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बाल विवाह के कारण परिणाम और रोकने के उपाय | Measures and Prevention Measures Due to Child Marriage

Child Marriage  (बाल विवाह) कम उम्र में बच्चों की शादी कर देने से उनका स्वास्थ्य, मानसिक विकास और खुशहाल जीवन पर असर पड़ता है. कम उम्रः में शादी करने से पुरे समाज में पिछड़ापन आ आता है.

जो अंततः समाज की प्रगति में बाधक बनता है. कानून में शादी करने की भी एक उम्रः तय की गई है. अगर शादी करने वाली लड़की की उम्रः 18 साल से कम हो, या लड़के की उम्रः 21 साल से कम हो तो ऐसा विवाह बाल विवाह कहलाएगा.

बाल विवाह (Child Marriage In Hindi)

बाल विवाह के कारण परिणाम और रोकने के उपाय | Measures and Prevention Measures Due to Child Marriage

बाल विवाह का अर्थ व इसके कारण (Child Marriage Meaning & Causes In Hindi)

भारत में कानूनन विवाह करने की न्यूनतम आयु लड़के के लिए 21 वर्ष व लड़की के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है. अतः इस निर्धारित उम्रः से कम उम्रः में बच्चों का विवाह करना ही बाल विवाह  कहा जाता है.

इस प्रकार बाल विवाह बच्चों की छोटी उम्रः में  विवाह कर देने की कुप्रथा है. जिसका प्रचलन निम्न जातियों एवं मुस्लिम धर्मावलम्बियों में अधिक है.

प्रतिवर्ष राजस्थान में अक्षय तृतीया या पीपल पूर्णिमा पर सैकड़ों-हजारों बच्चें इस सामाजिक बुराई का शिकार होते है. व विवाह बंधन में बाँध दिए जाते है. बाल विवाह मानवाधिकारों का प्रत्यक्ष उल्लघन है. बचपन के दिन बालक/ बालिका के खेलने व पढ़ने के दिन होते है.

यही वह समय होता है जब उसका शारीरिक व मानसिक विकास धीरे धीरे अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर होता है. ऐसी कच्ची उम्रः में बच्चों के विवाह जब उन्हें वैवाहिक जीवन के बारे में बिलकुल भी कुछ भी समझ नही होती है. मगर उन्हें उन्हें इस बंधन में बाँध दिया जाता है.

बाल विवाह किये जाने से न सिर्फ उन बालक बालिकओं का शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है, बल्कि बड़े होने पर उनमें कई बार पसंद के जीवन साथी मिल जाने पर उनसे विवाह करने की भी इच्छा होती है. फलस्वरूप उनके विवाहित जीवन साथी को अत्यधिक मानसिक संताप सहन करना पड़ता है.

बाल विवाह के लिए कुछ पूर्वाग्रह तथा कुछ विशवास उत्तरदायी है. जो विशेषत ग्रामीण और पिछड़े हुए समुदायों में प्रचलित है.

विवाह के सम्बन्ध में प्रचलित अवधारणा यह है कि बच्चों के लालन पोषण के लिए तथा अन्य कार्यों को करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. महिलाओं को आखिर में अपने पिता के घर से पति के घर जाना होता है.

इसी कारण माता-पिता लड़की को औपचारिक शिक्षा दिलाने में अरुचि रखते है. वे बालिकाओं का कम उम्रः में ही विवाह कर देना शुभ समझते है. ताकि अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से मुक्त हो ले.

बाल विवाह प्रथा के कारण (early marriage causes and effects in hindi)

  • अशिक्षा-  शिक्षा की कमी के कारण लोग बाल विवाह के दुष्परिणामों से अनभिज्ञ होते है. साथ ही स्त्री शिक्षा के महत्व को न समझ पाना आदि बाल विवाह के कारण है.
  • कृषि की प्रधानता-  भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण है, जो कृषि व पशुपालन के द्वारा अपना जीवन यापन करती है. इन दोनों कार्यों में अधिक मानव शक्ति की आवश्यकता होंने के कारण कम उम्रः में विवाह कर दिए जाते है. जिससे जल्दी बच्चें पैदा हो सके व घर के कार्यों में हाथ बटाने हेतु मानव श्रम उपलब्ध हो सके.
  • स्त्रियों की निम्न दशा-  वैदिक सभ्यता में स्त्रियों को परिवार में पुरुष के समान स्थान प्राप्त था. धीरे धीरे महिलाओं की स्थति निम्न होने लगी. भारत में मुगलों के आने के साथ ही महिलाओं की स्थति बद से बदतर होती चली गई. इन दुष्ट लोगों की नजरो से बचाने के लिए महिलाओं व बालिकओं के लिए पर्दा प्रथा व बाल विवाह जैसी प्रथाओं की शुरुआत की गई.
  • माता पिता की जल्दी से जल्दी बच्चों का विवाह कर जिम्मेदारी से मुक्त होने की प्रवृति भी बाल विवाह का एक कारण है.
  • गरीबी-  निर्धनता भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा का एक कारण है. निर्धनता के कारण घर में कमाने वाले सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए कम उम्रः में ही विवाह कर दिए जाते है. ताकि जल्दी ही घर में कमाने वाला कोई अन्य पैदा हो सके.

धार्मिक मान्यता- हमारा देश सामाजिक विविधताओं से परिपूर्ण है, जहाँ अनेक जाति, धर्म के लोग निवास करते है जिनकी अलग अलग प्रथाएं एवं परम्पराएं है.

भारतीय समाज धार्मिक मान्यताओं एवं परम्पराओं को अधिक महत्व देता है जो बाल विवाह की प्रचलित रीति का सबसे बड़ा कारण है.

बाल विवाह के ऐतिहासिक कारण (Historical reasons for child marriage)

बाल विवाह के पीछे ऐतिहासिक कारण भी रहे है. भारत पर विदेशी ताकतों का हमला हुआ. बहिन बेटियों की इज्जत की खातिर बचपन में ही लड़कियों की शादी की जाने लगी.

इस प्रचलन ने कालांतर में एक दृढ रुढ़ि का रूप धारण कर लिया. इसकी वजह से आज भी बड़े पैमाने पर बालविवाह होते है.

  • महिलाओं से छेड़छाड़ एवं बढ़ते यौन अपराध- कारण कुछ भी हो लेकिन वास्तविकता यह है कि यहाँ कानून व्यवस्था की स्थति सन्तोषजनक नही है. महिलाओं के विरुद्ध छेड़छाड़ एवं यौन अपराधों की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ रही है. जिससे हर बेटी का बाप डरा सहमा और आशंकित रहता है. ऐसे वातावरण में वह अपनी बेटी को बाहर पढ़ने भेजने के लिए भी डरता है. इसी डर से निजात पाने के लिए उसे लड़की की छोटी उम्रः में शादी कर देना सुरक्षित लगता है. जिसकी परिणिति बड़े पैमाने पर बाल विवाह में होती है.
  • माँ बाप के मन में बेटी के चरित्र की चिंता- समाज में लड़के के चरित्र की अधिक परवाह नही है. लेकिन लड़की की शादी उसके अच्छे चरित्र पर निर्भर करती है. फिल्म टीवी इन्टरनेट जैसे साधनों ने सब बच्चों तक पहुचा दी है. उनके मन में भोग विलास के प्रति आकर्षण बढ़ा दिया है. पढ़ाई लिखाई या रोजगार के सिलसिले में बच्चियों को बाहर जाना पड़ता है. ऐ\सी स्थति में माँ बाप लड़की के चरित्र के प्रति आशंकित रहते है. और उन्हें इस दिशा में एकमात्र रास्ता छोटी उम्रः में लड़की की शादी करने के रूप में दिखता है. जिससे बाल विवाहों में वृद्धि होती है.
  • घटता लिंगानुपात- प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण एवं कन्या भ्रूण हत्या के प्रचलन के परिणामस्वरूप हमारे यहाँ लड़का लड़की के अनुपात में कमी आ रही है. कुवारे लड़को की संख्या बढ़ रही है, जिससे लड़को की शादी होने की चिंता उनके माँ बाप के मन में रहती है. वे जल्दी से जल्दी अपने बेटे की शादी के लिए अपने रिश्तेदारों व मिलने वालों पर दवाब डालते है. जिसकी परिणिति भी कई बार बाल विवाह के रूप में सामने आती है.
  • जातिगत परम्पराएं- कुछ जातियों में ऐसी परिपाटी है कि दो परिवार एक दुसरे की लड़की की शादी आपस में अपने अपने परिवार के लड़को के साथ कर देते है. यह परिपाटी भी कम उम्र में लड़की की शादी करने की वजह बनती है.

बाल विवाह के आर्थिक कारण (Financial reasons for child marriage)

  • खर्चीली शादी- हमारे समाज में गहरी आर्थिक विषमता है. गरीब अमीर की खाई बढ़ती जा रही है. अमीर अपनी बेटियों की शादी में बेहताशा खर्चा करते है. दिखावा भी करते है. आर्थिक स्थति में भले ही जमीन आसमान का अंतर हो लेकिन गरीब अमीर माँ-बाप के मन में अपनी बेटी के प्रति प्रेम में कोई अंतर नही होता है. ऐसी दशा में गरीब माँ बाप की इच्छा भी होती है कि वह अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करे, लेकिन आर्थिक स्थति इसकी इजाजत नही देती, इसलिए वह अपनी बेटी की शादी जल्दी से जल्दी सामूहिक विवाह सम्मेलन में या आपसी रिश्तेदारी में करने के लिए विवश होता है. इसकी परिणिति बड़े पैमाने पर बाल विवाह के रूप में सामने आती है.
  • गरीबी- हमारे समाज का बड़ा वर्ग गरीब है जिनके सामने अपना पेट पालने का संकट है. ऐसी दशा में लड़की को उनके माँ बाप पराया धन मानते है. और उनके खान-पान, पढ़ाई-लिखाई में चाहते हुए भी सक्षम न होने के कारण जल्दी से जल्दी बेटी की शादी करने पर विवश हो जाते है. जिससे बाल विवाह की समस्या को और अधिक बढ़ावा मिलता है.
  • शादी की एवज में धन लेने की प्रथा- कुछ जनजातियों में आज भी आर्थिक विषमता के चलते या पुरानी परम्पराओं के कारण बेटी की शादी की एवज में धनराशी लेने का रिवाज है. जिसकी वजह से लड़की के माँ-बाप जल्दी से जल्दी धन प्राप्त करने की नियत से छोटी उम्र में ही लड़की की शादी कर देते है. यह भी बाल विवाह को बढ़ावा देने वाले कारणों में से एक है.

बाल विवाह के दुष्परिणाम Child Marriage Effects In Hindi

प्राचीन समय के कुछ रीती रिवाज जो उस समय की आवश्यकता का अनुकूल बनाए गये थे. मगर वर्तमान में अन्धानुकरण के चलते आज भी बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं हमारे देश में प्रचलित है.

नन्हें मुन्ने बालकों को विद्यालय में व खेल में मैदान में शोभा देते है, इस उम्रः में उन्हें विवाह के मंडल में बिठाकार एक महत्वपूर्ण संस्कार सम्पन्न करवा देना, जब वे विवाह की abcd की नही जानते है. एक आधुनिक भारतीय समाज में कंलक है.

इस कुप्रथा के चलते बालक-बालिका पर निम्न दुष्प्रभाव पड़ते है.

  • बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है.
  • बच्चों का बचपन समाप्त हो जाता है.
  • विशेषकर बालिकाओं का कम उम्रः में विवाह कर देने से वह उच्च शिक्षा नही प्राप्त कर पाती है.
  • कम उम्रः में विवाह होना बालिका के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है. लडकियों का विवाह छोटी उम्रः में कर दिए जाने से छोटी उम्रः में गर्भवती हो जाती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती है. कुपोषण, अत्यधिक कार्यभार, अशिक्षा, यौन व्यवहार की अनभिज्ञता के कारण इन गर्भवती लड़कियों का जीवन भयंकर खतरे में पड़ जाता है.
  • ये अपरिपक्व गर्भधान, यौन सक्रमण तथा एड्स जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाती है. साथ ही इनमें से अधिक के बच्चें कुपोषण के शिकार होते है. कम वजन के होते है और उनकी मृत्यु का खतरा अधिक होता है.
  • छोटी उम्रः में बालिकाओं पर परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है. यह उनके पूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास में बाधक होता है.
  • कई बार बालिकाएं बाल विधवा हो जाती है. इस शाप से जो जीवनभर मुक्त नही हो पाती है, तथा पूरा जीवन वैधव्य के साथ बिताना पड़ता है.
  • कई बार लड़के बड़े होकर अच्छा व्यवसाय या नौकरी कर लेते है. वे छोटी उम्रः में की गई पत्नी को छोड़कर नया विवाह रचा लेते है. ऐसे में उस युवती को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
  • कम उम्रः में बाल विवाह कर दिए जाने से जनसंख्या बढ़ती है, तथा जनसंख्या वृद्धि का परिणाम देश व समाज को भुगतना पड़ता है.
  • बाल विवाह से मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होती है.

बाल विवाह रोकने का कानून व उपाय Child Marriage Low & Measures to Stop In Hindi

बाल विवाह पुरातन प्रेमी समाज द्वारा बालक बालिकाओं पर थोपा गया सामाजिक रिवाज है. आज इसका महत्व शून्य के बराबर है.

