीकरण इसके मुख्य कारण हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण का अर्थ क्या है?

उत्तर- वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ या जैविक पदार्थ के वातावरण में मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव-जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग होते हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं?

उत्तर- कोयला, मिट्टी के तेल, जलाऊ लकड़ी, गोबर के केक, सिगरेट से निकलने वाले धुएं आदि के जलने के दौरान निकलने वाली आम प्रदूषक गैसें कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि लगभग 90% हैं।

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  • प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): हिंदी में प्रदूषण पर 200-500 शब्दों में निबंध

Updated On: September 02, 2024 06:32 pm IST

  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay …
  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay …

प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)

प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण: वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण: जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण: भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। प्रकाश प्रदूषण: बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण: ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण: ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं: कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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air pollution essay writing in hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

Essay on Air Pollution in Hindi: दोस्तों आज हमने  वायु प्रदूषण पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध – इससे पहले हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह शुद्ध और ताजा होने के लिए इस्तेमाल होती है। लेकिन, बढ़ते औद्योगीकरण और पर्यावरण में जहरीली गैसों की सांद्रता के कारण हवा दिन-प्रतिदिन और अधिक विषाक्त होती जा रही है। साथ ही, ये गैसें कई श्वसन और अन्य बीमारियों का कारण हैं । इसके अलावा, तेजी से बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना , वनों की कटाई वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

वायु प्रदूषित कैसे होती है?

जीवाश्म ईंधन , लकड़ी, और अन्य चीजें हैं जो हम कार्बन आक्साइड का उत्पादन जो वातावरण में जारी किया गया जला। इससे पहले बड़ी संख्या में पेड़ होते हैं जो आसानी से सांस लेने वाली हवा को फ़िल्टर कर सकते हैं। लेकिन जमीन की मांग बढ़ने के साथ, लोगों ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया, जिससे वनों की कटाई हुई। अंततः पेड़ की फ़िल्टरिंग क्षमता कम हो गई।

Air Pollution Essay in Hindi

इसके अलावा, पिछले कुछ दशकों के दौरान, जीवाश्म ईंधन जलाने वाले वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे हवा में प्रदूषकों की संख्या में वृद्धि हुई है ।

वायु प्रदूषण के कारण

इसके कारणों में जीवाश्म ईंधन और जलाऊ लकड़ी, कारखानों से निकलने वाला धुआं , ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग, बमबारी, क्षुद्रग्रह, सीएफसी (क्लोरोफ्लोरोकार्बन), कार्बन ऑक्साइड और कई और चीजें शामिल हैं।

इसके अलावा, कुछ अन्य वायु प्रदूषक हैं जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, बिजली संयंत्र, थर्मल परमाणु संयंत्र, आदि।

ग्रीनहाउस प्रभाव

ग्रीनहाउस प्रभाव वायु प्रदूषण का कारण भी है क्योंकि वायु प्रदूषण उन गैसों का उत्पादन करता है जिनमें ग्रीनहाउस शामिल हैं। इसके अलावा, यह पृथ्वी की सतह के तापमान को इतना बढ़ा देता है कि ध्रुवीय टोपियां पिघल रही हैं और अधिकांश यूवी किरणें पृथ्वी की सतह पर आसानी से प्रवेश कर रही हैं।

स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं। यह मनुष्यों में कई खाल और श्वसन विकार का कारण है। साथ ही, यह हृदय रोग का भी कारण बनता है। वायु प्रदूषण से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और कई अन्य बीमारियां होती हैं।

इसके अलावा, यह फेफड़ों की उम्र बढ़ने की दर को बढ़ाता है, फेफड़ों के कार्य को कम करता है, श्वसन प्रणाली में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके

यद्यपि वायु प्रदूषण का स्तर एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गया है। लेकिन, अभी भी ऐसे तरीके हैं जिनके द्वारा हम वायु से वायु प्रदूषकों की संख्या को कम कर सकते हैं।

वनों की कटाई- अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हवा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है क्योंकि वे हवा को साफ और फ़िल्टर करते हैं।

उद्योगों के लिए नीति- देशों में गैसों के फिल्टर से संबंधित उद्योगों के लिए सख्त नीति शुरू की जानी चाहिए। इसलिए, हम कारखानों से निकलने वाले विषाक्त पदार्थों को कम कर सकते हैं।

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इको-फ्रेंडली ईंधन का उपयोग- हमें इको-फ्रेंडली ईंधन जैसे एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस), सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस), जैव-गैस और अन्य पर्यावरण-अनुकूल ईंधन का उपयोग अपनाना होगा। तो, हम हानिकारक विषाक्त गैसों की मात्रा को कम कर सकते हैं।

इसे योग करने के लिए, हम कह सकते हैं कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह दिन-ब-दिन प्रदूषित होती जा रही है। वायु प्रदूषण में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान जीवाश्म ईंधन का है जो नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक ऑक्साइड का उत्पादन करते हैं। लेकिन, इंसानों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और जो समस्या उन्होंने पैदा की है, उसे दूर करने के लिए समर्पित होकर काम कर रहे हैं।

