रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा (अंग्रेजी: Ratan Tata) दुनिया के महानतम बिजनेसमैन लोगों में से एक है। वे 1991 से लेकर 2012 तक तथा वर्ष 2016-17 में भी टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे। इसके अलावा वे टाटा सन्स (Tata Sons) के भी चेयरमैन रहे।
टाटा ग्रुप जमशेदजी टाटा के द्वारा स्थापित की गई थी। टाटा सन्स, टाटा ग्रुप की कंपनियों में अपनी शेरहोल्डिंग रखती है और निवेश करती है।
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रतन टाटा का परिचय (Introduction to Ratan Tata)
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के पुत्र रतनजी टाटा ने रतन को गोद लिया था। रतन टाटा की नानी तथा जमशेदजी टाटा की पत्नी हीराबाई दोनों बहने थी।
जब रतन टाटा मात्र 10 वर्ष के थे तब उनके पिता नवल व माता सोनू एक दूसरे से अलग हो गए। जिसके बाद उनका पालन पोषण सर रतन जी टाटा की विधवा पत्नी नेवज बाई टाटा के द्वारा किया गया जिन्होंने रतन को गोद ले लिया था।
हालांकि रतन की प्राथमिक भाषा गुजराती है क्योंकि उनके पिता नवल टाटा गुजराती थे।
विकिपीडिया के स्रोत के मुताबिक रतन टाटा ने 2011 में कहा था कि वह शादी कराने के चार बार नजदीक आ चुके थे और किसी कारणवश वे पीछे हटे। वे जब लॉस एंजेल्स में थे तब वहां पर उन्होंने एक लड़की से प्रेम किया। टाटा के परिवार में कोई सदस्य बीमार हो गया था तब उन्हें भारत आना था। परंतु, उस लड़की के माता-पिता ने उसे टाटा के साथ आने से मना कर दिया।
इसके बाद रतन भारत आ गए और पीछे से उस लड़की की शादी हो गई। रतन ने उस लड़की को वचन दिया था कि वे केवल उसी से शादी करेंगे। उन्होंने उस वचन को निभाया और जिंदगी में कभी शादी नहीं की।
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शिक्षा (Education)
रतन टाटा ने आठवीं कक्षा तक मुंबई के केंपियन स्कूल में पढ़ाई की। वर्ष 1955 में वह न्यूयार्क सिटी के रिवर डेल कंट्री स्कूल से प्रशिक्षित हुए। इसके अलावा उन्होंने कैथ्रेडल एंड जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई तथा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला में भी पढ़ाई की।
वर्ष 1959 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से टाटा ने आर्किटेक्चर डिग्री प्राप्त की। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के 7 सप्ताह के एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम को अटेंड किया।
शुरूआती कैरियर (Initial career)
वर्ष 1970 के दौरान रतन टाटा को मैनेजमेंट में प्रमोट कर दिया गया और नेल्को कंपनी की शुरुआती सक्सेस प्राप्त की। नेल्को कंपनी रेडियो और इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स से संबंधित थी।
वर्ष 1991 में रतनजी दादाभोय टाटा ने Tata Sons के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्ति ले ली। जिनके बाद रतन टाटा को टाटा संस का चेयरमैन घोषित किया गया।
जब रतन अपने नए रोल में फिट हुए तब उन्हें बहुत सारी कंपनियों के मुख्य अधिकारियों के द्वारा किये गये प्रतिरोध सहने पड़े। इस चीज को बदलने के लिए उन्होंने एक रिटायरमेंट एज रखी।
रतन टाटा: मेन ऑफ इन्टेग्रिटी (Ratan Tata: Man of Integrity)
जब वह चेयरमैन थे तब टाटा ग्रुप का रिवेन्यू 40 गुना बढ़ा तथा प्रॉफिट 50 गुना बढ़ा। उन्होंने टाटा टी कंपनी से टेटले कंपनी को, टाटा मोटर्स से जैगवार लैंड रोवर को तथा टाटा स्टील से कोर्स कंपनी को एक्वायर किया।
उन्होंने विदेशी कंपनियों को इसलिए खरीदा ताकि वे अपने धंधे को विदेश में भी बढ़ा सकें। टाटा मोटर कंपनी के द्वारा बनाई गई टाटा नैनो कार बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई।
यह कार पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध हुई तथा रतन टाटा को इस इनोवेशन के लिए वाहवाही मिली। यह कार इतनी सस्ती थी कि लगभग हर एक भारतीय व्यक्ति की पहुंच में थी।
वर्ष 2012 में रतन टाटा ने चेयरमैन के पद से त्यागपत्र दे दिया जिसके बाद साइरस मिस्त्री को चेयरमैन घोषित किया गया। परंतु अक्टूबर 2016 में उसे भी चेयरमैन के पद से हटा दिया गया तथा रतन टाटा को वापिस इंटरिम चेयरमैन बना दिया गया।
इस तरह के अचानक निर्णय से मीडिया में खबर बहुत तेजी से फैल गई जिसके कारण टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों में क्राइसिस आ गया।