बल्कि कई भावी कर्णधारों के भविष्य के सपनों को धूमिल करने का कार्य बालविवाह एवं इस बुराई का समर्थन करने वालों ने किया है. भारत में 1929 में बाल विवाह निषेध एक्ट पारित हुआ था.

भारतीय शासन स्थापना के बाद भी कई प्रभावी कानून बनाए गये. मगर आज भी यह समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.

बाल विवाह रोकने के उपाय व सुझाव (Measures to Stop child marriage)

बालिकाओं को शिक्षित करना इस कुप्रथा को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है. जब लड़कियां शिक्षित होने लगेगी तो वे स्वयं ही बालविवाह की बुराई को ठुकरा देगी. अतः बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए.

दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल शिक्षा प्रणाली लागू की जानी चाहिए तथा बच्चों को व्यवसायपरक शिक्षा देने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए. साथ ही इस प्रथा को समाप्त करने का दूसरा अहम उपाय समाज में जागरूकता पैदा करना है.

बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के लिए इस कुप्रथा के विरुद्ध समाज में जागरूकता लानी चाहिए. माँ बाप व अभिभावकों को इस कुप्रथा के नुकसान के बारे में बताना चाहिए. इस कार्य के लिए समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, साधु-सज्जनों व धर्म से जुड़े हुए व्यक्तियों तथा ngo की मदद ली जा सकती है.

फिल्मों रंगमंच, वृतचित्र व नुक्कड़ नाटकों आदि के द्वारा इस कुप्रथा के दुष्परिणामों का प्रदर्शन भी समाज में जागरूकता लाने में अहम भूमिका निभाता है.

इसके अतिरिक्त गरीब व निम्न जातियों को सरकार द्वारा विशेष सहायता राशि के प्रावधान करने चाहिए, क्योंकि यह कुप्रथा इस वर्ग के लोगों में अधिकतर व्याप्त है.

सरकार द्वारा इन जातियों के लोगों को प्रलोभन के रूप में इस प्रकार की योजनाएं शुरू करनी चाहिए, जिसमें बेटी का विवाह उसके योग्य होने पर ही करने पर आर्थिक सहायता व रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेगे.

बाल विवाह की समस्या को रोकने के लिए व्यापक कानून व्यवस्थाएं तथा दृढ राजनितिक इच्छा शक्ति व जनसहभागिता की विशेष आवश्यकता है.

बाल विवाह रोकने के लिए बने कानून (Laws to Stop Child Marriage in india in hindi)

सरकार ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए सजा का भी प्रावधान किया गया है. लेकिन अभी तक ये कानून पूर्ण रूप से प्रभावी नही हुए है. अतः इस कुप्रथा को सामाजिक स्तर पर ही समाप्त किया जाना चाहिए.

भारत बाल विवाह व सती प्रथा के इतिहास में कानून निर्मित करवाने व जागरूकता फैलाने में राजा राममोहन राय एवं ईश्वरचंद विधासागर का नाम महत्वपूर्ण है. राजा राममोहन रॉय के प्रयासों से 1829 में सती प्रथा रोकथाम कानून बनाया गया. 1891 में एक संशोधन के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 12 वर्ष की गई.

यह अधिनियम भारत सरकार द्वारा 1891 में age of consent act नाम से 19 मार्च 1891 को लागू किया गया. जिसमें लड़की के लिए न्यूनतम वैवाहिक आयु 12 वर्ष रखी गई थी. महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने इस कानून का विरोध भी किया था.

भारत में बाल विवाह कानून की जानकारी व इतिहास (Information and History of Child Marriage Law in India)

भारत में बाल विवाह रोकथाम के लिए अजमेर राजस्थान के हरविलास शारदा ने 1929 में बाल विवाह निरोधक अधिनियम प्रस्तावित किया, जो गर्वनर जनरल व वायसराय लार्ड इरविन के समय में सितम्बर 1929 में भारतीय की केन्द्रीय असेम्बली से पारित किया गया था. तथा शारदा एक्ट के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

यह अधिनियम 1 अप्रैल 1930 से पूरे भारत में लागू हुआ. इस कानून से पहले वाल्टरकृत राजपूत हितकारिणी सभा के निर्णयानुसार जोधपुर राज्य के प्रधानमंत्री सर प्रतापसिंह ने 1885 में बाल विवाह प्रतिबंधक कानून बनाया था.

बाल विवाह रोकने के लिए शारदा एक्ट (sharda act in hindi)

शारदा एक्ट में शुरुआत में बालिकाओं के विवाह की न्यूनतम आयु 14 वर्ष व बालक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तय की गई थी. 1940 में बालिका की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया था.

1978 में संशोधन द्वारा इस कानून के तहत बालिकाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा बालकों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई. इस कानून में 1992 में संशोधन कर ऐसे माता-पिता व अभिभावकों को जो बाल विवाह का समर्थन प्रदान करते है, उन्हें दंडित करने का प्रावधान भी किया गया है.

बाल विवाह उन्मूलन के लिए वर्तमान में भारत में कानून (Laws in India for the Elimination of Child Marriage)

2006 में शारदा एक्ट को समाप्त कर नये अधिनियम ”बाल विवाह निरोध अधिनियम 2006” को 1 नवम्बर 2007 से लागू किया गया है. इस अधिनियम के द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि बाल विवाह को वयस्क होने के दो साल के भीतर व्यर्थ (void) घोषित किया जा सकता है.

इस अधिनियम में बाल विवाह के लिए दोषी सभी व्यक्तियों को 2 साल का कठोर कारावास या एक लाख रुपयें का जुर्माना या दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है. इस अधिनियम में बालकों की न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष एवं बालिकाओं की 18 वर्ष निर्धारित की गई है.

यद्यपि बाल विवाहों को रोकने बाल विवाह करवाने वाले लोगों को दंडित करने के लिए समय समय पर कानून बने है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में बाल विवाह को रोकने और बाल विवाह को करने व कराने वालों को कठोर दंड से दंडित करने के प्रावधान है. हालांकि बाल विवाहों में कमी आई है, लोग बाल विवाह खुलेआम करने से डरते है लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर बाल विवाह हो रहे है.

यह स्थति समाज के लिए चिंताजनक है. इस बुराई को दूर करने के लिए चौतरफा प्रयास किये जाने की आवश्यकता है. विधिक सेवा संस्थाओं को सभी सरकारी विभागों का स्वयंसेवी संगठनो का एवं जनप्रतिनिधियों का साथ व सहयोग लेकर बालविवाह के विरुद्ध सघन प्रचार व प्रचार करना होगा.

जन जन तक यह बात पहचानी होगी कि बालविवाह एक कानूनी अपराध है, व्यवस्था ऐसी हो चुकी है कि छुपकर बाल विवाह करने पर भी कानून की नजरो में बचना संभव नही है.

यदि बाल विवाह किया तो निश्चित रूप से बाल विवाह करने वाले, करवाने वाले, मदद करने वाले और जानबूझकर सुचना नही देने वाले, कानून की नजरों से नही बचेगे. और निश्चित रूप से दंडित होगे.

प्रचार प्रसार के साथ ऐसी ठोस कार्य प्रणाली तैयार करनी होगी कि यह सिर्फ कागजी कार्यवाही या जुबानी जमा खर्च नही रहे और सभी स्टेक होल्डर अपने दायित्वों का निष्ठां से निर्वहन करे और यह सुनिश्चित करे कि बाल विवाह आयोजित होने से पहले ही निश्चित रूप से रोके जाए.

यदि फिर भी कोई बालविवाह हो तो सम्बन्धित दोषी व्यक्ति कानून के समक्ष लाए जाए और दंडित किये जाए. यदि हम उपरोक्त व्यवस्था धरातल पर करने में सफल हो जाए तो वह दिन दूर नही जब हमारा समाज बाल विवाह की बुराई से मुक्त होगा.

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Home » Essay Hindi » बाल विवाह पर निबंध हिंदी में Essay On Child Marriage In Hindi

बाल विवाह पर निबंध हिंदी में Essay On Child Marriage In Hindi

इस पोस्ट Essay On Child Marriage In Hindi में बाल विवाह पर निबंध हिंदी में लिखा गया है। भारत में आज भी ऐसी कुप्रथाएं प्रचलित है जिनका समाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। बाल विवाह ऐसी ही एक कुप्रथा है जो सदियों से चली आ रही है। बाल विवाह का दंश लड़का, लड़की और परिवार वाले सभी झेलते है। यह एक सामाजिक बुराई है जिसका निवारण वर्तमान की आवश्यकता है।

तो दोस्तों, बाल विवाह क्या है?, बाल विवाह के कारण, प्रभाव और निवारण के उपाय क्या है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर बाल विवाह पर निबंध हिंदी में (Bal Vivah Par Nibandh) जानने का प्रयास करते है।

बाल विवाह क्या है ? What Is Child Marriage Essay In Hindi –

दोस्तों, बाल विवाह एक समाजिक कुप्रथा है। यह प्रथा भारत में पुराने ज़माने से ही चली आ रही है। बहुत ही कम उम्र में लड़का और लड़की का विवाह कर दिया जाता है तो वह बाल विवाह कहलाता है। भारत में लड़का और लड़की की विवाह उम्र क्रमशः 21 और 18 वर्ष है। अगर लड़का और लड़की विवाह योग्य उम्र के नही है, तो विवाह कानूनन अपराध होता है। इस विशेष उम्र की श्रेणी में नही आने वाले नाबालिग कहलाते है।

नाबालिक की शादी करना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का हनन करता है। ऐसा नही है कि बाल विवाह में लड़का और लड़की दोनों कम उम्र के होते है। कई बार ऐसा होता है कि लड़की नाबालिक होती है जबकि लड़का अधिक उम्र का होता है। इसके शादीशुदा जिंदगी में गम्भीर दुष्प्रभाव होते है।

बाल विवाह समाज के लिए एक अभिशाप है। माता पिता कम उम्र में ही अपने बच्चों की शादी कर देते है। जिस उम्र में बच्चों को विवाह का अर्थ ही नही पता होता है। इस उम्र में उन्हें विवाह के पवित्र बंधन में बांध दिया जाता है। बाल विवाह के कारण बच्चों का बचपन चला जाता है। बाल विवाह करने से बच्चों के मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खासकर लड़कियों पर बाल विवाह का ज्यादा प्रभाव होता है। भारत में बाल विवाह का दंश ज्यादा गहरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बाल विवाह अपने पैर पसारे हुए है।

बाल विवाह पर निबंध Bal Vivah Par Nibandh

Essay On Child Marriage In Hindi – भारत के इतिहास में बाल विवाह कुप्रथा के विरुद्ध समय समय पर आवाज उठाई गई है। महान समाज सुधारक राजाराम मोहन राय ने ब्रिटिश शासनकाल में स्पेशल मैरेज एक्ट पास करवाया था। इस बिल के अनुसार भारत में शादी के समय लड़के की आयु 18 वर्ष और लड़की की आयु 14 वर्ष तय की गयी थी। वर्ष 1929 में बाल विवाह कानून अधिनियम बनाया गया था। इस कानून की तहत लड़का और लड़की की विवाह उम्र क्रमशः 18 और 14 वर्ष की गयी थी।

बाल विवाह ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा होते है। यहां तक कि भारत में सबसे ज्यादा साक्षरता वाले केरल राज्य में भी बाल विवाह प्रचलित है। आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बाल विवाह बिहार, यूपी, बंगाल जैसे पिछड़े राज्यों में होते है।

बाल विवाह का कारण क्या है Child Marriage Causes In Hindi

1. यौनशोषण, छेड़छाड़ और असुरक्षा –

लड़कियों के साथ यौनशोषण और छेड़छाड़ के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। हम अखबार और न्यूज़ चैनल पर बलात्कार जैसी घटनाओं के बारे में पढ़ते है। माता पिता अपनी बच्चियों को ऐसी घटनाओ से बचाने के लिए कम उम्र में ही शादी कर देते है। वैसे दोस्तों इस तरह की आपराधिक घटनाओं के लिए समाज दोषी है लेकिन भुगतना लड़कियों को पड़ता है।

2. गरीबी –

बाल विवाह का मुख्य कारण गरीबी भी है। माता पिता को लगता है कि वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नही दे सकते है। उनकी सोच होती है कि वो बच्चों को अच्छा भविष्य नहीं दे पाएंगे। लड़की की कम उम्र में शादी करने से उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य चीजों पर कम पैसा खर्च करना पड़ेगा। इसलिए वे बेटी की शादी बहुत ही कम उम्र में कर देते है।

3. दहेज प्रथा –

बाल विवाह का एक मुख्य कारण दहेज प्रथा भी है। कम उम्र में शादी करने से दहेज भी कम देना पड़ता है इसलिए माता पिता लड़की की शादी बचपन में ही करवा देते है।

4. सामाजिक कुप्रथाएं और परम्परा –

भारत के कई इलाकों में बाल विवाह सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि लोग यह सोचते है की यह हमारी परम्परा है। बाल विवाह को पीढ़ियों से चली आ रही परम्परा और संस्कृति का हिस्सा मानते है। समाज की दकियानूसी सोच भी बाल विवाह का एक बड़ा कारण है। “लड़कियों को सिर्फ घर का चूल्हा चोका ही करना होता है” ऐसी सोच के कारण ही बाल विवाह को बढ़ावा मिला है।