इन सबसे ऊपर, पेड़-पौधे, पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग जैसी कई पहलों को दुनिया भर में बढ़ावा दिया जाता है।

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

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Hindi Essay and Paragraph Writing – Pollution (प्रदूषण)

प्रदूषण पर निबंध – इस लेख में प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के स्रोत, प्रदूषण के परिणाम, प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे में जानेंगे | जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व मिलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में प्रदूषण पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में प्रदूषण  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

  • प्रदूषण पर 10 लाइन
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
  • Also See: World Environment Day Slogans, Quotes, and Sayings

प्रदूषण पर 10 लाइन 10 lines on Pollution in Hindi

  • वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हर किसी के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।
  • प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। 
  • प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण लगातार वनों की कटाई और बढ़ती हुई जनसंख्या है। 
  • वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं।
  • इन प्रदूषणों के कारण ही जलीय जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं और लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है।
  • इन प्रदूषणों से नदी-झील, सागर-महासागर, पर्वत भी प्रभावित हो रहे हैं।
  • बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण प्रदूषण भी है।
  • प्रदूषण की समस्या केवल एक देश का नही है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।
  • भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • भारत में हर साल 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 

Short Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

प्रदूषण पर निबंध/अनुच्छेद – प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है, एक प्रकार का हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी, धूल-मिट्टी आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंचाता है। आज, इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

प्रदूषण आज के समय में एक बहुत ही गंभीर समस्या है और इससे हर किसी का जीवन प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण बढ़ने का प्राथमिक कारण निरंतर वनों की कटाई और बढ़ती जनसंख्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, इसके मुख्य प्रकार है। वायु, जल, भूमि में प्रदूषण हानिकारक तत्वों के मिलने से फैलता है और जबकि ध्वनि प्रदूषण, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर के ध्वनि से उत्पन्न होता है। इन प्रदूषणों के बढ़ने से लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है, और बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी मर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने बेहतर भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

प्रदूषण एक हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी और धूल जैसे कई विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण को धीरे-धीरे खराब और नुकसान पहुंचा रहा है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों की जान खतरे में है। इसी कारण बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। ये प्रदूषण तब होता है जब प्रकृति के विभिन्न भागों में असंतुलन होता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण इसके विभिन्न प्रकार हैं। वाहनों और कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस वायु प्रदूषण का कारण बन रही है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों को श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं। जल प्रदूषण कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले कचरे को सीधे नदियों में छोड़े जाने के कारण होता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग से होता है। रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्या का कारण बन रही हैं। आज प्रदूषण को रोकने और स्वस्थ वातावरण प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की बहुत आवश्यकता है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह समस्या  सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। जिसकी चपेट में धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है। इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिख रहा है। प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति में संतुलन न होना, जीवन के लिए सभी जरूरी चीजों का दूषित हो जाना। जैसे- शुद्ध हवा न मिलना, शुद्ध जल न मिलना, शुद्ध भोजन व वातावरण न मिलना। प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण । इनमें से वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों, उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्रोतों से निकलने वाले हानिकारक धुएं से इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां होती हैं। जल प्रदूषण तब होता है जब कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले हानिकारक कचरे सीधे तौर पर नदियों, झीलों और महासागरों के पानी में बहा दिया जाता है और यह प्रदूषण जलीय जीवों को काफी नुकसान पहुंचाता है और मनुष्यों को स्वच्छ पानी तक पहुंच से वंचित कर देता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक पदार्थों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है, जिससे खेती की गई फसलें प्रदूषित हो जाती हैं। नतीजतन, इन दूषित फसलों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। ध्वनि प्रदूषण भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि से होती  है जो की सुनने की समस्या और कभी कभी बहरेपन का कारण बनती हैं। इन प्रदूषण के लिए मनुष्य जिम्मेदार है क्योंकि मनुष्य अपने लाभ के लिए दिन रात प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। इसलिए मनुष्य को ही प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में किसी भी पदार्थ की असंतुलित मात्रा में उपस्थिति से है। यह वैज्ञानिक प्रगति का एक नकारात्मक परिणाम है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार बन रही है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण– ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओज़ोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। अत्यधिक वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं। प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुआं वायु को प्रदूषित कर रहा है और शहरों और महानगरों से निकलने वाला कचरा साफ पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कारखाने गंदा पानी नदियों में छोड़ रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।  यातायात के आधुनिक साधन जहां एक तरफ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँच रहा है। भूमि प्रदूषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। यह प्रदूषण सभी प्राणियों के लिए हानिकारक है, यह हवा, पानी और धूल जैसे विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों और पौधों को नुकसान पहुँचाता है। आज इसी प्रदूषण के कारण सभी प्राणियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए। इसके लिए वनों की कटाई को रोकना और जल स्रोतों के प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है। यदि मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर ले तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि नहीं, तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।

Long Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण  पर निबंध (1500 शब्दों में)

  pollution essay in hindi – प्रदूषण पर निबंध.