जनवरी 2017 में नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन घोषित किया गया और तब से लेकर आज दिसंबर 2021 तक चंद्रशेखरन ही चेयरमैन है।
रतन टाटा के लोकहित कार्य (Philanthropist works by Ratan Tata)
रतन टाटा एक बिजनेसमैन तथा निवेशक होने के साथ-साथ एक महान समाजसेवी भी रहे हैं। उनके द्वारा लोगों के हित में किए गए कार्य बहुत सराहनीय है।
- कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स के लिए टाटा ग्रुप ने 28 मिलियन डॉलर स्कॉलरशिप फंड दिया।
- वर्ष 2010 में टाटा ग्रुप ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एग्जीक्यूटिव सेंटर के निर्माण के लिए $50 मिलियन का दान दिया। इस हॉल के निर्माण में लगभग $100 मिलियन से ज्यादा का खर्चा आया।
- टाटा कंसल्टेंसी कंपनी ने कार्नेजी मेल्लों यूनिवर्सिटी को रिसर्च की सुविधा के लिए 35 मिलियन डॉलर का दान दिया।
- टाटा ट्रस्ट ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस को 750 मिलियन रुपए का दान दिया।
रतन टाटा तथा टाटा ग्रुप के द्वारा दिए गए दानों में से ये दान सबसे बड़े दान हैं।
टाटा ग्रुप की सभी कम्पनियाँ (Names of Tata Group All Companies)
रतन टाटा की कम्पनियों के नाम (Ratan Tata all company name) –
- Tata Consultancy Services
- Tata Motors
- Titan Company
- Tata Chemicals
- Indian Hotels Company Limited (IHCL)
- Tata Consumer Products
- Tata Communications
- Trent Limited
- Tata Steel Long Products Limited
- Tata Investment Corporations Limited
- Tata Metaliks
- Tata Coffee
यह भी पढ़ें – जमशेदजी टाटा के प्ररेणादायक अनमोल विचार
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के पुत्र रतनजी टाटा ने रतन को गोद लिया था। रतन टाटा की नानी तथा जमशेदजी टाटा की पत्नी हीराबाई दोनों बहने थी। जब रतन टाटा मात्र 10 वर्ष के थे तब उनके पिता नवल व माता सोनू एक दूसरे से अलग हो गए। जिसके बाद उनका पालन पोषण सर रतन जी टाटा की विधवा पत्नी नेवज बाई टाटा के द्वारा किया गया जिन्होंने रतन को गोद ले लिया था।
नहीं, रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की। वे जब लॉस एंजेल्स में थे तब वहां पर उन्होंने एक लड़की से प्रेम किया। टाटा के परिवार में कोई सदस्य बीमार हो गया था तब उन्हें भारत आना था। परंतु, उस लड़की के माता-पिता ने उसे टाटा के साथ आने से मना कर दिया। इसके बाद रतन टाटा भारत आ गए और पीछे से उस लड़की की शादी हो गई। रतन ने उस लड़की को वचन दिया था कि वे केवल उसी से शादी करेंगे। उन्होंने उस वचन को निभाया और जिंदगी में कभी शादी नहीं की।
28 दिसम्बर 1937 को, मुम्बई, महाराष्ट्र में।
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टाटा में असिस्टेंट बनकर शुरू किया था करियर, फिर कंपनी को बना दिया इंटरनेशनल ब्रांड... भारत के 'रतन' की कहानी
Ratan tata: रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ था. उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट कार्यक्रम पूरा किया. उनके पिता नवल टाटा एक सफल उद्योगपति थे और उन्होंने टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं रतन टाटा की मां सोनी टाटा एक गृहिणी थीं..
- 09 अक्टूबर 2024,
- (अपडेटेड 10 अक्टूबर 2024, 12:09 AM IST)
Ratan Tata: रतन टाटा नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का बुधवार रात को निधन हो गया. मुंबई के अस्पताल में उन्होंने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. रतन टाटा की शख्सियत देखें तो वो सिर्फ एक बिजनेसमैन ही नहीं, बल्कि एक सादगी से भरे नेक और दरियादिल इंसान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी थे. वे साल 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और इस दौरान उन्होंने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया. उन्होंने टाटा को इंटरनेशनल ब्रांड बना दिया.
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ था. उन्होंने 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट कार्यक्रम पूरा किया. उनके पिता नवल टाटा एक सफल उद्योगपति थे और उन्होंने टाटा समूह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं रतन टाटा की मां सोनी टाटा एक गृहिणी थीं.