बाल विवाह पर निबंध Child Marriage Essay In Hindi

भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को मां बाप बोझ समझते है। इस तरह की मानसिकता वाले लोग बाल विवाह को संस्कृति और समाज का हिस्सा मानते है। ये लोग बाल विवाह को सही ठहराते है। समाज को पुरूष प्रधान माना जाता है। इस कारण स्त्रियों को समय समय पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यही कारण है बाल विवाह के केस में लड़कियों के मामले ज्यादा होते है।

5. कानून का सख्त ना होना –

भारत में बाल विवाह के खिलाफ कानून मौजूद है। परंतु कानून में कमी और लचरता होने के कारण बाल विवाह पर पूर्ण विराम नही हुआ है। हालांकि कानून की वजह से बाल विवाह में कुछ हद तक कमी हुई है।

5. शिक्षा का अभाव –

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा नही दिया जाता है। खासकर लड़कियों के लिए शिक्षा जरूरी नही समझी जाती है। इस कारण लड़कियों की शिक्षा को महत्व नहीं देते है। लड़कियों में शिक्षा का अभाव होने के कारण वह अपने बाल विवाह का विरोध नहीं कर पाती है।

6. पारिवारिक कारण –

भारत में पारिवारिक दबाव के चलते भी बच्चों का विवाह कर दिया जाता है। घर के बड़े बुजुर्गों की चाह होती है कि वे अपने बेटे – बेटी, पोते – पोती का विवाह मरने से पहले देख ले। यह भी एक प्रमुख कारण है कि बाल विवाह करवाया जाता है। माँ बाप की सोच रहती है कि अगर जल्दी शादी कर देंगे तो लड़का अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा।

बाल विवाह के दुष्प्रभाव Effects Of Child Marriage

1. बचपन खो जाता है –

खेलने कूदने के दिनों में ही बच्चों की शादी करवा दी जाती है। इससे उनके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारी आ जाती है। बाल विवाह के कारण उनका बचपन खो जाता है। खिलौनों से खेलने की उम्र में ही बच्चों को विवाह बंधन में बांध दिया जाता है।

2. निरक्षरता बढ़ती है –

कम उम्र में शादी होने के कारण बच्चों को उनकी पूर्ण शिक्षा नही मिल पाती है। खासकर लड़कियों को अशिक्षित रखा जाता है। शादी होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है। बाल विवाह के कारण निरक्षता बढ़ती है। अक्षिशित होने के कारण उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनने के अवसर नहीं मिल पाते है।

3. बीमारियां, शारीरिक और मानसिक तनाव –

बाल विवाह के कारण लड़कियां कम उम्र में ही माँ बन जाती है। इससे लड़कियों में शारीरिक और मानसिक तनाव बढ़ता है। कम उम्र में यौनशोषण के कारण लड़कियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इससे बीमारी का खतरा बढ़ता है। बाल उम्र में ही माँ बनने से वे अपने बच्चों को सही परवरिश नही दे पाती है। महिलाओं को कई स्त्री रोग घेर लेते है।

4. जनसंख्या बढ़ना –

बाल विवाह होने के कारण लड़कियां जल्दी ही मां बन जाती है। इससे जनसंख्या अनियंत्रित होकर बढ़ती है। जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी भी बढ़ती है।

5. पारिवारिक घरेलू हिंसा –

बचपन में ही विवाह होने से पति पत्नी एक दूसरे को समझ ही नहीं पाते है। इस कारण दोनों में तालमेल नहीं हो पाता है। बेहतर तालमेल नही होने के कारण परिवार में लड़ाइयां होती रहती है। कई बार तो हालात बिगड़ते बिगड़ते तलाक या मृत्यु तक पहुंच जाते है। कम उम्र में ही विवाह से घरेलू हिंसा को बढ़ावा मिलता है। पति और पत्नी वैवाहिक जीवन का आनंद पूर्णत नही ले पाते है।

बाल विवाह रोकने के उपाय Bal Vivah Essay In Hindi

1. रूढ़िवादी सोच में बदलाव – Essay On Child Marriage In Hindi

बाल विवाह को रोकने के लिए इतिहास में कई प्रयास किये गए है। परन्तु अभी तक बाल विवाह को रोकने में हम पूर्णतः सफल नहीं हो पाये है। इसके मुख्य कारण हमारी रूढ़िवादी सोच और विचार है। समाज की रूढ़िवादी सोच के कारण ही कुप्रथाओं का जन्म होता है। सबसे पहले तो हमे अपनी इसी रूढ़िवादी सोच को बदलना होगा।

2. शिक्षा –

शिक्षा इंसान का सबसे बड़ा हथियार है। शिक्षा से ही इंसान सही और गलत का फैसला कर पाता है। लड़कियों को शिक्षित बनना चाहिए जिससे वे सही गलत में भेद कर सके। शिक्षित व्यक्ति बाल विवाह कुप्रथा का विरोध करता है। लड़कियां शिक्षित होगी तो वे भी इसका विरोध करेगी। बाल विवाह की रोकथाम के लिए शिक्षा की अहम भूमिका है। शिक्षा के प्रसार से ही इस कुप्रथा को समाज से दूर किया जा सकता है।

3. शादी में आर्थिक सहायता –

भारत सरकार ने समय समय पर बेटियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं बनायी है। इन योजनाओं के तहत गरीब परिवार को लड़की की शादी के समय आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इन योजनाओं की मदद से गरीब परिवार बेटी की अच्छी परवरिश और पढ़ाई भी करवा सकता है। बेटी की शादी से लेकर बच्चे होने तक के लिए सरकार ने योजनाएं बनाई है। सरकार को इन योजनाओ का भरपूर प्रचार करना चाहिए ताकि हर गरीब परिवार तक ये योजनाएं पहुंच सके।

Bal Vivah Par Nibandh Essay

4. समाज में जारूकता –

बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभाव पर समाज में जागरूकता आनी चाहिए। बाल विवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद होनी चाहिए। बाल विवाह को “ना” कहने की आवाज आनी जरूरी है। यह आवाज सबसे पहले परिवार और बच्चों की तरफ से आनी चाहिए। इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा बनाए गए कानून के बारे में भी समाज में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।

5. सक्त कानून –

भारत सरकार द्वारा बाल विवाह के ख़िलाफ़ कई कानून बनाए गए है। वर्ष 2007 में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया था। इस कानून के तहत लड़के और लड़की की वैवाहिक उम्र क्रमशः 21 व 18 तय की गई थी। इस कानून को तोड़ने पर 2 साल की जेल अथवा 1 लाख का जुर्माना है। या फिर सजा या जुर्माना दोनों हो सकते है। बाल विवाह रोकने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।

6. मीडिया और विज्ञापन –

मीडिया भी बाल विवाह रोकने के लिए समाज प्रेरक बन सकता है। अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर बाल विवाह के दुष्परिणाम बताने वाले विज्ञापन देने चाहिए। टेलीविजन पर बाल विवाह के दुषपरिणामों पर धारावाहिक और कार्यक्रम आने चाहिए।

अन्य उपयोगी निबंध –

  • दहेज़ प्रथा पर निबंध
  • गरीबी पर निबंध
  • शिक्षा पर निबंध

Note – बाल विवाह पर निबंध हिंदी में पर यह पोस्ट Essay On Child Marriage In Hindi कैसी लगी। यह निबंध “Bal Vivah Par Nibandh Essay In Hindi” अच्छा लगा हो तो शेयर भी करे।

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बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi – Bal Vivah

इस नियम के अनुसार विवाह के वक्त लड़के की आयु 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम आयु पर विवाह होने पर सम्बन्धित लोगो को दंडित किया जाएगा। अब बाल विवाह भारत में बाल विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित है। 18 वर्ष से कम उम्र पर शादी करने पर 15 दिन का कारावास और 1000 जुर्माने का प्रावधान है।

ऐसा माना जाता है कि भारत के केरल, बिहार राज्य में बाल विवाह अब भी प्रचलित हैं। एक और जहां भारत विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है वही बाल विवाह जैसी कुप्रथा देश के विकास को रोक रही है। हम सभी को चाहिए कि इस कुप्रथा को समाप्त करें।

भारत में बाल विवाह का इतिहास History of Child Marriage

आजादी से पूर्व राजा राममोहन राय , केशव चंद्र ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से “स्पेशल मैरिज एक्ट” पारित करवाया था जिसके अंतर्गत लड़कों की उम्र 18 वर्ष और लड़कियों की उम्र 14 वर्ष निर्धारित की गई थी।

परन्तु इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस बिल में सुधार करके “चाइल्ड मैरिज रिस्टैंट” बिल के नाम से पारित किया गया था जिसमें विवाह के लिए लड़कों की उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की उम्र 18 वर्ष कर दी गई थी।

बाल विवाह के कारण Reasons for Child Marriage

प्रेम विवाह love marriage, महिलाओं से छेड़छाड़ एवं यौन अपराध molestation and sexual assault.

भारत में युवा महिलाओं के साथ अक्सर छेड़छाड़ की घटनाएं होती रहती हैं। बलात्कार के मामले में भारत की रैंकिंग बहुत खराब है। यहां पर यौन उत्पीड़न और शोषण जैसी घटनायें हर दिन होती रहती हैं।

इन सभी परेशानियों से तंग आकर लड़कियों के मां-बाप शीघ्र ही विवाह कर देते हैं। वे अपनी समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं। गांव, देहातों और छोटे कस्बों में इस तरह की घटनायें अधिक होती है। जो कि लड़कियों के मां बाप के लिए बड़ी चुनौती साबित होती हैं।

पारिवारिक कारण Family Issues

बेटी के चरित्र के बारे में मां-बाप की चिंता concerns about the daughter’s character by parents, गरीबी poverty.

बाल विवाह के लिए गरीबी भी प्रमुख कारण है। बहुत से गरीब लोग अपनी बेटियों को पढ़ा नहीं पाते हैं। उनके पास इतना पैसा नहीं होता कि अपनी बेटी को अच्छा भविष्य दे सके। इसलिए वो जल्दी से विवाह करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पाना चाहते हैं।

बाल विवाह से होने वाले नुकसान Disadvantages of Child Marriage

लड़कियों का कम आयु में माँ बनना being a mother at a young age, खराब सेहत ill health, उपसंहार व निष्कर्ष conclusion.

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बाल विवाह पर निबंध

हमारे देश में सदियों से चली आ रही कुप्रथा बाल विवाह के विषय में आज हम आपके निबंध लेकर आए हैं। “बाल विवाह” विषय पर निबंध आपकी परीक्षाओं में भी सहायता करेगा। इसके अलावा इस निबंध से आपको बाल विवाह के संबंध नहीं तो कुछ जानकारियां भी प्राप्त होंगी। आइए जानते हैं “बाल विवाह” पर निबंध….

प्रस्तावना: बाल विवाह एक ऐसी कुरीति है, जो भारत देश में सदियों से चली आ रही है। भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में बाल विवाह होते आएं हैं। लेकिन समूचे विश्व में बाल विवाह के लिए भारत दूसरे स्थान पर आता है। बाल विवाह – बाल का अर्थ है बालक (बच्चे) तथा विवाह का अर्थ है शादी। यानि बाल विवाह का स्पष्ट अर्थ है, बच्चों का विवाह। विवाह एक बेहद पवित्र रिश्ता होता है लेकिन बाल विवाह कुरीति के अन्तर्गत दो अपरिपक्व बालक- बालिका को आजीवन विवाह के रिश्ते में बांध दिया जाता है।

बाल विवाह का इतिहास: बाल विवाह की रीति का प्रारंभ आर्यों के आने के बाद से माना जाता है। भारत में बाल विवाह का आरंभ मुसलमानों के शासन के दौरान किया गया। मुस्लिम शासकों द्वारा हिंदू धर्म की लड़कियों का बलात्कार किया जाता था जिस कारण उस समय बाल विवाह को हथियार को हथियार के रूप में अपनाया गया। इसके बाद अंग्रेजों के शासन में भारत की लड़कियों का अपहरण तथा बलात्कार किया जाता है।

जिस कारण उस समय की पीढ़ी अपनी लड़कियों को अंग्रेजी शासकों से बचाने के लिए बाल विवाह जैसी कुरीति को अपना लिया। इसके अलावा कई लोग यह भी मानते हैं कि 19वीं शताब्दी से पहले बाल विवाह होना आम था। क्योंकि पहले के समय में लड़की से परिपक्व हो जाने पर ही विवाह कर दिया जाता था तथा आयु सीमा का निर्धारण नहीं किया गया था।

1929 में बाल विवाह को भारतीय कानून के तहत गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। लड़कियों को स्वतंत्रता देने के लिए बाल विवाह के लिए विरोध में आवाजें उठने लगी। जिसके बाद साल 1978 में विवाह करने के लिए महिलाओं की उम्र 18 और पुरुषों की उम्र 21 वर्ष सुनिश्चित कर दी गई।

बाल विवाह का दुष्प्रभाव: बाल विवाह का भारतीय समाज में बेहद नकारात्मक प्रभाव नजर आता है-