In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution

Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

Here are some Important Points for प्रदूषण पर निबंध i.e is covered in this Article

  • Essay on Pollution in Hindi
  • प्रस्तावना (Preface)
  • प्रदूषण का अर्थ (What is Pollution (Meaning))
  • प्रदूषण के कारण (Reason for Pollution)
  • प्रदूषण के स्त्रोत (Sources of Pollution)
  • प्रदूषण के परिणाम (Consequences of Pollution)
  • प्रदूषण को रोकने के उपाय (Steps to Reduce Pollution)
  • उप-संहार / सारांश

प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र  एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप  प्रदूषण न केवल मानव जाति  बल्कि  समस्त  प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति  जानता भी है और समझता भी है |
  • लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक  रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा  में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों  ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
  • इस  प्रदूषण की सीमा केवल  धरती  ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |

Top प्रस्तावना – Preface

  • यदि जल दूषित है तो जल प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
  • वायु प्रदूषित है तो सांस  लेना ही दुर्भर हो जायेगा भाव कि जीवन ही खतरे में है | शुद्ध वायु प्राणो के लिए , श्वास प्रक्रिया  के लिए बहुत ही आवश्यक है।

इसी तरह मिट्टी हमारी मूल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति  के लिए जरूरी है | खाने – पीने के लिए अनाज , शुद्ध हवाओं के लिए पेड़ पौधे  भी हमें इसी से मिलते हैं|  इसके बगैर हम प्राणी जगत और मानव जाती के विकास के बारे में सोच भी नहीं सकते | और यदि वातावरण में शोर अधिक मात्रा में है तो यह ध्वनि प्रदूषण है जो कि  मानसिक असंतुलन का कारण बनता है  |

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प्रदूषण का अर्थ – Meaning of Pollution

भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो असंतुलित होते है | और यह असंतुलन ही प्रदूषण है | इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं | इसके अतिरिक्त जो कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का कारण है| अतः  हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

प्रदूषण के कारण  – Reason For Pollution

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण के स्त्रोत – Sources of Pollution

प्रदूषण के स्त्रोतों को  निम्न  श्रेणियों  में बाँटा जा सकता है  : 1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा  हुआ  पानी,कूलरो  मे पड|  पानी , पौधो मे जम|  पानी 2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ 3. प्लास्टिक 4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि। 5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश । 6.  गंदा पानी 7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी। 8. ध्वनि। 9. ऊष्मा। 10. जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम – Consequences of Pollution

  • आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | और इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है |
  •  अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि  मच्छर, मख्खियाँ  इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती |
  • पीने   का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |

प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent pollution

दैनिक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके  इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं। 1.बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है। 2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए | 3.पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है। 5.कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें । 6. अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं। 7.कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह   प्रदूषण का एक कारण है। डिजिटल प्रयोग  अच्छा विकल्प  है। 8. पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें। 9.प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें । 10.घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए। 11.खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके । 12. हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके  । 13. यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  | 14.हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहार

उप-संहार / सारांश – Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा | न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी | प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा | जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे | जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे | विकास का  केवल  एक रास्ता शहर नही  गाँव  की  जीवन  शैली पर चलो प्रकृति से दूर नही , विपरीत नही बल्कि  इसके साथ्  हो  चलो जीवन आसान नही श्रमिक  और कृषक से हो चलो श्रमिक  और कृषक से हो चलो शुद्धता  जो चाहिये तो जीवन शैली बदल चलो ,प्र्दूषन को दूर कर प्रकृति से दूर नही, पास हो चलो, पास हो चलो |

प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इन सवालों के जवाब आपको प्रदूषण पर अपने निबंध में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु प्रदान करेंगे।

प्रदूषण वास्तव में क्या है? पर्यावरण में मौजूद संदूषण या रसायन, या पर्यावरण में उनका परिचय, जिसे प्रदूषण कहा जाता है। इन प्रदूषकों या पदार्थों की उपस्थिति या परिचय जीवित प्राणियों और प्राकृतिक दुनिया के लिए हानिकारक या असुविधाजनक हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न रूप क्या हैं? प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ।

प्रदूषित वायु में योगदान करने वाले कारक क्या हैं? वायु प्रदूषण कई अलग-अलग कारकों का परिणाम है, जिसमें ऑटोमोबाइल और औद्योगिक गतिविधियों से उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन का जलना और जंगलों का विनाश शामिल है।

प्रदूषित जल के कुछ परिणाम क्या हैं? पानी का प्रदूषण जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है, जो तब पारिस्थितिक तंत्र को परेशान कर सकता है, और जो पानी वे पीते हैं उसे दूषित करके लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकते हैं।