1962 में टाटा ग्रुप में सहायक के रूप में हुआ थे शामिल
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रतन टाटा 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज में सहायक के रूप में टाटा ग्रुप में शामिल हुए थे. बाद में उसी वर्ष टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (जिसे अब टाटा मोटर्स कहा जाता है) के जमशेदपुर संयंत्र में छह महीने की ट्रेनिंग ली. विभिन्न कंपनियों में सेवा देने के बाद उन्हें 1971 में नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया. 1981 में, उन्हें समूह की अन्य होल्डिंग कंपनी टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां वे इसे समूह रणनीति थिंक टैंक और उच्च-प्रौद्योगिकी व्यवसायों में नए उपक्रमों के प्रवर्तक में बदलने के लिए जिम्मेदार थे.
वे 1991 से 28 दिसंबर, 2012 को अपनी सेवानिवृत्ति तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष थे. इस दौरान वे टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित प्रमुख टाटा कंपनियों के अध्यक्ष थे. वे भारत और विदेशों में विभिन्न संगठनों से भी जुड़े हुए थे. रतन टाटा मित्सुबिशी कॉर्पोरेशन और जेपी मॉर्गन चेस के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड में भी थे. वे सर रतन टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट्स, और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट्स के अध्यक्ष थे. वे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष थे. वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड में भी कार्य करते थे.
रतन टाटा की उपलब्धियां:
1. टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में 1991-2012 तक सेवा. 2. जैगुआर लैंड रोवर की खरीद (2008). 3. कोरस की खरीद (2007). 4. टाटा स्टील की वैश्विक पहुंच बढ़ाना. 5. टाटा मोटर्स की सफलता. 6. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की वैश्विक पहुंच बढ़ाना. 7. टाटा समूह की वैश्विक ब्रांड वैल्यू में वृद्धि.
रतन टाटा के प्रमुख पुरस्कार और सम्मान:
1. पद्म विभूषण (2008) 2. पद्म भूषण (2000) 3. ऑनररी नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (2009) 4. इंटरनेशनल हेरिटेज फाउंडेशन का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2012)
परोपकार और सामाजिक कार्य:
रतन टाटा को उनकी परोपकार और समाज सेवा के कार्यों के लिए व्यापक रूप से सराहा जाता है. उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट और टाटा फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और तकनीकी नवाचारों के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है. कुछ प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं:
शिक्षा में योगदान-
रतन टाटा का मानना है कि शिक्षा समाज के विकास की कुंजी है. उन्होंने देशभर में स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना में योगदान दिया है. उन्होंने कई छात्रवृत्तियों की भी शुरुआत की, जिनसे लाखों छात्र लाभान्वित हुए हैं.
स्वास्थ्य सेवा-
टाटा ट्रस्ट्स ने कई स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों में निवेश किया है. उन्होंने कैंसर रिसर्च, एड्स के उपचार, और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए विशेष कार्य किए हैं.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थानों को समर्थन दिया.
प्यार होने के बाद भी ताउम्र रहे अविवाहित
रतन टाटा ताउम्र अविवाहित रहे. वह चार बार शादी करने के करीब आए, लेकिन विभिन्न कारणों से शादी नहीं कर सके. उन्होंने एक बार स्वीकार किया था कि जब वह लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था. लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के विरोध में थे. जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की.
कॉलेज के दिनों सवार हुआ था विमान उड़ाने का भूत
रतन टाटा की उच्च शिक्षा अमेरिका के कॉरनेल यूनिवर्सि से हुई, जहां उन्होंने आर्किटेक्चर की डिग्री ली. उन्हीं दिनों की बात है जब रतन टाटा को जहाज उड़ाने का शौक सवार हुआ. अमेरिका में उन दिनों फीस भरकर वि मान उड़ाने की सुविधा देनेवाले सेंटर खुल चुके थे. उन्हें अपना यह शौक पूरा करने का सुनहरा अवसर मिला. दिक्कत थी तो सिर्फ पैसों की, क्योंकि तब उन्हें इतने पैसे मिलते नहीं थे कि फीस भर सकें. विमा न उड़ाने की फीस जुटाने के लिए उन्होंने कई नौकरियां की. इसी दौरान उन्होंने कुछ समय केलिए रेस्तरां में जूठे बर्तन धोने की भी नौकरी की.
अपनी परोपकारिता के लिए विदेशों में मशहूर रहे रतन टाटा
रतन टाटा अपनी परोपकारिता के लिए भी जाने जाते हैं. रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया. 2010 में, टाटा समूह ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में एक कार्यकारी केंद्र बनाने के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया, जहां उन्होंने स्नातक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसे टाटा हॉल नाम दिया गया. 2014 में, टाटा समूह ने आईआईटी-बॉम्बे को 95 करोड़ रुपये का दान दिया और सीमित संसाधनों वाले लोगों और समुदायों की आवश्यकताओं के अनुकूल डिजाइन और इंजीनियरिंग सिद्धांतों को विकसित करने के लिए Tata Center for Technology and Design (टीसीटीडी) का गठन किया.