• बाल विवाह के कारण लड़कियों की मृत्यु दर में वृद्धि होने लगी। जिसका कारण यह रहा कि 14 से 18 वर्ष तक की लड़कियों का विवाह होने पर, उनकी गर्भावस्था में ही मृत्यु हो जाती थी। • इसके साथ ही 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का विवाह होने पर,उनके द्वारा जन्म लेने वाले शिशु का पोषण भी उचित रूप से नहीं होता। बल्कि अधिक संख्या में कम उम्र की लड़कियों जन्में शिशु की मृत्यु हो जाती है। • इसकी साथ ही international institute for population sciences के मुताबिक कम उम्र में विवाह होने पर प्रजनन क्षमता उच्च तथा प्रजनन नियंत्रण कम पाया जाता है। • भारत में अधिक संख्या में देखा गया है कि कम उम्र में होने वाली शादियों में घरेलू हिंसा का प्रभाव अधिक रहता है। मानसिक परिपक्वता ना होने के कारण कम उम्र में शादी होने वाले लड़का लड़की आपस में घरेलू हिंसा का शिकार बनते हैं।

बाल विवाह को रोकने के प्रयास: बाल विवाह को रोकने के सार्थक प्रयासों की बात करें तो, भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बाल विवाह की कुप्रथा को रोकने के लिए भारत के राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश राज्यों में कानून पारित किए गए जो जो प्रत्येक विवाह को वैध बनाने के लिए पंजीकरण मांगते हैं।

इसके साथ ही भारत में बाल विवाह रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 कानून जारी किया गया। इस कानून के अनुसार बाल विवाह करवाने वाली माता पिता, सगे संबंधियों, शादी में मौजूद होने वाले बराती तथा पुरोहितों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही यदि बाल विवाह के बाद लड़की विवाह को स्वीकार नहीं करती है, तो वह बालिग होने के बाद विवाह को शून्य घोषित करने के लिए आवेदन भी कर सकती है।

निष्कर्ष: इस प्रकार, हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि भारत में विवाह करने की वैध आयु निश्चित की गई है। कानून के अनुसार, 18 वर्ष की लड़कियों तथा 21 वर्ष के लड़के विवाह करने के योग्य होंगे। इससे कम उम्र में शादी करने पर विवाह अवैध माना जाता है। हालांकि आजकल शिक्षा व कानूनों के तहत बाल विवाह पर काफी सीमा तक रोक लगाई जा चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी भारत के कई अशिक्षित तथा गरीब कस्बों में अभी भी बाल विवाह की कुरीति को अपनाया जाता है। भारत में पूरी तरीके से बाल विवाह को रोकने के लिए युवा पीढ़ी को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा।

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बाल विवाह पर निबंध | Essay On Child Marriage in Hindi

बाल विवाह क्या है (what is child marriage in hindi).

बाल विवाह हमारे समाज में एक कुप्रथा है। जो काफी समय से चली आ रही है। जब बहुत कम उम्र में लड़कों तथा लड़कियों का विवाह कर दिया जाता है तो इसे बाल विवाह कहा जाता है। मौजूदा समय में लड़कों की शादी की उम्र जहां 21 वर्ष है वहीं लड़कियों की 18 वर्ष है। इस निर्धारित आयु से कम आयु में विवाह करना कानूनी अपराध होगा।

प्राचीन काल से ही भारत में कई तरह की कुप्रथाएं विद्यमान थी। इन कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए समय-समय पर कदम उठाएं जाते रहे हैं। इन जड़ प्रथाओं में से एक है बाल विवाह। हमारे सामाजिक ढांचे में बाल विवाह एक बहुत बड़ी समस्या है। इसके अंतर्गत लड़के और लड़कियों का विवाह बेहद ही कम आयु पर में करवा दिया जाता था।

जो बच्चों के खेलने कूदने की उम्र होती थी उस उम्र में विवाह करवाने की वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा होती है। कम उम्र में विवाह की वजह से लड़कियां जल्द गर्भवती हो जाती है जिससे कई लड़कियों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ता है। इन्ही सब नुकसानों को देखते हुए आजादी से पहले कई समाज सुधारको ने इसे लेकर अभियान छेड़ा। उन्हीं में से एक थे राजा राममोहन राय। जिनके प्रयासों के फलस्वरूप उस दौरान अंग्रेजी सरकार स्पेशल मैरिज एक्ट लेकर आई जिसमें शादी के दौरान लड़कों की आयु 18 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 14 वर्ष तय की गई। लेकिन आगे जाकर इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था।

समय बीतने के साथ ही बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए लेकिन अभी भी स्थिति विकराल है। यूनिसेफ की ओर से 2019 में ‘फैक्टशीट चाइल्ड मैरिजेज’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की गई। जिसमें बताया गया कि साल 2005 से 2006 में 47 फ़ीसदी महिलाओं का विवाह 18 वर्ष से पहले ही करवा दिया जाता था।

हालांकि, 2015 से 2016 के बीच इन आंकड़ों में गिरावट आई, जो कि अब घटकर 27 फीसदी रह गया है। लेकिन अन्य देशों के मुकाबले अब भी भारत में बाल विवाह की स्थिति चिंताजनक है। इसके अलावा कुछ समय पहले नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे-5 करवाया गया, जिसमें पता चला है कि 40.8 फ़ीसदी लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम आयु में करवा दिया जाता है। इसमें बंगाल की 41.6 फीसदी लड़कियां शिकार हुयी जबकि त्रिपुरा की 40.1 फीसदी लड़कियों को बाल विवाह का शिकार होना पड़ा।

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बाल विवाह के कारण

बाल विवाह हमारे समाज में कलंक है तथा इसे मिटाना जरूरी है बता दे, बाल विवाह कई कारणों से करवाए जाते हैं जिन्हें जानना जरूरी है। आइए जानते हैं बाल विवाह के कारण:-

1. गरीबी की वजह से

गरीबी, बाल विवाह के पीछे के सबसे बड़े कारणों में से एक है। हमारे देश में कई लोग ऐसे हैं जो दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाते। ऐसे में वे अपनी बेटियों को पढ़ाने लिखाने का सोचते भी नहीं है। पैसों की कमी की वजह से वे चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द अपनी बेटियों का विवाह करा कर जिम्मेदारी से मुक्त हो जाए और उन्हें अपने बच्चों का पेट न पालना पड़े।

2. पारिवारिक दबाव की वजह से

कई लोग पारिवारिक दवाब की वजह से भी बाल विवाह करवाते हैं। दरअसल घर के बड़े बुजुर्ग चाहते हैं कि उनके जीते-जी उनके नाती पोतों का विवाह करवा दिया जाए इसीलिए जल्दबाजी की वजह से बच्चों का विवाह 18 वर्ष से पहले ही कर दिया करते हैं।

3. माता-पिता का बच्चों के चरित्र को लेकर चिंता

कई माता-पिता अपने बच्चों के चरित्र पर शक करते हैं वह सोचते हैं कि यदि उनके बच्चे शादी से पहले ही प्रेम संबंधों में पड़ गए तो इससे उनके परिवार की काफी बदनामी होगी। परिवार में मुख्यतः माता-पिता को यह चिंता सता रही होती है कि उनकी बच्चियां दूसरी जाति के लड़कों के साथ पलायन न कर जाए। इसकी वजह से वे जल्द से जल्द अपने बच्चों की शादी कर देते हैं।

4. महिलाओं पर बढ़ते अपराध

भारत जैसे देश में लड़की और महिलाओं की सुरक्षा प्रणाली बेहद खराब है इसी वजह से आए दिन यौन शोषण, बलात्कारों जैसी घटनाएं हमारे सामने आती हैं। इन्हीं सब से परेशान माता-पिता अपनी लड़कियों का विवाह कर देते हैं।

5. शिक्षा की कमी

भारत में साक्षरता दर काफी कम है इसकी वजह से लोगों में समझ की कमी है। कई माता-पिता को इस बात का ज्ञान नहीं है कि बाल विवाह के वजह से बच्चियों को कितने नुकसान झेलने पड़ते हैं समझ के अभाव की वजह से वे अपनी बेटियों का विवाह जल्द से जल्द कर देते हैं।

बाल विवाह की वजह से होने वाले नुकसान

कम उम्र में शादी कर बच्चों से उनका बचपन छीन लिया जाता है। वही कम उम्र में शादी करने के कई बुरे नुकसान होते हैं जो बच्चों को झेलने पड़ते हैं जैसे बाल विवाह की वजह से एचआईवी और यौन संबंधित बीमारियों का खतरा बना रहता है इसके अलावा जब महिला गर्भवती होती है तब भी उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है बाल विवाह से होने वाले नुकसान निम्नलिखित हैं:-

1. शिक्षा में बाधा

बचपन में ही विवाह होने की वजह से कई लड़के-लड़कियां अपने आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते। यही वजह है कि हमारे देश में साक्षरता दर में कमी आ रही है। उच्च शिक्षा के अभाव की वजह से नौकरियों में भी उनकी नियुक्ति नहीं हो पाती। जिस वजह से वे गरीबी के जाल में फस जाते हैं।

2. स्वास्थ्य पर प्रभाव

बच्चों के कम उम्र में शादी की वजह से उन्हें कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता। वही लगातार इसकी वजह से मृत्यु दर में इजाफा हुआ है।

3. कम आयु में गर्भवती होना

बचपन में शादी होने की वजह से कई लड़कियां बचपन में ही गर्भवती हो जाती है जिस वजह से उनके शरीर में अहम पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसके साथ ही उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं वहीं कई लड़कियां बच्चों को जन्म देने के समय ही काल के गाल में समा जाती हैं।

इन सब नुकसानों के अलावा कई लड़कियों को घरेलू हिंसा, सामाजिक बहिष्कार का शिकार होना पड़ता है। बाल विवाह की वजह से लड़कियों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

बाल विवाह को रोकने के उपाय

  • साल 2006 में भारत सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया था। इस कानून में यह प्रावधान है कि विवाह के समय लड़कों की आयु 21 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 18 वर्ष होगी और ऐसा ना करने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। वही 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाने पर विचार कर रहे है। इसके लिए उन्होंने कमेटी का भी गठन किया था।
  • भारत के उच्चतम न्यायालय में विवाह पंजीयन को अनिवार्य किया। जिस वजह से बाल विवाह पर लगाम लग सके।
  • इन कानूनी प्रावधानों के साथ ही बाल विवाह को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। जन जागरण की मदद से ही इसे समाप्त किया जा सकता है। यदि गांव कस्बों में बाल विवाह संबंधी जागरूकता अभियान चलाया जाए तो यह प्रभावी साबित हो सकता है।
  • कई राज्यों जैसे कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में कानून पारित किए गए हैं। जिसके मुताबिक शादी को वैध बनाने के लिए उसका पंजीकरण आवश्यक कर दिया गया है।

उपसंहार (Conclusion)

भारत एक विकासशील देश है लेकिन इस विकास में बाल विवाह बाधा बन रही है। प्राचीन समय से चली आ रही यह कुप्रथा लड़के और लड़कियों के लिए एक अभिशाप की तरह है। कम उम्र में शादी के वजह से लड़के-लड़कियों को कई तरह की परेशानियों और दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जल्द से जल्द उन्हें इस कुप्रथा से मुक्ति दिलाना जरूरी है। इसके लिए यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर आवाज उठाएं तथा लोगों को जागरूक करें तो समाज में कुछ परिवर्तन आ सकता है।

तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा बाल विवाह पर निबंध | Essay On Child Marriage in Hindi | Bal Vivah par Essay , उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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बाल विवाह पर निबंध Bal Vivah Par Nibandh

Bal Vivah Par Nibandh – Bal Vivah Essay In Hindi दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में बाल विवाह पर निबंध एक कर बताएंगे क्योंकि एक समय में यह एक ऐसा विषय है इस पर हर एक स्वतंत्रता सेनानी ने एक ना एक बार आवास आवाज उठाई है तब जाकर यह वर्तमान समय में नष्ट हो पाई है लेकिन अभी भी कई स्थानों पर बाल विवाह किया जाता है इसलिए शिक्षक हमें इस विषय पर निबंध लिखने के लिए देते हैं ताकि हम बाल विवाह के प्रति जागरूक हो सके इसीलिए हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप हमारे इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।

तो चलिए शुरू करते हैं

 Bal Vivah Par Nibandh

बाल विवाह पर निबंध – Bal Vivah Par Nibandh

Bal vivah essay in hindi.