मृदा संदूषण वास्तव में क्या है? मिट्टी में जहरीले यौगिकों की उपस्थिति, जो पौधों, जानवरों और अंततः इन संसाधनों पर निर्भर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकती है, को मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

“ध्वनि प्रदूषण” से वास्तव में क्या अभिप्राय है? ध्वनि जो अत्यधिक, अवांछित, या परेशान करने वाली है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्यजीवों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।

औद्योगीकरण किन विशिष्ट तरीकों से प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है? वायु, जल और भूमि में हानिकारक रसायनों और अपशिष्ट उत्पादों का निर्वहन सबसे आम तरीकों में से एक है जिससे औद्योगीकरण प्रदूषण का कारण बनता है। “प्रकाश प्रदूषण” का वास्तव में क्या अर्थ है? “प्रकाश प्रदूषण” शब्द कृत्रिम प्रकाश की अधिकता या इसके गलत दिशा को संदर्भित करता है, दोनों के मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्य जीवन और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

प्रदूषण कम करने के समग्र लक्ष्य में व्यक्ति कैसे योगदान दे सकते हैं? कचरे में कमी , ऊर्जा का संरक्षण , सार्वजनिक परिवहन या हाइब्रिड वाहन का उपयोग, और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के सभी तरीके हैं जिनमें व्यक्ति प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण को रोकने और साफ करने में सरकार की क्या भूमिका है? प्रदूषण के स्तर को कम करने और प्रदूषण को रोकने के लक्ष्यों के साथ सरकार द्वारा कानूनों और विनियमों की स्थापना और पालन, प्रदूषण नियंत्रण के दो सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

air pollution essay writing in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

इनके बारे मे भी जाने

  • Essay in Hindi
  • New Year Essay
  • New Year Speech
  • Mahatma Gandhi Essay
  • My Best Friend Essay
  • My School Essay

प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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वायु पर निबंध Essay On Air In Hindi

Essay On Air In Hindi  नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत करता हूँ आज के लेख में हम  वायु पर निबंध अनुच्छेद पैराग्राफ  पढेगे. जीवन के लिए आवश्यक तत्वों में से वायु एक है जिसकें बिना जीवन सम्भव नहीं हैं.

आज के  निबंध  में हम जानेगे कि  वायु क्या है अर्थ परिभाषा, विशेषताएं, परतें, महत्व  आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

Essay On Air In Hindi वायु पर निबंध

Essay On Air In Hindi वायु पर निबंध

10 Lines on Air Pollution for Children and Students In Hindi

1) वायु प्रदूषण के लिए हानिकारक गैसों, विषैले तत्वों, एलर्जी आदि का वायु में प्रवेश उत्तरदायी है।

2) वायु प्रदूषण वायु की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित करता है, जिससे यह मानव अस्तित्व के लिए खतरनाक हो जाता है।

3) औद्योगिक, वाहन उत्सर्जन और ज्वालामुखी विस्फोट वायु प्रदूषण के कुछ कारण हैं।

4) अत्यधिक प्रदूषित हवा क्षेत्र के पौधे और वनस्पति को भी प्रभावित कर सकती है।

5) २०१२ में वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में ६ मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।

6) वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण मानव निर्मित गतिविधियाँ हैं।

7) स्मॉग एक प्रकार का वायु प्रदूषक है जो आंखों और गले में जलन पैदा कर सकता है, फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और यहां तक ​​कि अस्थमा के हमलों को भी जन्म दे सकता है।

8) उद्योगों और वाहनों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों ने वायु प्रदूषण को जन्म दिया।

9) जीवाश्म ईंधन के जलने में कमी, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग, पुनर्वनीकरण आदि वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

10) ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करने से पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

Essay On Air In 300 Words In Hindi, हवा पर लघु निबंध

हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक गैसीय पदार्थ उपस्थित है इस गैसीय पदार्थ को वायु कहते हैं. कोई भी सजीव बिना वायु के जीवित नहीं रह सकता.

वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए हैं वायुमंडल कहलाता हैं. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायु का यह घेरा पृथ्वी को जकड़े हुए हैं.

वायु की विशेषताएं

  • वायु सभी जगह व्याप्त है, किन्तु हम इसे देख नहीं पाते. हम केवल वायु का अनुभव ही कर सकते हैं.
  • वायु एक पदार्थ हैं.
  • इसमें भार होता हैं,
  • इसमें कोई रंग नहीं होता अर्थात वायु रंगहीन हैं.
  • इसके आर पार देखा जा सकता है, अतः वायु पारदर्शक होती हैं.
  • वायु अनेक भारी व हल्की गैसों का मिश्रण है वायुमंडल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, 0.093 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड, 0.90 प्रतिशत आर्गन तथा शेष अन्य गैसें व कण पाए जाते हैं. इस प्रकार वायु में सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन गैस पाई जाती है. यह गैस अपेक्षाकृत कम क्रियाशील होती हैं.
  • धरातल के समीप वायु का घनत्व अधिक पाया जाता है तथा ज्यों ज्यों हम धरातल से ऊपर उठाते हैं घनत्व कम होता जाता हैं.
  • सामान्यतः भारी गैसें वायु मंडल के निचले भाग में तथा हल्की गैसें वायुमंडल के ऊपरी भाग में पाई जाती हैं.
  • वायु में कोई गंध या स्वाद नहीं है.
  • वायु में जलवाष्प होती है, यही जलवाष्प गिलास की ठंडी सतह के सम्पर्क में आने पर वहां बूंदों के रूप में परिवर्तित होकर जमा हो जाती हैं.
  • जिस प्रकार सभी सजीवों को साँस लेने के लिए वायु आवश्यक है उसी प्रकार किसी वस्तु के जलने के लिए वायु भी जरुरी हैं.
  • वायु पर गर्मी और सर्दी का असर पड़ता है गर्मी पाकर वायु फैलती है गर्मियों में साइकिल के ट्यूब के फटने का भी यही कारण है सर्दी पाकर वायु सिकुड़ती हैं.
  • वायु गर्म होकर ऊपर उठती है गर्मियों में तेज हवा और आंधी चलने का यही कारण हैं.
  • हर खाली और रन्ध्रदार वस्तु में वायु होती हैं.
  • जलवाष्प व धुल के कण भी वायु का अवयव हैं.
  • यदि वायु का तापमान बढ़ता है तो उसका आयतन भी बढ़ता हैं.
  • वायु दवाब डालती हैं.
  • बंद पात्र में दाब बढ़ाने पर वायु संपीडित हो जाती हैं जैसे जैसे दाब बढाते है वायु और अधिक संपीडित होती हैं संपीडित वायु का दाब अधिक होता हैं.
  • वायु दाब में अंतर होने पर वायु का प्रवाह होता है मौसम परिवर्तन में वायुदाब की प्रमुख भूमिका होती हैं.
  • वायु का भार और दाब इसके तापमान के अनुसार बदलते रहते हैं.
  • वायु के विभिन्न गैसों का प्राकृतिक रूप से सन्तुलन बना रहता हैं.

वायुमंडल की परतें

क्षोभमंडल (Troposphere): वायुमंडल का सबसे निचला संस्तर 8 से 14.5 किमी तक. मुख्यतः नाइट्रोजन व ऑक्सीजन उपलब्ध. मौसमी परिवर्तन इसी मंडल में होते हैं. यह दिन में सूर्य की तेज गर्मी से हमारी रक्षा करता है तथा रात्रि में धरातल को ठंडा होने से बचाता हैं.

1920 में रूसी वैज्ञानिक मौलेशनौफ ने क्षोभमंडल की खोज की. इसकी उपरी सीमा क्षोभ सीमा कहलाती हैं. जिसकी चौड़ाई लगभग 1.5 से 2 किमी तक हैं. वायुमंडल का यह सबसे घना मंडल हैं.

वायु प्रदूषण

पृथ्वी के वायुमंडल को आधुनिक समय में वायु, जल और मिट्टी के प्रदूषण के गम्भीर खतरे का सामना करना पड़ रहा हैं. मानव की अनुचित गतिविधियों के चलते वायु की मूल प्रकृति में बदलाव आना प्रदूषण कहलाता हैं.

यातायात के साधनों, फैक्ट्रियों संयंत्रों से निकलने वाली विषैली गैसे प्रमुख रूप से वायु प्रदूषण की जिम्मेदार हैं. लोगों को वायु प्रदूषण इसके नुक्सान के बारे में जागरूक करके इसके स्तर को सिमित किया जा सकता हैं.

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Nibandh

हवा पर निबंध

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हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक गैसीय पदार्थ उपस्थित है इस गैसीय पदार्थ को वायु (हवा) कहते हैं। कोई भी सजीव बिना वायु के जीवित नहीं रह सकता। वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए हैं वायुमंडल कहलाता हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायु का यह घेरा पृथ्वी को जकड़े हुए हैं। वायु/हवा को अंग्रेजी में "Air" कहते हैं।

हवा हमारे लिए बहुत जरूरी है। हवा हमारे चारों तरफ है। लेकिन वह हमें दिखाई नहीं देती। साँस के रूप में हम हवा को अपने शरीर के अंदर लेते हैं। हवा के बिना हम जीवित नहीं रह सकते। वायु (हवा) सभी जगह व्याप्त है, किन्तु हम इसे देख नहीं पाते। हम केवल वायु (हवा) का अनुभव ही कर सकते हैं।

हवा हमारे बहुत काम आती है। हवा से पतंग उड़ती है। वाहनों के टायर में हवा भरी जाती है। गुब्बारा भी हवा भरने से ही फूलता है। पंखे की हवा हमें ठंडक देती है। वायु पर गर्मी और सर्दी का असर पड़ता है गर्मी पाकर वायु फैलती है गर्मियों में साइकिल के ट्यूब के फटने का भी यही कारण है सर्दी पाकर वायु सिकुड़ती हैं। वायु गर्म होकर ऊपर उठती है गर्मियों में तेज हवा और आंधी चलने का यही कारण हैं।