बाल विवाह एक ऐसी प्रथा थी जिसके जरिए हमारा पूरा समाज एवं हमारा भारत देश असफलता की तरफ जा रहा था। बाल विवाह समाज को खोखला करने वाला एक प्रथा था जिसे दूर करने के लिए सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ा संघर्ष किया। बाल विवाह की वजह से ही बच्चे खेलने कूदने एवं शिक्षा ग्रहण करने की उम्र में विवाह करके गृहस्ती संभालते हैं जिस वजह से हमारे देश को वह नहीं प्राप्त हो सकता जो हमारे देश को चाहिए।

भले ही वर्तमान समय में बाल विवाह कई स्थानों पर नहीं किया जाता लेकिन अभी भी कई सारे ऐसे समाज एवं गांव के लोग हैं जहां पर बाल विवाह कराया जाता है बाल विवाह जब कराया जाता है तब लड़कियों को कम उम्र में ही दूसरों के घर पर जाना पड़ता है और वहां पर जाकर कई सारे कार्य करने पड़ते हैं। बच्चों का जब कम उम्र में विवाह कर लिया जाता है तब वह अपने पारिवारिक जीवन में सही तरह से फैसले नहीं ले पाते और बहुत सारी गलतियां कर बैठते हैं जिस वजह से आने वाला भविष्य उनका समस्याओं से भरा हो जाता है इसलिए बच्चों को शिक्षा देना बहुत ज्यादा आवश्यक है ताकि उनको आने वाले अपने जीवन में सही फैसले लेने का पूरा ज्ञान हो।

लेकिन इसकी वजह से कई सारे स्थानों पर बाल विवाह अभी भी करा जाता है क्योंकि वहां के लोगों को संपूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं है क्योंकि प्राचीन समय में जो बुढ़ापे में लोग किया करते थे वर्तमान समय में कई सारे बुजुर्ग आदमी द्वारा यही संपन्न किया जाता है और इसी वजह से कई सारे बच्चों को बाल विवाह का शिकार होना पड़ता है जो पूरी तरीके से गलत है इस बाल विवाह को दूर करने के लिए बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने कड़े संघर्ष किए तथा समाज के प्रति आवाज उठाए थे तब जाकर यह दूर हो पाया है लेकिन यह अभिशाप अभी भी कई स्थानों पर मौजूद है।

बाल विवाह की वजह से कई सारी लड़कियों को भी कई तरह की समस्याएं होती हैं क्योंकि वह पारिवारिक जीवन व्यतीत करने के लिए पूरी तरीके से तैयार नहीं रहती और इसी वजह से जैसे-जैसे उनकी आयु बढ़ती है वैसे-वैसे उनको समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उनके पारिवारिक एवं वैवाहिक जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है जैसे झगड़े मारपीट इतिहास तरह की समस्याएं भी आ जाती हैं क्योंकि बच्चे जब बड़े होते हैं तब उनको समाज का कई सारा ज्ञान प्राप्त होता है और उन पर पहले से ही इतना बोझ होने की वजह से वह चिड़चिड़ा हो जाते हैं और इसी वजह से वैवाहिक जीवन उनका सही तरीके से व्यतीत नहीं हो पाता

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Child Marriage Essay In Hindi

भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में लड़का और लड़की का विवाह की आयु 21 वर्ष कर दी गई है क्योंकि इस समय दोनों ही पूरी तरीके से वैवाहिक जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार होते हैं। लेकिन हमारे भारत देश में कई सारे ऐसे परिवार है जिनके पास अपने बेटी का विवाह करने के लिए पर्याप्त धन मौजूद नहीं है क्योंकि वर्तमान समय में दहेज प्रथा नष्ट नहीं हो पाई है जिस वजह से एक पिता को अपनी बेटी का विवाह करने के लिए अधिक से अधिक धन इकट्ठा करना पड़ता है इसीलिए कई सारे लोग बाल विवाह का सहारा लेते हैं ताकि कम उम्र में ही उनकी बेटी का विवाह हो जाए।

वर्तमान समय में बाल विवाह को लेकर कई सारे कानून भारत देश में बनाए गए हैं वह उसमें ही एक ऐसा है कि यदि लड़का और लड़की का विवाह 21 वर्ष से कम में कराया जा रहा है तब ऐसे में यह भी उसका यह साबित कर दिया जाता है कि यह आयोग कम है तब ऐसे में लड़के को 2 वर्ष की सजा होगी तथा साथ ही साथ ₹100000 का जुर्माना भी भरना पड़ेगा इसके साथ-साथ पंडित मौलवी माता-पिता रिश्तेदार हर एक उस व्यक्ति को जुर्माना और सजा होगी जो उस विवाह को संपन्न करा रहा है इसके साथ शादी विवाह हो गया है और तब किसी तरीके से भर सरकार को इस बात की खबर हो गई कि यह बाल विवाह कराया गया है तब बाल विवाह के 2 वर्ष तक उस विवाह पर कराया जा सकता है

यदि हम सभी चाहे तो बाल विवाह को उस स्थान पर रोक सकते हैं जिस स्थान पर बाल विवाह को संपन्न कराया जा रहा है यदि बाल विवाह किसी स्थान पर कराया जा रहा है और आप से रोकना चाहते हैं तब उसका आप कंप्लेंट अपने कलेक्टर ऑफिस एवं पुलिस स्टेशन में करवा सकते हैं और यह सभी विवाह होने से पहले करवाना सही होगा और यदि इस तरह के कार्य करने के पश्चात ही माता-पिता द्वारा विवाह कराया जाता है तब उन पर कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है हर कोई व्यक्ति बाल विवाह को रोकने के लिए यदि आगे बढ़ेगा तो भारत से बाल विवाह खत्म हो जाएगा और बच्चों को उनका अधिकार प्राप्त होगा क्योंकि बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चों को उनका अधिकार प्राप्त नहीं हो पाता और कम समय में ही वह गृहस्ती में लग जाते हैं खेलने कूदने एवं मस्ती कर रहे हैं कि उम्र में उनको घर संभालना पड़ता है तथा पढ़ाई लिखाई से भी वह वंचित रह जाते हैं इस वजह से उनका भविष्य खतरे में आ जाता है।

दोस्तों अभी हमने आपको इस ब्लॉग में बाल विवाह पर निबंध लिखकर बताएं अगर आपको यह पसंद आया हो तो आपसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और यदि आपका कोई सवाल है तो आप उनसे कमेंट में अवश्य पूछे एवं अपने सुझाव को आप हमें कमेंट करके दे।

अगर हमारे द्वारा Bal Vivah Par Nibandh में दी गई जानकारी में कुछ भी गलत है तो आप हमें तुरंत Comment बॉक्स और Email में लिखकर सूचित करें। यदि आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है, तो हम इसे निश्चित रूप से बदल देंगे। दोस्तों अगर आपके पास Bal Vivah Essay In Hindi Pdf Download के बारे में हिंदी में और जानकारी है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम Bal Vivah Nibandh इसमे जरूर बदलाव करेंगे। और ऐसेही रोमांचक जानकारी को पाने के लीएं   HINDI.WIKILIV.COM   पे आते रहिएं धन्यवाद

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26 July 2021 2:08 PM GMT

बाल विवाह निषेध और  महत्वपूर्ण कानून

भारत में बाल विवाह सदियों से प्रचलित है और यह किसी धर्म विशेष से नहीं होकर सभी धर्मों, समुदायों और वर्गों में लम्बे समय से चल रही एक प्रथा है। वर्तमान समय में यह प्रथा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है। बाल विवाह के पीछे कारणों में मुख्यतः गरीबी, अशिक्षा, पितृसत्ता जैसे कारक हैं।

बाल विवाह से तात्पर्य है उस विवाह से जब बालक अथवा बालिका अथवा दोनों विवाह के लिए निर्धारित उम्र से काम के हों। वर्तमान समय में बालक के लिए 21 साल एवं बालिका के लिए 18 साल निर्धारित है। यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा। बाल विवाह मुख्यतया परिवार द्वारा बनाई गयी व्यवस्था के अधीन होते हैं, जहां सहमति का कोई स्थान नहीं होता है। किन्तु सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं है। वर्तमान समय में बाल विवाह को किसी भी एक व्यक्ति द्वारा शून्य या शून्यकरण घोषित करवाया जा सकता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

हर बिलास शारदा ने 1929 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली (Central Legislative Assembly) में बाल विवाह के रोकथाम हेतु बिल प्रस्तावित किया था। शारदा ने इस बिल का प्राथमिक उद्देश्य बाल-विधवा को रोकना बताया। चूँकि विधवा विवाह समाज में अनुमत नहीं था। आगे जाकर यह बिल 'बाल विवाह रोकथाम अधिनियम' कहलाया गया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत्त, विवाह के लिए न्यूनतम आयु तय की गयी। लड़की के न्यूनतम आयु 14 साल एवं लड़को के लिए 18 साल की गयी। 1978 में, विवाह के लिए न्यूनतम को बदला गया एवं लड़के के लिए 21 साल एवं लड़की के लिए 18 साल कर दी गयी।

यह बिल पारित करने के लिए ब्रिटिश अधिकारी कभी भी सहमत नहीं थे लेकिन सदन में भारतीयों की बहुसंख्यता के कारण यह पारित हो गया। समाज के रूढ़िवादियों को यह कानून कभी पसंद नहीं आया और इसलिए ब्रिटिश हुकूमत ने पूरी तरीके से लागू करने पर ज्यादा जोर नहीं दिया।

बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 1929:

इस कानून को शारदा अधिनियम (शारदा एक्ट) भी कहा जाता है। इस अधिनियम की विशेषता यह थी कि इसमें केवल विवाह के अनुष्ठापन (solemnization of marriage) को रोकने के प्रावधान थे, बाल विवाह की रोकथाम या निषेध के लिए नहीं। और यह कारण था कि यह अधिनियम बहुत प्रभावशाली नहीं था।

इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि मूल रूप से इस अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय नहीं थे।

1962 में, गुजरात सरकार ने युवा लड़कियों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों की जांच के लिए एक समिति नियुक्त की। जब इस समिति ने कम उम्र की विवाहित लड़कियों और उक्त विवाह के कारण आत्महत्या के बीच एक सीधा संबंध पाया, तो राज्य सरकार ने अधिनियम के तहत अपराधों को संज्ञेय बनाने के लिए अपने (राज्य के) बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम में संशोधन किया। 1978 में, महिलाओं की स्थिति पर राष्ट्रीय आयोग (National Commission on the Status of Women) ने गुजरात की उपरोक्त रिपोर्ट का हवाला दिया और केंद्र सरकार के अधिनियम में संशोधन की सिफारिश की।

संसद ने 1929 अधिनियम में एक संशोधन किया और अधिनियम के तहत अपराधों को संज्ञेय बना दिया। 1978 के संशोधन के अंतर्गत्त अधिनियम के तहत किसी भी अपराध को जांच और अन्य मामलों के लिए संज्ञेय घोषित किया, लेकिन बिना वारंट के किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए नहीं। इस प्रकार न्यायालय बाल विवाह को होने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा देने तक सीमित था।

दूसरा कारण था कि इस अधिनियम ने बाल विवाह के अनुष्ठापन को तो प्रतिबंधित कर दिया, लेकिन विवाहों को शून्य या शून्यकरण (void or voidable) घोषित नहीं किया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2005 में दिए एक निर्णय मनीष सिंह बनाम दिल्ली राज्य, AIR 2006 DELHI 37 में कहा कि:

"विधायिका इस तथ्य से अवगत थी कि यदि आयु प्रतिबंध के उल्लंघन में किए गए ऐसे विवाहों को शून्य या शून्य करने योग्य बना दिया जाता है, तो इससे उन महिलाओं को गंभीर परिणाम और शोषण का सामना करना पड़ेगा जो अपनी सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के कारण कमजोर हैं ... कोई भी कानून जो इस तरह के कम उम्र के विवाहों को शून्य या शून्यकरण योग्य बनाता है, उसका नतीजा महिलाओं और उनकी संतानों को ही भुगतना पड़ेगा।"

सीमा - कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के तहत किसी अपराध का संज्ञान उस तारीख से एक वर्ष की समाप्ति के बाद नहीं ले सकता जिस तारीख को अपराध करने का आरोप लगाया गया है।

जिन बच्चों की शादी बहुत काम उम्र में करवा दी जाती थी, उनके पास अपने शादी को शून्य करवाने के लिए केवल वर्ष का समय था। और यह समय उन बच्चों के लिए काफी नहीं होता था जो 5-6 वर्ष जैसी आयु में बाल विवाह के शिकार हो जाते थे।

सजा का प्रावधान:

उक्त अधिनियम के अन्तर्गत्त सजा का प्रावधान भी बहुत सामान्य था।

अधिनियम के तहत, यदि एक पुरुष, जो अठारह वर्ष से अधिक एवं इक्कीस वर्ष से काम है, एक बाल विवाह करता है तो इसके लिए पंद्रह दिन का सामान्य कारावास अथवा एक हजार रुपये अथवा दोनों तक के जुर्माने का प्रावधान है।

यदि पुरुष की आयु इक्कीस वर्ष से अधिक है तो सजा तीन महीने तक की साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों थी।

किसी भी बाल विवाह को करने, संचालित करने, निर्देशित करने या उकसाने वाले या बाल विवाह में शामिल माता-पिता या अभिभावकों के लिए तीन महीने तक की सजा का प्रावधान था।

इस तरह के प्रावधान कानून की प्रभावशीलता को और ज्यादा कमजोर करता है।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006:

वर्ष 2006 में, संसद ने 1929 के अधिनियम और उसके बाद के संशोधनों को निरस्त करते हुए "बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006" पारित किया।

वर्तमान कानून- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 तीन उद्देश्य को पूरा करता है: बाल विवाह की रोकथाम, बाल विवाह में शामिल बच्चों की सुरक्षा और अपराधियों पर मुकदमा चलाना।

इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है कि इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध संज्ञेय और गैर -जमानती है।

धारा 13 के तहत, बालक जिसका बाल विवाह हो रहा हो, कोई भी व्यक्ति जिसको बाल विवाह होने को जानकारी हो, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी अथवा गैर सरकारी संगठन, न्यायालय में आवेदन कर बाल विवाह रुकवाने की व्यादेश (Injunction) प्राप्त कर सकते है।

यदि ऐसी व्यादेश के बावजूद भी बाल विवाह किया जाता है तो इसके लिए दो वर्ष तक की सजा अथवा एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है।

इस धारा के तहत, जिला मजिस्ट्रेट को कुछ विशेष दिनों (जैसे अक्षय तृतीया) पर होने विवाह/सामूहिक विवाह रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के अधिकार प्राप्त होते है।

बाल विवाह का शून्य एवं शून्यकरण (Void and Voidable):

इस अधिनियम की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि यह बाल विवाह को शुरू से ही रद्द नहीं करता है, बल्कि इसके बजाय न्यायालय में एक याचिका की आवश्यकता होती है।

इस अधिनियम के तहत, कुछ परिस्थितयों में बाल विवाह पूरी तरीक से शुन्य समझे जाते है एवं कुछ परिस्थितयों में बालक एवं बालिका दोनों में से एक के विकल्प पर। यानी बालक-बालिका दोनों अगर चाहे तो व्यस्क होने पर बाल विवाह को जारी रख कर वैधता प्राप्त कर सकते है।

धारा 3 के तहत प्रत्येक बाल विवाह, दोनों में से एक पक्षकार (लड़का और लड़की) के विकल्प पर शून्यकरण होगी। यानी दोनों में से कोई भी एक बाल विवाह रद्द करवाने के लिए जिला न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकता है।

लेकिन बाल विवाह शुन्य घोषित करवाने की अर्जी को वयस्कता प्राप्त करने के दो साल के भीतर या उस से पहले दाखिल किया जा सकता है।

धारा 12 के तहत बाल विवाह को 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले ही शून्य घोषित किया जा सकता है, जब बच्चे का अपहरण, अपहरण, तस्करी या बलपूर्वक, छल, जबरदस्ती या गलत बयानी के तहत शादी करने के लिए मजबूर किया गया हो।

धारा 14 के तहत यदि कोई बाल विवाह न्यायालय द्वारा पारित आदेश के खिलाफ आयोजित किया गया हो तो ऐसा बाल विवाह प्रारम्भ से ही शुन्य होगा।

बाल विवाह निषेध अधिकारी:

धारा 16 के अनुसार, हर राज्य में पूर्णकालिक "बाल विवाह निषेध अधिकारी" नियुक्त किए जाते हैं और उनके द्वारा बाल विवाह के मामले की निगरानी राखी जाती है। इन अधिकारियों को बाल विवाह को रोकने, उल्लंघनों की प्रलेखित रिपोर्ट बनाने, अपराधियों पर आरोप लगाने, जिसमें बच्चे के माता-पिता भी शामिल हो सकते हैं और यहां तक कि बच्चों को खतरनाक और संभावित खतरनाक स्थितियों से निकालने का अधिकार दिया गया है।

पर्सनल लॉ (व्यक्तिगत कानून) एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम में विसंगतियां:

चूंकि कुछ समुदायों के व्यक्तिगत कानून अभी भी बाल विवाह की अनुमति देते हैं, और पीसीएमए (अधिनियम 2006) उन्हें रोकने की कोशिश करता है, ऐसे में कुछ महत्वपूर्ण कानूनी जटिलताओं उत्पन्न होती है।

पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय मो. शमीम बनाम हरियाणा राज्य के मामले में कहा कि इस तरह (बाल विवाह) की प्रथाएं अवैध नहीं हैं और पीसीएमए (अधिनियम 2006) के दायरे में नहीं आती हैं।

गुजरात उच्च न्यायालय ने यूसुफ इब्राहिम मोहम्मद लोखत बनाम गुजरात राज्य के मामले में कहा है कि एक लड़की, पंद्रह साल की उम्र या माहवारी शुरू होने (दोनों में जो भी पहले हो), अपने माता-पिता की सहमति के बिना शादी करने के लिए सक्षम है।

लज्जा बनाम राज्य के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि पीसीएमए (2019 अधिनियम) एवं व्यक्तिगत कानूनों के विरोधाभास के मामलों में पीसीएमए (2019 अधिनियम) प्रभावी होगा। सीमा बेगम बनाम राज्य में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा भी यही दोहराया गया था।

भारतीय दंड संहिता, पोक्सो एवं PCMA (2006 अधिनियम):

पॉक्सो की धारा 5(ढ़) किसी भी (सम्बंधित व्यक्ति) द्वारा बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमले को दंडित करता है। आईपीसी की धारा 375 के अनुसार किसी भी अठारह साल से काम उम्र की महिला के साथ संभोग कानूनी रूप से दंडनीय है।

धारा 375 के अपवाद के रूप में पुरुषों को 15 वर्ष से अधिक लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र की अपनी वधु के साथ विवाह में सम्बन्ध की अनुमति दी गई है।

2017 में इंडिपेंडेंट थॉट बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में यह निर्धारित किया गया था कि एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी, जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है, के साथ यौन संबंध भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत बलात्कार के बराबर है।

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बाल विवाह पर निबंध | Bal Vivah par Nibandh in Hindi [Essay on Child Marriage]

बाल विवाह पर निबंध: प्राचीन समय से चली आ रही बाल विवाह प्रथा जो आज भी हमारे समाज में कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में चल रही है। लेकिन समय के साथ – साथ अब इस कुप्रथा का अंत होते जा रहा है। आज के इस लेख हम इस कुप्रथा यानि बाल विवाह पर निबंध [Essay on Child Marriage in Hindi] लिखने जा रहे है।

Table of Contents

500 शब्दों का बाल विवाह पर निबंध/ स्पीच

भारत की मूल सांस्कृतिक परंपरा में विवाह संस्कार को एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। इस विवाह संस्कार को एक पवित्र बंधन की तरह माना जाता है जिस बंधन में एक दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम का भाव होता है। इस बंधन में किसी प्रकार की जरूरत नहीं होती। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो इस विवाह संस्कार जैसे पवित्र संस्कार में भी कुछ विकृतियां शामिल होती चली गई।

विवाह संस्कार की सबसे बड़ी विकृति और कुरीति यदि कोई है तो वह है बाल विवाह (Essay on Child Marriage)। भारत में बीते कुछ सैकड़ों साल से बाल विवाह की परंपरा ने काफी तेजी से प्रचलन हासिल किया था। जिसके चलते कई सारे अभिभावक अपने बच्चों के बाल्यावस्था में ही उनका विवाह करवा देते थे। ऐसा करने के कई सारे दुष्परिणाम हो सकते हैं। यह जब तक ध्यान में आया तब तक काफी समय बीत चुका था।

बाल विवाह पर निबंध |  Essay on Child Marriage in Hindi

क्या होता है बाल विवाह ? [What is the Child Marriage?]

बाल विवाह के नाम से ही हम समझ जाते हैं कि यह छोटे बच्चों की शादी करवाने वाली परंपरा है। कानूनी तौर पर शादी के लिए लड़का और लड़की दोनों बालिग होने चाहिए। इसकी भी एक आयु सीमा निर्धारित की गई है जिसमें लड़की की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़के की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष होनी चाहिए। यदि इससे कम आयु में बच्चों का विवाह करवा दिया जाता है तो उसे बाल विवाह कहा जाता है।

विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह का प्रचलन काफी ज्यादा देखने को मिला। लेकिन समय की आवश्यकता के अनुरूप और लोगों में बढ़ती साक्षरता को देखते हुए बाल विवाह के ऊपर सरकार ने सख्ती बरती। जिसके बाद न्यायालय के माध्यम से बाल विवाह रोकथाम अधिनियम साल 2006 में लागू किया गया। इसके बाद काफी हद तक बाल विवाह परंपरा में कमी देखने को मिली।

क्यों कराए जाते हैं बाल विवाह ?

बाल विवाह करवाने के पीछे कई सारे अलग-अलग कारण हो सकते हैं। सबसे प्राथमिक कारण तो यही है कि यह एक कुरीति है जो काफी लंबे समय से समाज में चली आ रही है। लोगों में साक्षरता की कमी की वजह से इस कुरीति को आंख बंद करके अपनाया गया। लेकिन धीरे-धीरे जैसे जैसे लोग साक्षर होते गए वैसे वैसे इस कुरीति के प्रति लोगों की आंखें खुलती चली जा रही है।

बाल विवाह कई मामलों में दबाव के चलते भी किया जाता है। इसके अलावा कई बार ऐसा भी देखा गया है कि किसी लड़की के अभिभावकों के ऊपर भारी कर्ज होने के चलते उन्होंने अपनी बेटी की बाल्यावस्था में ही उसकी शादी किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति से करवा दी।

कुछ मामलों में ऐसा भी उदाहरण देखने को मिला है जिसमें बचपन में ही पैदा होने के तुरंत बाद बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों का रिश्ता जोड़ देते हैं। जिसे सांस्कृतिक मान्यता का नाम दिया जाता है। लेकिन अब इस कुरीति के खिलाफ समाज में काफी हद तक जागरूकता फैल रही है।

बाल विवाह कुप्रथा किसी एक धर्म से जुड़ी हुई नहीं है। इस कुप्रथा को कई धर्मों में देखा गया है और समाज / सरकार द्वारा इस पर रोक लगायी गई है।

बाल विवाह के दुष्परिणाम

बाल विवाह करवाना तो वैसे लोगों को काफी पसंद आता था। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से लड़का और लड़की दोनों अपनी यौवन अवस्था में आने पर कहीं भटक नहीं सकते। लेकिन बाल विवाह करवाने के कई सारे दुष्परिणाम भी सामने आ चुके हैं।

  • बाल विवाह करवाने की वजह से बच्चों के व्यक्तित्व का विकास ही नहीं हो सकता। बचपन में ही घर गृहस्ती जैसे प्रपंच में पढ़कर बच्चों का बचपन मानो कहीं गुम हो जाता है। विवाह बंधन में एक दूसरे के प्रति क्या कर्तव्य होते हैं बच्चों को समझ नहीं आते जिसके चलते इन बच्चों का व्यक्तित्व विकास कि नहीं कर पाता।
  • इसके अलावा बाल विवाह की वजह मात्र से शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। छोटी उम्र की लड़कियों के शरीर का ठीक ढंग से विकास नहीं होने के कारण और इतनी छोटी उम्र में गर्भावस्था धारण करने के कारण कई सारे उदाहरण ऐसे देखने मिले हैं जिसमें माता और शिशु दोनों की मौत का प्रमाण बढ़ता दिखाई दिया है।
  • इसके अलावा लड़की के शरीर का ठीक ढंग से विकास नहीं हो पाने के कारण पेट में पल रहे बच्चे के विकास में भी अवरोध उत्पन्न होता है। इसी वजह से कई उदाहरण ऐसे भी देखने मिले हैं जिसमें बाल विवाह के चलते अविकसित बच्चे पैदा हुए हैं।
  • ऐसा नहीं है की बाल विवाह का प्रभाव केवल लड़कियों पर पड़ता था। इसका दुष परिणाम लड़कों को भी भुगतना पड़ता था क्योकि पढ़ाई करने और अपने भविष्य को बनाने के समय में ही उन पर परिवार की जिम्मेवारी पड़ जाती थी।

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बाल विवाह के खिलाफ कानूनी प्रावधान

जैसा कि हमने पहले ही बताया साल 2006 में बाल विवाह निषेध में उच्च न्यायालय के द्वारा कानून पारित किया गया। इस कानून के तहत बाल विवाह करवाने उससे संबंधित लोगों के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाती है। यदि आप अपने बच्चों का बाल विवाह करवाते हैं तो आपको निम्नलिखित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

  • यदि किसी मामले में लड़के की उम्र 18 से ज्यादा और लड़की की उम्र 18 से कम है तो ऐसे में उस लड़के को 2 साल की कैद और एक लाख तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
  • जिस जोड़े की शादी हो रही है उसमें से जो नाबालिक है उसे समझ आने पर वह उस शादी को रद्द करवाने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है। फिर चाहे वह 2 साल बाद ही क्यों ना अर्जी दें, या बालिग होने के बाद ही क्यों ना अर्जी दे।
  • इसके अलावा जो माता-पिता या अभिभावक बाल विवाह करवाते हैं, या फिर जो मौलवी या पंडित भी बाल विवाह करवाते हैं ऐसे सभी को जांच में दोषी पाए जाने पर एक लाख तक का जुर्माना और 2 साल तक की कैद हो सकती है।
  • इसके अलावा जो लोग बाल विवाह जैसी कुरीतियों को बढ़ावा देने का काम करते हैं और ऐसे बाल विवाह में सहयोग देने का काम करते हैं उन्हें भी 2 साल तक कैद और 1 लाख का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

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कैसे रुकेगा बाल विवाह ?

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार ने और न्यायालय ने कानून तो बना दिया है। लेकिन बावजूद इसके आज भी देश के कुछ ऐसे इलाकों में बाल विवाह में हो रहे हैं जहां पर साक्षरता का प्रमाण काफी कम है। इसलिए बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे पहले लोगों को साक्षर बनाना जरूरी है।

इसके अलावा बाल विवाह को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक क्रांति और जनजागृति की भी काफी ज्यादा आवश्यकता है। क्योंकि जो काम कानून से नहीं हो सकते वह काम आम लोगों के बीच जनजागृति करने से हो जाते हैं।

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निष्कर्ष [ बाल विवाह पर निबंध ]

Bal Vivah par Nibandh in Hindi: बाल विवाह एक गलत परंपरा है जिससे दो बच्चों का जीवन बर्बाद हो सकता है। इस बात को Essay on Child Marriage के इस लेख में समझाने का प्रयास किया गया है। इसलिए ऐसी प्रथा के खिलाफ सामाजिक तौर पर मजबूती से काम करने की जरूरत है। क्योंकि जब तक ऐसी कुरीतियों के खिलाफ सारा समाज एकजुट नहीं होगा तब तक यह सारी कुरीतियां समाज में चलती ही रहेगी।

FAQs बाल विवाह पर निबंध से जुड़े कुछ सवाल

प्रश्न 1: बाल विवाह क्या हैं?