इसमें कोई रंग नहीं होता अर्थात वायु रंगहीन हैं। इसके आर पार देखा जा सकता है, अतः वायु पारदर्शक होती हैं। सामान्यतः भारी गैसें वायु मंडल के निचले भाग में तथा हल्की गैसें वायुमंडल के ऊपरी भाग में पाई जाती हैं। वायु में कोई गंध या स्वाद नहीं है। वायु में जलवाष्प होती है, यही जलवाष्प गिलास की ठंडी सतह के सम्पर्क में आने पर वहां बूंदों के रूप में परिवर्तित होकर जमा हो जाती हैं। जिस प्रकार सभी सजीवों को साँस लेने के लिए वायु आवश्यक है उसी प्रकार किसी वस्तु के जलने के लिए वायु भी जरुरी हैं।

गर्मी में गर्म हवा चलती है। ठंडी में ठंड हवा से हम काँपने लगते हैं। पहाड़ की हवा स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है। इसलिए लोग पहाड़ों पर जाते हैं। यदि हवा का तापमान बढ़ता है तो उसका आयतन भी बढ़ता हैं। हवा दवाब डालती हैं। हवा (वायु) का भार और दाब इसके तापमान के अनुसार बदलते रहते हैं। हवा के विभिन्न गैसों का प्राकृतिक रूप से सन्तुलन बना रहता हैं।

हवा के सहारे ही हम जीवित हैं। इस संसार में हवा हर जीव को जरुरत हैं।

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वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi

इस लेख में हमने वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi लिखा है। इसमें आप वायु प्रदूषण का कारण, प्रभाव, नियंत्रण करने के उपायों के बारे में प्रकाश डाला गया है।

Table of Content

जैविक अणुओं और अन्य हानिकारक पदार्थों के मिश्रण के कारण दिन-प्रतिदिन वातावरण की ताजी हवा प्रदूषित होती जा रही है, इस तरह की प्रदूषित हवा से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होती है और कई  बीमारियाँ और मृत्यु का कारण बनती है।

इस मुद्दे के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए, वायु प्रदूषण निबंध लेखन प्रतियोगिता का एक महत्वपूर्ण विषय बनाया जाना चाहिए। तो, विद्यार्थी सही जगह पर हैं, बस उन्हें आगे बढ़ना है।

यह वायु प्रदूषण पर निबंध आपको निबंध लेखन प्रतियोगिता जीतने में मदद करेगा, क्योंकि यह सभी आसान शब्दों का उपयोग करके बहुत सरल हिन्दी भाषा में लिखा गया हैं।

वायु प्रदूषण के कारण Causes of Air Pollution in Hindi

प्राकृतिक वायु प्रदूषण में शामिल हैं (a) पराग कण, बीजाणु, (b) मार्श गैस, (c) ज्वालामुखी गैसों और (a) बिजली के तूफान और सौर चमक  द्वारा हानिकारक रसायनों के संश्लेषण।

वायु प्रदूषण के प्रभाव Effects of Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषकों को आमतौर पर कण और गैसीय रूप में वर्गीकृत किया जाता है। कण पदार्थों में ठोस और तरल कण होते हैं, गैसीय में पदार्थ शामिल हैं जो सामान्य तापमान और दबाव पर गैसीय क्षेत्र में होते हैं।

सौंदर्यशास्त्र के ज्ञान के अनुसार हवा, प्रदूषण से प्रभावित होती है। विभिन्न वायु प्रदूषण और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं:

1. कण पदार्थ Particulate Matter

धूल और धुएं के कण श्वसन तंत्र के जलन का कारण बनते है और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियाँ उत्पन्न करते है। धुंध एक अंधेरे या अपारदर्शी कोहरा होता है, जो धूल और धुएँ के कणों से बना होता है जिससे वह जल वाष्प के संघनन और SO2, H2S, NO2, आदि जैसे रासायनिक पदार्थों को आकर्षित करता है।

अन्य उद्योगों में उत्पादित फेफड़े के फाइब्रोसिस में एस्बेस्टस शामिल है(एस्बेस्टोस उद्योग में), सिलिकोसिस (पत्थर पीसने वाले), साइडरोस (लौह मिल), कोयला खनिकों की न्यूमोकोनियोजन, आटा मिल न्यूमोकोनियोजन आदि ।

2. कार्बन मोनोऑक्साइड Carbon Monoxide

यह कुल वायुमंडलीय प्रदूषक का 50% है यह विभिन्न उद्योगों, मोटर वाहनों, चूल्हाओं, रसोई, आदि में कार्बन ईंधन के अधूरे दहन द्वारा बनाई गई है। कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त के हीमोग्लोबिन से मिलकर ऑक्सीजन की क्षमता कम करती है। उच्च एकाग्रता में, कार्बन मोनोऑक्साइड घातक साबित होता है।

3. सल्फर ऑक्साइड Sulphur Oxide

यह मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड के रूप में होते हैं। यह धातु अयस्कों के गलाने और उद्योगों, तापीय पौधों, घर और मोटर वाहनों में पेट्रोलियम और कोयले के जलाने के दौरान बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। हवा में, सल्फर ऑक्साइड (SO2) पानी के साथ जोड़ता है, जिसमें सल्फ़ुरस एसिड (H2SO3) होता है, जो एसिड बारिश का कारण होता है।

यह वनस्पति के क्लोरीसिस और नेक्रोसिस का कारण बनता है 1 पीपीएम से ऊपर सल्फर डाइऑक्साइड, मनुष्य को प्रभावित करता है इससे आंखों में जलन होती है और श्वसन के रास्ते को मुश्किल होती है। इसका परिणाम इमारतों, मूर्तियों, चित्रित सतहों, कपड़े, काग़ज़, चमड़े आदि के विघटन और गिरावट में होता है।

3. नाइट्रोजन आक्साइड Nitrogen Oxide

यह प्राकृतिक रूप से नाइट्रेट्स, नाइट्राइट्स, बिजली के तूफान, उच्च ऊर्जा विकिरण और सौर चमक से जैविक और अजैविक गतिविधियों के माध्यम से उत्पन्न होती हैं। मानव गतिविधि उद्योगों, ऑटोमोबाइल, भस्मक और नाइट्रोजन उर्वरकों की दहन प्रक्रिया में नाइट्रोजन आक्साइड बनती है।

नाइट्रोजन ऑक्साइड असामान्य रूप से हाइड्रोकार्बन पर कार्य करते हैं, जिससे प्रॉक्सोसी- एसेएल नाइट्रेट या PAN बनते है, यह फ़ोटोकैमिकल कोहरे को उत्पन्न करते है, वे आंखों में जलन, श्वसन समस्याओं, रक्त का जमाव और धमनियों के खिचाब का कारण बनते हैं।

4. कार्बन डाइआक्साइड Carbon Dioxide

तापमान में वृद्धि का कारण ग्रीन हाउस पर प्रभाव पड़ता है, जिस कारण ध्रुवीय बर्फ की परत और ग्लेशियरों को पिघलने से समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है, जिनमें से अधिकांश, प्रमुख जनसंख्या केंद्र और उपजाऊ भूमि प्रभावित हो रही है।

5. फास्जीन और मिथाइल आइसोसाइनेट Phosgene and Methyl Isocyanate

फॉस्जीन (CoCl2) एक ज़हरीली और घुटनदार अस्थिर तरल है, जो डाई उद्योग और कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण में प्रयुक्त होता है, भोपाल के औद्योगिक दुर्घटना में फॉस्जीन और एमआईसी की मुक्त हुई, और जिसके कारण (2 दिसंबर, 1984) में 2500 से अधिक लोग मारे गए  और कई हजार व्यक्ति अपंग हो गए।

6. एयरोसोल Aerosol

प्लास्टिक को जलाने से पॉलिक्लोरीन युक्त बायैफेनील (पीसीबी) पैदा होता है।  लगातार उत्तरार्द्ध के कारण ये भोजन श्रृंखला में प्रवेश करते है। क्लोरोफ्लुओरकार्बन और कार्बन टेट्राक्लोराइड स्ट्रैटोस्फियर के ओज़ोन परतों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, और इसलिए समान रूप से समाप्त होते हैं।

7. फोटोकैमिकल ऑक्सीडेंट Photochemical Oxidant

पेयॉक्सी-एसाइल नाइट्रेट वायु प्रदूषण का एक प्रमुख घटक हैं। इससे आंखों की जलन और श्वसन रोग जैसी बीमारियाँ होती हैं।

8. ऑटोमोबाइल निकास Automobile Exhausts

9. पराग और सूक्ष्म जीव pollen grains and microorganisms.

वातावरण में रोगाणुओं की अधिकता सीधे वनस्पति, खाद्य पदार्थों को नुकसान पहुंचाती है और पौधों, जानवरों और मनुष्यों में बीमारियों का कारण बनती है। पराग की अधिकता कई मनुष्यों में एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बनती है।

वायु प्रदूषण नियंत्रण करने के उपाय Ways To Reduce Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण को रोकने के कुछ बेहतरीन उपाय –

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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Essay on Air Pollution for Students and Children

500+ words essay on air pollution.

Essay on Air Pollution – Earlier the air we breathe in use to be pure and fresh. But, due to increasing industrialization and concentration of poisonous gases in the environment the air is getting more and more toxic day by day. Also, these gases are the cause of many respiratory and other diseases . Moreover, the rapidly increasing human activities like the burning of fossil fuels, deforestation is the major cause of air pollution.

Essay on Air Pollution

How Air Gets Polluted?