उत्तर: बाल विवाह छोटे बच्चों की शादी करवाने वाली एक कुप्रथा है। लड़की की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़के की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष से कम होने पर उनकी शादी करना कानून अपराध हैं और इसे ही बाल विवाह कहां जाता हैं।

प्रश्न 2: बाल विवाह के क्या कारण हैं?

उत्तर: बाल विवाह के कई कारण जैसे परिवार का गरीब होना, दहेज, साक्षर न होना, सांस्कृतिक परंपराएँ, धार्मिक और सामाजिक दबाव, आदि।

प्रश्न 3: हम बाल विवाह कुप्रथा को रोकने के लिए क्या कर सकते हैं?

उत्तर: बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए सबसे पहले पुरे समाज को जागरूक होना होगा। परिवार का शिक्षित होना भी इस कुप्रथा को रोकने में मदद करता हैं। इससे निपटने के लिए और कठोर कानून लाया जाना चाहिए और समाज को इस कुप्रथा को रोकने के लिए सरकारों का सहयोग करना चाहिए।

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बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम

  • 07 Jan 2020
  • सामान्य अध्ययन-II
  • न्यायाधिकरण
  • निर्णय और मामले
  • बच्चों से संबंधित मुद्दे

प्रीलिम्स के लिये:

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, सर्वोच्च न्यायालय

मेन्स के लिये:

बाल विवाह से संबंधित मुद्दे, बाल विवाह और भारतीय समाज

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 की धारा 9 में उल्लिखित बिंदुओं को पुनर्व्याख्यायित किया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मोहन एम शांतानागौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 की पुनर्व्याख्या करते हुए कहा है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत 18 से 21 वर्ष की आयु के पुरुष को वयस्क महिला से विवाह करने के लिये दंडित नहीं किया जा सकता है।
  • गौरतलब है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के अनुसार , यदि अठारह वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल-विवाह करेगा तो उसे कठोर कारावास, जिसके अंतर्गत दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, यह अधिनियम न तो विवाह करने वाले किसी अवयस्क पुरुष को दंड देता है और न ही अवयस्क पुरुष से विवाह करने वाली महिला के लिये दंड का प्रावधान करता है। क्योंकि यह माना जाता है कि विवाह का फैसला सामान्यतः लड़के या लड़की के परिवार वालों द्वारा लिया जाता है और उन फैसलों में उनकी भागीदारी नगण्य होती है|
  • गौरतलब है कि इस प्रावधान का एकमात्र उद्देश्य एक पुरुष को नाबालिग लड़की से विवाह करने के लिये दंडित करना है। न्यायालय ने इस संदर्भ में तर्क दिया कि बाल विवाह करने वाले पुरुष वयस्कों को दंडित करने के पीछे मंशा केवल नाबालिग लड़कियों की रक्षा करना है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह अधिनियम 18 वर्ष से 21 वर्ष के बीच के लड़कों को विवाह न करने लिये भी एक विकल्प प्रदान करता है।
  • गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले के संदर्भ में दिया है जिसमें उच्च न्यायालय ने 17 वर्ष के एक लड़के को 21 वर्ष की लड़की से विवाह करने पर इस कानून के तहत दोषी ठहराया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि धारा 9 के पीछे की मंशा बाल विवाह के अनुबंध के लिये किसी बच्चे को दंडित करना नहीं है।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे समाज में बाल विवाह को रोकने हेतु लागू किया गया है।

अधिनियम के मुख्य प्रावधान

  • इस अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष या 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल विवाह की श्रेणी में रखा जाएगा।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह को दंडनीय अपराध माना गया है।
  • साथ ही बाल विवाह करने वाले वयस्क पुरुष या बाल विवाह को संपन्न कराने वालों को इस अधिनियम के तहत दो वर्ष के कठोर कारावास या 1 लाख रूपए का जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है किंतु किसी महिला को कारावास से दंडित नहीं किया जाएगा।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत किये गए अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती होंगे।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत अवयस्क बालक के विवाह को अमान्य करने का भी प्रावधान है।

स्रोत: द हिंदू

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बाल विवाह पर निबंध

Essay On Child Marriage In Hindi : बच्चों के बारे में सोचते ही सबसे पहला चित्र जो हमारे मन में ममता है। वह एक मासूम सा चेहरा है जो अपने बचपन के खेल कूद में उलझा हुआ है। उनके कंधे शादी जैसे जिम्मेदारियों को उठाने के लिए नहीं बने। मगर इस बात का हमें खेद है कि भारत में आज भी विभिन्न जगहों पर बाल विवाह जैसी कुप्रथा चलाई जा रही है।

हम यहां पर बाल विवाह पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में बाल विवाह के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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बाल विवाह पर निबंध | Essay On Child Marriage In Hindi

बाल विवाह पर निबंध (250 शब्द).

बच्चों को हमेशा एक स्वच्छ मन वाले फूल की तरह देखा जाता है। मगर बड़े खेद की बात है कि भारत में कुछ ऐसे भी जगह हैं जहां पर बच्चों का विवाह जल्दी करवा दिया जाता है। अगर आप बाल विवाह का अर्थ समझना चाहते हैं तो भारतीय संविधान के अनुसार हर वह लड़का और लड़की जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है उसका विवाह होता है जाएगा।

कई सालों से भारत में राजा महाराजाओं के समय से ही दहेज लेने की एक प्रथा चल रही है जब यह दहेज लेने की और देने की प्रथा भारत में तीव्र हो गई तब गरीब और छोटे घर के लोगों ने अपने घर की बेटियों को बोझ समझना शुरू कर दिया और उनका बचपन में ही विवाह करके अपने आप को इस बोझ से छुटकारा पाने के ख्याल से बाल विवाह जैसी कुप्रथा का निर्माण हुआ। 

हालांकि सरकार इस बात को समझती है और अधिक से अधिक जागरूकता फैलाकर सभी लोगों को बताना चाह रही है कि बच्चों के हाथ में किताब और खिलौने अच्छे लगते है। उनका विवाह करवा कर उन्हें चारदीवारी में बंद करके उनके भविष्य को बर्बाद ना करें। हम सभी को यह बात समझनी चाहिए कि अगर हम बच्चों को उचित शिक्षा देंगे और उनके भविष्य के बारे में उन्हें सोचने का मौका देंगे तो वह अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। 

अपने गरीब घर की परिस्थिति को भी सुधार सकते हैं। माता-पिता को भी अपने स्वार्थ की चिंता ना करते हुए बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें विश्व में उचित मार्ग पर चलने के लिए सही शिक्षा और व्यवहार देना चाहिए। 

बाल विवाह पर निबंध (500 शब्द)

बच्चों को हमेशा हम एक मासूम के रूप में जानते है।  किसी भी बच्चे को देखते हुए हमारे मन में ख्याल आता है की वह अपने बचपन में खेले कूदे। मगर बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है। जिन बच्चों के हाथ में गुड़िया और गुड्डे होने चाहिए, उन बच्चों के हाथ में शादी जैसे पवित्र बंधन की डोर थमा दी जाती है और जिन कंधों पर स्कूल का बैग होना चाहिए, उन कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियां रख दी जाती है। 

जिससे बच्चे बचपन में ही घर के प्रश्नों में उलझ कर रह जाते हैं। ना तो वे अपने जीवन में सही शिक्षा पा पाते हैं ना ही अपने जीवन को और बेहतर बनाने के बारे में सोच पाते हैं। इन सब की शुरुआत राजा महाराजा के समय से हुई थी।  उस जमाने से ही शादी में एक दहेज प्रथा चलती थी अर्थात बेटी की जब शादी होती थी तो बेटी के माता-पिता लड़के वालों को कुछ धन-संपत्ति देते थे।

धीरे-धीरे यह प्रथा इतनी तेजी से बढ़ी कि लड़कियों को बोझ की तरह देखा जाने लगा फिर छोटे वर्ग के गरीब लोग अपने बेटी के बोझ से छुटकारा पाने के लिए उनका विवाह बचपन में ही करना शुरू कर दिया। इसको प्रथा की शुरुआत सदी पहले लड़कियों की शादी नाम के पोज से छुटकारा पाने के लिए शुरू की गई थी। 

आपको जानकर काफी खेद होगा कि आज भी बहुत सारे जगहों पर बाल विवाह सक्रिय है।  सरकार इसे बंद करने के पीछे बहुत सारे मुहिम चला रही है मगर कुछ गांव के लोग इसे आज भी समर्थन देते है। कुछ लोगों का मानना है कि लड़की एक बोझ की तरह होती है। जिस गरीब के घर में बेटी होती है वह अपनी बेटी को जल्दी से जल्दी शादी कर के अपने से दूर करना चाहता है ताकि वह अपने बोझ से छुटकारा पा सके। यह सब शिक्षा की कमी की वजह से हो रहा है। 

सरकार इस बात को समझती है कि अगर बाल विवाह जैसी कुप्रथा चलती रही तो बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है और बच्ची ही आने वाले समाज का भविष्य होते है। अगर माता-पिता अपने स्वार्थ के लिए बच्चों के बचपन और उनके मौलिक अधिकार का हनन करने लगेंगे तो बच्चे अपने भविष्य को सही रूप से सवार नहीं पाएंगे जिसका फल यह होगा कि हम अपने देश का अंत कर देंगे।

अंततः हमें इस बात को समझना चाहिए कि बच्चों का जन्म खेलने कूदने और पढ़ने लिखने के लिए हुआ है बच्चों की कुछ मौलिक अधिकार होने चाहिए ताकि उन्हें अपनी बात को रखने और समझदारी से दूसरे की बात को समझने की शक्ति प्रदान हो। बाल विवाह जैसी कुप्रथा को बंद करके बच्चों के भविष्य को संवार आ गया, जिससे आने वाले समाज का एक सही रूपांतरण हो सके। 

बाल विवाह पर निबंध (850 शब्द)

बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है, जिसे कई लोग सही तरीके से समझ नहीं पाते और बच्चों को घर गिरस्ती संभालने के एक अजीब से खेल में फंसा देते है। हम सब को यह बात समझनी चाहिए कि बच्चे आने वाले भविष्य का दर्पण होते हैं हम उन्हें जितनी अच्छी शिक्षा देंगे और भविष्य में जितने बड़े काम करने के लिए तैयार करेंगे उससे वह घर और समाज की परिस्थिति को बदल पाएंगे। 

बाल विवाह एक ऐसा कुप्रथा है जिसे आज भी भारत के विभिन्न जगहों पर पालन किया जाता है इस प्रथा में बहुत ही कम उम्र में बच्चों की शादी करवा दी जाती है और एक लड़की बच्ची को किसी दूसरे परिवार में भेज दिया जाता है जहां उसके साथ शारीरिक हिंसा जैसे विभिन्न प्रकार के प्रताड़नाए दी जाती है।

एक बच्चा और बच्ची की शादी करवाने पर वह अपने दायित्व को समझ नहीं पाते और घर में सही फैसले ना ले पानी की वजह से उनका भविष्य खतरे में पड़ जाता है। एक बच्चा कभी या नहीं समझ पाता कि वह अपने जीवन में क्या कर सकता था। अगर उसे शिक्षा दी जाती इस प्रकार हमारे समाज बाल विवाह की वजह से एक ऐसी बीमारी का शिकार हो गया है जिसने लिंग के आधार पर एक खास प्रकार के इंसान से उसकी कुछ मौलिक अधिकार छीन लिए जाते हैं जो पूरी तरह से गलत है। 

बाल विवाह किसे माना जाएगा

जब हम यह कहते हैं कि एक बच्चे की शादी हो गई है तो इससे हमें पता नहीं चलता कि किस किस्म के बच्चे की शादी हुई है और किस उम्र में हुई है। जब आप बाल विवाह के बारे में जानकारी प्राप्त करने निकलेंगे तो आपको यह बताया जाएगा कि गरीब घर के लोग अपनी बेटी के लिए है उचित मात्रा में दहेज इकट्ठा नहीं कर पाते इस वजह से वह अपनी बेटी नाम के बोझ से छुटकारा पाने के लिए बाल विवाह का सहारा लेते हैं। 

मगर सरकार के अनुसार हर वह व्यक्ति जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है और उसका विवाह किया जा रहा है तो वह एक बाल विवाह माना जाएगा। हालांकि 18 वर्ष के बाद कोई भी बच्चा बालिग हो जाता है और वह अपना फैसला खुद ले सकता है साथ ही सरकार उसे बच्चा नहीं मानती। मगर भारतीय संविधान के अनुसार शादी करने की सही उम्र 21 वर्ष रखी गई है उससे पहले भले ही वह व्यक्ति बालक या बच्चे की श्रेणी में नहीं आता मगर उसे विवाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 

बाल विवाह करने पर क्या होता है

जैसा कि हमने आपको बताया कि बाल विवाह करने से बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानियां होती हैं। मगर बहुत सारे लोग यह नहीं जानते कि बाल विवाह करने पर सरकार द्वारा क्या किया जा सकता है। इस वजह से आपको नीचे कुछ जानकारियां दी गई है।