The fossil fuel , firewood, and other things that we burn produce oxides of carbons which got released into the atmosphere. Earlier there happens to be a large number of trees which can easily filter the air we breathe in. But with the increase in demand for land, the people started cutting down of trees which caused deforestation. That ultimately reduced the filtering capacity of the tree.

Moreover, during the last few decades, the numbers of fossil fuel burning vehicle increased rapidly which increased the number of pollutants in the air .

Causes Of Air Pollution

Its causes include burning of fossil fuel and firewood, smoke released from factories , volcanic eruptions, forest fires, bombardment, asteroids, CFCs (Chlorofluorocarbons), carbon oxides and many more.

Besides, there are some other air pollutants like industrial waste, agricultural waste, power plants, thermal nuclear plants, etc.

Greenhouse Effect

The greenhouse effect is also the cause of air pollution because air pollution produces the gases that greenhouse involves. Besides, it increases the temperature of earth surface so much that the polar caps are melting and most of the UV rays are easily penetrating the surface of the earth.

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Effects Of Air Pollution On Health

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Moreover, it increases the rate of aging of lungs, decreases lungs function, damage cells in the respiratory system.

Ways To Reduce Air Pollution

Although the level of air pollution has reached a critical point. But, there are still ways by which we can reduce the number of air pollutants from the air.

Reforestation- The quality of air can be improved by planting more and more trees as they clean and filter the air.

Policy for industries- Strict policy for industries related to the filter of gases should be introduced in the countries. So, we can minimize the toxins released from factories.

Use of eco-friendly fuel-  We have to adopt the usage of Eco-friendly fuels such as LPG (Liquefied Petroleum Gas), CNG (Compressed Natural Gas), bio-gas, and other eco-friendly fuels. So, we can reduce the amount of harmful toxic gases.

To sum it up, we can say that the air we breathe is getting more and more polluted day by day. The biggest contribution to the increase in air pollution is of fossil fuels which produce nitric and sulphuric oxides. But, humans have taken this problem seriously and are devotedly working to eradicate the problem that they have created.

Above all, many initiatives like plant trees, use of eco-friendly fuel are promoted worldwide.

{ “@context”: “https://schema.org”, “@type”: “FAQPage”, “mainEntity”: [{ “@type”: “Question”, “name”: “Mention five effect of air pollution on human health?”, “acceptedAnswer”: { “@type”: “Answer”, “text”: “The major risk factor related to human health are asthma, lung cancer, Alzheimer, psychological complications, and autism. Besides, there are other effects of air pollution on a person’s health.”} }, { “@type”: “Question”, “name”: “What is the effect of air pollution in the environment?”, “acceptedAnswer”: { “@type”: “Answer”, “text”:”Acid, rain, ozone depletion, greenhouse gases, smog are many other things are the cause of air pollution that affect the environment severely.”} }] }

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Air Pollution : धूल के गुब्बार ने बिगाड़ी शहर की आबो-हवा, 24वें स्थान पर फिसला प्रयागराज

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से 2022 में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की शुरुआत की गई थी। इसके तहत ठोस कचरा के निस्तारण, सड़क पर धूल, निर्माण कार्यों की वजह से उड़ने वाली धूल समेत आठ मानकों पर निकायों को परखा गया। यह सर्वेक्षण हर साल एक अप्रैल से 31 मार्च के बीच किया गया।.

Air Pollution: Clouds of dust spoiled the air of the city, Prayagraj slipped to 24th place.

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    Essay On Air In 300 Words In Hindi, हवा पर लघु निबंध. हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक गैसीय पदार्थ उपस्थित है इस गैसीय पदार्थ को वायु कहते हैं. कोई भी सजीव बिना ...

  19. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

    इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल ...

  20. हवा पर निबंध

    Essay In Hindi कक्षा 1 से 4 के लिए निबंध कक्षा 5 से 9 के लिए निबंध कक्षा 10 से 12 के लिए निबंध प्रतियोगी परीक्षा के लिए निबंध ऋतुओं पर निबंध त्योहारों ...

  21. वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi

    इस लेख में हमने वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi लिखा है। इसमें आप वायु प्रदूषण का कारण, प्रभाव, नियंत्रण करने के उपायों के बारे में प्रकाश डाला गया है।

  22. Essay on Pollution in Hindi 500 Words

    Essay on Pollution in Hindi. Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) ... 10 Tips for Students to Write a Good Essay in Hindi in 2023. June 13, 2023. Leave a Reply Cancel reply. Your email address will not be published. Required fields are marked * Comment * Name * Email *

  23. Essay on Air Pollution for Students and Children

    Essay on Air Pollution for Students and Children | 500 Words ...

  24. Air Pollution: Clouds Of Dust Spoiled The Air Of The City, Prayagraj

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  25. Air Quality: Top indian cities with the cleanest air delhi aqi surat

    Top Indian Cleanest Air City: गर्मी और बरसात का मौसम खत्म होते ही प्रदूषण का दौर शुरू हो जाएगा. वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है जो हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण और ...