  • अगर किसी तरह यह साबित हो जाता है कि शादी हो रहे लड़के और लड़की की उम्र 21 वर्ष से कम है तो लड़के को 2 साल की सजा और ₹100000 जुर्माना या दोनों हो सकता है। 
  • शादी हो जोड़े में शादी करते वक्त बाल की केटेगरी में आता है तो वह कोर्ट में जाकर अपनी शादी रद्द करवा सकता है इसके लिए एक आवेदन पत्र शादी के 2 साल बाद तक मान्य रहता है। 
  • जो भी बाल विवाह संपन्न करवाता है चाहे वह पंडित मौलवी माता-पिता रिश्तेदार या किसी प्रकार के दोस्त के बारे में शिकायत दर्ज करने पर उन्हें 2 साल की कड़ी सजा और ₹100000 जुर्माना देना पड़ेगा। 
  • जो व्यक्ति बाल विवाह में शामिल होते है या किसी भी प्रकार के रस्म को पूरा करवाने में मदद करते है उन पर 2 साल की सजा और ₹100000 जुर्माना लगता है। 

बाल विवाह कैसे रोक सकते हैं

अगर आप बाल विवाह को रोकना चाहते है, तो आप इसके लिए कलेक्टर ऑफिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। या किसी थाना में थाना प्रभारी के अंतर्गत शिकायत दर्ज की जा सकती है। 

शादी की तिथि से पहले इन सभी कार्यालयों से शादी को संपन्न ना करने को कहा जाता है। अगर रोक लगने के बावजूद माता-पिता या किसी भी प्रकार के अभिभावक ने बाल विवाह को आगे बढ़ाया और शादी को संपन्न करवाने का प्रयास किया तो सरकार द्वारा इस शादी को खारिज माना जाएगा और शादी में शामिल सभी लोगों को 2 साल की कड़ी सजा और ₹100000 जुर्माना देना पड़ेगा। 

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार में भिन्न प्रकार की मुहिम चला रही है साथ ही बहुत सारे समाज सुधारक कंपनियों के द्वारा भी बाल विवाह को रोकने का प्रयास किया जा रहा है भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह के विवाह पर रोक लगा दिया गया है मगर आज भी भारत में ऐसे बहुत सारे गांव और कस्बे है जहां बाल विवाह करवाया जाता है। 

बाल विवाह को पूरी तरह से जड़ से खत्म करने के लिए सरकार को और कड़े नियम और प्रावधान बनाने की आवश्यकता है। हमारे अनुसार बाल विवाह को रोकने के लिए जनगणना की मदद से पता लगाना चाहिए कि किन का बाल विवाह हुआ है और उसे सरकार द्वारा खारिज कर देना चाहिए। 

आज के आर्टिकल में हमने  बाल विवाह पर निबंध ( Essay On Child Marriage In Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

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बाल विवाह पर निबंध- Essay on Child Marriage in Hindi

In this article, we are providing Essay on Child Marriage in Hindi. बाल विवाह पर निबंध Child Marriage Essay, Bal Vivah Ek Abhishap.

बाल विवाह पर निबंध- Essay on Child Marriage in Hindi

Bal Vivah Essay in Hindi

बाल विवाह यानि कि बच्चों की बचपन में ही शादी कर देना। बाल विवाह जैसी कुरीती केवल भारत में ही नहीं है बल्कि पूरे विश्व में पाई गई है लेकिन बाल विवाह में भारत का सबसे बड़ा स्थान है। बाल विवाह दो अपरिपक्व बच्चों की शादी करना है जो कि एक दुसरे से बिल्कुल ही अंजान होते है। बाल विवाह कोई नई कुरीति नहीं है अपितु यह भारत में दिल्ली सल्तनत के राजशाही वक्त से चलती आ रही है। लोग अपनी बेटियों की इज्जत विदेशी शासकों द्वारा लुटे जाने के डर से कम उमर में ही कर देते थे। लड़कियों की शादी को भोज समझा जाता था और बुजुरगों की पोता देखने की चाहत के कारण भी बाल विवाह किए जाते थे।

बाल विवाह आज भी हमारे समाज में मौजुद है। 40 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 से कम उमर में ही कर दी जाती है। शहरों की बजाय गाँवों में बाल विवाह ज्यादा देखने को मिलते है। बहुत से बाल विवाह तो ऐसे भी होते है कि बड़ी बहन की शादी कर रहे है तो साथ साथ छोटी की भी कर देते है जिससे शादी में होने वाला खर्चा बचेगा। कच्ची उमर में की गई शादियों को कारण बच्चे कुछ भी समझ नही पाते और न ही कुछ संभाल पाते है। फिर ये शादियाँ या तो तलाक तक पहुँच जाती है या फिर मरने तक। बाल विवाह के कारण शिशु और महिलाओं की मृत्यु दर बढ़ रही है। उनका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। एच.आई.वी. जैसे बिमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

आज के समाज में भी बाल विवाह जैसी कुरीति ने अपने पैर पसारे हुए है क्योंकि लोग जागरूक नहीं है, उनकी सोच आज भी रूढिवादी है और वो आज भी लड़कियों की शादी को भोझ समझते है। बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने के लिए पहले भी बहुत से लोगों ने कोशिशें की थी जिनमें से मुख्य सहयोग राजा राम मोहन राय ता है। उन्होनें ब्रिटिश सरकार द्वारा एक एक्ट पास कराया जिसके तहत शादी के लिए लडके की न्युनतम आयु 18 वर्ष और लड़की की 14 वर्ष कर दी गई थी। उसके बाद कानुन में बदलाव किए गए जिसमें लड़के की आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष कर दी गई है।

सरकार ने भी बच्चों की शादी पर प्रतिबंध लगाया है और अगर कोई बाल विवाह करवाता हुआ पकड़ा गया तो सख्त सजा दी जाएगी। बाल विवाह जैसी कुरीति को समाज से खत्म करने के लिए हमें लोगों को शिक्षित करना होगा, मीडिया और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जागरूक करना होगा।

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7 thoughts on “बाल विवाह पर निबंध- Essay on Child Marriage in Hindi”

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बाल विवाह पर एक बड़ा nivandh भेजने की कृपा करें

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Bal bivah par S. A

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मुझे बहुत अच्छा लगा

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Bal Vivah ke bare me kuch or jankari pradan kare

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bahut badhiya nibandh likhte ho

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बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 एवं बाल विवाह प्रतिषेध नियम-2007 gk 2024 update

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बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 एवं बाल विवाह प्रतिषेध नियम-2007 – बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि एक कानूनी अपराध भी हैं। बाल विवाह का महिला एवं उससे उत्पन्न होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य एवं भावी जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बाल विवाह के दुष्प्रभाव से होने वाली क्षति का आंकलन किया जाना संभव नहीं है। बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 लागू किया गया था।

भारत सरकार द्वारा बाल विवाह को अधिक प्रभावी तरीके से रोकने के लिए कानून को और अधिक सशक्त एवं वृहद बनाने के उद्देश्य से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 लागू किया गया है, जो कि दिनांक 11 जनवरी 2007 से पूरे देश (जम्मू- काश्मीर को छोड़कर) में प्रभावशील है। इस अधिनियम के लागू होने से बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 निरसित हो गया है। वर्तमान कानून- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 तीन उद्देश्य को पूरा करता है- बाल विवाह की रोकथाम, बाल विवाह में शामिल बच्चों की सुरक्षा और अपराधियों पर मुकदमा चलाना ।

अधिनियम के प्रावधानानुसार विवाह के लिए लड़के (बालक) की न्यूनतम आयु 21 वर्ष एवं लड़की (बालिका) की न्यूनतम आयु 18 वर्ष नियत की गई है। अधिनियम की धारा-3 के अनुसार दोनों पक्ष अथवा किसी एक पक्ष की आयु निर्धारित आयु से कम होने पर विवाह, बाल विवाह होगा तथा यह विवाह रद्द करने योग्य ( व्यर्थनीय) होगा । यदि बालक (लड़के) की आयु 21 वर्ष अथवा बालिका (लड़की) की आयु 18 वर्ष अथवा दोनों में से किसी एक पक्ष की आयु निर्धारित न्यूनतम आयु (लड़के के लिए 21 वर्ष एवं लड़की के लिए 18 वर्ष) से कम है तो ऐसा विवाह रद्द किया जा सकता है। इस अधिनियम की धारा 4(1) के अनुसार पुरूष जिसने बाल विवाह किया है, के द्वारा स्त्री पक्ष (लड़की) को उनके पुनर्विवाह तक जीविका (निर्वहन राशि ) प्रदान किये जाने का प्रावधान है। यदि पुरूष पक्ष (लड़का ) अवयस्क है तो जीविका प्रदान करने का भार उसके पालक/अभिभावक / संरक्षक पर होगा।

अधिनियम की धारा- 9 के अनुसार कोई भी 18 वर्ष से अधिक उम्र वाला व्यस्क पुरूष किसी अवयस्क स्त्री (18 वर्ष से कम आयु) से विवाह करता है तो उसे दो वर्ष का सश्रम कारावास या जुर्माना जो एक लाख रूपये तक हो सकता है अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। इतना ही नहीं अधिनियम की धारा 10 के तहत बाल विवाह के कारक, संचालनकर्ता एवं प्रेरित करने वाले को भी दो वर्ष की कैद बामुशक्कत या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनो से दंडित किये जाने का प्रावधान है। अधिनियम की धारा-12 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अथवा संरक्षक किसी अव्यस्क बच्चे को कपटपूर्ण ढंग से अथवा धोखे से अथवा बलपूर्वक विवाह हेतु विक्रय करता है अथवा विवाह कराकर बेचता है अथवा अनैतिक उद्देश्य के लिए उसका उपयोग करता है, तो ऐसा विवाह शून्य कहलायेगा तथा रद्द करने योग्य (व्यर्थनीय) होगा ।

इस अधिनियम की धारा-5 के तहत् बाल विवाह के परिणामस्वरूप शिशु / शिशुओं का जन्म होता है तो वह वैध शिशु होगा ।

धारा 13 के तहत, बालक जिसका बाल विवाह हो रहा हो, कोई भी व्यक्ति जिसको बाल विवाह होने को जानकारी हो, बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी अथवा गैर सरकारी संगठन, न्यायालय में आवेदन करं बाल विवाह रुकवाने की व्यादेश (Injunction) प्राप्त कर सकते है । यदि ऐसी व्यादेश के बावजूद भी बाल विवाह किया जाता है तो इसके लिए दो वर्ष तक की सजा अथवा एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। इस धारा के तहत, जिला मजिस्ट्रेट को कुछ विशेष दिनों (जैसे अक्षय तृतीया) पर होने विवाह / सामूहिक विवाह रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के अधिकार प्राप्त होते है । अधिनियम की धारा-16 के तहत राज्य सरकार द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किये जाने का प्रावधान है जिसमें बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के अधिकार एवं कर्त्तव्यों को भी परिभाषित किया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध नियम – 2007, 09 जनवरी – 2008 से प्रभावशील है, जिसके तहत् प्रदेश में प्रत्येक जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिन्हें प्रतिषेध अधिकारी के समस्त अधिकार प्रदान किये गये हैं ताकि बाल विवाह जैसी बुराई से सख्ती के साथ निपटा जा सके। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में से एक यह है कि इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती है।

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बाल विवाह पर नारे slogans on child marriage in hindi

Slogans on child marriage in hindi.

दोस्तों बाल विवाह हमारे भारत देश की एक ऐसी प्रथा है जिसकी वजह से बच्चों को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बाल विवाह से तात्पर्य ऐसे बच्चों से है जिनके मां-बाप लड़का एवं लड़कियों की बहुत ही कम उम्र में विवाह कर देते हैं जिस उम्र में बच्चों को खेलना कूदना चाहिए उसी उम्र में बच्चे वैवाहिक जीवन व्यतीत करते हैं और अपने बचपन को खो देते हैं। बाल विवाह आजकल के इस आधुनिक युग में पहले की अपेक्षा लगभग कम हो गया है। आज हम आपके लिए लाए हैं बाल विवाह पर कुछ नारे आप इन्हें जरूर पढ़े तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इन नारो को

slogans on child marriage in hindi

  • बाल विवाह को दूर करें हम, जीवन में आगे बढ़े हम
  • बाल विवाह अत्याचार है, बच्चों पर अत्याचार है
  • बाल विवाह को रोकेंगे, रोकेंगे हम रोकेंगे
  • बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाएंगे, देश को हम बचाएंगे
  • बाल विवाह अपराध है, हम सबके लिए अभिशाप है
  • बाल विवाह हम ना करें, बच्चों का जीवन बर्बाद ना करें
  • बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाएं, बच्चों के भविष्य को हम बताएं
  • हम सबको जागरूक करते चलें, बाल विवाह विरोधी नारे लगाते चलें
  • आज हमने ठाना है, बाल विवाह को दूर भगाना है
  • बाल विवाह अपराध है, बच्चों के लिए अभिशाप है
  • हम जीवन में आगे बढ़े, बाल विवाह को दूर करते चलें
  • बाल विवाह पर कविता Poem on child marriage in hindi
  • बाल विवाह पर निबंध Essay on Child Marriage in Hindi

दोस्तों बाल विवाह पर हमारे द्वारा लिखे नारे slogans on child marriage in hindi आपको कैसे लगे हमें जरूर बताएं। यदि आपको ये नारे पसंद आए हो तो हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करें जिससे इसी तरह के नारे आप पढ़ सकें।

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kamlesh kushwah

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Really you are right and nice slogan 🔥🔥🔥🔥

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